Udaan, prem sangharsh aur safalta ki kahaani - 6 books and stories free download online pdf in Hindi

उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - आधाय-6

राजधानी:-

सुबह-सुबह प्रथम तैयार हो कर बस में बैठा और निकल गया, अपने नवजीवन के सफर पर।
रायपुर बस स्टैण्ड पहुँचकर उसने रिक्शा लिया और पहुँच गया मयंक के पास।
सुंदर नगर के पास रोड पर ही किसी श्रीवास्तव जी के मकान में मयंक ने एक रूम किराये पर ले रखा था। तीन और परिवार उस घर में किराए में रहते थे और सभी के लिए एक ही टाॅयलेट और एक ही बाथरूम था।
अरे आइये सर आपका स्वागत है। मयंक ने बोला।
मयंक कैसे हो भाई ? प्रथम ने कहा।
ठीक हूँ सर, आप कैसे हैं ?
बढ़िया हूँ। बस तुम्हारे साथ जीवन से लड़ने मैं भी आ गया।
आप तो बहुत पाजीटिव आदमी है सर, आपके साथ मेरा भी कल्याण हो जाएगा।
चलो कोशिश करते हैं मिलकर। वैसे कौन सी कोचिंग जाते हो तुम।
कालीबाड़ी में एक वासु कोचिंग करके है सर वहाँ पी.एस.सी. के अलावा व्यापम, पी.एम.टी., पी.ई.टी. आदि की तैयारी भी कराई जाती है।
ये तो अच्छी बात है। प्रथम ने कहा।
मैं वहाँ पढ़ाने के लिए अप्लाई कर दूंगा।
पर आप तो वो होम्योपैथिक कॉलेज में जाने वाले थे ना ?
हाँ, वहां जाकर देखते हैं कितनी सैलरी देते हैं।
अच्छा अभी तो मुझे ये बताओ गद्दा कहाँ मिलेगा।
मुझे सोने के लिए गद्दा तो चाहिए ना।
बस यहीं, सामने ही है सर। मयंक बोला।
कितने में आ जाएगा। लगभग ?
यही कोई 300 रूपये में।
और खाने की टिफिन के लिए भी तो बोलना पड़ेगा।
हाँ सर वे भी पास में ही है इधर से ही बोलते आ जाऐंगे।
दोनो निकल पड़े और काम खत्म करके गद्दा लेकर रूम में वापस आ गये।
तुम्हारी तैयारी कैसी चल रही है मयंक ?
बस सर कुछ खास नहीं। ल्यूसेंट पढ़ रहा हूँ अभी।
एकात बार पूरा पढ़ डाले क्या ?
सर पढ़ तो डाला हूँ, पर समझ में कुछ नहीं आया।
हा हा हा, सही बोल रहे हो मेरा भी ऐसा ही हाल है।
कोचिंग वाले कुछ गाईड नहीं करते क्या ?
करते हैं सर पर सिर पटक के वाली गंभीरता अभी तक नहीं आई है। अब आप आ गये हो तो हो सकता है थोड़ा कुछ हो जाए।
नोट्स वोट्स कुछ जुगाड़ो मेरे लिए भी।
मेरे पास थोड़े से हैं सर आप इसी से चालू कर सकते हैं। फिर धीरे-धीरे खरीद लेंगे। अचानक एक गुड़िया रूम में आई और बोली भैया किसी प्रथम के लिए फोन आया है। प्रथम चैका।
मयंक बोला सर, आपके लिए फोन है, हो सकता है आपके घर से हो। आप फोन अटेंड कर लिजिए।
प्रथम ने फोन उठाया।
मैं बोल रही हूँ अनु।
अरे क्या हो गया अनु। तुम्हारी आवाज को क्या हुआ? रो रही हो क्या ?
