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Yun hi raah chalte chalte by Alka Pramod | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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यूँ ही राह चलते चलते by Alka Pramod in Hindi
Novels

यूँ ही राह चलते चलते - Novels

by Alka Pramod Matrubharti Verified in Hindi Travel stories

(222)
  • 17.4k

  • 39.7k

  • 17

चाय की चुस्की लेते हुए रजत बोले ’’ अगर तुम मुझे पाँच लाख रुपये दो तो मैं तुम्हें एक सरप्राइज दे सकता हूँ। ‘‘ ’’ ये कौन सा सरप्राइज है जिसकी कीमत पाँच लाख है?‘‘ ’’घाटे में नहीं रहोगी ये वादा ...Read More‘‘ बात को मजाक में लेते हुए अनुभा ने भी हाँ कह दी । बात आई गई हो गई। शाम को उसे पता चला कि बात गंभीर थी और उसे सच में पाँच लाख का इंतजाम करना होगा । पर सरप्राइज इतना आकर्षक था कि अनुभा को पाँच लाख का सौदा भी सस्ता लगा । उन्नीस दिनों का यूरोप भ्रमण का पर्यटन कम्पनी का विज्ञापन था । अनुभा को विश्वास नहीं हो रहा था कि उसका वर्षों का सपना पूरा होने की कगार पर है।

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यूँ ही राह चलते चलते - 1

(13)
  • 3.9k

  • 5.4k

यूँ ही राह चलते चलते -1- चाय की चुस्की लेते हुए रजत बोले ’’ अगर तुम मुझे पाँच लाख रुपये दो तो मैं तुम्हें एक सरप्राइज दे सकता हूँ। ‘‘ ’’ ये कौन सा सरप्राइज है जिसकी कीमत पाँच ...Read Moreहै?‘‘ ’’घाटे में नहीं रहोगी ये वादा है। ‘‘ बात को मजाक में लेते हुए अनुभा ने भी हाँ कह दी । बात आई गई हो गई। शाम को उसे पता चला कि बात गंभीर थी और उसे सच में पाँच लाख का इंतजाम करना होगा । पर सरप्राइज इतना आकर्षक था कि अनुभा को पाँच लाख का सौदा भी

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यूँ ही राह चलते चलते - 2

  • 2.8k

  • 3.2k

यूँ ही राह चलते चलते -2- कमरे में आ कर लम्बे सफर के बाद वो पीठ सीधी करने को लेटे ही थे कि आधा घंटा बीत गया।अनुभा ने रजत से कहा ‘‘उठिये, सुमित ने ठीक आधे घंटे बाद नीचे ...Read Moreको कहा था’’। ‘‘ क्या यार अभी तो पैर भी सीधे नहीं हो पाये हैं’ रजत ने करवट बदलते हुए कहा । मन तो अनुभा का भी कुछ देर लेटने का हो रहा था पर सुमित ने पहले ही विनम्रता की चाशनी में लपेट कर सचेत कर दिया था कि समय की ढील सहन नहीं की जाएगी और जो देर

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यूँ ही राह चलते चलते - 3

  • 717

  • 1.4k

यूँ ही राह चलते चलते -3- आज से तीन दिनों तक सबको क्रूस (पानी के जहाज ) का आनन्द उठाना था । क्रूस उनकी प्रतीक्षा में पलकें बिछाए, सागर तट के पाइरियास पोर्ट पर प्रहरी सा तना खड़ा था। ...Read Moreसब क्रूस पर गये तो सभी की आँखें आश्चर्य से खुली रह गयीं। सम्भवतः सभी के लिये यह प्रथम अनुभव था। आठ तल ऊँचे इस जहाज में तो अपना एक अलग संसार ही था। सैकड़ों केबिन, दो डाइनिंग हाल लायब्रेरी, कैसीनो, लांज, स्वीमिंग पूल सभी कुछ तो था । इस नये संसार में यदि कोई खो जाये तो उसे ढूँढना

