ek ladka ko dekha to aisa laga book and story is written by Arun Giri in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. ek ladka ko dekha to aisa laga is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
एक लडका को देखा तो ऐसा लगा - Novels
by Arun Giri
in
Hindi Fiction Stories
के हर गली, कस्बे और झोपडी मे मुझे ऐसे लोगोको बदनामी, जिल्लत और रुसवाई के सिवा और कुछ नही मिलता । नफरत के निगाहो से देखी जाने वाली ईन “समलैङिगक समुदाय” के लोगोको अपमान बेईजती, तिरस्कार के सिवा, हमारा ये समाज और कुछ नही देता । ईस दुनिया मे हमेशा से लोग की धारणये “समलैङिगक समुदाय” के लिए एक अलग सी रही है । हमारे समाज और यहाँ के लोग समलैङिगक लडको को अकसर “खिलौना लडका” समझते है । जिसे हर कोई सिर्फ और सिर्फ उपयोग करना चाहता है । “प्रयोग करके फेक देना” के रुपमे लिऐ जानेवाले “समलैङिगक समुदाय” के लोगो का भावनाए
के हर गली, कस्बे और झोपडी मे मुझे ऐसे लोगोको बदनामी, जिल्लत और रुसवाई के सिवा और कुछ नही मिलता । नफरत के निगाहो से देखी जाने वाली ईन “समलैङिगक समुदाय” के लोगोको अपमान बेईजती, तिरस्कार के सिवा, हमारा ...Read Moreसमाज और कुछ नही देता । ईस दुनिया मे हमेशा से लोग की धारणये “समलैङिगक समुदाय” के लिए एक अलग सी रही है । हमारे समाज और यहाँ के लोग समलैङिगक लडको को अकसर “खिलौना लडका” समझते है । जिसे हर कोई सिर्फ और सिर्फ उपयोग करना चाहता है । “प्रयोग करके फेक देना” के रुपमे लिऐ जानेवाले “समलैङिगक समुदाय” के लोगो का भावनाए
#एक लडका को देखा तो ऐसा लगा (भाग - २)मैनै दौड कर भागते हुए बसको रोकनी चाही... लेकिन मुझे उस बसके कन्डक्टरके सिवा और कोई देख न सका । सायद उस कन्डक्टर ने अपनी उस बेईज्जतीका बदला लेने के ...Read Moreजान बुझकर मुझे वही छोडकर बस चला दिया था । मेरे बहूत कोसिसो के बाव्जुद भि मै उस बस को रोक न सका और मेरी आखो के समने से वो बस तेजी से निकल गयी ।।उस बस मे मेरा बैग भी छुट गया था, जिस मे मेरे सारे कपडे, जरुरी के कुछ सामान.... और कुछ पैसे भी थे.....मै नही जानता