हाँ, बहुत बखेड़ा हुआ है मेरे घर में, भाई ने आकर घर में शिकायत कर दी। मैं यहाँ नहीं रहना चाहती। मैं आपके पास आना चाहती हूँ।
शांत हो जाओ अनु। सब ठीक हो जाएगा।
तुम तो बहुत हिम्मत वाली लड़की हो इतनी जल्दी धैर्य खो रही हो।
थोड़े दिन शांत रहो अनु। चुपचाप स्कूल जाओं और घर में आकर रहो। किसी से कोई चर्चा मत करो। सब भूल जाओ अभी। वो प्रतिक्रिया तो स्वाभाविक थी। मेरे घर में भी तो यही हुआ, पर मुझे देखो चुप हूँ और संयम से काम ले रहा हूँ। मैं अगर जल्दी सेटल हो गया तो तुम्हें लाने की संभावना बढ़ जाऐगी। ठीक है अब एकदम चुप रहो।
मैं नही जानती वो सब और ना मुझे सुनना है। ये लोग मेरी शादी कर देेंगे।
तो मुझे बताना ना, बाहर जाकर फोन तो कर सकती हो।
ठीक है, कुछ बोलो, ठीक हो कि नहीं ? प्रथम ने पूंछा।
हाँ ठीक हूँ। अनु ने उत्तर दिया।
अच्छा तो फिर फोन रखो, किसी से कुछ बात मत करना। बस खाना खाओ और चुपचाप सो जाना।
नहीं खाना है मुझे खाना-वाना।
अच्छा बाबा मत खाना जाकर चुपचाप सो जाओ, सुबह अच्छे से नाश्ता करना और स्कूल चले जाना ठीक है।
ठीक है, अनु ने उत्तर दिया।
अब रखो और 2-4 दिन में जब मन शांत हो जाए तब मुझे फोन करना। चलो बाय।
बाॅय। अनु ने उत्तर दिया।
कौन था सर मयंक ने उत्तर दिया।
तुमसे क्या छुपाना मयंक तुम तो मेरे मित्र जैसे भी हो।
हम लोग अलग-अलग समाज के आपस में प्यार कर बैठे है और इसका पता घरवालों को चल गया है।
सर आज के युग में तो जाति, समाज वाली बात है ही नहीं।
तुम ऐसा सोचते हो मयंक, सब ऐंसा नहीं सोचते। तुम वाकई एक अच्छी विचारधारा वाले लड़के हो।
चितंा मत करिए सर सब ठीक हो जाएगा।
शुक्रिया मयंक तुमने मुझे संबल दिया।
चिंता मत कीजिए सर आपकी शादी उन्हीं से होगी और मैं करवाऊँगा आपकी शादी।
अच्छा थैंक्यू।
देखो बातों-बातों में खाना भी आ गया।
हाँथ धोकर आता हूँ।
जी सर आइये, मैं चटाई बिछाता हूँ।
प्रथम हांथ धोकर आया।
यहां सीलिंग फैन नहीं है क्या मयंक।
नहीं सर मेरे पास बस एक टेबल फैन है।
अच्छा तो हम लोग ऊपर नीचे सोयेंगे।
तब तो दिक्कत होगी। तुम ऊपर ही रखना फैन, थोड़ी हवा तो नीचे भी आयेगी ही।
अगले महीने फिर देखेंगे। एकात सीलिंग फैन खरीद लेंगे।
अरे नहीं सर दिक्कत ये है कि सीलिंग फैन टाँगने के लिए राॅड नहीं है।
चलो कोई बात नहीं, पैसा बचेगा तो टेबल फैन खरीद लेंगे। प्रथम ने कहा।
कल वो होम्योपैथिक कॉलेज में चले जाइए सर, मिलकर तो आ जाइए।
क्यों तुम नहीं चलोगे ?
नहीं सर मैं कोचिंग जाऊँगा।
कहाँ पर है ये कॉलेज।
समता कॉलोनी सर।
कैसे जाना होगा।
रिक्शे से चले जाइए सर, 20 रूपये लेगा।
अच्छा ठीक है कल चले जाऊँगा।
दूसरे दिन प्रातः 10 बजे प्रथम कॉलेज पहुँच गया।
सर नमस्कार प्रथम ने कहा।
आइये अंदर आईये, डीन ने कहा।
बैठिये। आपका नाम प्रथम है।
जी सर।
आप तो जूलॉजी वाले है आप कॉलेज में जूलॉजी पढ़ाते थे ना ?