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यूँ ही राह चलते चलते - 4

  • 579

  • 1.1k

यूँ ही राह चलते चलते -4- कोच आया तो अपनी आयु को भूल कर कोच में आगे सीट के लिये सभी दौड़ पडे़। सब सीट लेने में व्यस्त थे पर वान्या की दृष्टि बस यशील और अर्चिता को ढूँढ ...Read Moreथी । वह मन ही मन पछता रही थी कि जाते समय वह यशील के साथ क्यों नहीं गयी । तभी उसने देखा कि अर्चिता अपने मम्मी पापा के साथ आ रही है उसके मन के तनाव में अचानक ढील आ गयी। वह व्यर्थ ही न जाने क्या क्या कल्पना करके आशंकित थी।पर दूसरे ही क्षण उसने स्वयं को सावधान

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यूँ ही राह चलते चलते - 5

  • 629

  • 1.4k

यूँ ही राह चलते चलते -5 - लेवेरियान के पोर्ट पर क्रूस से उतर कर सब बाहर आये। निमिषा ने सचिन से कहा ‘‘ आज तो तुम मेरे पाँवों की फोटो ले लो जो चार दिनों बाद धरती पर ...Read Moreहैं’’। सचिन ने कहा ‘‘ गनीमत है धरती पर आये तो ’’। संजना हँस पड़ी।फोटो की बात पर ऋषभ को अचानक मान्या-महिम की याद आ गयी उसने कहा ’’ वो अपना हीरो हीरोइन कहाँ गया‘‘? संजना ने कहा ’’ तुम्हे टेंशन की जरूरत नहीं वो अपना काम कर रहा है ‘‘ अनुभा ने मुड़ कर देखा तो सच में महिम

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यूँ ही राह चलते चलते - 6

  • 477

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यूँ ही राह चलते चलते -6- आज का दिन रोम के नाम था, सबसे पहले सबको कोलोसिमय दिखाने की योजना थी। रोम के नाम पर ही अनुभा का मन इतिहास की गलियों में भटकने लगा और कोलोसियम का चित्रों ...Read Moreदेखा रूप आँखों के सामने आ गया। आज उसे प्रत्यक्ष देखने को मिलेगा यह सोच कर ही वह रोमांचित हो गयी। उसने पढ़ा था कि रोम लगभग 3000 वर्ष पुराना शहर है प्राचीन काल में यह 7 पहाड़ियों पर बसा था । रास्ते में सुमित ने सबकी परीक्षा लेने के उद्देश्य से पूछा ‘‘ आप लोग बताइये आप लोग कोलोसियम

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यूँ ही राह चलते चलते - 7

  • 431

  • 1.1k

यूँ ही राह चलते चलते -7- सुमित ने सबको वहाँ से आगे चलने के लिये कहा, अगला पड़ाव था ट्रेवी फाउन्टेन । दुकानों से सजी एक गली को पार करके सब ट्रेवी फाउन्टेन पहुँचे, व हाँ पहुँच कर सचिन, ...Read Moreसंजना और ऋषभ सभी अति उत्साहित थे। यह जगह टाइबर नदी से लगभग 20 मीटर दूर बनी है तथा एक्वा डक्ट के द्वारा इस फव्वारे तक पानी आता है । रजत ने बताया कि इसे पोप क्लीमेंट ग्यारह ने निकोल साल्वी से बनवाना प्रारम्भ किया था और पेट्रो ब्रेसाई और बुइसेप पानिनी ने इसे पूरा किया था । 1730 से

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यूँ ही राह चलते चलते - 8

  • 466

  • 1.4k

यूँ ही राह चलते चलते -8- रोम में पहुँच कर शाम का समय खाली था तो सब गाने के मूड में आ गये। निमिषा ने अपने मधुर गीत से सबको विभोर कर दिया, फिर क्या था सब एक-एक करके ...Read Moreआने लगे। अर्चिता की मम्मी ने कहा ’’अर्चू तू भी सुना न गाना तू भी तो गा लेती है ।‘‘ अर्चिता को शायद इसी क्षण की प्रतीक्षा थी थेाड़ी सी बनावटी ना नुकुर के बाद वह गाने को तैयार हो गई । उसने गाया ’’तुम जो आये जिंदगी में बात बन गई....................‘‘उसके हावभाव स्पष्ट बता रहे थे कि ये गाना

