परिवार, सुख का आकार - Novels
by Kamal Bhansali
in
Hindi Human Science
रिश्तों की दुनिया की अनेक विविधताएं है, रिश्तों के बिना न परिवार, न समाज, न देश की कल्पना की जा सकती है, कहने को तो यहां तक भी कहा जा सकता कि रिश्तों बिना जीवन कैसे जिया जा सकता ...Read More? रिश्तों का अद्भुत संगम इंसान की इंसानियत पर पहरे का काम करता है। समय के अंतराल में रिश्तों की दुनिया मे अनेक परिवर्तन देखने को मिलते, उनमें परिवार भी अछूता नहीं रहा है।
रिश्तों की दुनिया की अनेक विविधताएं है, रिश्तों के बिना न परिवार, न समाज, न देश की कल्पना की जा सकती है, कहने को तो यहां तक भी कहा जा सकता कि रिश्तों बिना जीवन कैसे जिया जा सकता ...Read More? रिश्तों का अद्भुत संगम इंसान की इंसानियत पर पहरे का काम करता है। समय के अंतराल में रिश्तों की दुनिया मे अनेक परिवर्तन देखने को मिलते, उनमें परिवार भी अछूता नहीं रहा है। आज सवाल यही है, क्या आज भी रिश्तों की गरिमा के प्रति इन्सान की जागरुकता सही और उचित है ? क्या, हमारी रिश्तों के प्रति संवेदनशीलता काफी कमजोर
परिवार, व्यक्तित्व निर्माण में एक अच्छी भूमिका निभा सकता है, इस तथ्य पर वैसे तो कोई शंका का कारण नजर नहीं आता फिर भी निवारण के लिए इतना कहना जरुरी है, कि संसार की महान से महान विभूतियों ने ...Read Moreकिया है, कि उनकी सफलता में परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। शालीनता का अगर कोई स्कूल है, तो मेरी नजर में परिवार ही है। परिवार आज भी है, पहले भी था और शायद आगे भी रहे, परन्तु क्या परिवार की गरिमा पहले जैसी है, यह चिंतन की बात है, इस पर हमे गंभीरता से विचार करना चाहिए। आखिर एक स्वच्छ
परिवार भाग 3 ( उन्नत्ति की सीढ़ी )आज जो सँसार का स्वरुप है, उसकी उन्नति में परिवार की भूमिका को नकारना सहज नहीं है। यह विडम्बना आज के स्वरुप की होगी कि आनेवाले समय में सबकुछ होते हुए भी ...Read Moreमें, अटूट स्नेह और प्रेम नहीं होगा, अगर हालात इसी गलत दिशा की तरफ मुड़ रहे है, तो निसन्देह मानवता को अपने अस्तित्व के प्रति गंभीर चिंतन की जरुरत है । समय के तीन भाग होते है, यह हम सभी जानते है, वर्तमान, भूतकाल और भविष्य और शायद इनका निर्माण भी बड़ी शालीनता से इंसान को अपनी गलतियों को सुधारने और
आज का युग, साधारण आदमी के लिए कोई मायना नहीं रखता। शिष्टता की जगह विशिष्टता का महत्व बढ़ गया है। समय अपनी गति के साथ रंग बदलता रहता है, यह आदमी की मजबूरी है, कि समय के अनुरुप वो ...Read Moreजीवन शैली को परिवर्तित करता रहे। पहले एक सीधा सादा आदमी अपना जीवन सही नैतिकता के आधार पर चला सकता था, उसके गुण उसे इज्जत की रोटी के लिए भटकने नहीं देते थे। इतिहास के कई पन्नों में हमें बहुत सी ऐसी घटनाओं का जिक्र मिलेगा, जहां इंसान को अपनी सच्चाई और ईमानदारी के कारण उच्च श्रेणियों की जिम्मेदारियां मिली, और