Ek rasta Samaaj durasti ka books and stories free download online pdf in Hindi

एक रास्ता समाज दूरस्ती का

एन्जिनियरींग का अभ्यास करने के लिए सुरभी को उसी शहर में आना हुआ जहां पर उसकी सहेली मयुरिका पढने आई थी । शहर में आई सुरभी को बड़ी मुश्किल से एक एपार्टमेंट के सातवें माले पर एक पुराना-सा फ्लेट किराये पर मिल सका । लेकिन फ्लेट की दूर्दशा को देखकर उसका दिल टूट जाता है । सीढ़ीयों पर जगह जगह पान की लालमलाल पिचकारियाँ और जली हुई सिगरेट के टूकड़े ईधर ऊधर बिखरे पड़े दिख रहे थे ।

पहले ही दिन फ्लेट में अपने कमरे में पहूँचकर उसने सब से पहले यह ठान लिया कि मुझे ईस दूर्दशा से लड़ना ही है । उसने सोचा कि समाज की ईन बदियों से किसी न किसी को तो संघर्ष करना ही होगा, तो क्यों न मैं ही कोशिश कर के खुद को आजमा लूँ ? थोड़ा बहोत सामान ठीकठाक करने के बाद तुरंत ही सुरभी ने अपने लेपटोप को ईंटरनेट से कनेक्ट किया और सर्च करने लगी तो काफी चौकानेवाली बातें उसकी आँखों के सामने आई ।

ईस बदी से कैसे लड़े – यही सोचने में उसने काफी मनोमंथन कर लिया । काफी सोच विचार करने के बाद आखिरकार उसने मन बना लिया कि वो सब से पहले एपार्टमेंट की हमउम्र लड़कियों से मिलेगी और अपनी बात रखेगी । उनसे सहयोग मिला तो समझो कि आधी लड़ाई तो जीत ही गये । दूसरे ही दिन उसने एपार्टमेंट की कुछ लड़कियों का संपर्क किया । और शाम के वक्त सब लड़कियों को अपने फ्लेट पर ईकठ्ठा कर के प्रस्ताव रखा । सुरभी ने सब को बताया कि पूरे समाज को बूरे व्यसनों के विभिन्न कहरों से बचाने के लिए कम से कम शुरुआत तो अपने ही एपार्टमेंट से करनी होगी । लड़कियो के हकारात्मक दृष्टिकोण को पाकर सुरभी का आत्मविश्वास खिल ऊठा । सुरभी को पता चला कि वास्तव में वे सारी लड़कियाँ भी यही चाहती थी कि बीड़ी-सिगरेट, तंबाकु-गुटखे से अपने परिवार को जल्द से जल्द मुक्त किया जायें, लेकिन उनके पास सही रास्ता शायद नहि था । सुरभी ने उन सब से मिलकर एक एक्शन-प्लान बनाया । उन सब लड़कियों से सुरभी को ये पता लगा कि उन सब के परिवार में भी कोई न कोई किसी न किसी व्यसन का शिकार है ही ! ईतना ही नहि, कुछएक परिवार में तो ईस व्यसन के राक्षस के कारण मौत भी हो चुकी है ।

सुरभी ने और सब लड़कियों ने मिलकर सारे निवासियों को एक मीटींग मे आमंत्रित किया । छुट्टी के दिन एपार्टमेंट में पहली बार एक ‘टेरेस-मिटींग’ का आयोजन हुआ । काफी लोग छत पर उपस्थित हो गये । लड़कियों ने सब का स्वागत किया । सुरभी ने डोर सँभालते हुए अपनी बात अपने अंदाज़ से पेश की, ‘हम लोगो ने एक प्रस्ताव सोचा है, जिसमें कि आप सब का सहयोग बहोत ही जरुरी है ।’

‘मेडमजी, क्या आप चुनाव लड़ने जा रही हो ? हम से वॉट माँगने का प्रस्ताव है न ?’ एक आदमी बीच में ही बोलता है ।

‘कुछ एसा ही समझ लिजिए भाईसाहब, जैसे एक स्वस्थ समाज ही स्वस्थ सरकार को चुन सकता है, बिलकुल वैसे ही एक स्वस्थ शरीर ही स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकता है ।’ सुरभी ने मुद्दे को समझाना प्रारम्भ किया ।

‘कुछ समझ में आये एसा कहिए बहनजी, सब लोगो के पास आपका ये भाषण सुनने का वक्त नहि होता ।’ पीछे से कोई बोलता है ।

सुरभी कहती है, ‘सिर्फ वक्त ही नहि, वक्त के साथ जीवन बचाने की भी हमें फिक्र होनी चाहिए । क्युं कि जीवन है तो वक्त भी होगा । अच्छा चलिए बताईये, आप लोगो में से कितने लोगो को मधुप्रमेह, रक्तचाप, अस्थमा, क्षय जैसी बीमारियाँ लागू हो चुकी है ?’