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यूँ ही राह चलते चलते - 9

  • 459

  • 1.4k

यूँ ही राह चलते चलते -9- आज का लक्ष्य वेनिस था, वही वेनिस जिसे शेक्सपियर के बहुचर्चित उपन्यास ’मर्चेन्ट आफ वेनिस‘ ने लोकप्रिय बना दिया था। पानी पर बसा यह शहर दुनिया का अनोखा और एकमात्र शहर था । ...Read Moreके साथ सब फ्लोरेंस से पियाजेल रोमा पहुँचे और वहाँ से वैपोरेट अर्थात छोटे पानी के जहाज पर बैठ कर ग्रैंड कैनाल आफ वेनिस के रास्ते से पानी पर बसे शहर वेनिस की ओर चले । संजना बोली ’’ये लोग भी अजीब हैं धरती छोड़ कर पानी पर बसना कुछ समझ नहीं आया।‘‘ सुमित ने बताया ’’ बिना बात के

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यूँ ही राह चलते चलते - 10

  • 339

  • 1.1k

यूँ ही राह चलते चलते -10- लौटते में सब को सुमित वेनिस की एक गली में ले गये, वह एक सँकरी पर साफ-सुथरी गली थी । वहाँ सुमित ने सबको अपनी अपनी मन पसंद की आइसक्रीम खिलाई।संजना ने मिन्ट ...Read Moreकी ली, तो सचिन ने स्ट्राबेरी। अनुभा को रोम ट्रेवी फाउन्टेन पर खाई पिस्टाचियो बहुत भाई थी, अतः उसने वही ली, उसे देख कर रजत ने भी पिस्टाचियो आइसक्रीम ही ली। रोम की परम्परा के अनुसार यहाँ भी विशालकाय मूर्तियाँ बनी थीं । लौटते में सब स्क्वेअर पर रुके जो एक दूर तक फैला चैाक था, वहाँ एक ओर कुछ

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यूँ ही राह चलते चलते - 11

  • 368

  • 1.1k

यूँ ही राह चलते चलते -11- सुबह ग्रुप के काफी लोग लाबी में एकत्र हो गए थे सुमित ने कहा ‘‘ आज हमारे ग्रुप में एक सदस्य और जुड़ गया है, ये यहाँ से टूर में सम्मिलित हो रहे ...Read Moreआइये उनसे मैं आपका परिचय करवा दूँ।’’ ‘‘ ये हैं मिस्टर संकेत ।’’ सबने ताली बजा कर उसका स्वागत किया। रामचन्द्रन ने पूछा ‘‘ क्या आप यहीं रहते हैं ? ’’ ‘‘ नहीं नहीं मैं भी मुम्बई में ही रहता हूँ मुझे अपने बिजनेस के सिलसिले में यहाँ आना था तो मैंने इस तरह प्रोग्राम बनाया कि यहाँ से टूर

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यूँ ही राह चलते चलते - 12

  • 352

  • 923

यूँ ही राह चलते चलते -12- वहीं पर एक टाइलोरियन पिलर था।मीना श्रेष्ठ जिन्होंने काफी समय से अपने ज्ञान का ढिंढोरा नही पीटा था कहा ’’सुमित मुझे पता है इसे टाइलोरियन पिलर क्यों कहते हैं ‘‘ सुमित ने कहा ...Read Moreबताइये ।‘‘ ’’जर्मनी से कुछ किलोमीटर पर एक राज्य था बवेरिया उसने 1703 में यहाँ आक्रमण कर दिया था तब टाइलोरियन ने विजय प्राप्त की थी उसी की स्मृति में यह खंभा बना अतः इसे टाइलोरियन पिलर कहते हैं।‘‘ ‘’गुड वेरी गुड ’’निमिषा ने सुमित के कुछ बोलने से पहले कहा।उसके कहने के तरीके पर सब हँस पड़ें । ‘‘वहाँ

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यूँ ही राह चलते चलते - 13

  • 325

  • 965

यूँ ही राह चलते चलते -13- यशील सप्रयास वान्या से दूर रहने का प्रयास कर रहा था और इस परिवर्तन को अर्चिता अनुभव कर रही थी । अवश्य संकेत के आने से यशील वान्या से विमुख हो गया है ...Read Moreअंदाज लगाया। उसका मन किया कि वह संकेत के चारों ओर धन्यवाद का ढेर लगा दे। उसने ईश्वर को धन्यवाद दिया, आज उसे विश्वास हो गया था कि सच्चा प्यार सफल होता ही है । वह उसी आनन्द में पूरी तरह डूब उतरा रही थी । संकेत ने वान्या से पूछा ‘‘तुम्हें कौन सी ज्यूलरी पसंद आयी ?’’ ‘‘ क्यों

