तंत्र रहस्य - Novels
by Rahul Haldhar
in
Hindi Horror Stories
1)सफर की शुरुआत ...." राघव बेटा जाकर मंदिर का दरवाजा बंद करदे ,सुबह के पूजा होने के बाद अभी भी खुला हुआ है । " मैं बाहर कुर्सी पर बैठा सामने बने तालाब में कई प्रकार के दृश्यों में ...Read Moreहुआ था कहीं दिख रहा था कोई बगुला ध्यान से बैठा हुआ है अपने शिकार की आशा में , कहीं पर कोई मछली सांस लेने ऊपर आती और बुलबुला छोड़ चली जाती और कहीं तालाब के उस पार खेलते कुछ बच्चे । इन सब के बीच दिमाग में चल रहा है आगे ऐसा क्या लिखूं की लोगों को पसंद आए
1)सफर की शुरुआत ...." राघव बेटा जाकर मंदिर का दरवाजा बंद करदे ,सुबह के पूजा होने के बाद अभी भी खुला हुआ है । " मैं बाहर कुर्सी पर बैठा सामने बने तालाब में कई प्रकार के दृश्यों में ...Read Moreहुआ था कहीं दिख रहा था कोई बगुला ध्यान से बैठा हुआ है अपने शिकार की आशा में , कहीं पर कोई मछली सांस लेने ऊपर आती और बुलबुला छोड़ चली जाती और कहीं तालाब के उस पार खेलते कुछ बच्चे । इन सब के बीच दिमाग में चल रहा है आगे ऐसा क्या लिखूं की लोगों को पसंद आए
11:30 बज रहा है ट्रेन अपने गति के साथ रामपुरहाट की तरफ बढ़ता जा रहा है एक डेढ़ घंटे में हम वहां पहुंच जाएंगे I इधर साधु बाबा मुझे उस छोटी लड़की के बारे में व उसके साथ ...Read Moreहुआ है बताने लगे I...........…. ट्रेन अपनी रफ्तार से गंतव्य की तरफ बढ़ रही है I मैंने साधु से उस लड़की के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की थी जिसे दिखाकर साधु ने कहा था कि उसके ऊपर शैतानी साया है I साधु ने बताना शुरू किया , क्या बताया वह इस प्रकार था I " कोलकाता शहर से कुछ
देवी तारा की संध्या आरती.... देवी तारा के मंदिर में जयकारों की ध्वनि से पता चल रहा है कि शाम की श्रृंगार आरती शुरू होने वाली है I महाशमशान से होकर मैं ...Read Moreधीरे-धीरे संध्या आरती देखने के लिए मंदिर की तरफ बढ़ चला I महाशमशान से बाहर निकल ही रहा था वही गली में एक तरफ कुछ दुकान और उसी के एक कोने में एक साधु बाबा, नहीं वेशभूषा देख कर तो ऐसा लग रहा था मानो कोई तांत्रिक है या फिर कोई पागल, बड़े-बड़े दाढ़ी, ऊपर जटा, मैले कपड़े हां थोड़े बहुत पागल ही लग रहा
शिला प्रतिमा व बलि..... सपना देखने के कारण एकाएक ...Read Moreपर उठ बैठा हूं I मोबाइल के स्क्रीन पर देखा तो सुबह के 4 बजने वाले थे I वैसे सपना भयानक तो नहीं था लेकिन आश्चर्यजनक जरूर था I हां , आश्चर्यजनक इसलिए क्योंकि जिस पागल बाबा ने मुझे कल भगा दिया था वही आए थे मेरे सपने में , लेकिन एक बार तो ऐसा लगा मानो वह बाबा मेरे सिर के पास ही खड़े हैं और मेरे कानों में कह रहे हैं " बेटा कल तुझे भगा दिया था आज फिर आना जो भी पूछोगे तुम्हारे सभी सवालों
पहले बाम फिर तारा...... मंदिर के द्वार पर कुछ देर पहले ही देखें बलि के दृश्यों को सोचकर बैठा हुआ था I आज ...Read Moreसे ही उस पागल बाबा से मिलने को मन आतुर था इसीलिए मंदिर के द्वार से उठ महाश्मशान की ओर चल पड़ा वहां पर भी पूजा करना था क्योंकि देवी तारा के अलावा बामाखेपा बाबा की पूजा जरूरी है वरना पूजा अधूरी मानी जाती है I जैसे काशी में भगवान विश्वनाथ के दर्शन के बाद कालभैरव व माता अन्नपूर्णा के दर्शन करना जरूरी है वैसे यहां भी देवी तारा के साथ बामाखेपा बाबा की पूजा
