Don't listen to the songs otherwise ... she will come books and stories free download online pdf in Hindi

गाने मत सुनना नहीं तो... वो आ जाएगी

शाम का सुहाना मौसम मन में तरंगे जगा रहा था। मैंने अपने फोन में एक बहुत प्यारा पुराना गाना चला दिया।

ये रात भीगी भीगी...... ये मस्त फिजाएं.....
उठा...... धीरे धीरे...... वो चाँद प्यारा प्यारा..

अभी एक लाइन भी पूरी नहीं हुई थी कि दीदी आईं और मेरा फ़ोन उठाकर तुरन्त गाना बन्द कर दिया।
भागते हुए दरवाज़े की ओर गई और घर का दरवाजा बन्द करते हुए जोर से चिल्लाई," नाले बा"
दीदी के ऐसा करते ही हर तरफ से पूरे मोहल्ले में "नाले बा" की आवाज गूंजने लगी।दीदी ने तुरन्त घर के सारे खिड़की- दरवाजे बन्द कर दिए और परदे खींच दिए। घर की सारी लाईट भी दीदी ने बन्द कर दी। मैं अचंभित होकर दीदी को देखता रहा!आखिर मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैं दीदी से पूछ बैठा।
"ये! क्या कर रही हो दीदी!! और तुमने गाना क्यों बन्द कर दिया?!" मैं फोन हाथ में लेता हुआ बोला
दीदी ने ने मेरे हाथ से फोन छीन लिया और कमरे की लाईट बन्द करते हुए अपने मुँह पर अंगुली लगाते हुए बोली
"शू शू शू ऽऽऽऽऽऽ "
बाहर जोर-जोर से बादल गरजने लगे थे बिजली भी इतनी जोर जोर से कड़कने लगी थी जैसे धरती झुलसाने को आमादा हो और शायद बादल बहुत ज्यादा घिर आए थे! क्योंकि दोपहर का ये वक़्त अचानक अंधेरे में डूबने लगा था।हवाएं तेज हो गई! और बहुत ठंडी भी! अचानक!! ठंड का अनुभव होने लगा!! ये अंधेरा! हवाओं की सनसनाहट, बिजली की गड़गड़ाहट! और चकाचौंध कर देने वाली रोशनी!! माहौल अचानक ही बदल गया था। तभी! बाहर से एक मधुर संगीत उभरने लगा!वहीं गाना जो अभी थोड़ी देर पहले मैंने अपने फोन में बजाया था।

ये रात भीगी भीगी...... ये मस्त फिजाए.....
उठा.... धीरे-धीरे... वो चांद प्यारा प्यारा....

"ये तो अभी!!! मै...."और तभी! अचानक दीदी ने मेरे मुँह पर हाथ रखते हुए चुप होने का इशारा किया। मैं पागलों की तरह चुपचाप बाहर से आते संगीत को सुनने लगा।

क्यूं आग सी..... लगाके गुमसुम है.... चांदनी
सोने भी नहीं देता...... मौसम का.. ये इशारा

पहले लड़के की फिर लड़की की दोनों की आवाज बारी-बारी से आ रही थी।

इठलाती हवा.. नीलम सा बदन.. कलियों पे ये बेहोशी की नमी.... ऐसे में भी क्यूं?.. बेचैन है दिल.. जीवन में न जाने क्या है कमी.........
क्यूं आग सी लगा के ......
ये रात भीगी भीगी.....

धीरे धीरे संगीत बदलने लगा आवाज में भी भारीपन आने लगा।

जो दिन के उजाले में न मिला.. दिल ढूंढे ऐसे सपने को ..
इस रात की जगमग में डूबी... मैं ढूंढ़ रही हूँ अपने को..
ये रात.....
क्यूं आग सी लगा के......

मैं अवाक सा! कभी दीदी को देखता तो कभी बाहर की ओर देखता लेकिन मेरी समझ में कुछ न आया ।
गाने वाले की आवाज में मुझे दर्द साफ महसूस हो रहा था

ऐसे में कहीं क्या कोई नहीं भूले से जो हमको याद करे
एक हल्की सी मुस्कान से जो सपनों का जहां आबाद करे
ये रात भीगी भीगी......
क्यूं आग सी.....

