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द आर्चीज - फिल्म समीक्षा

सीमा असीम सक्सेना द्वारा लिखी गयी ..द आर्चीज फिल्म की समीक्षा ....

फिल्म है “द आर्चीज” ।

निर्देशक हैं जोया अख्तर ।

कलाकार हैं सुहाना खान, अगस्त्य नंदा, ख़ुशी कपूर, वेदांग रैना आदि ....

ओटीटी प्लेटफोर्म है नेटफ्लिक्स ।

मेरे हिसाब से इसकी रेटिंग है 3.5  ।

 

शाहरुख खान की लाडली सुहाना खान, बोनी कपूर और श्री देवी की बेटी खुशी कपूर, अमिताभ बच्चन का नाती अगस्त्य नंदा की फिल्म द आर्चीज नेटफ्लिक्स पर 7 दिसंबर को रिलीज हो गई है । इसका 5 दिसंबर को मुंबई में बहुत ग्रैंड प्रीमियर भी हुआ । उत्कृष्ट निर्देशन में बनी फिल्म द आर्चीज एक म्यूजिकल कॉमेडी फिल्म है जो 1960 के दशक पर आधारित है । दर्शकों को उस बीते हुए समय को एक बार फिर से फिल्म देखने के बाद जीने का अनुभव प्राप्त होगा । बहुत मनोरंजक फ़िल्म है, इसमें बहुत सारे इमोशनल सीन भी हैं, कई जगह पर फिल्म आपको हंसा देगी और कभी-कभी यह फिल्म आपको रुला भी देगी ।  यह फिल्म दर्शकों का मनोरंजन करने में पूरी तरह से कामयाब होगी, मुझे ऐसा ही लगा ।

द आर्चीज फिल्म को देखकर परफॉर्मेंस की बात करें तो सभी स्टार किड्स ने बहुत सराहनीय काम किया है । सभी स्टार किड्स के लिए यह फिल्म बेहतरीन शुरुआत भी साबित हो सकती है क्योंकि सभी बच्चों ने अच्छे से काम किया है, खुशी कपूर को देख कर दर्शकों को लगेगा जैसे उसकी मां श्रीदेवी की और कुछ कुछ जान्हवी कपूर की तस्वीर जैसी वह दिखाई देती है। कभी-कभी किसी जगह पर उनको देखना अच्छा लगता है और खासतौर से श्रीदेवी की याद दिलाता है।  सुहाना खान ने तो साबित ही करके रख दिया कि वह वाकई में एक स्टार किड है यानी कि शाहरुख खान और गौरी खान की लाडली बेटी सुहाना ने तो इस फिल्म में एक सरप्राइज पेश किया है । उनका अभिनय इस बात को साबित करता है कि वाकई में वो शाहरुख खान की ही बेटी हैं और वही उनकी एक्टिंग की विरासत को आगे लेकर जायेंगी हालांकि सबसे बेस्ट अगस्त्य नंदा से आता है । उनकी स्क्रीन पर उपस्थित बहुत मजबूत है, अमिताभ बच्चन और जया बच्चन के नाती का परफॉर्मेंस इस बात साबित करता है कि उनका फ्यूचर बहुत अच्छा निकलेगा । वेदांग रेना द आर्चिज के शक्तिशाली कलाकारों में से एक हैं ।

किशोर जीवन पर आधारित कॉमेडी और संगीत इस फिल्म का एक अहम हिस्सा है, इसी नाम से एक कॉमिक बुक आई थी उसी के कैरेक्टर लिए गए हैं, इसमें वेरोनिका के पिता जो ग्रीन हाउस है उसको हटाकर वहां पर एक मल्टी स्टोरी होटल बनाना चाहते हैं और इसी बात से बच्चे बहुत परेशान होते हैं और वह इसको बदलने के लिए कोशिश करते हैं कि चलो हम दुनिया को बदलते हैं ।

द आर्चीज फिल्म की कहानी इस प्रकार है, 1964 के भारत में आजादी के बाद अंग्रेज चले गए लेकिन यहां पर जो कुछ एंग्लो इंडियन रह गये, उन्होंने एक शहर बनाया उसका नाम रखा रिवरडेल जो कि एक हिल स्टेशन है । यहां पर अगस्त्य और उसके दोस्तों के साथ उनकी यारी, उनके रोमांस और समाज को लेकर जो उनकी असंगतियों का एहसास है उसको निभाने, पूरा करने की एक जगह है वह एक पार्क है जो आर्चिज और उसके दोस्तों की सबसे पसंदीदा जगह है । यहां पर आकर वे लोग अपना गेम खेलते हैं, एक्सरसाइज करते हैं, गाने गाते हैं आदि । मतलब यह पार्क इस शहर की जान है लेकिन फिर इस को तोड़कर वहां पर होटल बनाने की कवायद शुरू होती है और युवा दोस्तों की यह टोली लोगों के खिलाफ मैदान में आ जाती है फिर क्या होता है ? इसके आगे क्या होगा ? इसी को लेकर इस कहानी का निर्माण किया गया है ।