हाँ जी सर।
तो फिर वो फिजियोलॉजी कैसे पढ़ायेंगे।
पढ़ा लूंगा सर। थोड़ी मेहनत लगेगी पर बन जाएगा।
वो भी जूलॉजी का ही पार्ट है।
अच्छा ठीक है पर मैं ज्यादा वेतन दे नहीं पाऊँगा, मुझे तो एम.डी. फिजियों चाहिए और आप तो सिर्फ एम.एस.सी. है।
सर कितना दे पायेंगे।
2000/- प्रतिमाह से ज्यादा नहीं दे पाऊँगा।
ठीक है सर मैं कल से आ जाऊंगा। कितने छात्र होंगे।
प्रथम वर्ष में लगभग 30 छात्र। आपको सिर्फ प्रथम वर्ष को ही पढ़ाना है।
ओके सर। मैं कल सुबह 10 बजे आता हूँ।
वहाँ से प्रथम निकला और रिक्शा लेकर कालीबाड़ी गया जहाँ मयंक पढ़ता था। मयंक वहीं था प्रथम को देखते ही वह बाहर आया।
आइये सर मैं आपको चेयरमैन के सर के पास लेकर चलता हूँ।
दोनो चेयरमैन से मिले।
क्या नाम है आपका ?
जी प्रथम।
आपका बायोडाटा मैने देखा है। आप तो पहले पी.एम.टी. के बच्चों को पढ़ाए हैं।
जी सर। अपने शहर में पढ़ाया हूँ।
ओके। हमारे यहाँ पी.एम.टी. के लगभग 160 बच्चे हैं प्रति लेक्चर मैं आपको 50 रूपये दे पाऊँगा। अगर आप एग्री हैं तो कल से आ जाइये।
सर क्लास कितने बजे से रहेगी।
क्लास तीन बजे से होगी। आपको 50-50 के तीन बैच में क्लास लेना होगा। सप्ताह में 3 दिन।
ठीक है सर मैं कल से आ जाऊँगा।
अच्छा ठीक है कल से आइये।
प्रथम मयंक के साथ बाहर निकला और मयंक से बोला।
मयंक रोजगार का जुगाड़ तो हो गया। वहाँ से कॉलेज में 2000 देंगे बोले और यहाँ कोचिंग लगभग 1500 रूपये प्रतिमाह मान लो तो 3500 के आसपास महीना बन जाएगा। ठीक तो है सर। मयंक ने कहा।
पर यार रोज रिक्शे से आना संभव नहीं होगा। 40 रूपये रोज खर्च होंगे तो खाऊंगा क्या और बचाऊंगा क्या ?
तो फिर?
एक साइकिल खरीदना चाहता हूँ। प्रथम ने कहा।
साइकिल से तो काॅफी मुश्किल होगी आपको। गर्मी का मौसम है तेज धूप रहती है।
तो क्या हुआ। ज्यादा कमायेंगे तो गाड़ी खरीद लेंगे।
सामने वाले घर में एक साइकिल बिकने वाली थी सर। चलिए आज पूछते हैं नहीं बिकी होगी तो मिल जाएगी।
भाई ज्यादा मंहगा नहीं चाहिए। मयंक ने कहा पहले पूछते तो हैं, चलिए।
साइकिल के लिए 700 रूपये लगने थे। प्रथम ने कहा कि वह दो किस्त में चुका पायेगा तो वह तैयार हो गए। उसने उसे 30-40 रूपये खर्च कर सर्विसिंग कराया और खुश होकर घर आ गया।
उसे लगा कि उसके सभी मनोरथ पूरे हो गए। इतने में ही उसे स्थायित्व को अहसास होने लगा।
दूसरे दिन वह 9:30 बजे ही खाना खा लिया और कॉलेज के लिए निकल गया।
कितने सालों बाद वह साइकिल चला रहा था। उसने सोचा था कि आसान होगा पर इतना आसान था नहीं। फिर भरी दुपहरी में 2 बजे निकल कर उसे कालीबाड़ी जाना था और तीन घंटे पढ़ाने भी थे। जब वह घर लौटा तो एकदम थक चुका था। वह चुपचाप खाना खाया और सो गया। दूसरे दिन, तीसरे दिन, चैथे दिन रोज की उसकी यही दिनचर्या हो गई थी।
एक दिन मयंक ने कहा सर इस तरह तो आप अपनी तैयारी कर ही नहीं पाएंगे।
हाँ मयंक तुम ठीक कह रहे हो परन्तु अभी मेरे पास कोई आप्शन नहीं हैं धीरे-धीरे आदत हो जाएगी तो शाम को पढ़ने का वक्त निकालूंगा।
तभी उस घर की गुड़िया आई और बोली प्रथम भैया के लिए फोन है।
हैलो में अनु बोल रही हूँ।
ओ थैंक्स अनु फोन करने के लिए। मैं बैचेन हो रहा था, तुम्हारा फोन नहीं आया था करके। तुम ठीक हो।
हाँ ठीक हूँ, आप कैसे हो?