पागल बाबा और बामदेव साधना.... धीरे-धीरे रात का अंधेरा और भी ...Read Moreहो रहा है I द्वारका नदी के ऊपर दिखने वाला यह काला सन्नाटा भयानक लग रहा है I दूर किसी जंगल में सियार की हूहू , ऊपर उड़ते चमगादड़ और महाश्मशान में भौकते हुए कुत्ते, इन सभी की आवाजों ने मिलकर एक डरावनी वातावरण को पैदा किया है I आसपास लोग भी अब कम हो गए हैं I जिस घाट पर हम बैठे हुए हैं वह ज्यादा बड़ा नहीं है 5 -6 सीढ़ियों का घाट उसके थोड़े से ऊपर चौखट और फिर रास्ता जो कि महाश्मशान
पागल बाबा व शव साधना.... - अगले दिन सुबह महाश्मशान में पहुंचा I मुझे पता था इस समय पागल बाबा कहीं भी नहीं दिखाई देंगे लेकिन फिर ...Read Moreयही सोच कर आया था क्या पता कहीं दिख ही जाएं और वैसे भी रहते तो इसी महाश्मशान में ही हैं I सुबह पूजा करने वालों की लाइन लगी हुई थी I आज सुबह से थोड़ा बादल के कारण मौसम भी अच्छा था I मैं जाकर एक कोने के चौखट पर बैठकर इधर-उधर देखने लगा I कुछ देर बाद एक आदमी मेरे सामने आकर खड़ा हुआ I शरीर पर काला वस्त्र
पागल बाबा व वज्रडाकिनी ( 1 )..... पागल बाबा सिगरेट को जलाते हुए बोले - " लगता है तुम्हारे इस सिगरेट का लत लग जाएगा ...Read Moreदौड़ा चला आता हूं I बहुत दिनों के बाद किसी ने बिना डरे मुझसे बात किया व मेरे साथ इतना समय बिताया I " " बाबाजी कुछ लोग आपसे डरते क्यों हैं ? " " अच्छा ही है डरते रहेंगे तो मुझे परेशान करने नहीं आएंगे I " महश्मशान में चारों तरफ अंधेरा छा गया है I अक्सर मैं और पागल बाबा बामाखेपा बाबा के समाधी के पास ही बैठकर बातें करते थे
पागल बाबा व वज्रडाकिनी ( 2 )...... पागल बाबा ने कहानी बताना जारी रखा.. " शाम को उस कापालिक साधु को छोड़ श्मशान से निकल पड़ा फिर ब्राह्मणी नदी के किनारे ...Read Moreजगह रात बिताई और सुबह होते ही आगे की ओर निकल पड़ा I आगे एक गांव से गुजरते हुए मैंने देखा उस गांव के ऊपर अशुभ संकेत के बादल मंडरा रहे थे I शायद उस गांव में किसी भयानक नकारात्मक शक्ति का वास था या फिर वहां कुछ तो बहुत ही ज्यादा खराब था I उस गांव में प्रवेश करते ही मैं समझ गया कि हाँ यहां
अब आगे... डाकिनी साधना..... ( 1 ) कुछ तो ऐसा हुआ है जिससे मेरे अंदर श्मशान, भूत - ...Read Moreव काले अँधेरे का डर मानो समाप्त हो गया I तारापीठ का यह महाश्मशान मुझे अब अच्छा लगता है I बचपन से ही ईश्वर के लिए होने वाले हर क्रिया में मैं शामिल होता था केवल इसलिए कि भगवान हम पर अपनी कृपा बनाए रखें लेकिन देवी देवताओं का आशीर्वाद साक्षात प्राप्त होता है यह बात मैंने पागल बाबा से जाना लेकिन उन्हें तभी पाया जा सकता है जब आप एक साधक बन जाए और एक सच्चा साधक बनना
डाकिनी साधना.... ( 2 ) मैंने इन 8 दिनों में ना जाने कैसे साधना को किया था I मुझे इस बारे में कोई भी ज्ञान नहीं था फिर भी देवी काली व पागल बाबा की कृपा से मैं यह ...Read Moreमें सफल हुआ I आज मैं पागल बाबा के साथ ही बैठकर साधना के और कई नियमों के बारे में पूछता रहा I अंत में मैंने उनसे मेरे पुराने प्रश्न डाकिनी साधना के बारे में पूछा I पागल बाबा ने बताना शुरू किया - " देवी काली को पूरे ब्रह्मांड का सबसे उग्रशक्ति स्वरूपा बताया गया है । हमने उनके
