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नजायज रिश्ते By Gurwinder sidhu

पोह की कड़कड़ाती ठंड में पसीना बहाती प्रीत प्यासी निगाहों से कमल की ओर ताक रही थी। कमरे में जलती मोमबत्ती भी शर्मा कर अपने आप बुझने लगी थी। कमल का हाथ पकड़ कर प्रीत अभी भी कमल से ब...

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चिकनी मिट्टी की प्रेमिका By Rajesh Rajesh

"राज बेटा आप दस दिनों से जिस लड़की की पेंटिंग बना रहे थे, वह मेरी बेटी रत्ना नहीं थी, बल्कि रत्ना की बहन माया थी।" रत्ना की विधवा मां बताती है
"मैं कुछ समझ नहीं पा रहा...

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நினைக்காத நேரமேது By EKAA SREE

அன்றைய நாளின் ஏகாந்த காலை. அந்த வானம் தன் இடையினில் உடுத்தியிருந்த கருப்புநிறத் தாவணியை கலைந்து, நீலவண்ணச் சேலையை அணிந்து கொண்டிருந்தது.

பறவைக் கூட்டங்கள் ஒலி எழுப்பிக் கொண்டே,...

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पागल By Kamini Trivedi

पागल,, हां सही नाम से पुकारा करता था वो मुझे। (हंसते हुए) पागल ही तो हूं मैं उसके लिए , उसके पीछे , उसके प्यार में।"

रात के 1 बज चुके थे । आंखों से नींद कोसों दूर । आज उसे प...

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સફરમાં અપરિચિત વ્યક્તિની મુલાકાત .. By Dhruvi Kizzu

આજે મારે ટ્રેનમાં જવામા થોડું મોડું થઈ જવાંનું હતું એ વાતની મને ચોક્કસ ખાતરી હતી .. કારણ કે , આજ સવારનો સુરજ પણ જાણે મને ઉઠાડવા માંગતો ન હતો .. સવારની એ ઠંડી આછી ઝાકળ જાણે મને ઉઠીન...

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सोने के कंगन By Ratna Pandey

रात के लगभग बारह बज रहे थे कि तभी कुशल को उसकी पत्नी अनामिका के कराहने की आवाज़ सुनाई दी। वह तुरंत ही उठा और लाइट जलाई। उसने देखा कि अनामिका दर्द के कारण तड़प रही थी।

यह देखते ह...

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આત્મજા By Mausam

" નહીં..નહીં..! મારે હોસ્પિટલ નથી જવું. ના..મને હોસ્પિટલ ન લઈ જા...પ્લીઝ પ્રદીપ..! તમે તો મને સમજવાની કોશિશ કરો..!" બેડરૂમના એક ખૂણે ટૂંટિયુંવાળીને બેઠેલી નંદિની રડે જતી હત...

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया By Jaydeep Jhomte

रात का अँधेरा फैल गया. जंगल में रात के कीड़े
किर, किरर्ट एक विशिष्ट आवाज के साथ मृत्यु गीत गाते हैं। चमकीली पीली रोशनी साँप की पीली आँखों जैसी थी। कोंकण के जंगल में आज घना कोहरा फ...

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अब और सनबर्न नहीं चाहिए By Neelam Kulshreshtha

इस घर में आज भी सुबह-सुबह नर्म हवा के झोंके पर्दों को थरथराते हैं । आज भी बरामदे में नीचे के बाईं तरफ़ करे नीचे पेड़ों की टहनियों से छनती धूप अपना अक्स बनाती है। आज भी इस घर में डे...

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ડર હરપળ By Hitesh Parmar

વસ્તુઓ હવામાં ઉડી રહી હતી. બધી જ બાજુ અંધારું અને અજીબો ગરીબ અવાજો આવી રહ્યાં હતાં. બહુ જ ડરનો માહોલ લાગી રહ્યો હતો. નરેશ એકદમ જ ફંગોળાઈ જ ગયો અને અધ્ધર થઈ ગયો. દીવાલ પર એને કોઈકે...

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नजायज रिश्ते By Gurwinder sidhu

पोह की कड़कड़ाती ठंड में पसीना बहाती प्रीत प्यासी निगाहों से कमल की ओर ताक रही थी। कमरे में जलती मोमबत्ती भी शर्मा कर अपने आप बुझने लगी थी। कमल का हाथ पकड़ कर प्रीत अभी भी कमल से ब...

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चिकनी मिट्टी की प्रेमिका By Rajesh Rajesh

"राज बेटा आप दस दिनों से जिस लड़की की पेंटिंग बना रहे थे, वह मेरी बेटी रत्ना नहीं थी, बल्कि रत्ना की बहन माया थी।" रत्ना की विधवा मां बताती है
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பறவைக் கூட்டங்கள் ஒலி எழுப்பிக் கொண்டே,...

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पागल By Kamini Trivedi

पागल,, हां सही नाम से पुकारा करता था वो मुझे। (हंसते हुए) पागल ही तो हूं मैं उसके लिए , उसके पीछे , उसके प्यार में।"

रात के 1 बज चुके थे । आंखों से नींद कोसों दूर । आज उसे प...

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સફરમાં અપરિચિત વ્યક્તિની મુલાકાત .. By Dhruvi Kizzu

આજે મારે ટ્રેનમાં જવામા થોડું મોડું થઈ જવાંનું હતું એ વાતની મને ચોક્કસ ખાતરી હતી .. કારણ કે , આજ સવારનો સુરજ પણ જાણે મને ઉઠાડવા માંગતો ન હતો .. સવારની એ ઠંડી આછી ઝાકળ જાણે મને ઉઠીન...

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सोने के कंगन By Ratna Pandey

रात के लगभग बारह बज रहे थे कि तभी कुशल को उसकी पत्नी अनामिका के कराहने की आवाज़ सुनाई दी। वह तुरंत ही उठा और लाइट जलाई। उसने देखा कि अनामिका दर्द के कारण तड़प रही थी।

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આત્મજા By Mausam

" નહીં..નહીં..! મારે હોસ્પિટલ નથી જવું. ના..મને હોસ્પિટલ ન લઈ જા...પ્લીઝ પ્રદીપ..! તમે તો મને સમજવાની કોશિશ કરો..!" બેડરૂમના એક ખૂણે ટૂંટિયુંવાળીને બેઠેલી નંદિની રડે જતી હત...

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया By Jaydeep Jhomte

रात का अँधेरा फैल गया. जंगल में रात के कीड़े
किर, किरर्ट एक विशिष्ट आवाज के साथ मृत्यु गीत गाते हैं। चमकीली पीली रोशनी साँप की पीली आँखों जैसी थी। कोंकण के जंगल में आज घना कोहरा फ...

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अब और सनबर्न नहीं चाहिए By Neelam Kulshreshtha

इस घर में आज भी सुबह-सुबह नर्म हवा के झोंके पर्दों को थरथराते हैं । आज भी बरामदे में नीचे के बाईं तरफ़ करे नीचे पेड़ों की टहनियों से छनती धूप अपना अक्स बनाती है। आज भी इस घर में डे...

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ડર હરપળ By Hitesh Parmar

વસ્તુઓ હવામાં ઉડી રહી હતી. બધી જ બાજુ અંધારું અને અજીબો ગરીબ અવાજો આવી રહ્યાં હતાં. બહુ જ ડરનો માહોલ લાગી રહ્યો હતો. નરેશ એકદમ જ ફંગોળાઈ જ ગયો અને અધ્ધર થઈ ગયો. દીવાલ પર એને કોઈકે...

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