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यूँ ही राह चलते चलते - 14

  • 388

  • 1.2k

यूँ ही राह चलते चलते -14- कारवाँ चल पड़ा धरती के स्वर्ग स्विटजरलैंड । सुबह ठीक आठ बजे ही सब उपस्थित थे ब्रेकफास्ट करने के लिये, मानो स्विट्जरलैंड में व्यतीत होने वाला एक क्षण भी गँवाना उन्हें मंजूर न ...Read Moreअपना सामान बाँध कर के उन्होने कोच में रखा और बाहर खड़े होकर विभिन्न तरह की चर्चाओं में व्यस्त हो गये। आज संजना ने नारंगी अनारकली सूट पहना था तो निमिषा ने स्लीवलेस टाप और कैप्री पहना था, मीना श्रेष्ठ ने आसमानी चिकन की कुर्ती और ट्राउजर्स पहने थे यानि कि चारों ओर रंग ही रंग बिखरे थे। सभी प्रफुल्ल्ति

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यूँ ही राह चलते चलते - 15

  • 314

  • 914

यूँ ही राह चलते चलते -15- रजत तो बस के बाहर के अप्रतिम सौंदर्य में खोये थे, यह अस्वाभाविक भी नहीं था चारों ओर दूर दूर तक फैली ऊँची नीची ढलानों पर छायी हरियाली मानो, धरती अपनी हरी चुनरिया ...Read Moreमें लहरा-लहरा कर अपने में मगन नाच रही हो। दूर पर धरती रूपी गोरी के प्रहरी देवदार जैसे वृक्ष सावधान की मुद्रा में तने खड़े थें। कही-कहीं स्वस्थ भूरे या काले चकत्तों वाली धवल गायें देख कर अनायास ही आभास होता कि अभी कहीं से चितचोर मुरलीधर की वंशी की मधुर तान भी सुनाई पड़ जाएगी। वो लोग ज्यूरिख की

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यूँ ही राह चलते चलते - 16

  • 322

  • 888

यूँ ही राह चलते चलते -16- ज्यूरिख से सब एंजलबर्ग गये । राह में सुमित ने सदा की तरह अपना माइक पकड़ा और उन जगहों के इतिहास भूगोल से परिचित कराने लगा । सुमित ने पूछा’’ क्या आप बता ...Read Moreहैं बर्ग का क्या अर्थ है ‘‘। निमिषा बोली ’’बर्ग तो पता नही हाँ बर्गर जरूर याद आ रहा है ‘‘। यह सुन कर सब हँसने लगे। मीना ने कहा ‘‘सुमित आप बताइये ।‘‘ सुमित ने बताया ’’ बर्ग का अर्थ पहाड़, एंजिलबर्ग अर्थात एंजिल का पहाड़ ‘‘ सच में वह सौंदर्य का प्रतिरूप देवियों का पहाड़ ही लग रहा

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यूँ ही राह चलते चलते - 17

  • 363

  • 891

यूँ ही राह चलते चलते -17- ’’ अरे भाई मैडम आप भी आ जाओ आपकी फोटो लें ले नहीं तो कहोगी कि एक महिम है मान्या की इतनी फोटो ले रहा है और एक तुम ‘‘ श्रीनाथ ने कैमरा ...Read Moreहुए गीता से कहा। ’’ आप तो बस एक बात के पीछे ही पड़ जाते हैं ‘‘ गीता ने नाराज होते हुए कहा पर साथ ही फोटो खिंचवाने के लिये पोज बना कर खड़ी हो गयी। उसकी इस अदा पर श्रीनाथ कंधे उचकाते हुए कैमरा क्लिक करने लगे। उन्हे देख रहे अनुभा और रजत एक दूसरे को देख कर अर्थपूर्ण