मेरी भैरवी ( 1 ) ....आज महाश्मशान में शाम के वक्त जब मैं पहुंचा तो पागल बाबा आसपास कहीं भी नहीं दिखे । मैंने पहले भी बताया था कि मुझे अब यह श्मशान पसंद आने लगा है । ...Read More8 दिन के साधना ने मुझे अंदर से कुछ और ही बना दिया अब इस महा श्मशान में आते ही ध्यान से सुनने पर कुछ आवाजें ऐसी है जो मेरे लिए नई है । आज एक साफ जगह पर बैठकर जब मैंने अपनी आंखें बंद की तो कुछ बातों को सोच कर चेहरे पर मुस्कान आ गया । कुछ दिन पहले ही
मेरी भैरवी , पागल बाबा ने आज की साधना के लिए जिस मंत्र को दिया था उसे मैंने आधी रात तक जपकर पूरी तरह याद कर लिया था l उधर पागल बाबा किसी गुप्त स्थान पर ...Read Moreकी तैयारी कर रहे थे l उनका कहना था कि इस साधना को महा श्मशान में खुले स्थान पर नहीं कर सकते l मैं भी सोच में पड़ गया कि ऐसी कौन सी साधना है जिसे चिता के पास या श्मशान में टहलते लोगों के सामने नहीं कर सकते l कुछ देर बाद पागल बाबा आए और बोले, " अब चलो मैंने आज के
अंतिम प्रणाम... मैं एक जवान लड़का और मेरे सामने एक नग्न लड़की बैठी है परंतु मेरे मन में उसके प्रति कोई भी गंदी सोच या काम भाव दिमाग में उत्पन्न नहीं हो रहा । यह है तंत्र शक्ति का ...Read Moreउदाहरण कि नारी केवल वासना के लिए नहीं होती , वो हमेशा शक्ति का एक रूप होतीं हैं । मेरे सामने बैठी लड़की कौन है यह मुझे अभी तक नहीं पता । मैं केवल इतना ही जानता हूं कि वह मेरी भैरवी है अर्थात देवी रूप जिससे संगम होकर मुझे शक्ति अर्जित करना है । पागल बाबा ने मुझे बताया
बादल, आज सुबह ही पागल बाबा मुझे छोड़ कर चले गए। हां, मेरे मन में यही भावना है क्योंकि मेरा उनके साथ एक जुड़ाव हो गया था। पागल बाबा के जाने के बाद मैं अपने होटल रूम में चला ...Read Moreथा। मैंने इस रूम को लगभग महीने के लिए बुक कर लिया था इसीलिए कोई चिंता नहीं रहती। यहां रूम का किराया काफी सस्ता है और मेरे पास पैसों की कमी नहीं। पागल बाबा के जाने से मैं सचमुच दुखी हूं यह मेरे चेहरे पर झलक रहा था। उन्होंने इन कुछ दिनों की साधना से मुझे कौन सी शक्तियां दी
हंसी की आवाज़ ? चारों तरफ शाम का हल्का अंधेरा फैला हुआ है। मैं और बादल बैठकर बात कर ही रहे थे कि हमें पता चला मुंड मालिनी मंदिर में संध्या आरती होने वाली है। हम दोनों ने संध्या ...Read Moreमें भाग लिया। अगरबत्ती और धूपबत्ती की सुगंध से चारों तरफ का वातावरण दिव्य हो गया है। यह परिवेश मुझे बहुत ही पसंद है। मुंडमालिनी मंदिर में संध्या आरती खत्म होने के बाद मैं पास ही देवी श्मशान काली मंदिर सामने उनके मूर्ति को देखने के लिए रुक गया। क्योंकि यह मुंडमालिनी तला पर भी एक श्मशान है तो यहां
दो चेहरे, आज दिन में अच्छा खासा नींद लिया था इसीलिए आज रात भर नींद नहीं आई। बादल के पास से आने के बाद , रात का खाना खाना खाकर , इधर - उधर घूम कर लगभग रात ...Read Moreबजे मैं महाश्मशान पहुंचा था । उस वक्त महाश्मशान में एक जगह कुछ साधक एक साथ यज्ञ कर रहे थे वही देखने तथा इधर उधर करने में रात के 1 बज गए थे। 1 बजे के बाद से महाश्मशान में एक पेड़ के नीचे बैठकर , गुरु मंत्र व कुंडलिनी ध्यान करते - करते सुबह हो गया। सुबह कुछ लोगों के
