Manav Bhediya aur Rohini - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

मानव भेड़ियाँ और रोहिणी - 1

अब मुझे ठीक से तो याद नहीं कि बात कितनी पुरानी हैं, पर जो कुछ हुआ वो एक एक बात आज भी ज़ेहन में अपना घर बनाए बैठी हैं ।

हम चार लोगों ने मिलकर पहाड़ की ठंडी वादियों के नजदीक पिकनिक मनाने की योजना बनाई। यह जगह हमारे शहर से 4 मील की दूरी पर थी। यह जगह हिमालय के नजदीक के जंगलों के पास थी। पहाड़ियों से भरी हुई जगह।

सर्दियों की शुरुआत होने के कारण कम मात्रा में बर्फ पड़ रही थी। उस रात को चांद पूरा निकलने वाला था और हम जानते थे कि इससे वहाँ का दृश्य और भी सुंदर होगा। इस सफर में, मैं ,राजेश, मनोज और विकास शामिल थे। हम लोगों ने कुछ बीयर्स और कुछ नशे की चीजें अपने साथ में ली थी, ताकि हम पूरी रात एन्जॉय कर सकें। तकरीबन रात के 10:00 बज रहे थे, जब हम निकले। जिस जगह हम जा रहे थे। वह एक मनोरंजन की जगह थी, जहां पर लोग मजे कर सकते थे ,कैंप लगा सकते थे और वहां पर पास में एक छोटी सी नदी में नाव चला सकते थे।

उस जगह जाने के लिए हमें मेन रोड को छोड़ना था। सब कुछ सही चल रहा था। चांद की रोशनी इतनी थी जिससे कि रोड और आसपास की चीजें साफ दिखाई दे रही थी। हमने एक जगह पर कार को पार्क किया। राजेश ने सिगरेट जलाई और मेरी ओर बढ़ा दी। हम दोनों आगे वाली सीट पर बैठे थे। मनोज और विकास पीछे वाली सीट पर बैठे हुए थे ,जैसे ही मैं सिगरेट पीने वाला था कि तभी मैंने अपनी कार के सामने लगभग 20 मीटर की दूरी पर किसी चीज को हिलते हुए देखा। पहली बार देखने पर तो वो मुझे एक हिरण के जैसा लगा। मैं सीट में आराम से पसरकर बैठ गया पर तभी मैंने उस चीज को अपनी कार के बाएं और आते हुए देखा। विकास भी यह जान चुका था कि कार के बाएं और कोई चीज तो है। वह बस पूछने ही वाला था कि क्या हो रहा हैं? तभी उसने, उस चीज को गाड़ी के पीछे की ओर जाते हुए देखा।

मुझे याद हैं कि मैंने मुश्किल से ही एक बार सिगरेट पी थी। विकास तो हम चारों में सबसे छोटा था वो अभी 15 वर्ष का ही होगा, वो ना तो स्मोक करता हैं और ना ही कोई ड्रिंक करता हैं और हमें इतना समय भी नहीं हुआ था कि हम यह काम कर सकते थे। हम सब चुपचाप बैठे हुए थे।

हम दोनों ने कहा-क्या है वो ?

उन लोगों ने कहा - क्या ?

हम लोगों ने कहा कि-बाहर कोई तो हैं?

वो दोनों हंसने लगे, पर इसके बाद उन्होंने भी उस चीज को कार के दाएं ओर हिलते हुए देखा। उस समय मेरे रोंगटे खड़े हो गए और मुझे किसी अनहोनी के होने की आशंका हुई। वह फिर से हमारी कार के पास से गुजरा पर पहले से काफी ज्यादा पास से। इस समय तक मैं चाहता था कि हम वहां से जल्द से जल्द निकल चलें। हम सब पूरी तरह से डर चुके थे और हम जानना चाहते थे कि वह चीज क्या है?

यह जो भी था एक बार फिर से हमारी कार के चक्कर लगाने लगा, जैसे ही यह हमारे कार के सामने आया। राजेश ने कार की हेडलाइट ऑन कर दी ,पर जैसे ही लाइट उस जगह पर पड़ी, वहां पर कोई नहीं था। कुछ सेकंड पहले तक वह वहीं पर था। जब राजेश ने एक बार फिर से कार की हेडलाइट ऑन की, तो वह फिर से कार के बाएं ओर आ गया। पहले से भी बहुत ज्यादा पास में।

हम नहीं जानते थे कि वह क्या था? इस समय तक विकास काफी ज्यादा डर चुका था और साथ में, मैं भी। हम सभी राजेश पर चिल्लाये कि हम सबको यहां से निकालो। वह भी हमारी ही तरह डरा हुआ था।