गाना खत्म हुआ और फिर एक बार जोर से सनसनाती हुई हवाएं चली! और धीरे-धीरे अंधेरा छंटने लगा,वातावरण भी अब सामान्य हो गया था। अचानक जिस ठंड का अहसास हुआ था अचानक! ही वो ठंड भी गायब हो गई थी! बादलों का गड़गङाना भी बंद हो चुका था! बिजली भी अब शांत हो चुकी थी! मैं पागलों की तरह अब भी चुपचाप बैठा दीदी को देखता रहा!? मैं अब इंतजार कर रहा था कि दीदी खुद ही कुछ बोले।
"मैं तुझे बताना भूल गई! य यहाँ पर पुराने गाने चलाने पर सख्त मनाही है"दीदी बोली
"लेकिन क्यों दीदी?? और बाहर!! बाहर क्या हो रहा था अभी??" मैंने पूछा
दीदी कुछ बोलती इससे पहले ही किसी ने डोरबेल बजाई थी दीदी दरवाजा खोलने चली गई दरवाजे पर जीजाजी थे अंदर आते ही बोले
"किसने चलाया था गाना? तुमने उसे बताया क्यों नहीं?
दीदी की आवाज सुनी मैंने, दीदी ने जवाब दिया
"वह पहली बार आया है! उसे पता नहीं था! और मैं बताना भूल गई। लेकिन आप चिंता मत कीजिए, अब मैं उसे सब बता दूंगी,"
"ठीक है! अच्छे से समझा देना! वरना ये मोहल्ले वाले हमारी जान आधी कर देंगे।"जीजाजी दीदी से बोले और शायद फिर वापस अपनी दुकान पर चले गए। दीदी ने दरवाजा वापस बंद किया और मेरे पास आई ।
"सुनो वरुण!! यहाँ पुराना गाना बजाना सख्त मना है! इसके पीछे बहुत बड़ी वजह है, तुमने देखा ही होगा तुम्हारे गाना गाना बजाने पर यहां किस तरह का माहौल हो गया, पूरा मौसम ही बदल गया।" दीदी बता रही थी और मैं ध्यान से दीदी की बातें सुन रहा था मुझे यह सब बहुत आश्चर्य में डाल रहा था कि ये सब क्या था??! दीदी ने ठंडी सांस लेकर फिर से बोलना शुरू किया।
"बहुत पुरानी बात है सालों पहले जब यह मोहल्ला ठीक से बना भी नहीं था कुछ कच्चे कुछ पक्के मकान थे इसी मोहल्ले के आखिर में एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर दो प्रेमी रहते थे वह अपने घर से भाग कर आए थे। दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे, लेकिन उनके घर वालों को उनका प्यार मंजूर नहीं था वह दोनों भाग कर यहां आ गए उन्होंने सोचा जब तक उन्हें कोई ठीक काम-धंधा नहीं मिल जाता तब तक गा- बजा कर ही अपना गुजारा करेंगे। दोनों ने अपने प्यार का आशियाना बसा लिया था और दोनों का गाना बजाना लोगों को बहुत ही पसंद आता था। वह लड़की कभी-कभी संपन्न घरों में बर्तन भांडे भी कर लेती थी ।
एक रोज शाम के वक्त जब लगभग सब के घरों में पूजा का वक्त था,किसी ने वैद्य जी के घर का दरवाजा खटखटाया। वैद्य जी को लगा शायद कोई दवाई लेने आया होगा उन्होंने बिना देखे, बगैर सुने कह दिया "नाले बा"