तुम हो कौन?, उस दिन की घटना को बीते हुए चार-पांच दिन हो गया था। मैं इतना तो जानता हूं कि उस दिन मैंने जो भैरवी साधना किया था उसमें मेरी भैरवी कोई आम मनुष्य नहीं थी। मैं नहीं ...Read Moreचाहता था कि उस दिन मैंने जिस लड़की को देखा था , वह कुछ दिन पहले ही मर चुकी थी। परन्तु जो सच है वो सच है। उस दिन लड़की की लाश को देख मुझे थोड़ा झटका सा लगा था उसी से उभर रहा था। आँख बंद करते ही उस लड़की का वीभत्स चेहरा सामने आ जाता। ठीक से ध्यान
पिशाच, डर का सही पता मुझे उसी दिन चला था। उस पूरी रात मैं सो भी नहीं पाया। हमेशा ऐसा लगा रात भर कोई मेरे कमरे के बाहर व खिड़की पर खड़ा था। मुझे एक बात समझ नहीं आ ...Read Moreथी कि आखिर वह पिशाच मेरे पीछे क्यों पड़ा है ? मैंने उसका क्या बिगाड़ा है ? वह मुझे क्यों मारना चाहता है? इन्हीं सवालों में उलझा हूं। उस घटना के अगले सुबह ही देवी तारा के मंदिर में जाकर उन्हें प्रणाम किया। उसी रात मैं अपने तंत्र गुरु अर्थात पागल बाबा के ध्यान में बैठा । मैं किसी भी
देवी नलाटेश्वरी , होश आया तो बाहर उजाला जो चुका था। मोबाइल से टाइम देखा तो 8 बज रहे थे। सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा था । शायद थोड़ा बुखार भी हो गया है। कल बेहोश होने ...Read Moreही मुझे सबकुछ याद है , उसके बाद सीधे जाकर अब आँख खुली। अब भी मुझे वो सभी भयानक चेहरे साफ याद है। इस रात को कभी नहीं भूल सकता। अब भी मुझे समझ नहीं आ रहा कि वो पिशाच मुझे मारना क्यों चाहते थे। कल रात बाल - बाल बच गया वरना अबतक तो कहानी समाप्त हो जाती। अब
काम पिशाचिनी, सुबह - सुबह देवी नलाटेश्वरी का दर्शन कर मन तृप्त हुआ। सुबह के वक्त ही देवी के गर्भगृह में जाकर उनकी पूजा कर सकते हैं। यहां अभी भी देवी सती के गले की नली रखी है , ...Read Moreभी सुबह ही देख सकते हैं। देवी मूर्ति के नीचे ही उसे रखा गया है। देवी पूजा करने के बाद बाहर निकलते ही बारिश शुरू हो गई इसीलिए कुछ देर के लिए वहीं बैठ गया। कल पूरी रात मैंने मंदिर में ही बिताया था। तंत्र पीठ होने के कारण यहाँ रात को कई लोग तांत्रिक व बाबा से क्रिया -
काम पिशाचिनी साधना, उस रात पिशाचिनी से और कोई बात नहीं हुई। उसने मुझसे कहा कि मैं उसकी साधना कर उसे प्राप्त करूँ तभी तो मेरे हर बात को मानेगी। मैं यही चाहता हूं कि वह चली जाए लेकिन ...Read Moreऐसा नहीं करने वाली , क्योंकि पागल बाबा नें उसे मेरे पास रहने का आदेश दिया है। उस रात के अगले दो दिन तक मैं यही सोचता रहा कि यह साधना करूँ या ना करुं। वैसे भी मुझे इस साधना के बारे में कुछ भी नहीं पता। पिशाचिनी ने कहा था कि मैं बस एक बार शुरू करुं,, मुझे सबकुछ