बहोत से कमजोर हाथ ऊपर ऊठते है ।

‘क्या आप लोग जानते है ईन सारी बीमारियों की जड़ें कौन-सी है ?’

‘मिलावट – खुराक – वेस्टर्न कल्चर – गरीबी –’ बहोत सारे जवाब आते है ।

‘आप गलत नहि है ।’ सुरभी कहती है, ‘लेकिन एक एहम जड़ है, तंबाकु, गुटखा, धुम्रपान, नशा, -यकीन मानिए, ईन व्यसनो की बदी ने ही हमें बीमारियों के नर्क में झोंक रखा है । क्या आप जानते है कि जितने लोग आग, अकस्मात, एईड्स, मिलावट, आत्महत्या या अन्य दुर्घटना से मरते है उनसे कई ज्यादा लोग केवल गुटखे के प्रभाव से मरते है ?’ कुछ देर सन्नाटा रहता है, लोगों में हलकी-सी सरसराहट होती है, रहरहकर कुछ सिर समर्थन करते हुए झुकने लगते है ।

‘लेकिन हम ये कैसे मान लें ?’ एक आवाज फिर भी ऊठती है ।

‘मेरा आग्रह भी नहि कि मै जो कुछ कहुँ, सब आप मान लें, लेकिन मैं आपको एक विडियो दिखाने जा रही हूँ जिसको देखकर शायद हालात को और अच्छे तरीके से आप समझ पायेंगे ।’ फिर जवाब में सुरभी अपने लेपटोप पर एक विडीयो क्लिप सब को दिखाती है । उसमें उन सारे आंकड़ो का पृथक्करण दर्शाया जाता है, मरनेवाले लोगो की संख्याओ के ऐसे ग्राफ्स दिखाये जाते है, जिससे की व्यसन की बला का वास्तविक आसुरी चित्र सब के मन को आसानी से समझ में आ जाए । क्लिप में धुम्रपान और तंबाकु के सेवन से शरीर के अंदर होती बर्बर गतिविधियों को भी एनिमेशन के रुप में चित्रित कर के बताया जाता है । सब देखते ही रह जाते है । लोगो के चेहरे खुले के खुले रह जाते है ।

सुरभी समझाती है, ‘ये मैं नहि कहती, ये तो श्रेष्ठ विशेषज्ञो की राय है, जो मैं तो सिर्फ आप सब के साथ शेयर कर रही हूँ । भारत में केवल तंबाकु और धुम्रपान के कारण ही हर साल ९ लाख लोग अपने जीवन से हाथ धो बैठते है । ईंटरनेट से मालुम पडा है कि गुटखे तंबाकु में कभी कभी लहू और काच के पाउडर का भी उपयोग होता है, और सिगरेट में चूहे के चमड़े का भी ईस्तमाल होता है । एक और अहम बात यह है कि तंबाकु में निकोटिन के अलावा और भी चार हजार ऐसे हानिकारक तत्त्व होते है जो हमारे स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहूँचा सकते है ।’

‘आप सही कहती है बहनजी, मैं एक गरीब आदमी हूँ, सिर्फ ईस गरीबी को भुलाने के लिए मै तो दिन में केवल दो-तीन बार ही गुटखा खा लेता हूँ, बाकी के समय में तो कन्ट्रोल कर लेता हूँ ।’ एक आम आदमी बोलता है । कुछ लोग हंस पड़्ते है ।

सुरभी मुसकाते हुए बोली, ‘अगर आप गुटखे को ही भुला दे तो गरीबी भी नहि टिकेगी । जरा सोचिए, यही आपके व्यसन के खर्चे ने आपको गरीब बनाये रखा है, अगर आप ये पैसे बचाये तो किताबों की कमी की वजह से छूट गई पढ़ाई आपकी ये बेटी फिर से शुरु कर सकती है !’ पास खडी एक लडकी जो कि उस आदमी की बेटी है, उसका हाथ थामते हुए सुरभी कहती है, उस लडकी के चेहरे पर सुनहरी किरनें छा जाती है ।

‘सुनने में तो बात सही लगती है मेडमजी, लेकिन मैं भी पढा-लिखा हूँ, मैने कई ऐसी महिलाएँ और बच्चों को फेफडे या गले के कैन्सर में मरते हुए देखा है, उन लोगो ने कभी सिगरेट-तंबाकु को हाथ तक नहि लगाया । आप मेरा ही उदाहरण देख ले तो मैं पिछले बीस सालो से धुम्रपान करता रहा हूँ, मुझे कोई बीमारी नहि है, जब कि मेरी पत्नी जो आप के सामने बैठी है उसे पाँच साल से अस्थमा लागू हुआ है, मिटने का नाम ही नहि लेता है ।’ एक आदमी बडे ही तर्क से सफाई देता है । कुछ लोग तो ताली भी बजाते है ।