मैं हैरानी से दीदी की ओर देखने लगा! "नाले बा" यही शब्द तो अभी-अभी उन्होंने भी कहा था लेकिन इसका अर्थ है क्या??
मेरे पूछने से पहले ही दीदी ने बता दिया नाले बा का अर्थ है "कल आना" । ये शब्द कन्नड़ भाषा के है यहां रहते रहते लोगों ने कुछ शब्द कन्नड़ भाषा के सीख लिए थे और और दैनिक भाषा में उनका प्रयोग भी होता था , लोगों को पता भी नहीं चला कि कब उनकी अपनी भाषा में कन्नड़ भाषा ने जगह ले ली थी।
"फिर आगे क्या हुआ?? दीदी को असली कहानी से भटकते हुए देखकर मैंने पूछा
"हां तो कहां थी मैं?वैद्य जी ने नाले बा कह दिया उसके बाद वह लड़की पड़ोस के घर में गई वहां वह कभी-कभी भांडे बर्तन भी किया करती थी उस घर की स्त्री ने सोचा शायद यह इस वक्त पैसे मांगने आई है उसने भी कह दिया नाले बा इस तरह वह लड़की जिस किसी का दरवाजा खटखटाती हर कोई यही कहता "नाले बा "
और यह नाले बा ही इस मोहल्ले के लिए श्राप बन गया, उस रात सब उसे ये समझ कर नालेबा कहते रहे कि शायद इसको कोई जरूरत है पैसे की लेकिन असलियत अगली रोज पता चली जब मोहल्ले की गली में उसकी बुरी तरह से जली हुई लाश मिली वह भी ऊपर बादल बरसने के कारण खाक होने से रह गई वरना लाश भी ना मिलती। दीदी ने एक गहरी सांस ली।
"लेकिन कैसे कैसे जली थी?? और उसका पति या प्रेमी जो भी था वह कहा था?? मैंने आश्चर्य और दुख के साथ पूछा!!
"वह भी जल ही रहा था लेकिन अपने घर के अंदर, उसको बचाने के कारण ही लड़की को भी आग लग गई और मदद के लिए पूरे मोहल्ले में घूमती रही, अपने जलते शरीर को लेकर लेकिन उसकी स्थिति से अनजान सभी ने नाले बा कह कर उसे टाल दिया। उसके पति की तलाश भी ना मिली वह और उसका घर राख का ढेर बन चुका था।
"लेकिन किसने किया था यह सब? या खुद ही आग लग गई थी उनके घर में??
"उस लड़की के भाइयों ने किया था उन्हें ना जाने कैसे खबर लग गई कि वो दोनों यहां रहते हैं और उसी रात उन्होंने उसके पति को कमरे में बंद करके घर को आग लगा दी और जब आग ने पूरे घर को घेर लिया तब उन्होंने अपनी बहन को भी छोड़ दिया जलने के लिए। बस तब से ही वह दोनों पुराने गाने सुनते ही फिर से अपना गाना बजाना चालू कर देते हैं रात को तो यह अपने आप ही होता है लेकिन दिन में अगर किसी ने उस दौर के गाने बजा दिए तो यहां दिन भी रात का रूप धर लेती है इसलिए हम में से कोई भी पुराने गाने नहीं बजाता" दीदी ने जैसे बात खत्म करते हुए कहा
"आप लोगों में से किसी ने पहले या बाद में बाहर देखने की कोशिश नहीं की, कि कौन है?? क्या पता कोई और ही हो इन सब के पीछे?? मैंने शंका जताते हुए पूछा
"पहली रात जब ये मधुर संगीत सुना था तब कुछ लोगों तो डर से दरवाजे बन्द कर लिए लेकिन एक आध मनचले घर से बाहर निकल गए देखने ,फिर दूसरे दिन उनकी भी जली हुई लाश मिली वैसे ही जैसी उस लड़की की मिली थी।