मैं ठीक हूँ बस जहाँ-जहाँ बताया था वहाँ काम मिल गया है।
तो मैं आ जाऊँ अपना सामान लेके।
रूक जाओं, मैं बताउंगा ना भई। तुम बैचेन क्यों रहती हो थोड़ शांत रहो।
मैं यहाँ जी नहीं पा रही हूँ और आपको मेरी फिकर ही नहीं है।
ऐसी कोई बात नहीं है अनु। जैसे ही मैं कहीं सेटल होऊँगा। बता दूंगा तुमको।
ये लोग मेरी शादी के लिए लड़का देख रहे हैं। एक एसडीएम आया था देखने मुझे।
तो कर लो उससे शादी। अच्छा तो है डिप्टी कलेक्टर है लड़का।
मार दूंगी आपको बता रहीं हूँ। मुझे नहीं करनी शादी वादी आप सलेक्ट हो आपसे करूंगी शादी।
ऐसे क्या एक दिन में सलेक्ट हो जाऊंगा। समय तो लगेगा ना। अभी तो किताब खरीदने के भी पैसे नहीं है।
मैं कुछ नहीं जानती। मैं ज्यादा दिन नहीं रह पाऊँगी यहाँ। आप जल्दी कुछ करो।
ठीक है अनु धैर्य रखो।
अच्छा मैं ये बताने के लिए फोन की थी कि मेरे बड़े पिताजी मेकाहारा में एडमिट है। तो सुबह दस बजे रायपुर पहुँच जाऊँगी। आप बस स्टैण्ड में मेरा इंतजार करना।
अच्छा ठीक है मैं वही खड़ा रहूँगा शास्त्री चैक के पास, तुम वहीं उतर जाना।
ठीक है रखती हूँ। आप अपना ख्याल रखना।
और तुम भी अपना ख्याल रखना, मेरे लिए। बाय ।
प्रथम वापस आ गया।
कोई दिक्कत है सर ?
नहीं, अनु का फोन था।
क्या बोल रही थी भाभी ?
सोमवार को रायपुर आऊँगी बोली है।
अच्छा तो है उन्हें यहीं ले आईये। यहाँ आराम से बैठ कर बांते कर सकते हैं।
ठीक है प्रथम ने कहा।
सोमवार को प्रथम 10 बजे शास्त्री चैक पर खड़ा था। अब 11 बजने वाले थे पर अनु का पता नहीं था। उसे चिंता हो रही थी।
तभी उसे अनु एक बस से उतरती दिखी। वो खुश हो गया। उसे अनु का हांथ पकड़ा और कहा चलो - चलते हैं।
आप कैसे दिख रहे हो एकदम काले। चेहरा तो बिल्कुल काला पड़ गया है। हाथ भी एकदम काले पड़ गए हैं ।
वो सब छोड़ो, ये बताओ लेट कैसे हो गई।
गाड़ी धीरे-धीरे करे आई, मैं तो टाईम पर ही निकली थी।
अच्छा कुछ खाई हो ?
नहीं।
क्यों ?
बस ऐसे ही।
एक तो ये तुम्हारी खाना ना खाने वाली फिलोसॅफी मेरे समझ में नहीं आती। क्यों ऐसा करती हो।
देखों हसबैंड के जैसे डाटना हो तो पहले मुझसे शादी करो वरना डाटो मत।
चलो कुछ खिलाता हूँ, वो सामने चिदंबरा होटल दिख रहा है। वहीं चलते हैं।
थोडा़ चलकर वे होटल पहुँच गए।
प्रथम ने मेन्यु देखा। 20 रूपये का एक आलू पराठा था। प्रथम ने वही आर्डर किया।
तुमको मेकाहारा जाना है क्या ?
