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छुट-पुट अफसाने - 2

एपिसोड 2

अतीत से मुठभेड़ किए बिना, उन लम्हों की तलाश कहां हो सकती है - जो लम्हे ढेर सारे अफसानों की जागीर छिपाए हुए हैं। आज जानें....

बीसवीं सदी के शुरुआती दिनों की बातें हैं। जिला झेलम, तहसील चकवाल के शहर "करियाला" में भगतराम जौली थानेदार थे। गबरू जवान ऊपर से बड़ी पोस्ट, बीवी की मौत हो गई थी बुखार से । फिर भी चकवाल के डिप्टी कमिश्नर रायबहादुर रामलाल जौहर ने अपनी इकलौती औलाद "विद्या" का विवाह भगतराम से कर दिया । एक शर्त रखकर, कि विद्या की दूसरी औलाद हमें देनी होगी । विद्या के पहला बेटा हुआ रोशन, दूसरा भी बेटा हुआ इन्द्रसेन । वायदे के मुताबिक उन्हें अपने जिगर का टुकड़ा उसके नाना-नानी को देना पड़ा । रायबहादुर ने कहा कि यह बात राज़ रखनी होगी, इसलिए इससे आप लोग मिलें नहीं । यही बड़े होकर बॉलीवुड के अभिनेता, लेखक, डायरे…

जब भी अतीत की खिड़कियां खोलने लगती हूं तो वहां छिपे अफसाने ऊंचे-ऊंचे रोशनदानों से बाहर भागते से लगते हैं। उन्हें लपक कर पकड़ने का यत्न करती हूं तो कुछ कड़ियां खुलकर सामने बिखर जाती हैं। उन्हीं बिखरी कड़ियों को जोड़-जोड़ कर यह अफसाना लिख रही हूं...

मैंने बताया था पिछले एपीसोड में कि पाबो ( मम्मी की नानी) ने अपनी बेटी की ज़िंदगी की सलामती के वास्ते उसे भगतराम की तीसरी बीवी बनाया था। किन्तु होनी का लिखा कहां टल सकता है। बच्चों को लेकर मम्मी की मां मायके यानि कि गुजरात गुजरांवाला गई हुई थीं। वहां उनके कान में तीव्र पीड़ा होने पर किसी पड़ोसन के कहने पर तेल में लाल मिर्च जला कर वो तेल कानों में डलवाया । उस तेल से उनके दोनों कान के पर्दे फट गए । उसका जहर भीतर ऐसा फैला कि वो पाबो के सामने ही चल बसीं ! भगतराम का दिल बुरी तरह टूट गया था । उन्होंने थानेदार की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। और बच्चों की देखभाल स्वयं करने लगे, क्योंकि कमला (हमारी मां)केवल डेढ़ साल की थी तब। साथ ही वे समाज-सेवा मेंं लग गए। उन्होंने एक छत के नीचे आर्यसमाज, मंदिर और गुरुद्वारा बनवाया । गुरुद्वारे के ग्रंथी की बीवी ने बच्चों के लालन-पालन में पूरा सहयोग दिया।इसी कारण हमारी मां को हवन मंत्रों के साथ-साथ जपुजी साहब का पाठ भी प्रतिदिन करने की आदत थी ।