"यार क्या सॉलिड स्टोरी सुनाई है तूने" रॉकी बोला
"स्टोरी नहीं हॉरर स्टोरी" रिद्धिमा बोली
"हॉरर तो है लेकिन ये स्टोरी नहीं है,रियल है" संजीव संजीदगी से बोला
"रात को मुझे नींद आ गई इसलिए मुझे पता नहीं कि रात को फिर से वही सब दोहराया गया या नहीं और अगली सुबह मैं वापस आ गया" वरुण गहरे अफसोस के साथ बोला
"तो तय रहा हम अपनी पहली हॉरर जर्नी तेरी दीदी के घर, नहीं नहीं तेरी दीदी के मोहल्ले से शुरू करेंगे" रॉकी रोमांचित होते हुए बोला
"ओके तो ठीक है, हम सब आज शाम को निकलते हैं और कल सुबह तक पहुंच जाएंगे" वरुण बोला
"रॉकी कैमरा रख लियो भूलना मत मौका मिला तो हम कुछ ना कुछ शूट भी जरूर करेंगे" रिद्धिमा रॉकी से बोली
"तो शाम को मिलते हैं" संजीव ने उठते हुए कहा
******
चारों दोस्त वरुण की दीदी के घर के लिए निकल पड़ते हैं ।
मोहल्ले के बाहरी हिस्से पर एक साइन बोर्ड लगा होता है जिस पर लिखा होता है "पुराने गाने बजाना सख्त मना है"
"लो यहां तो पहले ही साइन बोर्ड लगा है, पुराने गाने बजाना सख्त मना है" रॉकी साइन बोर्ड पढ़ते हुए बोला
"पिछली बार जब मैं यहां आया था तब ये बोर्ड नहीं था लगता है उस घटना के बाद ही ये साइन बोर्ड लगाया गया है" वरुण साइन बोर्ड की ओर देखते हुए
मोहल्ले के अंदर जाते ही सबसे पहले वरुण के जीजा जी का जनरल स्टोर था , वरुण और उसके तीनों दोस्त जीजा जी से मिले फिर जीजा जी ने उन्हें घर चल कर आराम करने को कहा।
घर पहुंचे तो दीदी दरवाजे पर ही इंतजार करती हुई मिली उन्हें देख कर दीदी बोली
"मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ"
"थोड़ा लेट हो गए सॉरी दीदी" वरुण कान पकड़ते हुए बोला
"अब नौटंकी मत करो तुम लोग थक गए होंगे, चलो अंदर चलो"दीदी मुस्करा कर बोली
सभी दोस्तों ने दीदी को हाय बोला और घर के अंदर आ गए
दीदी ने सब को चाय नाश्ता कराया उसके बाद सभी दोस्त आराम करने लगे काफी वो थक गए थे और रात भर जागना भी था, सो चारों दोस्त देर शाम तक सोते रहे। शाम को भी जब दीदी चाय लेकर आई तब जाकर उन लोगों की नींद खुली ।
बाहर शाम की लालिमा छा गई थी यह देखकर रॉकी की खुशी का ठिकाना ही न रहा।
"हे फ्रेंड्स शाम हो गई है , अब जल्द ही रात हो जाएगी " रॉकी बाहर देखते हुए बोला
"वो तो रोज ही होती है, आज क्या अनोखी ही होगी " दीदी रॉकी की बात सुनकर बोली
"वो दीदी हम सब घूमने आए है न,रात हो गई है फिर सुबह होगी तो हम आपका ये शहर देखेंगे न" वरुण बात छुपाते हुए बोला
"अच्छा ठीक है,तुम लोग अब बाहर मत जाना थोड़ी देर बाद तुम्हें डिनर मिल जाएगा" दीदी बाहर जाते हुए बोली
लेकिन थोड़ी ही देर में बिजली कड़कने लगी,बादल गरजने लगे और दीदी हड़बड़ाते हुए वापस कमरें में आईं
"तुम लोग बाहर मत निकलना , और कमरें की लाईट भी मत जलाना" दीदी कमरे की खिड़की बन्द करके परदे ठीक करती हुई बोली और उसी तेजी से कमरे से बाहर निकल गई
लेकिन इन चारों दोस्तों की तो खुशी का ठिकाना ही न रहा ,जिसका उन्हें इंतजार था वो लम्हा इतनी जल्दी आ जाएगा उन्होंने सोचा भी नहीं था।
हवाएं तेज हो गई थी,ठंड बढ़ गई थी,खिड़कियों पर भी हल्की हल्की थपथपाहट हो रही थी शायद हवा के साथ उड़ने वाले पत्ते खिड़की से टकरा रहे थे।
रॉकी ने अपना कैमरा निकाल लिया,रिद्धिमा ,संजीव और वरुण भी रॉकी के साथ खिड़की के पास खड़े हो गए,उन्होंने खिड़की को हल्का सा खोल लिया था,जिससे कि वो बाहर देख सके ।

