Bhige Pankh book and story is written by Mahesh Dewedy in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bhige Pankh is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
भीगे पंख - Novels
by Mahesh Dewedy
in
Hindi Fiction Stories
यह कहानी विभिन्न मन-स्थितियों मं जी रहे तीन ऐसे पात्रों की कहानी है जो असामान्य जीवन जीने को अभिशप्त हैं।
थामस ए. हैरिस नामक अमेरिका के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक ने अपनी विश्वविख्यात पुस्तक ‘आई. ऐम. ओ. के. यू. आर. ओ. के.’ में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया है कि कोई भी शिशु अपने जन्म के समय एवं शैशवास्था में उपलब्ध परिस्थितियों के अनुसार जन्म के पश्चात अधिक से अधिक पांच वर्ष में अपने लिये निम्नलिखित चार जीवन-स्थितियों मन-स्थितियों मे से कोई एक जीवन-स्थिति निर्धारित कर लेता है, जो जीवनपर्यंत उसक्रे अंतर्मन एवं आचरण को प्रभावित करती रहती हंै।
यह कहानी विभिन्न मन-स्थितियों मं जी रहे तीन ऐसे पात्रों की कहानी है जो असामान्य जीवन जीने को अभिशप्त हैं।
थामस ए. हैरिस नामक अमेरिका के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक ने अपनी विश्वविख्यात पुस्तक ‘आई. ऐम. ओ. के. यू. आर. ओ. के.’ ...Read Moreयह सिद्धांत प्रतिपादित किया है कि कोई भी शिशु अपने जन्म के समय एवं शैशवास्था में उपलब्ध परिस्थितियों के अनुसार जन्म के पश्चात अधिक से अधिक पांच वर्ष में अपने लिये निम्नलिखित चार जीवन-स्थितियों मन-स्थितियों मे से कोई एक जीवन-स्थिति निर्धारित कर लेता है, जो जीवनपर्यंत उसक्रे अंतर्मन एवं आचरण को प्रभावित करती रहती हंै।
मानिकपुर ग्राम की भादों माह के कृष्णपक्ष की द्वितीया की वह रात्रि उस मौसम की घोरतम कालिमामय रात्रि थी- सायंकाल के पूर्व ही आकाश शांत और गम्भीर होने लगा था और फिर शन्ैा शनै पश्चिम दिशा से भूरे और ...Read Moreरुई के भीमकाय फोहों जैसे बादल आकाश मे छाने लगे थे- पहले इक्के दुक्के फुटकर और फिर घटाटोप। सूर्यास्त होते ही घने अंघकार का साम्राज्य समस्त ग्राम मे फैल गया था। घनघोर वर्शा की आषंका के कारण चरवाहे अपने ढोरों को जल्दी ही घर वापस ले आये थे। खेतों और बागों मे दाना-कीड़ा चुगने वाले मोर, आंगन मे फुदकने वाले गौरैया, और गांव में मटरगश्ती करने वाले कुत्ते आने वाले तूफा़न का पूर्वाभास पाकर आज जल्दी ही अपने अपने शरणस्थलों मे दुबक गये थे।
कार्तिक का बड़ा सुहाना महीना था- न अधिक गर्म, न अधिक ठंडा। वर्षा ऋतु के पश्चात चारों ओर छाई हरियाली इतनी उत्फुल्लकारी थी कि मन और शरीर दोनों आह्लाद से भरे रहें। यह वह समय था जब मोहित सवा ...Read Moreवर्ष का हो चुका था और हवेली में धमाचैकडी़ मचाये रहता था।
ग्राम्य जीवन का यह वह महीना था जब वर्षा के प्यार से प्रस्फुटित हरी-भरी प्रकृति शरत् ऋतु केा अपने अंक मे भर लेने को व्याकुल होने लगी थी।
‘‘या अल्लाह....या अल्लाह......रहम कर......हाय मरी .......हाय मरी.....’’ तहसील फ़तेहपुर के विषाल परिसर में स्थित एक क्वार्टर के सीलनभरे छोटे से कमरे, जिसके फ़र्श और दीवालों का प्लास्टर बेतरतीबी से उखडा हुआ था, मंे बंसखटी पर पडी़ एक कृशकाय औरत ...Read Moreरही थी। वह स्त्री सलीमा थी- तहसील फ़तेहपुर के कुर्क-अमीन मीरअली की पहली बीबी। दस साल पहले उसकी शादी मीरअली से हुई थी और आज चैथी संतान के सम्भावित जन्म की पीडा़ से वह छटपटा रही थी। हड्डियों का ढांचा मात्र बची सलीमा से मीरअली का मन कई साल पहले भर गया था और उसने अपनी फुफेरी शोड़षी बहिन से दूसरा निकाह पढ़कर नई बीबी को अलग एक नया मकान ख़रीद कर उसमें रख दिया था।
सूर्योदय में अभी कुछ पल की देरी थी- रात्रि, जो देर से दिवस से मिलन केा प्रतीक्षारत रही थी, दिन के आगमन के साथ अपने को उसके अंक में विलीन कर रही थीं। मकानों की दीवालों के छेदों में ...Read Moreवाली गौरैया ने देर से चीं-चीं करके प्रात के आगमन की सूचना देनी प्रारम्म्भ कर रखी थी। छतों पर पिछले दिनों सूखने हेतु डाले गये अनाज के बिखरे दानों को चुगने हेतु एक दो मोंरें आ वुकीं थीे। मानिकपुर के अधितर घरों में जगहर होे चुकी थी। भग्गी काछी, महते चमार, धर्माई नाई आदि अनेक लोग अपना हल-बैल लेकर खेतों को चल दिये थे। कमलिया अधजगी सतिया को गोद में उठाकर लालजी षर्मा की हवेली केा चोर की भंाति चल पडी़ थी। काम करने के लिये वहां जाने का आज उसका पहला दिन था और हल्ला द्वारा देख लिये जाने पर रोक दिये जाने के भय से उसको धुकधुकी हो रही थी।