हाँ बस पाँच मिनट का काम है।
ठीक है मैं बाहर खड़ा रहूँगा। तुम मिलकर आ जाना।
ठीक है।
मेकाहारा से निकल कर प्रथम उसे अपने किराऐ के मकान पर ले आया।
नमस्ते भाभी मयंक बोला।
ये मयंक है। मैं इसको पढ़ाया हूँ अनु। बैठो।
इस बीच वो देख रही थी कि प्रथम रह-रहकर अपने पीठ में हाथ फेर रहा था।
दिखाओं अपनी पीठ। अनु ने कहा।
क्यों ?
मुझे देखनी है, दिखाओ चुपचाप।
फिर वो खुद ही उठी और प्रथम का कपड़ा उठाकर देखी।
उसकी आँखों में आँसू आ गए। पीठ पर ढेर सारी घमौरियाँ थी और पीठ एकदम लाल दिख रही थी।
ये सब मेरी वजह से ना ? अनु रोते हुए बोली।
अरे नहीं बाबा, आखिर मुझे तो प्रयास करना ही है ना ?
तुम इसकी चिंता मत करो प्लीज। प्रथम ने कहा।
क्यों न करूं, मुझे तकलीफ हो रही है।
तकलीफ की कोई बात नहीं है अनु। शुरूआत में तो परेशानी होती है। धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।
अच्छा ये बताओ घर में क्या चल रहा है। प्रथम ने पूंछा।
बस मुझे निपटाने के चक्कर में है। आप मुझे ले आओ फिर दोनो स्ट्रगल करेंगे।
नहीं अनु तुम क्यों स्ट्रगल करोगी। मुझे कोई ठीक-ठाक नौकरी मिल जाएगी तो पढ़ने के लिए समय मिल जाएगा।
सलेक्शन बहुत बड़ा मैटर नहीं है अनु। एक्चुअली में पढ़ने के लिए टाईम ही नहीं मिल रहा है। बल्कि तुम घर पर हो तो पढ़ाई क्यों नहीं करती।
मन नहीं करता मेरा। अनु ने कहा।
ये क्या बात हुई अनु। ये सब तो चलता रहेगा।
तुम अपना जीवन बनाओ।
मुझे मत सुनाओ, अनु बोली, जब देखो तब सुनाते ही रहते हो।
तुम्हारे भले के लिए बोलता हूँ अनु।
मुझे मालूम है मेरा भला किसमें है आपको बताने की जरूरत नहीं है। अनु बोली।
अरे आप लोग लड़िए मत। मयंक बीच में बोला।
आप दोनो की तो शादी होनी ही चाहिए, एकदम पति-पत्नि की तरह लड़ते हो।
अच्छा मैं सबके लिए कुछ खाने का लाता हूँ वो बोला और चला गया।
जैसे ही मयंक गया, अनु उठी और प्रथम से लिपट गई।
मैं नहीं जानती कुछ। मुझे आपको पास जल्दी आना है।
प्रथम ने उसके माथे को चूमा और बोला - देखो विधाता क्या चाहता है अनु। वही दिखाएगा। तुम अंधेरा होने से पहले घर वापस चली जाओ। मैं नहीं चाहता कोई दिक्कत हो।
तभी मयंक आ गया।
वो पास बैठ गई। समोसे लाया हूँ। मयंक बोला। आप लोग हाथ धो लिजिए और खाईये। थैक्स मयंक।
नाश्ता करके प्रथम अनु को छोड़ने के लिए बस स्टैण्ड गया।
ठीक है चलती हूँ, अपना ख्याल रखना।
ठीक है, कुछ आवश्यकता हो तो फोन कर लेना।
अनु वापस लौट गई, और प्रथम रूप पर वापस आ गया।
सर आप पेपर मंगवाया करिए उसमें बहुत सारा ऐड वगैरह निकलते रहता है। मयंक बोला।
हाँ तुम ठीक कह रहे हो मयंक।
तुम्हारे कोई पहचान वाला हो तो अखबार डालने बोल दो कल से।
ठीक है सर। अभी जाकर बोल देता हूँ।
ऐसे ही करीब 15 दिन बीत गए। न उसे पेपर मे कुछ विशेष एड दिखा न अनु का फोन आया। वो थोड़ा विचलित हो रहा था। बस एक दो कोचिंग में पढ़ाने के लिए उसे बुलाया जा रहा था। इधन अनु को देखने के लिए लगातार आ रहे थे। वो भी विचलित हो रही थी।
फिर एक दिन प्रथम के लिए फोन आया।
हैला मैं अनु बोल रही हूँ।
हाँ अनु मैं बहुत परेशान हो गया था।
तुम फोन क्यों नहीं कर रही थी ?