ये रात भीगी भीगी ये मस्त फिजाए
उठा धीरे-धीरे वो चांद प्यारा प्यारा
क्यूं आग सी लगाके गुमसुम है चांदनी
सोने भी नहीं देता मौसम का ये इशारा
इठलाती हवा नीलम सा बदन कलियों पे ये बेहोशी की नमी ऐसे में भी क्यूं बेचैन है दिल जीवन में न जाने क्या है कमी
क्यूं आग सी लगा के ......
ये रात भीगी भीगी.....
जो दिन के उजाले में न मिला दिल ढूंढे ऐसे सपने को
इस रात की जगमग में डूबी मैं ढूंढ़ रही हूँ अपने को
ये रात.....
क्यूं आग सी लगा के......
ऐसे में कहीं क्या कोई नहीं भूले से जो हमको याद करे
एक हल्की सी मुस्कान से जो सपनों का जहां आबाद करे
ये रात भीगी भीगी......
क्यूं आग सी.....
फिजाओं में इस गीत की धुन घुलने लगी और साथ ही दिखाई दिए दो चमकते हुए नीले रंग के साए ,बिजली कड़कती तो वो साए भी बिजली की तरह चमकने लगते।
रॉकी अपने कैमरे में ये पूरा सीन रिकॉर्ड कर रहा था,चारों दोस्तों को कुछ विशेष डर तो नहीं लगा थोड़ी बहुत झूरझुरी सी दौड़ जाती थी ।बदन वो साए अब भी झूम रहे थे लेकिन अब वो इस खिड़की से दिखाई नहीं दिए तो रॉकी बोला
"चलो छत पर चलते है,दीदी और जीजाजी तो अभी कमरें में होंगे"
"आओ मेरे पीछे-पीछे,आहिस्ता से कोई आवाज न हो वरना दीदी और जीजाजी जाने नहीं देंगे"वरुण फुसफुसा कर बोला
चारों बहुत ही दबे हुए कदमों से चलते हुए छत पर पहुंच गए। वो साए अब गली के पीछे की ओर आ गए थे,वो साए अब धीरे धीरे काले होते जा रहे थे,स्ट्रीट लाईट की पीली रोशनी में वो काले और बहुत बेकार लग रहे थे ,उनके शरीर से धुआं निकल रहा था,ऐसा लग रहा था जैसे जले हुए शरीर तांडव कर रहे हो।अब गीत भी बदल चुका था
पहले गीत में सिर्फ चमकते हुए साए नजर आ रहे थे लेकिन अब वो साए भयंकर ,बेहद कुरूप और डरावने लग रहे थे,उन्हें देख कर रिद्धिमा की चीख निकल गई लेकिन ऐन वक्त पर संजीव ने उसका मुँह दबा दिया, रॉकी ने भी खुद ही अपने मुँह पर हाथ रख लिया था।वरुण को भी पसीना आ गया था।

लेके पहला पहला प्यार भर के आंखो में खुमार
जादू नगरी से आया है कोई जादू गर

लड़की वाला साया इस गीत को भारी डरावनी आवाज में गाते हुए तांडव सा करता लड़के वाले साए से लिपट जाता फिर लड़के का साया भी गरदन हिलाते हुए उन्हीं लाईनों को दोहराता

मुखड़े पे डाले हुए जुल्फों की बदली चली बलखाती कहां,रुक जा ओ पगली

लड़की के साए ने सिर आगे को झुका कर ,गंदे,अधजले बाल चेहरे पर डाल लिए और फिर आँखे मटकाती हुई उसी डरावनी आवाज में ये लाइन बोली। लड़के के प्रेत ने भी यही लाइन उससे भी ज्यादा मोटी आवाज में बोली

हाय नैनों वाली तेरे द्वार लेके सपने हजार जादू नगरी से आया है कोई जादूगर
चाहे कोई चमके जी चाहे कोई बरसे बचना है मुश्किल पिया जादूगर से
देगा ऐसा मंत्र मार आखिर होगी तेरी हार,जादू नगरी आया है कोई जादूगर

दोनों बड़े ही डरावने अंदाज में गाते और झूमते हुए कभी किसी पेड़ से लटकते तो कभी बिजली के खम्बे पर झूल जाते