शनिवार रात 12 बजे के बाद मैंने काम पिशाचिनी साधना शुरू किया। कल मैं शराब लाना भूल गया था इसलिए आज सुबह ही लगभग 15 बोतल शराब मैं ले आया। पिशाचिनी भोग में शराब भी जरूरी है। आज के ...Read Moreमैं यहाँ पास वाले कसाई के दुकान से बकरे की कलेजी ले आया कल से हैदर या उसके अब्बा मेरे आँगन तक कलेजी पहुंचा देंगे। इसके अलावा आहुति के लिए आँगन में ही एक यज्ञकुण्ड भी मैंने बनाया। साधना शुरू करने से पहले ही मैंने इस जगह के चारों तरफ सिंदूर से मंत्र युक्त रक्षा घेरा बना दिया था। यह
आज काम पिशाचिनी साधना का अंतिम यानि 28 वां दिन है। पिछले कुछ दिनों ने मुझे डराया व अंदर तक हिला दिया है पर उसके साथ ही मैं अपने डर पर और भी ज्यादा काबू पा चुका हूं । ...Read Moreभी मुझे डर लगा मैं अपने तंत्र गुरु अर्थात पागल बाबा को याद किया। पागल बाबा ने मानो मेरे सभी क्रिया कलाप पर नजर रखा है। इतनी नकारात्मक शक्तियों से मैं बचा हुआ हूं इसके पीछे कोई न कोई तो शक्ति है। बकरे का मांस बेचने वाले चचा ने कई दुकानों से भागदौड़ करके शाम तक मुझे 51 बकरे का
कुछ आदमियों के आवाज को सुनकर मेरी नींद खुली। खटिया से उठकर बाहर गया तो देखा कि दोपहर हो गया था और 3 आदमी बाहर खड़े होकर बात कर रहे थे। उनमें से एक आदमी इस जगह का मालिक ...Read Moreआज सुबह साधना स्थल को पूरी तरह साफ करके और यज्ञकुण्ड को मिट्टी द्वारा अच्छी तरफ ढक दिया था। मुझे खुद के शरीर में एक अलग ही ऊर्जा व चंचलता महसूस हो रहा था। बाहर आकर यहाँ के मालिक से बात करके पता चला कि उनके साथ आए लोग इस जगह को खरीदने वाले हैं और शायद इसके लिए वो
नर्तकी की आत्मा , आज ज़ब मैंने रामपुरहाट से ट्रैन पकड़ा उस वक्त दोपहर के साढ़े बारह बज रहे थे। घर जा रहा हूं। यहाँ आए बहुत दिन हो गए अभी जाने तो नहीं वाला लेकिन घर से फोन ...Read Moreहै कि मैं घर आ जाऊँ। मेरी माँ को बी. पी. की बीमारी है। अक्सर ही उनका बी. पी. हाई हो जाता है। आज सुबह - सुबह माँ ज़ब घर का काम कर रही थी तब उन्हें चक़्कर आ गया और वो फर्श पर गिर पड़ी। चोट के कारण उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया। हालांकि अभी सब कुछ नार्मल है।
श्यामा बाबा , अगले दिन दोपहर के वक्त आशीष का फोन आया कि श्यामा बाबा आए हैं। मैंने उससे कहा था कि ज़ब बाबा आए तो मुझे बताया। उसका फोन आते ही मैं आशीष के घर पहुंच गया। श्यामा ...Read Moreउस वक्त नीतू दीदी के कमरे में बैठे हुए थे। उनका उम्र काफी ज्यादा था। बाल व दाढ़ी सफ़ेद , शरीर पर लाल वस्त्र , गले में पत्थरों के नरमुंडी की माला। शरीर बूढा था लेकिन उनके चेहरे व आँखों का तेज देख मैं आश्चर्य हो गया। पागल बाबा ने मुझे दिव्य लोगों को कैसे पहचानने , इस बारे में
काम पिशाचिनी की भूख, आज घर के आँगन में बने काली मंदिर के चौखट पर बैठकर मैं बहुत सारी बातों को सोच रहा था। इसी मंदिर में बैठकर कुछ महीनों पहले मैंने तारापीठ जाने का निर्णय लिया था। तारापीठ ...Read Moreथोड़ा बहुत तंत्र - मंत्र की कहानियों के लिए जानकारी लेने की सोचा था। वहाँ जाकर जानकारी के साथ - साथ मैं भी उसी तंत्र - मंत्र के क्षेत्र में लग गया। वहाँ रहस्यमय रूप से मुझे पागल बाबा मिले , जिनसे मैं दूर ही नहीं रह पाया। वो जैसा कहते गए मैं करता गया और आज मैं पूरी तरह