घर में थोड़ी दिक्कत हो गई है, कुछ स्वास्थ्यगत कारणों से मेरे पापा को नौकरी छोड़नी पड़ी, और हाल ही में पापा रायपुर में घर भी खरीद डाले हैं। यहाँ अब कुछ रहा नहीं। शायद हम लोग रायपुर शिफ्ट हो सकते हैं। अनु ने बताया।
अरे ये तो वाकई परेशानी वाली बात है, क्या हो गया। कब शिफ्ट होने वाले हो रायपुर।
अभी तो पता नहीं। शायद एकात महीने के अंदर रायपुर आ जाऐंगे।
तो अब घर कैसे चलेगा।
थोड़ा बहुत प्रापर्टी है, गाँव में उसी से चल जाएगा, और अब भाई लोग भी बड़े हो गए हैं, कुछ जॉब कर लेंगे तो दिक्कत नहीं होगी।
चलो ठीक है आ जाओ रायपुर। मुलाकातें जल्दी होंगी। प्रथम बोला।
ठीक है रखती हूँ।
ठीक है अपना ख्याल रखना।
इधर एक दिन प्रथम ने अखबार में दुर्ग के निजी महाविद्यालय का विज्ञापन देखा और फोन किया।
हैलो, आपके यहाँ शिक्षक की आवश्यकता है क्या ?
आप कौन बोल रहे हैं ?
मैं रायपुर से प्रथम बोल रहा हूँ, आपका विज्ञापन देखा तो फोन किया।
आपकी क्वालीफिकेशन क्या है ?
जी मैं एम.एस.सी जूलॉजी हूँ और नेट क्वालीफाईड हूँ।
ठीक है कल आप मुझसे आकर मिल लीजिए।
ठीक है सर मैं आता हूँ।
दूसरे दिन प्रथम रायपुर से दुर्ग के लिए निकल गया।
10ः30 बजे वह कॉलेज पहुँच गया।
एनक्वायरी काऊंटर पर जाकर उसने पूंछा।
मेरी इस नम्बर पर कल बात हुई थी। मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है। क्या आप बता सकते हैं ये किनका नंबर है।
दिखाइये, अरे ये तो त्रिपाठी सर का नंबर है वो इस संस्था के चेयरमैन हैं।
आप बैठिए, वो आते ही होंगे।
प्रथम आफिस से बाहर निकल कर देखा। ये काॅफी बड़ा महाविद्यालय था। उसे लगा अच्छा अवसर है ठीक-ठाक सैलरी दे देते है तो रायपुर छोड़ दूंगा और यही सेटल हो जाऊँगा।
तभी एक बड़ी से गाड़ी रूकी और एक महाशय ऊतर कर अंदर चले गए।
आइये सर, त्रिपाठी सर आ गये है मैंने उनके खबर कर दी है आपको बुला रहे हैं। सामने बैठे व्यक्ति ने कहा।
मे आई गेट इन सर ?
जी आईये। बैठ जाइए। क्या नाम है आपका ?
जी प्रथम।
क्या किया है पढ़ाई ?
जी एम.एस.सी. जूलॉजी हूँ और नेट क्वालीफाईड हूँ।
मतलब परिनियम 28 में आ जाओगे।
जी सर, मैने कॉलेज में पहले भी काम किया है, दो वर्षों तक इसलिए पता है।
अच्छी बात है आपको महाविद्यालय से संबंधित चीजो का ज्ञान है।
ठीक है आपको आफर लेटर दे देता हूँ, आप कब ज्वाइन कर सकते हैं।
सर सैलरी कितनी मिलेगी।
देखिए हॉल ही में हमने महाविद्यालय को प्रारंभ किया है इसलिए फिलहाल ज्यादा नहीं दे पाऊँगा, परन्तु इंक्रीमेंट प्रतिवर्ष किया जायेगा और वो 10 प्रतिशत से कम नहीं होगा।
सर अभी कितना दे पायेंगे ?
