Guldasta book and story is written by Madhavi Marathe in Marathi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Guldasta is also popular in Poems in Marathi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
गुलदस्ता - Novels
by Madhavi Marathe
in
Marathi Poems
1 भोर होते ही खेतों की अधुरीसी, ओंसभऱी नींद खूल गई ओंस की टिपटिपाती बुंदों से मिट्टी अधगिली हो गई मस्तमौला पखेरू ने फैलाए अपने पंख मुलायम लहराती हवाओं से काँप उठे चिडियों के अंग हरी लहराती घास के धीरे से चमक उठे धारे सुरज किरणों की स्पर्श से फुलों की महक उठी डाले आकाश की निलयता में घुल गए रंग फुहारे धीरेसे खिल उठा जीवन अपने ख्वाबों के सहारे .................................. 2 हरे भरे पतों के पिछे धीरे से किसी की नींद खुली रेशम स्पर्श पराग का आनंद से गुनगूनाने लगी मयुरपंख
1 भोर होते ही खेतों की अधुरीसी, ओंसभऱी नींद खूल गई ओंस की टिपटिपाती बुंदों से मिट्टी अधगिली हो गई मस्तमौला पखेरू ने फैलाए अपने पंख मुलायम लहराती हवाओं से काँप उठे चिडियों के अंग हरी लहराती घास ...Read Moreधीरे से चमक उठे धारे सुरज किरणों की स्पर्श से फुलों की महक उठी डाले आकाश की निलयता में घुल गए रंग फुहारे धीरेसे खिल उठा जीवन अपने ख्वाबों के सहारे .................................. 2 हरे भरे पतों के पिछे धीरे से किसी की नींद खुली रेशम स्पर्श पराग का आनंद से गुनगूनाने लगी मयुरपंख
8 तुफानों के लपेट में आकर बिखरते बिखराते दौडते जाए सपन सलोनी परी देश में बादल संग उडते जाए मिठी गुलाबी पंखुडियों जैसी आसमान की सैर रंगीन नजर आती है कही दूरसे परीयों की जादुई मंजिल ठंडे गहिरे पत्तो ...Read Moreसे लहराती सुंदरता दिख जाए आरसपानी निलयता में इंद्रधनू के द्वार खुल जाए चमचमाती चांदनियों की झिलमिलाहट निखऱाए वही से गुजरती गलियाँ परी देश में मिल जाए मधुर संगीत तलम सूरों पर सपना हलकासा आए स्वप्नपरी के चैतन्यभरे अणु रेणु के धागे बिखराए खिले हुए उसी
१४ परबतों के पैरोंतले एक साँस रुक गई ऊँची चोटियाँ देख के मन की उमंग थम गई परबत चोटियों के लंबे कठिन रास्ते कही चुभ न जाए काँटा आगे जाना है संभालते छोटे बडे पत्थरों के झुंड आढी तिरछी ...Read Moreढलान गरम हवाओं के झोकों से पंछी भी हो गए हैरान हाँथ कपकपाने लगे फुलने लगी सांसों की लडियाँ पसीनेसे भीगे हुए बदन ने ली अंगडाईयाँ चढते चढते अचानक एक रास्ता खुल गया ठंडी हवा के झोकोंने झंझोडकर रुख मोड दिया गुलमोहर पेड के नीचे लाल फुलोंने कालीन बिछाई तालाब से गुजरती छाँव ने उसकी रंगीन तसबीर
गुलदस्ता - ४ २० खुले मैदान में जब बिजली चमकी तब होश गवाँकर मैं उसे देखतेही रह गई क्या उसका बाज चापल्य से किया हुआ चकाचोंध शुभ्रता का साज तेज रफ्तार गती की प्रचंड ताकत अनाहत नाद की ...Read Moreहुई प्रखर वाणी गगन व्यापक मस्ती मालिन्य धो देने का ध्यास क्षणमात्र के दर्शन से वह आत्मस्वरूप तेज देखकर महसुस हुआ यह भी एक सगुण साक्षात्कार है इसी भावावेश में अपना होश गवाकर मैने आँखे बंद कर ली ................................ २१ समंदर की अनंतता में शोर करते हुए किनारे गहिरा नीला पानी सेतू पर सफेद रेत को पुकारे दौडती आती है
२४ जस्मिन के लता मंडप में कितने फुल गिर गए धरती पर गिरे बारिश पर सजकर बैठ निखर रहे पंख फडफडाते गुनगूनाते चिडियाँ आती जाती जस्मिन की खुशबू भरे पानी में नहाकर उड़ जाती हरे पत्तों के पिछे से ...Read Moreके फूल सफेद चाँदनियों जैसे चमकते है कलियों का अंबर, अपना घुंघट सरकाते है बिदाई लेकर कलियों के फुल धरती पर गिर जाते है कल अपना यही हाल होगा कलियाँ यह जान लेती है अधखिली पंखुडियाँ, धीरे से खोलते, फूल खिलखिलाता है खुद की सुगंध भरी जिंदगी में आप ही खो जाता है आसमान में खिले सितारे नीचे जस्मिन के