Lajwanti Kahaani kothe wali ki book and story is written by Mr Rishi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Lajwanti Kahaani kothe wali ki is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
लाजवंती कहनी कोठे वाली की । - Novels
by Mr Rishi
in
Hindi Love Stories
यह कहानी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव बहुआपुर की रहने वाली लाजवंती की है ,लाजवंती 18 साल की थी।
लाजवंती कुर्ती और अपने बदन पर हमेशा एक दुपट्टा लिए रहती थी ।
उसकी मां कुछ ही हफ्ते पहले चल बसी। अब मानो जैसे लाजवंती पे दुखो का पहाड़ टूट सा गया हो ,लजवंती के पिता में जुआ खेलने से लेकर दारू पीने तक हर तरह की एक से बढ़ कर एक बुरी आदतें भरी पड़ी थी।अब जब कि लाजवंती उम्रद राज हो गई थी, पुरे गांव के घर घर जाके झाड़ू पोंछा जैसे काम किया करती थी।
और जो भी पैसे मिलते उससे घर चलाती जब ये बात लाजवंती के पिता को मालूम चला की उसकी बेटी दूसरों के घर काम कर रही है और जो भी पैसे मिलते है ओ उसे देने के बजाए खुद ही रखती है ओ लाजवंती को पूरे गांव के सामने बड़े ही बेरहमी से मारता है।सारे गांव वाले बस तमाशा देख रहे थे। ओ कर भी क्या सकते थे जब पिता ही ऐसा हो जिसे अपनी बेटी की डोली उठानी चाहिए ओ जवान बेटी पर हाथ उठा रहा है।
यह कहानी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव बहुआपुर की रहने वाली लाजवंती की है ,लाजवंती 18 साल की थी।लाजवंती कुर्ती और अपने बदन पर हमेशा एक दुपट्टा लिए रहती थी । उसकी मां कुछ ही हफ्ते पहले ...Read Moreबसी। अब मानो जैसे लाजवंती पे दुखो का पहाड़ टूट सा गया हो ,लजवंती के पिता में जुआ खेलने से लेकर दारू पीने तक हर तरह की एक से बढ़ कर एक बुरी आदतें भरी पड़ी थी।अब जब कि लाजवंती उम्रद राज हो गई थी, पुरे गांव के घर घर जाके झाड़ू पोंछा जैसे काम किया करती थी। और जो
गंधारी सेठ अपने घर के बाहर बैठे बैठे सिगार पी रहा होता है, उसके पिछे दो आदमी हमेशा ही लठ लिए खड़े रहते थे। गंधारी सेठ अपने मुनिम को आवाज देते हुए कहता है"ऐ मुनीम"इतना सुनते ही मुनिम भागता ...Read Moreगंधारी सेठ के पास जाता हैं, और चमचा गिरी करते हुए कहता है"जी हुजूर आपने बुलाया?"गंधारी सेठ हल्की मुस्कुराहट के साथ कहता है,"जा और जाके उस लाजवंती के बाप मदन को बुला कर ला"ये सुनके मुनिम कहता है"क्यों हुजूर कोई काम है क्या।? गंधारी मुनिम के तरफ देखता है गंधारी के चेहरे पे खुशी साफ साफ झलक रही थी ये
लाजवंती बाहर दरवाजे पर बैठ कर अपने पिता का इंतज़ार कर रही थी, पर उसके पिता अब तक घर नही आए थे। लाजवंती को थोड़ी घबराह हो रही थी, क्यूंकि आज से पहले ओ इतनी देर तक बाहर नही ...Read Moreथे। तभी वहा विमला आकर वहा उसके पास बैठ जाति है,और उसे कहती है,"लाजवंती तुम अभी तक बाहर बैठी हो,कोई बात है क्या?",,, लाजवंती विमला के तरफ देखती हुए कहती है,"हमारे बाबूजी अब तक वापस नहीं आए है इसीलिए उनका राह देख रहे है"___विमला लाजवंती के पीठ को सहलाते हुए कहती है,"वो राक्षंस है की तेरे साथ जानवरों जैसा सुलूक
मुनीम अपने बैल गाड़ी पर बैठ कर संतोष के घर के तरफ से गुजर रहा होता है,पूरा इलाका सुनसान सिर्फ बैल के पैरों के चलने और बोलने की आवाज़ आ रही थी जैसे ही बैल गाड़ी संतोष के घर ...Read Moreपास पहुंचा।"बचाओ बचाओ,,,मुझे छोड़ो...."ऐसी आवाज सुनाई पड़ती हैं।मुनीम ये सुनते ही बैल गाड़ी रोकने को बोलता है"अरे ए रुकना तो यह किसी लड़की की चिल्लाने की आवाज़ आ रही है!"बैल गाड़ी को वही संतोष के घर के सामने रोक कर सब अंदर के तरफ जाने लगते है।अंदर से फिर आवाज आती है ।"मुझे जाने दो"इस बार उस आवाज में साफ
पूरा गांव में शांति छाई हुई थी, गांव में सिर्फ कुत्तों की भौंक ने की आवाज़ सुनाई दे रही थी, तभी गंधारी सेठ बैल गाड़ी पर बैठ कर वहा आता है, गंधारी सेठ बैल गाड़ी पर बैठा हुआ था ...Read Moreउसके आदमी उतरऔर एक घर के बाहर खटिया रखा था ओ उठकर गंधारी सेठ को बैठने के लिए कहते है,मुनिम जोर जोर से आवाज़ दे कर गांव वालों को जगाने लगा ,"सुनो गांव वालो गंधारी सेठ बाहर आए हुए है" जैसे ही ये शब्द सुनते है सब जागते हुए बाहर की तरफ आते है।,गंधारी सेठ बैल गाड़ी से उतरते हुए