Kalyugi sita by Saroj Verma | Read Hindi Best Novels and Download PDF Home Novels Hindi Novels कलयुगी सीता - Novels Novels कलयुगी सीता - Novels by Saroj Verma in Hindi Women Focused (60) 2.1k 4.6k 3 बात उस समय की है, जब मैं छै-सात साल का रहा हूंगा,अब मेरी उर्म करीब चालीस साल है,वो उस समय का माहौल था,जब लोगों को शहर की हवा नहीं लगी थी,जब लोग कहीं से अगर दूर की रिश्तेदारी निकल ...Read Moreतो बहुत मान -सम्मान के साथ अपने घर में रात गुजारने देते थे,सब अपना ही अपना था पराया कुछ भी नही,अगर गांव में किसी पड़ोसी के यहां चले जाओ तो लोग तुरंत चूल्हा जलवा कर ताजा खाना बनवाते थे। मुझे याद है बचपन में जब किसी के घर शाम को जल्दी चूल्हा जल जाता था, तो हम लोग पास-पड़ोस से Read Full Story Download on Mobile Full Novel कलयुगी सीता--भाग(१) (16) 708 1.7k बात उस समय की है, जब मैं छै-सात साल का रहा हूंगा,अब मेरी उर्म करीब चालीस साल है,वो उस समय का माहौल था,जब लोगों को शहर की हवा नहीं लगी थी,जब लोग कहीं से अगर दूर की रिश्तेदारी निकल ...Read Moreतो बहुत मान -सम्मान के साथ अपने घर में रात गुजारने देते थे,सब अपना ही अपना था पराया कुछ भी नही,अगर गांव में किसी पड़ोसी के यहां चले जाओ तो लोग तुरंत चूल्हा जलवा कर ताजा खाना बनवाते थे। मुझे याद है बचपन में जब किसी के घर शाम को जल्दी चूल्हा जल जाता था, तो हम लोग पास-पड़ोस से Read कलयुगी सीता--भाग(२) (13) 516 939 मेरी मकरसंक्रांति की छुट्टियां हो गई थीं, तो पिताजी ने मां से कहा कि चलो गांव होकर आते हैं,मां और मैं भी यही चाहते थे तो दूसरे दिन हम गांव आ गये, पहुंचते-पहुंचते शाम हो गई, और मैं तो ...Read Moreरखकर तुरन्त काकी के घर भागा, देखा तो काकी खाना बना रही थी, चूल्हे की हल्की रोशनी और लालटेन की लौ में उनका चेहरा बुझा-बुझा सा लग रहा था, उन्हें ऐसे देखकर मुझे अच्छा नहीं लगा और ताई जी की दोनो बेटियो का उनके बगल में बैठ कर खाना,खाना पता नहीं, मैं कुछ समझ नहीं पाया,बस उलझन में था। अरे,लल्ला Read कलयुगी सीता--भाग(३) (14) 450 996 यूं तो मैं नोएडा में रहता हूं, और मेरा आफिस दिल्ली स्थित मयूर बिहार में है,रोज का वहीं तनाव भरा जीवन, ऐसा लगता है समाज से सारी शुद्ध चीजों का नाश हो गया है,चारों तरफ बनावटी पन, वो चाहे ...Read Moreहो या रिश्ते, अब तो नारी में ना वो शालीनता नजर आती है और ना नजाकत,बस रंगी-पुती गुड़ियों जैसी, कितना अंतर आ गया है, कहां हमारी मां और काकी,बुआ,मौसी एक मार्यादित जीवन जिया करती थी और आज नारी___ खैर, मैं अब रहता हूं, बड़े शहर में, लेकिन मैं भी उत्तर प्रदेश स्थित बुंदेलखंड के एक छोटे से कस्बे महोबा, जो Read कलयुगी सीता--(अंतिम भाग) (17) 402 990 मैं एक पुरूष हूं, तो नारी के जीवन के बारे में मैं क्या कहूं, लेकिन जो नारी एक नए जीवन को दुनिया में लाती हैं, वो कमजोर तो कभी नहीं हो सकती,बस वो मजबूती का दिखावा नहीं करती,ताकि हम ...Read Moreका मनोबल बना रहे, अपने लिए सम्मान नहीं चाहती, ताकि हम पुरूषों का स्वाभिमान बना रहे,सारी उम्र सिर्फ वो त्याग ही तो करती हैं और कभी जाहिर नहीं करती, कोई दिल दुखा दे तो कोने में जाके दो आंसू बहाकर अपना मन हल्का कर लेती है,वो कमजोर नहीं होती,बस अपनी शक्ति को वो उजागर नहीं करती। बस,ऐसी ही थी कस्तूरी Read More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Novel Episodes Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Humour stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Social Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Saroj Verma Follow