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यूँ ही राह चलते चलते - 18

  • 327

  • 909

यूँ ही राह चलते चलते - 18 - सुबह-सुबह सब लोग ठीक आठ बजे सर्दी का सामना करने के लिये पूरी तरह लैस हो कर तैयार थे। सभी ने कोट जैकेट मफलर, दस्ताने पहन रखे थे। ठंडा मौसम और ...Read Moreवादियाँ अनुभा के होंठो पर बरबस ही ये पंक्तियाँ आ गई ’ ये वादियाँ ये हवाएँ बुला रही हैं हमें .............‘ रजत यह सुन कर धीरे से बोले ’’हुम्म आज तो बड़े मूड में हो ‘‘ और अनुभा सकपका कर चुप हो गई। सब लोग कोच से जंगफ्रो रेलवे स्टेशन गये जो दुनिया का सबसे ऊँचाई पर बना रेलवे स्टेशन

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यूँ ही राह चलते चलते - 19

  • 352

  • 859

यूँ ही राह चलते चलते -19- तभी संजना ने आवाज दी ‘‘आंटी इधर आइये देखिये कितना अद्भुत दृश्य है ।’’ चारों फोटोग्राफी छोड़ कर उस गैलरी से बाहर खुले स्थान पर गये। वहाँ सच ही अवर्णनीय दृश्य था। चारों ...Read Moreबर्फ ही बर्फ थी ।यहाँ तक कि आकाश से भी बर्फबारी हो रही थी। जब वो सब वहाँ पहुँचे तो कुछ देर भी वहाँ खड़ा होना मुश्किल हो रहा था हाथ बिल्कुल सुन्न हो गये थे। आँखे पलकों पर बर्फ गिरने से बन्द हुई जा रही थी। कुछ ही क्षणेां में उस बर्फबारी का सामना करना कठिन हो गया और

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यूँ ही राह चलते चलते - 20

  • 313

  • 943

यूँ ही राह चलते चलते -20- अगले दिन सबको 10000 फीट की ऊँचाई पर माउंट टिटलिस जाना था । सब मना रहे थे कि आज बर्फबारी न हो और धूप निकल आये क्योंकि सुमित ने बताया था कि माउंट ...Read Moreपर तरह तरह के बर्फ के खेल होते हैं और वह तो तभी संभव था जब मौसम साफ होता । चुलबुली निमिषा सुमित से बोली ‘‘सुमित प्लीज आप कुछ करिये कि आज बर्फबारी न हो ’’मानों मौसम सुमित का गुलाम हो। सुमित ने भी उसी अंदाज में कहा ‘‘ ठीक है मैं अभी भगवान से बात करता हूं ’’ सब

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यूँ ही राह चलते चलते - 21

(11)
  • 333

  • 1.2k

यूँ ही राह चलते चलते -21- आज उन्हें स्विटजरलैंड से आगे के सफर के लिये निकलना था चार दिन रह कर भी मन नहीं भरा था। उनका वश चलता तो वहीं डेरा जमा लेते। पर समय की गति को ...Read Moreरोक सकता है आगे तो जाना ही था। एक बार फिर सबने अपना अपना सामान बाँधा और चल पड़े एंजिलबर्ग के बाद के अगले पड़ाव यानि कि जर्मनी की ओर। रास्ते में एक झील पड़ी जिसका आधा पानी नीला और आधा हरा था। अनुभा को प्रयाग का गंगा-यमुना का संगम याद आ गया जहाँ एक ओर से गंगा का मटमैला

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यूँ ही राह चलते चलते - 22

  • 283

  • 919

यूँ ही राह चलते चलते -22- महिम ने सुमित से पूछा ’’ मैं ने सुना है कि यहाँ के गर्म झरने स्पा के लिये, ढलान विन्टर खेलों के लिये और मानव निर्मित कैनाल पानी के खेलों के लिये विश्व ...Read Moreहै और जर्मनी में काफी लोकप्रिय भी है।‘‘ मान्या बोली ’’ आ माई गाड !पानी में खेलना तो मुझे बचपन से बहुत पसंद है। ‘‘ पर सुमित ने उनकी आशाओं पर पानी फेरते हुए कहा ’’ हमारे पास इतना समय नहीं है कि उसका आनन्द उठा सकें ‘ ’’ काश हम पानी में खेल पाते तो कितना मजा आता‘‘ अर्चिता