मैं धीरे - धीरे होटल के छत की ओर से नीचे अपने कमरे की ओर जा रहा था लेकिन मेरे मन में एक डर खेल रहा था कि अंदर उस लड़की के साथ ना जाने क्या हुआ है। आखिर ...Read Moreआगे ना जाने क्या - क्या होगा। मेरा दिल जोर - जोर से धकधक कर रहा था। कमरे के दरवाज़े को खोलने से पहले मैंने एक बार आँख बंद करके अपने गुरु पागल बाबा को याद किया। कमरे का दरवाआ खोल मैं अंदर गया। अंदर जाकर देखा तो वह लड़की बेड पर सिर झुकाकर बैठी थी और अपने बालों को
काम पिशाचिनी विसर्जन, पिछले दो दिनों से लगातार बारिश हो रही है , इसीलिए तारापीठ का मौसम काफी सुहावना है। मैं आज फिर तारापीठ लौट आया। माँ की तबियत अब सही है। वैसे भी तारापीठ ना सही घर से ...Read Moreकहीं तो जाना ही था क्योंकि काम पिशाचिनी विसर्जन भी जल्द ही करना है। तारापीठ इतने दिनों से रह रहा था इसलिए यहीं लौट आया। तारापीठ महाश्मशान मुझे बहुत ज्यादा पसंद है , वहां जाने की ललक मेरे मन हमेशा रहती है। दो दिन बाद काम पिशाचिनी का विसर्जन करना है क्योंकि दो दिन बाद काम पिशाचिनी को सिद्ध किए
देवी प्रचण्ड चंडिका की साधिका, काम पिशाचिनी को गए हुए दो दिन बीत चुके हैं। पर कल से ही कुछ ठीक नहीं लग रहा। यह प्रभाव काम पिशाचिनी की वजह से है या कोई और बात है मुझे नहीं ...Read Moreकिसी वजह से कोई मुझे चोट पहुंचाना चाहता है , यही मुझे महसूस हो रहा है। मुझे ऐसा लग रहा है कि कहीं मैंने कुछ गलत तो नहीं किया क्योंकि तंत्र - मंत्र में गलती करने का परिणाम बहुत भयानक होता है। कुछ तो है जो मुझे परेशान कर रहा है। ........ मैं किसी अंधकार स्थान पर खड़ा हूं। क्यों
उस लड़की के साथ मैं महाश्मशान में ही छोटी सी कुटी के अंदर पहुंचा। वहां अंदर देखा तो एक छोटी सी जलती धुनी के पास एक महिला बैठी हुई थी। उस महिला ने काले रंग की साड़ी पहन रखी ...Read Moreउनके माथे पर भस्म लगा हुआ, गले में पत्थर से बनी नरमुंड की माला के साथ - साथ और भी कई प्रकार की मलाएं लटक रही थी। उनके बाल जटा के जैसी थी। उन्हें देखकर कोई उच्च स्तर की साधिका व अघोरी जैसा प्रतीत हो रहा था। शायद वो महिला ही गुरु माँ थी। वैसे इन्हें मैंने तारापीठ में अबतक
दोपहर को अपने रूम में जाकर मैं अपने बेड पर लेटा हुआ था। नींद लग रही थी लेकिन आँख बंद करने में डर लग रहा था। किसी तरह धीरे - धीरे मैंने अपने आँख को बंद किया लेकिन इस ...Read Moreमुझे वह भयानक दृश्य नहीं दिखाई दिया। कुछ ही मिनटों में मुझे नींद लग गई। दो दिन बाद की नींद, सुकून की नींद, एक गहरी नींद.... जब जागा तो शाम के साढ़े पांच बजने वाले थे। नींद में मैंने कई सारे विचित्र सपने को देखा। उनमें सबसे अच्छी केवल एक ही सपना था जिसमें मैंने पागल बाबा को देखा। शाम
रात का अंधेरा अपने पूरे चरम पर है। शायद कुछ ही दिनों बाद अमावस्या है इसीलिए चाँद की रोशनी काफी धीमी है। महाश्मशान में कई सारे पेड़ हैं इसीलिए अंधेरा कुछ ज्यादा ही दिख रहा है। मैं इसवक्त छोटी ...Read Moreजलती यज्ञकुण्ड के आगे बैठा हुआ हूं। जलती यज्ञकुण्ड के उस तरफ भव्या अपनी तंत्र क्रिया करने में व्यस्त है। ना जाने कहां से उसने इन सभी सामग्री को लेकर आई है। सिंदूर , चन्दन , घी , चावल , लकड़ी ये तो मैं पहचान रहा हूं लेकिन और भी ना जाने कई प्रकार के जड़, कुछ अनजाने फूल इत्यादि