Lajwanti Kahaani kothe wali ki - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

लाजवंती कहनी कोठे वाली की । - 2

गंधारी सेठ अपने घर के बाहर बैठे बैठे सिगार पी रहा होता है, उसके पिछे दो आदमी हमेशा ही लठ लिए खड़े रहते थे। गंधारी सेठ अपने मुनिम को आवाज देते हुए कहता है"ऐ मुनीम"इतना सुनते ही मुनिम भागता हुआ गंधारी सेठ के पास जाता हैं, और चमचा गिरी करते हुए कहता है"जी हुजूर आपने बुलाया?"

गंधारी सेठ हल्की मुस्कुराहट के साथ कहता है,"जा और जाके उस लाजवंती के बाप मदन को बुला कर ला"ये सुनके मुनिम कहता है"क्यों हुजूर कोई काम है क्या।? गंधारी मुनिम के तरफ देखता है गंधारी के चेहरे पे खुशी साफ साफ झलक रही थी ये देख मुनिम समझ गया और ओ वहा से चला गया।



मदन चंदू रसिया के ढाबे पर बैठ कर शराब पी रहा था, तभी पीछे से एक आवाज आती है,"अरे काका आज तो आप ग्लास पे ग्लास घटकते जा रहे हो लगता है मोटा माल मिला है !"_मदन नशे में धुत होकर मुस्कुराते हुए कहता है,"आज तू बस देखता जा आज इस ढाबे की सारी शराब मैने खाली न की तो मेरा भी नाम मदन नहीं।



ये सुनके ओ शक्स मदन से कहता है,"वैसे आपकी एक बेटी भी है, सुना है बहुत खूब सूरत है!"ये सुनते ही मदन शराब की कस लेते हुए बोलता है"तो तुझे उससे क्या,मेरी बेटी सुंदर हो या बदसूरत"तभी वो सक्स मदन के पास आकार वही पर बैठ जाता है और उसके आगे हजार रुपए रखते हुए कहता है"ये पैसे आपके लिए"


मदन पैसों को देखते ही उठा लिया और कहा"पर तुम मुझे पैसे क्यों देर रहे हो"__नशे में धुत हो कर बोलता है।वो सक्स मदन से धीमे स्वर में कहता है"बस मुझे आपके बेटी के साथ एक रात बिताना है"। ये सुनते ही मदन उसे तेज आवाज में कहता है"क्या बोला मेरी बेटी" जैसे ही आगे कुछ बोलता वो सक्स जिसका नाम संतोष होता है ,मदन को ढाबे पर से बाहर अकेले में ले कर जाता है,और उसे चुप कराने की कोशिश करता है,पर मदन है की कुछ कुछ बोलते जा रहा था।



संतोष और पांच सौ रूपया मदन को देते हुए कहता है"और भी दूंगा सोच लो" मदन सोचने लगा और पैसे के तरफ देखते हुए कहता है"ठीक है पर किसी को पता नही चलना चाहिए जो करना है करो आज रात को मैं घर के बाहर सोऊंगा अब तुम कैसे क्या करोगे तुम समझो,बस मुझे ऐसे ही पैसे देते रहना।" संतोष की चेहरे पर उसकी हवस साफ साफ दिखाई पड़ रही थी।मदन नशे में झूल झुलाते हुए वापस ढाबे पर जाके बैठ गया।

तभी वहा मुनिम आता है और मदन से कहता है "ऐ मदन तुमको गंधारी सेठ अपने हवेली पर बुलाए है जैसे ही मदन सुनता है नशे से बाहर आता है और मुनिम के के साथ जाने के लिए ढाबे से निकल जाता है ।

,मुनिम अपने बैल गाड़ी पर मदन को बैठा कर को हवेलीके तरफ रवाना होता है, थोड़ी ही देर में बैल गाड़ी गंधारी सेठ के हवेली के बाहर रुकता है मदन बैल गाड़ी से उतरा और जाकर गधारी सेठ के पैरों के पास बैठते हुए कहता है"जी कहिए हुजूर आप हमको कहे ला बुलाए है,सब ठीक तो है ना"मदन अभी भी नशे में ही था।