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यूँ ही राह चलते चलते - 23

  • 304

  • 988

यूँ ही राह चलते चलते -23- यात्रा का अगला लक्ष्य था फ्रांस और फ्रांस में भी सपनों का शहर पेरिस। कल की बहस के बाद आज जब सुमित बोलने खड़े हुये तो सब चुप हो गये और तन्मयता से ...Read Moreबात सुनने लगे ’’ पेरिस को रोमन लोगों के द्वारा राजधानी बनाया गया परन्तु उसके पूर्व यहाँ पेरिजी नामक जाति के लोग रहते थें और उन्ही के नाम पर इसका नाम पेरिस पड़ा । ‘‘ ‘‘यह सेन नदी पर बसा है न ?’’ऋषभ ने पूछा। ‘‘यस वेरी गुड ‘‘ सुमित ने प्रसन्न होते हुए कहा ‘‘आप लोगों को यूरोप के

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यूँ ही राह चलते चलते - 24

  • 305

  • 1.1k

यूँ ही राह चलते चलते -24- सब टावर के सिक्योरिटी गेट तक पहुँच गये थे। सिक्योरिटी चेक के बाद लोग लिफ्ट से ऊपर गये टावर के केवल दो तल तक ही जाना संभव था । पर वही इतना ऊँचा ...Read Moreकि वहाँ से सम्पूर्ण पेरिस का दृश्यावलोकन किया जा सकता था। अद्भुत मनोरम दृश्य था। टावर से उतर कर सब लोग टावर के एक ओर दूर तक फैले मैदान में दूर जा कर फोटो लेने लगे जिससे उस विशाल टावर की पूरी ऊपर तक फोटो ले सकें । अनुभा और रजत भी काफी दूर तक आ गये थे। दो नों

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यूँ ही राह चलते चलते - 25

  • 246

  • 837

यूँ ही राह चलते चलते -25- उसके बाद उनका काफिला पेरिस के नेशनल म्यूजियम गया जो विश्व में सबसे बड़ा है और यू आकार का है । इसके अतिरिक्त उन्होने नास्टरडम चर्च भी देखा ।रास्ते में गोल्डेन फ्लेम दिखाई ...Read Moreजो अमेरिका की स्टेचू आफ लिबर्टी का रेप्लिका है । सुमित ने बताया कि जहाँ पर गोल्डेन फ्लेम है उसके ठीक नीचे बनी टनेल में ब्रिटिश की राजकुमारी, लेडी डायना की दुर्घटना हुई थी। यह सुन कर सभी लेडी डायना के एक्सीडेंट की चर्चा करने लगे। कोई पत्रकारों को दोषी मान रहा था जिनके पीछा करने के कारण डायना ने

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यूँ ही राह चलते चलते - 26

  • 281

  • 1.2k

यूँ ही राह चलते चलते -26- आज सब बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में थे । ‘‘सर यहाँ की भाषा क्या है’’ चंदन ने पूछा। ‘‘फ्रेंच इंगलिश और फ्लेमिश भाषा बोलते हैं यहाँ ’’ सुमित ने बताया। ‘‘ पर मैंने ...Read Moreसुना था कि यहाँ की भाषा ब्रूसेल्वा है ’’ सचिन ने कहा। ‘‘ आप ने ठीक सुना बू्रसेल्वा यहाँ की स्थानीय भाषा है। ’’ ‘‘सुना तो यह भी है कि यहाँ की स्टेला बीयर और चाकलेट भी प्रसिद्ध है’’ वान्या ने यशील को सुनाते हुए कहा। उसका प्रयास व्यर्थ नहीं गया यशील ने सुना भी और सराहा भी । अब