3500 दे पाऐंगे अभी तो।
ठीक है सर मुझे आफर लेटर दे दीजिए।
ओके, मैं बोल देता हूँ अभी आपको ऑफर लेटर मिल जाएगा।
ठीक है सर मैं बाहर वेट करता हूँ।
प्रथम बाहर आ गया, उसे लग रहा था चलो कम से कम एक ही जगह से 3500 मिल जाएगा। वहाँ रायपुर में तो इतने पैसे के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है।
थोड़ी देर में उसे ऑफर लेटर मिल गया जिस पर चेयरमैंन सर के हस्ताक्षर थे।
कितने दिन के अंदर यहाँ ज्वाइन करना पड़ेगा ?
प्रथम ने काउंटर पर पूंछा।
दस दिन के अंदर। सामने वाले ने उत्तर दिया।
ओके। ठीक है मैं जल्दी आ जाऊँगा। वह नीचे उतरा और बस में बैठ गया। वह खुश था कि कम से कम ठिकाना तो लगा कहीं पर।
रायपुर पहुँचकर मयंक को उसने खुशी से बताया कि एक बड़े महाविद्यालय में उसकी नौकरी पक्की हो गई है। मैं सोचता हूँ मयंक कि वहाँ खुद से खाना बनाऊँगा। तुम क्या बोलते हो ?
अच्छी बात है सर पर मैं तो फिर से अकेला हो जाऊँगा। आप थे तो बड़ा संबल था। उम्मीद भी ज्यादा थी सेलेक्शन की। अब आप चले जाऐंगे तो फिर से आलसी हो जाऊँगा।
तुम तो कम से कम पढ़ भी रहे हो मयंक, मैं तो अभी भी जॉब सेक्युरिटी को लेकर उलझा हुआ हूँ। कहीं से कुछ स्थाई इनकम होती तो थोड़ी चिंता कम होती और पढ़ाई पर ध्यान दे पाता। पर तुम्ही बताओं मैं क्या करूं।
हाँ आप ठीक बोल रहे हैं सर। आपके जीवन में तो डबल प्रेशर है इसलिए आपको ज्यादा जूझना पड़ रहा है। मयंक ने कहा।
यार मयंक मुझे एक गैस चूल्हा खरीदना था। तुम चलोगे साथ में ?
हाँ चलिए सर। मालवीय रोड में एक दुकान पता है मुझे वही चलते हैं। साइकिल से चलें?
नहीं सर साइकिल में लाते नहीं बनेगा। रिक्शा से ही चलते हैं।
ठीक है चलो।
दोनो मालवीय नगर गए और एक गैस चूल्हा 600 रूपये में खरीद लाये।
मयंक रास्ते में एक तात वाली बैड भी खरीद लेते है, वही जो फोल्ड हो जाता है।
सर पैंसे यदि हो आपके पास तो खरीद सकते हैं।
उतने के लायक तो हैं, खरीद ही लेते हैं।
ठीक है भैया विवेकानंद आश्रम के पास रोकना तो।
ठीक है जी। रिक्शे वाले ने कहा।
प्रथम ने 600 रूपये में एक तात का बेड भी खरीद लिया।
वहाँ से वो दोनो सीधे घर आ गए।
कितने महीनों बार प्रथम आज बेड पर सोने वाला था।
प्रथम के स्वाभिमान और आत्मसम्मान के लिए ये बड़ी उपलब्धि थी कि अपने कमाए पैसों से वह अपनी जरूरतें पूरी कर रहा था।
दूसरे दिन वह होम्योपैथिक कॉलेज में और वासु कोचिंग दोनो जगह गया और इस्तीफा देकर अपनी बची हुई सैलरी लेकर आ गया।
घर आते वक्त वह एसटीडी में रूककर अनु के घर पर फोन लगाया तो किसी और ने उठाया। वह चुपचाप फोन रख दिया और रूम पर आ गया।
वह यहाँ से दुर्ग जाने के लिए तैयारी करने लगा। उसने अपने घर में फोन लगया और बताया कि वह दुर्ग जा रहा है।
तभी सामने वाली गुड़िया अंदर आई और बोली - प्रथम भैया आपके लिए फोन है।
हैलो।
हैलो मैं अनु बोल रही हूँ।
हैलो अनु तुमसे बात करना ही चाह रहा था। कहाँ से बात कर रही हो।
मार्केट आई हूँ आप कैसे हो ?
