Musaddadi – A Love Story book and story is written by संदीप सिंह (ईशू) in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Musaddadi – A Love Story is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मुसदद्दी - एक प्रेम कथा - Novels
by संदीप सिंह (ईशू)
in
Hindi Love Stories
लॉकडाउन एक बार फिर से बढ़ा दिया सरकार ने, अब आम आदमी कर ही क्या सकता है।
मुआ कोरोना थमने का नाम ही नहीं ले रहा था, सो मन मार कर लोगों ने लॉक डाउन को अपना लिया, जनाब स्थिति तो यह है कि रात के भोजन का इंतजाम कैसे हो?
इस चिंता मे मुँह मे मक्खी यदा कदा बैठ कर तन्द्रा भंग कर देती थी।
भला आम आदमी कौनो फिल्मी सितारा थोड़े ना है, जित्ते में मंगरू का घर है , पूरा परिवार रह लेता है, उत्ता बड़ा तो किचन रूम है उनका।
उपर से तुर्रा ये कि अब सितारा भाई भिंडी की सब्जी बनाना सीख लिये लाकडाउन की घर बन्दी मे।
भला हो सोशल मिडिया का बरखुरदार " गवाही के लिये लाइव भिंडी की भुजिया बनायें।
खैर सब कौनो न कौनो प्रकार से लाकडाउन हो जिये जा रहा है।
बाजार दुकान हाट गली घाट कहीं भी देखो ये नए आशिक जो घोसला कट बाल और आधे पिछवाड़े तक लटकी पैंट बार बार खिंच कर बताना चाह रहा है कि नै नै अबे टोपा (मुर्ख) हो का चबूतरा ढंके तो है ।
मुसदद्दी - एक प्रेम कथा. ...Read More 1️⃣. लॉकडाउन एक बार फिर से बढ़ा दिया सरकार ने, अब आम आदमी कर ही क्या सकता है। मुआ कोरोना थमने का नाम ही नहीं ले रहा था, सो मन मार कर लोगों ने लॉक डाउन को अपना लिया, जनाब स्थिति तो यह है कि रात के भोजन का इंतजाम कैसे हो? इस चिंता मे मुँह मे मक्खी यदा कदा बैठ कर तन्द्रा भंग कर देती थी। भला आम आदमी कौनो फिल्मी सितारा थोड़े ना है, जित्ते में मंगरू ...
2️⃣ अब ये मुसद्दी के मन मे माँ का सम्मान था या बाबु जी के गुजरने के बाद अम्मा , को मिलने वाली पेंशन का कमाल पर निठल्ले मुसदद्दी की मातृ भक्ति देख कर पल भर को आँखे नम ...Read Moreगई थी। थोड़ी शान्ति के बाद मुसद्दी भी पाइप मे रखी कुत्ते की दुम सरीखे लय मे आ गये । पर आज मुसद्दी हमारे पड़ोस के बड़े चक्कर काट रहे दिखे। माथा सनका, आज मुसद्दी नहाए धोए भी जान पड़े और थोड़ा तमीज मे भी। बदले मिजाज का मर्म समझ न आया। जब दिमाग के घोड़े दौडायें तब थोड़ी हरियाली
3️⃣ मुसद्दी के ठेले पर भी विकास दिखा... अब तरबूज के साथ साथ फलो के राजा आम और नारियल (हरा) भी आ गया था । पर ठेला अब भी नीम की शीतल छांव मे रुकता। पड़ोसी आनंदित की निठल्ला ...Read Moreगया और अम्मा खुश कि अब लल्ला जम गयो । इधर लॉक डाउन 3.0 भी आ गया। मुसद्दी फूला नहीं समा रहा था। कम से कम 48°C की तपती दोपहर के तापमान मे प्रेयसी दिख भर जाए, मन स्वयं कालिदास हो जाता है। जिस बखत (वक़्त) मुसद्दी का चारपहिया (ठेला) नीम की शीतल छांव मे रुकता, और मुसद्दी दो घूंट