‘अफसोस, आप ये मानने को तैयार नहि होंगे कि आपकी पत्नी के अस्थमा के जिम्मेदार आप ही है ।’ सुरभी खडी होती है, ‘बडे दुःख की बात है, यही विड़ंबना है कि हम अपने पढ़े-लिखे होने का फायदा ऊठाने के बजाय ऐसे तर्क करने में अपनी शक्ति लगा देते है । मेरे पास एक लड़की की तसवीर है जो मैं आप सब को दि्खाती हूँ, आप सब जानते है ईसे ? ये मेरी सहेली मयुरिका है, बडे बडे सपने लेकर एम.बी.ए. का अभ्यास करने आई थी, कोई भी व्यसन नहि था उसे, ना ही उसने कभी सिगरेट को छुआ था । फिर भी पिछले साल फेफडो के कैन्सर की वजह से चल बसी, यही आसपास रहती थी । क्या ईसकी वजह हम सब हो सकते है ?? दीजिए जवाब ?’

बहोत-सी प्रश्नसूचक आँखे तन जाती है । सुरभी समझाती है, ‘अंग्रेजी में ईसे प्रोक्षी स्मोकिंग कहते है, यानि परोक्ष धुम्रपान । यदि आप धुम्रपान करते है तो न सिर्फ आप को बल्कि आप के परिवार, पास-पडौस के लोगो एवं सहकर्मचारियों की जान को भी जोखिम में डाल रहें हैं । सिगरेट का धुआँ आसपास के जिन लोगो के फेफडे में जायेगा नुकसान तो करेगा ही । ईस धुएँ में एक प्रकार के डामर जैसा ‘टार’ होता है । अब सब की रोगप्रतिकार शक्ति एक जैसी तो होती नहि, तो किसे, कब, कैसे और कौन सी बीमारी आपका ये धुआँ दे जाये क्या पता ? केवल ईस तरह के परोक्ष धुम्रपान से ही साल में ६ लाख लोग अपनी जान खो देते है, जिसमें कि आप कहते है वे महिलाएँ और बच्चे ३५% से भी ज्यादा होते है, जिन्होंने ना ही कभी किसी व्यसन को छुआ होता है ।’

उस पढ़े-लिखे आदमी की पत्नी खड़ी होकर बोलती है, ‘बिलकुल ठीक है बहन, डॉक्टर सहिबा ने तो यहाँ तक मुझे बताया कि ईससे तो मेरे होनेवाले बच्चे को भी खतरा हो सकता है, लेकिन ये है कि समझते ही नहि ! बहन, आप सही बोल रही है, हम सब आप ही का साथ देंगे, पर ईंन बूरी बलाओं से हमे बचा लिजिए, बहनजी...’ बोलते बोलते उसकी आँख में आंसु आ जाते है ।

‘बिलकुल बराबर बात है, मैने कही पढ़ा है कि एक सिगरेट आदमी की आयु को ६ मिनिट तक कम करता है ।’ एक और महिला भी हिंमत जुटाकर आगे आ के बोलती है ।

बहोत सारी आवाजें ऊठती है । सारे लोग सुरभी को साथ देने का नारा लगाते है । सब को शांत रखते हुए सुरभी कहती है, ‘तो ईसका मतलब है कि हम ईस व्यसनमुक्ति के अभियान को अपने एपार्टमेंट तक सिमीत न रखते हुए पुरे समाज को ईस बदी से मुक्त करने की ठान लें तो कमियाब हो सकते है । आईए सब मिलकर प्रतिज्ञा करें कि हम आनेवाली पुश्तों को एक व्यसनमुक्त स्वस्थ समाज की भेंट देंगे । चुनाव से पहले एक संपूर्ण स्वस्थ समाज को निर्वाचीत करना सुनिश्चित कर लें, आप सब मेरा सहयोग करेंगे ना ?’

छत पर जमा सारे लोग के खुशहाल दो हाथ सुरभी के सहयोग के लिए ऊपर ऊठे, आनेवाली एक बहोत बडी सफलता की नींव डाली गई और लोग व्यसनमुक्ति के महाअभियान में उत्सुकता से जुड़ गये । समाजदूरस्ती की ओर जानेवाला एक सुनहरा रास्ता सुरभी ने सब की आँखों मे दिखा दिया ।

-अजय ओझा (मोबाइल-०९८२५२५२८११)

५८, मीरा पार्क, ‘आस्था’, अखिलेश सर्कल,

भावनगर(गुजरात)३६४००१