Shakbu ki gustakhiya book and story is written by Pradeep Shrivastava in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Shakbu ki gustakhiya is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
शकबू की गुस्ताखियां - Novels
by Pradeep Shrivastava
in
Hindi Fiction Stories
सुबह पढ़ने के लिए पेपर उठाया तो नज़र शहर में एक नए फाइव स्टार होटल के खुलने के विज्ञापन पर ठहर गई। पेपर के पहले पूरे पेज़ पर एक बेहद खूबसूरत युवती की नमस्ते की मुद्रा में बहुत ही प्रभावशाली फोटो थी। और होटल के ग्रुप का नाम छोटा सा एकदम नीचे दिया गया था। पहला पेज़ खोलते ही अंदर पूरे पेज पर होटल के सबसे ऊपरी मंजिल का दृश्य था। पंद्रहवीं मंजिल पर स्वीमिंग पूल का। फ़ोटो ऐसे एंगिल से ली गई थी कि वहां से नीचे अंबेडकर पार्क का विहंगम दृश्य बहुत लुभावना लग रहा था। अंग्रेजी और हिंदी के बेहद प्रतिष्ठित अखबारों में छपे इस विज्ञापन ने सुबह-सुबह कुछ देर तो एक अजीब सी खुशी, प्रसन्न्ता दी, कि हमारा शहर कहां से कहां पहुंच गया है।
सुबह पढ़ने के लिए पेपर उठाया तो नज़र शहर में एक नए फाइव स्टार होटल के खुलने के विज्ञापन पर ठहर गई। पेपर के पहले पूरे पेज़ पर एक बेहद खूबसूरत युवती की नमस्ते की मुद्रा में बहुत ही ...Read Moreफोटो थी। और होटल के ग्रुप का नाम छोटा सा एकदम नीचे दिया गया था। पहला पेज़ खोलते ही अंदर पूरे पेज पर होटल के सबसे ऊपरी मंजिल का दृश्य था। पंद्रहवीं मंजिल पर स्वीमिंग पूल का। फ़ोटो ऐसे एंगिल से ली गई थी कि वहां से नीचे अंबेडकर पार्क का विहंगम दृश्य बहुत लुभावना लग रहा था। अंग्रेजी और हिंदी के बेहद प्रतिष्ठित अखबारों में छपे इस विज्ञापन ने सुबह-सुबह कुछ देर तो एक अजीब सी खुशी, प्रसन्न्ता दी, कि हमारा शहर कहां से कहां पहुंच गया है।
शकबू के गम को शाहीन ने कुछ ही दिनों में अपनी सेवा, हुस्न, प्यार से खत्म सा कर दिया। इसका अंदाजा मुझे शकबू के आने वाले फ़ोन से होता। वह शाजिया की बात तो कहने भर को करता और ...Read Moreके गुणगान से थकता ही नहीं। मैं मन ही मन कहता वाह रे हुस्न, आंखों पर पल में कैसे पर्दा डाल देता है। शाजिया जो पचास साल साथ रही उसको भुलाने में पचास दिन भी नहीं लगे।
जैसे-जैसे हिंदुस्तान की आजादी करीब आती गई। जिन्ना का दो राष्ट्र का सिद्धांत जोर पकड़ता गया। जल्द ही यह तय हो गया कि विभाजन होकर रहेगा। अब शकबू के परिवार ने फिर निर्णय लिया कि जहां वह है वह ...Read Moreपाकिस्तान में जाएगा यह तय है। और हालात जैसे हैं, उससे यह भी तय है कि बड़े पैमाने पर हिंसा होगी तो क्यों ना यह स्थान समय रहते ही छोड़ दिया जाए?