तभी गंधारी सेठ मदन के तरफ झुकते हुए कानो में कहता है"ऊ का है की हमको आज रात तुमरी बेटी के साथ गुजारना चाहता हू, गधारी सेठ धीरे से शरमाते हुए कहता है। मदन ये सुनते ही चौक जाता है,और घबराहट भरी आवाज में कहता है,"हुजूर अब तो आपकी शादी भी होने वाली है,तो ये सब शादी से पहले?? मुझे ठीक नहीं लग रह हैं गांव वाले बाते बनाएंगे।


गंधारी ये सुन कर थोड़ी देर तक सोचता है,और अपने जगह से उठ कर कहता है,"तुम गांव वाले के बारे में मत सोचो काहे की लाजवंती अब हमरी होने वाली मेहरारू है।


अब उसके साथ हम शादी से पहिले सम्बंध बनाए चाहे शादी के बाद ई हमरा निजी मामला है ,और हां आज शाम को अपनी बेटी को लेकर यहां आ जाना" गंधारी इतना कहते हुए अपनी मूछों को ताव देता है और अंदर घर में चला जाता हैं।__मदन बाहर ही अपने घुटनों के बल बैठा हुआ था,मदन अपने मन में ही सोचता है की अब वो क्या करेगा क्योंकि उसने संतोष से भी पैसे पहले ही ले लिया था।ये सोचते सोचते मदन हवेली से बाहर निकला और गांव के तरफ चल दिया रास्ते भर ओ यही सोचता रहा की अब कैसे क्या किया जाए। ओ अब गंधारी सेठ को माना भी नही कर सकता है ,और संतोष से लिए पैसे भी उसने सारे खर्च कर दिए है। यही सोचते सोचते मदन अपने घर पहुंचता है जहा देखता है उसकी बेटी लाजवंती चूल्हा लीपा पोती कर रही है।

वो लाजवंती से पानी लाने को कहता है,लाजवंती लीपा पोती का काम छोड़ कर अंदर जाति है और मटके से पानी निकाल कर लाती है।मदन एक टूटी हुई खटिया पर बैठा हुआ था। लाजवंती पानी का ग्लास आगे मदन के तरफ बढ़ते हुए कहती है,"बाबूजी ई पानी लीजिए।

मदन पानी का ग्लास अपने हाथों में लेते हुए लाजवंती से कहता है"आज तुमको गंधारी सेठ के हवेली पर जाना है,अच्छे से तैयार हो जाना उनके आदमी तुमको लेने आएंगे।"

ये सुनते ही लाजवंती अपने पिता से कहती है"पर काहे "__मदन लाजवंती पर चिल्लाते हुए कहता है,"जितना कहे उतना करो समझी ज्यादा सवाल न पूछा करो" लाजवंती डर से अब कुछ नही बोलती है और चुप चाप घर के अंदर चली जाती है, अंदर एक कोने कोने में बैठ कर रोने लगती है।__मदन लाजवंती की रोने की आवाज सुन लेता है और चिल्लाते हुए कहता है"अरे अभी काहे रो रही है अभी तुमरी बिदाई भी तो करना है उसके लिए भी कुछ आंसु बचाके रखो।"__विमला अपने घर के अंदर से सब देख रही होती है और अपने आपने ही कहती है"बेचारी ना जाने पिछले जन्म में कौन सा पाप कर दी जो इसके जैसा बाप मिला उसे"इतना कहते हुए खिड़की के पास से हट जाति है।

मदन थोड़ी देर आराम करने के बाद खटिया से उठता है,और वापस ढाबे की तरफ़ चला जाता है।


अब क्या होगा लाजवंती के साथ? गंधारी और संतोष दोनो ही लाजवंती के साथ अपनी हवस मिटाने के लिए तैयार बैठे है। क्या लाजवंती अपने  साथ ऐसा जुल्म होने देगी या इसका विरोध करेगी? ये जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी।LAJWANTI (KAHANI KOTHE WALI KI)