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यूँ ही राह चलते चलते - 27

  • 304

  • 1k

यूँ ही राह चलते चलते -27- यात्रा लगभग पूरी होने को थी अगला पड़ाव नीदरलैंड था।वहाँ की राजधानी एम्स्टर्डम जाने के मार्ग में कतार में पवन चक्कियाँ दिखायी पड़ रही थीं। यह इस देश की राष्ट्रीय हेरिटेज और यह ...Read Moreविद्युत उत्पादन, फर्नेस ब्लो करने और पम्प के लिये प्रयोग होती हैं। निश्चय ही यह यूरोप के सुन्दरतम देशों में से एक है। जब उनका कोच होटल एन एच एम्स्टर्डम के सामने रुका तो सबने ताली बजा कर सुमित की प्रशंसा की और उसको धन्यवाद दिया इतने भव्य होटल में रुकवाने के लिये। होटल का गलियारा ही बहुत बड़ा और

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यूँ ही राह चलते चलते - 28

  • 282

  • 888

यूँ ही राह चलते चलते -28- नीदरलैण्ड मात्र अपनी प्राकृतिक सुन्दरता और यहाँ के लोगों के कलात्मक रुचि के लिये ही नहीं जाना जाता है वरन् ईश्वर ने इस धरती को और भी सुन्दर बनाने के लिये ऐसा मौसम ...Read Moreहै कि यहाँ दूर-दूर तक फूलों की और विशेषकर ट्यूलिप की बहार दिखायी देती है। नीदरलैंड के वातावरण में नमी बहुत है जो ट्यूलिप जैसे फूलों के लिये वरदान है। उनका कोच क्यूकेनहाफ गार्डेन जाने के लिये तैयार था । आज वान्या का जन्मदिन था । लता जी ने बस में सबको चाकलेट बाँटी, सबने हैप्पी बर्थडे गा कर वान्या

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यूँ ही राह चलते चलते - 29

  • 297

  • 981

यूँ ही राह चलते चलते -29- यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर आ गयी थी अब उस देश को जाना था जिसका राज्य कभी इतनी दूर तक विस्तृत था कि उनके राज्य में कभी सूर्य डूबता ही नहीं था। जी ...Read Moreअन्तिम पड़ाव था ब्रिटेन की राजधानी लन्दन। अगले दिन वापस जाना था। सुमित ने कहा ‘‘अब हमारा कोच शिप आफ ब्रिटैनिका स्टैनालाइन से लन्दन जाएगा ।’’ ऋषभ ने कहा ‘‘ कोच जाएगा मतलब, क्या हमारा कोच शिप पर जाएगा ?’’ ‘‘जी हाँ हमारा पूरा कोच शिप पर जाएगा आप लोग कोच से निकल कर शिप के केबिन में रहेंगे और

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यूँ ही राह चलते चलते - 30

  • 274

  • 1.1k

यूँ ही राह चलते चलते -30- सुमित ने मेट्रो ट्रेन और स्टेशन तक जाने का रास्ता बता दिया और सबको स्वतंत्र कर दिया घूमने के लिये। अर्चिता ने यशील से पूछा तुम्हारा कहाँ जाने का इरादा है ?’’ ‘‘हम ...Read Moreपहले लंदन आई फिर मैडम टुसाड का म्यूजियम देखने जाएँगे’ ’यशील ने कहा। ‘‘ और तुम भी वहीं चलोगी ’’ यशील ने साधिकार कहा। अर्चिता को उसका यह अधिकार जताना अच्छा लगा उसने इठला कर कहा ‘‘ अगर मेरा मन न हो तो?’’ ‘‘ तो जहाँ तुम जाओगी वहीं मैं भी चला जाऊँगा’’ यशील ने बेचारगी से कहा, दोनो हँस

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यूँ ही राह चलते चलते - 31 - अंतिम भाग

  • 284

  • 1.2k

यूँ ही राह चलते चलते -31- आज यात्रा अपने किनारे पर आ चुकी थी, सब को वापस जाना था । अन्तिम रात्रि को फेयरवेल डिनर था जहाँ सब की एक आलीशान पार्टी थी। इस पार्टी का वातावरण अद्भुत था ...Read Moreइतने दिनों के अपन- पराये, क्षेत्रवाद आदि का भेद भूल कर सब वापस जाने से पहले अति भावुक हो गये थे। सब एक दूसरे से संपर्क करने के लिये मोबाइल नम्बर, ईमेल, आई-डी, पता आदि का आदान-प्रदान कर रहे थे। कुछ लोग तो इतने भावुक हो गये थे कि बिछुड़ने की सोच कर उनकी आँखें नम हो रही थीं तो

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