ठीक हूँ अनु दोपहर को फोन लगया था तुम्हारे घर में।
हाँ मुझे मालूम है, भाई फोन उठाया था। तुमने सामने से बात नहीं किया तो समझ आ गया था। बताओ क्या बताना है ?
तुम्हें कैसे मालूम कि मुझे कुछ बताना है ?
मुझसे बेहतर तुमको कौन जानेगा। अब बताओ भी।
हाँ मुझे दुर्ग के एक बड़े कॉलेज में नौकरी मिल गई है। 3500 तनख्वाह देंगे। कम से कम यहाँ जैसे धूप में घूमना नहीं पड़ेगा।
फिर कैसे करोगे आप रायपुर छोड़ दोगे।
हाँ यहाँ से तो रोज आना-जाना नहीं कर पाऊँगा ना। इसलिए सोच रहा हूँ कि दुर्ग ही शिफ्ट हो जाऊँ। बस स्टैण्ड दुर्ग के आस-पास ही घर ले लूंगा क्या है कि कॉलेज तो रोड पर ही है तो बस से आना जाना हो जाएगा।
कितना दूर है कॉलेज दुर्ग से ?
यही कोई 6-8 किलोमीटर। 5 रूपये में जाना और 5 रूपये में आना हो जाएगा।
और मैं रायपुर जाऊँगी तो कैसे मिलोगे आप ?
मैं भी रायपुर आ जाऊँगा और क्या ।
तो मैं कुछ काम बनाकर अगले हफ्ते सोमवार को आती हूँ। शायद मेरा परिवार एकात महीने में रायपुर शिफ्ट हो जाएगा।
ठीक है अभी तो तीन दिन है ना। मैं शिफ्ट कर लेता हूँ दुर्ग। फिर सोमवार को वही बस स्टैण्ड पर 10 बजे खड़ा मिलूंगा पिछली बार की तरह।
ठीक है रखती हू लव यू।
क्या बोली फिर से बोलो।
आई लव यू बोली।
मेरे तो भाग्य खुल गए। मैडम के मुँह से तो पहली बार सुना है। प्रथम ने कहा।
अच्छा जैसे आप मुझे हमेशा बोलते रहते हो चलो फोन रखो।
ठीक है माता, अपना ख्याल रखना, मैं सोमवार को मिलता हूँ।
ठीक है बाय।
प्रथम फोन रखकर रूम पर आ गया, उसे दुर्ग शिफ्ट करने के लिए तैयारी करनी थी।
दूसरे दिन वह दुर्ग के लिए निकल गया क्योंकि उसे किराए का मकान चाहिए था।
बस स्टैण्ड के आस पास मकान खोज रहा था उसने एक सहपाठी से मदद ली और आखिरकार एक घर मिल ही गया।
घर एक दुमंजिला मकान था जिसमें नीचे और ऊपर सिंगल-सिंगल करके 3 नीचे और 3 ऊपर कमरे बने हुए थे। घर के अंदर ही बोर था और काॅमन टायलेट बाथरूम था।
सभी बैचलर लड़के ही वहाँ रहते थे जो रूम प्रथम को मिला था वह रास्ते की ओर खुलता था और आखिरी यानि तीसरे कमरे में धीरज श्रीवास्तव जी रहते थे वो उसी महाविद्यालय के कर्मचारी थे। बीच वाले कमरे में एक छात्र रहता था जिसका नाम गोलू वर्मा था। नीचे मकान मालिक के लड़के रहते थे, वो भी छात्र ही थे।
प्रथम उनसे मिलकर घर तय कर आया।
दूसरे दिन वह एक वैन बुलाया और मयंक के साथ अपना सारा सामान उसमें डाल दिया। ठीक है मयंक मैं चलता हूँ।
सर आपके साथ मेरा दिन कैसे बीतता था पता ही नहीं चलता था। आपके जाने से सब सूना हो जाएगा। आप आते रहंेगे ना ?
बिल्कुल मयंक, बल्कि तुम भी दुर्ग आना।
बिल्कुल आऊँगा सर और फोन नं. तो है ही आपके पास, कभी भी फोन करिए।
ठीक है मयंक, मैं चलता हूँ।
ठीक है सर बाॅय।