फिल्म की निर्देशक हैं जोया अख्तर जो एक मंझी हुई डायरेक्टर है जिन्होंने दिल धड़कने दो, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा जैसी बढ़िया फिल्में बनाई है और अब आर्चीज कॉमिक्स पर इस फिल्म को बनाकर बड़े पर्दे पर लाने का उन्होंने काम किया है और इस बात को बहुत अच्छे से ख्याल भी रखा है कि इस बॉलीवुड में जैसे होता है, उसी के हिसाब से इस फिल्म को बनाया जाये, जैसे कि इसमें सारा कुछ हो और रंगीन युवाओं वाला जोश और मिठास भी रहे लेकिन इन सब से आगे उन्होंने इस फिल्म को हाई स्कूल म्यूजिकल कॉमेडी के रूप में बनाया है । जाहिर तौर पर इसी नए अंदाज के कारण यह फिल्म डायरेक्टर जोया अख्तर की अब तक बनायीं गयी दूसरी फिल्मों से अलग हो जाती है । हिंदी सिनेमा में पहले भी कुछ हाईस्कूल म्यूजिकल फ़िल्में बनी हैं । इस फिल्म में पुरानी यादों का पट जोड़ते हुए नई फिल्म में नए कलाकारों का एक सुंदर सा कैनवस बनाया है और फिल्म को स्क्रीन पर उतार दिया । उस जोन में जाकर सब कुछ वैसा ही बनाने की कोशिश की है जैसा कि उस समय होता था । उसी तरह की ड्रेस और एक-एक चीज को बारीकी से ध्यान रखते हुए उन्होंने इसे बनाया है और साथ ही इसे रेट्रो लुक दिया है, इसके साथ ही ऐसी भावनाओं से भरी हुई है कि दर्शक इससे जुड़ जाता है । नब्बे के दशक के बच्चों के जो पसंदीदा कॉमिक्स कैरक्टर के तौर पर फेमस थे जैसे आर्चिज- अगस्त्य नंदा, वेरोनिका-सुहाना खान, बेट्टी कूपर-खुशी कपूर, आदि ।

द आर्चिज की जो कॉमिक सीरीज थी वहां पर दोस्तों की टोली अजीब हरकतों करते दिखती थी लेकिन फिल्म में ऐसा नहीं है । यहां पर किरदार बड़े हो गए हैं, वह बाहरी जिंदगी और जुनून के बीच अपने लिए मुश्किल भरे फैसले भी ले रहे हैं । इन सब के बीच बहुत गहरी दोस्ती का भाव कूट-कूट कर भरा हुआ है, दोस्तों की यह टोली एक आलीशान होटल के बनने की राह में रोड़ा बने हुए हैं । वह ग्रीन पार्क को एक कल्चरल हब की तरह देखते हैं और इसे किसी भी कीमत पर खत्म होने से बचने की कोशिश में जुटे हुए हैं । म्यूजिकल होने के कारण यह फिल्म बहती हवा की तरह लगती है और आगे बढ़ती जाती है ।

शंकर एहसान लॉय, अंकुर तिवारी और अदिति डॉट सहगल के गाने लोगों को थिरकने को मजबूर कर देते हैं । दर्शकों ले लिये खासतौर से ढिशुम ढिशुम, सुनोह और बा बा जैसे गानों पर गणेश हेगड़े की कोरियोग्राफी मुख्य आकर्षण का केंद्र बन जाती है । आर्चिज इस दुनिया के सबसे मनमोहन कॉमिक कैरेक्टर्स में से एक है, ऐसे में यहां नये चेहरों की जो भीड़ है, वह लुभाती भी है, मन को अच्छी भी लगती है । अमीर और बिगड़ैल वेरोनिका लॉज की भूमिका में सुहाना खान अपने बिजनेसमैन पिता की चतुराई और दोस्तों के लिए वफादारी के बीच फंसी हुई एक प्यारी और साहसी लड़की का किरदार निभा रही है । कन्फ्यूज्ड आर्ची के रूप में अगस्त नंदा बहुत अच्छे लगते हैं वह केवल दिखावे के लिए जीवन जी रहे हैं लेकिन वह वेरोनिका या बेट्टी के बीच किसी को नहीं चुन सकता। खुशी कपूर ने बेट्टी के रोल में बहुत अच्छा काम किया है। इमोशनल सींस में ख़ुशी ज्यादा उभर कर सामने आती हैं । कुल मिलाकर सभी नये नवेले एक्टर्स को फिल्म की स्क्रीन पर खुद को दिखाने का भरपूर मौका मिला है। फिल्म के दूसरे भाग में स्पीड थोड़ी हल्की होती है ।

अंत में यही कहा जायेगा कि फिल्म में 60 के दशक की फिलिंग्स, उसके रंग रूप का अच्छे से ख्याल रखा गया है वहीं इस फिल्म का अंत थोड़ा सा निराशाजनक लगता है, हालांकि स्टार किड्स की टोली की अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस देते हुए देखना भी अच्छा लग रहा है फिर चाहे वह स्क्रीन पर भावनाओं को जाहिर करने की बात हो या फिर 80 के दशकों की ध्वनि पर रॉक एंड रोल करते हुए उनका आकर्षक डांस हो ।

सीमा असीम सक्सेना