Bhooto ki Kahaaniya - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

भुतोंकी कहानिया - 3

विच फॉरेस्ट जंगल भाग ३


विजय की चारपहिया ड्राइव से स्पीड ब्रेकर वरुण जटा, चेटक्य वन की सीमा को पार करते हुए! सीमा पार होते ही कार के पीछे का अँधेरा कालिख की तरह काला हो गया! अपर्णा ने एक कार के शीशे का इस्तेमाल किया
खिड़की से इधर उधर देखने लगा! दूर-दूर तक घने वृक्ष फैले हुए थे, रात के कीड़ों की डरपोक ध्वनि वातावरण में मानो भय का संगीत गा रही थी! अपर्णा उस माहौल को देखकर बहुत खुश हुई जो एक डरावनी कहानी के लेखक का उत्साह बढ़ा देगा।
"अरे! आज इतना अँधेरा क्यों है?"
अपर्णा ने कार की खिड़की से बाहर देखते हुए कहा! विजय ने फिर गाड़ी का दूसरा गियर उठाया और उसकी ओर देखकर बोला।
क्योंकि, आज अमावस्या है अपु!
अरे! मैं उसके बारे में भूल गया।"
अपर्णा ने हल्की मुस्कान के साथ विजय की ओर देखते हुए कहा।
विजय ने भी अपर्णा की प्रतिक्रिया का कोई जवाब न देते हुए बस उसकी तरफ देखा और हल्की सी मुस्कान दे दी.
"अरे! कृपया मुझे उस चुड़ैल की कहानी बताओ।" ?
विजय अपर्णा की प्रतिक्रिया को देखता रहा और बोला।
"अच्छा! अच्छा सुनो"!
यह सुनकर अपर्णा बहुत खुश हुई। उसकी ख़ुशी सातवें आसमान पर थी. यह उसके चेहरे को देखकर समझा जा सकता था।विजय ने फिर से तीसरा गियर डाला और कार चलाने लगा। जैसे ही वह भयानक जंगल पूरी तरह से वीरान हो गया, उसी जंगल से इन दोनों की जीवन यात्रा शुरू हो गई!
विजय ने अब चौथा गियर डाला, कार 80 की स्पीड से चलने लगी।
"अपर्णा! अगर तुम्हें डर नहीं लगता तो मैं बता देता हूँ"?

विजय की चारपहिया ड्राइव से स्पीड ब्रेकर वरुण जटा, चेटक्य वन की सीमा को पार करते हुए! सीमा पार होते ही कार के पीछे का अँधेरा कालिख की तरह काला हो गया! अपर्णा ने एक कार के शीशे का इस्तेमाल किया
खिड़की से इधर उधर देखने लगा! दूर-दूर तक घने वृक्ष फैले हुए थे, रात के कीड़ों की डरपोक ध्वनि वातावरण में मानो भय का संगीत गा रही थी! अपर्णा उस माहौल को देखकर बहुत खुश हुई जो एक डरावनी कहानी के लेखक का उत्साह बढ़ा देगा।
"अरे! आज इतना अँधेरा क्यों है?"
अपर्णा ने कार की खिड़की से बाहर देखते हुए कहा! विजय ने फिर गाड़ी का दूसरा गियर उठाया और उसकी ओर देखकर बोला।
क्योंकि, आज अमावस्या है अपु!
अरे! मैं उसके बारे में भूल गया।"
अपर्णा ने हल्की मुस्कान के साथ विजय की ओर देखते हुए कहा।
विजय ने भी अपर्णा की प्रतिक्रिया का कोई जवाब न देते हुए बस उसकी तरफ देखा और हल्की सी मुस्कान दे दी.
"अरे! कृपया मुझे उस चुड़ैल की कहानी बताओ।" ?
विजय अपर्णा की प्रतिक्रिया को देखता रहा और बोला।
"अच्छा! अच्छा सुनो"!
यह सुनकर अपर्णा बहुत खुश हुई। उसकी ख़ुशी सातवें आसमान पर थी. यह उसके चेहरे को देखकर समझा जा सकता था।विजय ने फिर से तीसरा गियर डाला और कार चलाने लगा। जैसे ही वह भयानक जंगल पूरी तरह से वीरान हो गया, उसी जंगल से इन दोनों की जीवन यात्रा शुरू हो गई!
विजय ने अब चौथा गियर डाला, कार 80 की स्पीड से चलने लगी।
"अपर्णा! अगर तुम्हें डर नहीं लगता तो मैं बता देता हूँ"?
विजय अपर्णाला पाहत म्हणाला. त्याच्या ह्या वाक्यावर अपर्णा थोड हसुन म्हणाली.
" अहो ! मी एक लेखक आहे भयकथेची , आणि मला भीती नाही वाटत बर का"? " तुम्हाला सांगायच नसेल, तर जाऊद्या केव्हापासुन सांगा,सांगा म्हणतीये मी "
अपर्णा थोड रागावून म्हणाली.तिचा हा राग उसणा होता.एकप्रकारे फसवा . तिला अस रागावलेल पाहून विजय तिच्या कडे पाहत म्हणाला
." अगं अपु! तू रागू नकोस ना....यार, ? मी सांगतो , बर ऐक"!
तस अपर्णाने मनमूराद हसून विजय कडे पाहिल. ति हे नाटक करत आहे हे त्याला पुर्णत ठावूक होत.
" 100 वर्षा पाहिल्याची गोष्ट आहे, ह्या जंगलात एक छोटस गाव वसलेल होत!"
विजय ने ड्राइव्ह करत पुढे पाहत बोलायला सुरुवात केली.
" गाव जेमतेम 20 -25 लोक असतील इतकेच होत ", सर्व गावकरी बांधव मिळुन -मिसळून राहायचे " !" त्याकाळी गावात एके रात्री एक गावक-याची मुलगी जिच नाव छकु होत ,ती रात्रीच आक्समिक रीत्या गायब झाली " ! " काय ?...अस अचानक कस गायब झाली छकु "?
अपर्णा मध्येच मोठ्याने ओरडतच म्हणाली . तिच्या ह्या वाक्यावर अजय म्हणाला
."अगं तेच तर सांगतोय ना मी ",? " तू मध्येच , बोलू नकोस बर, नाहीतर मी सांगणार नाही हा "?
अजय थोड चिडूनच म्हणाला. तस अपर्णा ने हाताची घडी आणि तोंडावर बोट ठेवल, जंगलाच्या हाईवेवरुण रस्त्यावरचा पाळापाचोला उडवत गाडी वेगाने पुढे निघुन गेली.की तोच बाजूला एका झाडावर एक सडलेल्या हाताचा काळाकुट्ट पंज्या ज्याला मोठ मोठी धार धार नख होती , तो अमानविय पंजा झाडाला चिटकल्या सारखा दिसून आला ..... ?.....







क्रमशः....