सुन सुन बातें तेरी गोरी मुसकाई रे
आईं आईं देखो देखो आईं हंसी आई रे

ही ही ही ही ही ही
लड़की का साया भयंकर हँसी हँसने लगा फिर लड़के के साए ने भी यही लाइन बोली और दोनों ही ही ही ही ही ही करते हुए हँसने लगे
उनकी हँसी सुनकर रिद्धिमा डर गई,डर तो सभी को लगा लेकिन सब खामोशी से देख रहे थे,आखिर अपनी जान भी तो बचानी थी लेकिन रिद्धिमा के मुँह से हल्की सी चीख निकल गई,उसकी चीख निकलते ही उन दोनों भयानक काले जले हुए साए ने ऊपर देखा और अगले ही पल वो चारों उन प्रेतों के सामने गली में गिरे हुए थे,खौफ से चारों के होश उड़ गए,उनकी मौत निश्चित थी
चारों धीरे धीरे पीछे को खिसकने लगे वो साए उनके करीब आने लगे।एक साए ने एक जलता हुआ गोला रिद्धिमा की ओर फेंका लेकिन सही वक़्त पर वरुण ने गोला दूर कर दिया बौखलाया हुआ साया वरुण की ओर झपटा। रॉकी वरुण को लेकर लुढ़कते हुए दूर हो गया।
इससे पहले कि कुछ और घटता संजीव लड़की वाले साए के पैरो में गिर गया।
"बुआ छोड़ दो,छोड़ दो इन सब को ,इनकी क्या गलती है ,तुम्हें और फूफाजी को मेरे पापा और चाचा ने जलाया था न,तो उनका बदला मुझ से को,लेकिन मेरे दोस्तों को छोड़ दो"

रिद्धिमा,वरुण और रॉकी हैरत से संजीव को देखने लगे।
वो साया भी गुस्से से संजीव को देख रहा था।
" बुआ मैं आपके बड़े भाई का बेटा संजीव हूँ ,मुझे तो कुछ साल पहले ही पता चला कि मेरी एक बुआ भी थी और उन्हें भी मेरे पापा और चाचा ने अपनी झूठी शान की खातिर जला दिया है" संजीव रोने लगा
लड़की वाला साया क्रोध से फुफकारने लगा और उसने संजीव की शर्ट पकड़ कर उसे ऊपर हवा में उठा दिया वो बहुत क्रोध में थी,अपने भाइयों का बदला वो शायद उनके खून से लेकर अपने क्रोध को शांत करना चाहती थी।
संजीव के तीनों दोस्त बुत बने ये सब देख रहे थे।
"मार डालो बुआ ,मुझे मार डालो लेकिन इन सब को और इस मोहल्ले वालो को माफ कर दो "
साए ने झटके से संजीव को जमीन पर पटक दिया संजीव कराहते हुए उठ गया। साए ने फिर उसे ऊपर उछल दिया और हवा में ही लटका दिया।
"बुआ तुम्हारी मौत की सजा मैं दे चुका हूँ पापा और चाचा को ,उन्होंने तुम्हें जलाया था न मैंने भी उन्हें अपने ही घर में जला दिया"
अब वो साया हैरानी से संजीव को घूरने लगा।उसके दोस्त भी उसकी ओर देखने लगे। अब संजीव ने अपने दोस्तों की तरफ देखते हुए कहा," वो आग मैंने ही लगाई थी,वो कोई हादसा नहीं था,वो लोग इसी सजा के हकदार थे,उन्होंने भी तो किसी को,अपनी बहन और उसके पति को जिंदा जलाया था, मैं भी उसी आग में जल जाता लेकिन(बुआ की ओर देखकर) मुझे तुम से मिलकर ये बात बतानी थी बुआ कि तुम्हारे अपराधियों को सजा मिल गई है,इसलिए मैंने ही हॉरर जर्नी का प्लान बनाया और वरुण के बताने पर हम सब यहां आ गए" वरुण ने पूरी बात बता दी
उसके सारे दोस्त हैरान थे ,इतनी बड़ी बात और वो अपने दोस्त का मन नहीं पढ़ पाए।
उस साए ने भी संजीव को नीचे उतार दिया और उसके सिर पर हाथ फेरने लगी।
"बुआ मोहल्ले वालों को माफ कर दो न" संजीव प्यार से विनती भरे स्वर में बोला
"ठीक है लेकिन आज के बाद कोई किसी की मदद के नाम पर उसे कल न टाले,उसे...उसे नाले बा न कहे" लड़की के साए ने द्रवित स्वर में कहा
"ऐसा ही होगा बुआ ,ऐसा ही होगा " संजीव खुशी से बोला
उसकी बुआ और फूफा के साए धीरे धीरे गायब हो गए