Maa Kab Aayengi - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

मां कब आयेगी - (भाग-३)

जब मीठी के पिता उदय के खो जाने की रिपोर्ट लिखा कर घर आते हैं, तब बह देखते हैं को उदय घर पर अपनी बहन के साथ खेल रहा है, उदय को देख कर मीठी के पापा चौंक जाते हैं। और बोलते हैं,ये घर कैसे आया इसको कोन ले गया था कहां से आया मीठी के पिता ने एक ही सांस में कई सवाल कर दिए मीठी की दादी बोली अरे जरा रुक, बताती हूं, उदय मीठी को बाहर खेलते देख बाहर निकल गया था, और रोड पर पहुंच गया इसी बीच एक आदमी ने इसे उठा लिया बह पूरा दिन इसके घर बालों को ढूंढता रहा। जब कोई भी नही मिला तो इसे अपने घर ले गया, और फिर हमे ढूढने लगा, अब थोड़े देर के बाद मिश्रा जी ने उदय को देख लिया, बह उदय को हमारे घर ले आएं बह आदमी तो घर चला गया। इतने ही मिश्रा जी आते हैं और मीठी के पिता को बोलते हैं, कि शरद दिन अच्छे थे कि हमारे उदय को एक सज्जन व्यक्ति ने उठा लिया था, वर्ना आज के जमाने एम लोगो को अपने ही झमेले से फुर्सत नही है हमारे उदय को किस्मत अच्छी थी जो वापस घर आ गया। कब तक बच्चों को अकेले संभालेगा तुम समझने को कोशिश करो, "माँ" माँ होती है एक बाप कितनी भी कोशिश कर ले मां नही बन सकता, अपने बच्चो को देखेगा कि उनकी परवरिश या अपनी नौकरी, अभी तो बच्चों को दादी हैं भगवान ना करें कल को ताई जी को कुछ हो गया तो किया होगा। कोन है फिर बच्चों का कोन देखेगा बच्चो को तुम अकेले घर देखोगे या नौकरी बड़े भाई साहब को बुला ले और बात कर बह भी चाहते हैं कि तुम शादी कर लो। पर तुमसे कह नही पा रहे हैं और बड़ी भाभी भी एक साथ पांच बच्चे नही संभाल सकती उनकी भी मजबूरी है, तीन छोटे बच्चे उनके दो तुम्हारे केसे संभालेंगी। तुम कहो तो सोच लो अभी भी वक्त है, जरा बच्चों को देख, उदय तो बहुत छोटा है बह तो पूनम भाभी को भूल जायेगा और रही बात मीठी की तो नई माँ को पा कर वो भी पूनम भाभी को भूल जायेगी। तुम जरा सोच लो फिर कब भाई साहब को बुला कर बात करते हैं, मीठी के पिता बहुत परेशान थे,एक तरफ बच्चों का भविष्य दूसरी तरफ दूसरी मां लाने के लिए लोगो का जोर और नही परेशानी जिससे मीठी के पिता हमेशा दूर रहना चाहते थे, दूसरी शादी अपने बच्चों के लिए कैसे बह सौतेली मां ला सकते हैं, अगर बह उनके बच्चों को प्रेम और स्नेह पूनम की तरह नही दे पाई तो उनके बच्चों का भविष्य खराब हो जायेगा, अब किया करें मीठी के पिता तभी बच्चों की तरफ देखते हैं दोनो मीठी और उदय खेल रहे हैं। इसके पिता उसके पास आके बैठ जाते हैं। और देखने लगते हैं बह मासूमियत जो उदय के चेहरे पर थी। एक ऐसी मासूमियत जो अपने पिता को भी नही जानता, अपनी खेल में खोया हैं तभी उसकी मीठी की दादी आती हैं और मीठी को बोलती है चलो जल्दी दूध ले और जाके सो जा। उदय को भी सोना है बेटा जल्दी चलो। जाओ मीठी जल्दी से उठती है और दूध लेके चली जाती है। मीठी की दादी उसके पिता के पास बैठती है और उनके सर पर हाथ रख बोलती हैं, कभी भी कोई निर्णय लेने से पहले शांति से सोचना चाहिए ना कि परेशान होना चाहिए। इतना कह कर मीठी को दादी भी चली जाती हैं।
आगे (भाग–४)में
दीक्षा दिक्षित
उत्तर प्रदेश मथुरा