jab ghar me chuha aa gaya books and stories free download online pdf in Hindi

जब घर में चूहा आ गया

जब घर में चूहा घुस गया

“लगता है हमारे घर चूहा आ गया है और देखो घर में चूहा आना अशुभ माना जाता है।”

सुबह सुबह शर्मा जी अखबार में नजर गड़ाए बैठे चाय की प्रतीक्षा कर रहे थे तभी पत्नी ने आवाज लगाकर कहा, “अजी सुनते हो, लगता है हमारे घर में चूहा आ गया है।”

“तुम्हें कैसे पता, दिखाई दिया या कुछ कुतर दिया?”

मैंने भोजन की मेज पर बैठे बैठे ही प्रश्न उछाला........

“ये देखो, मट्ठी और लड्डू के टुकड़े रसोई की पूरी स्लैब पर कुतर कर दाल रखे हैं, आप वहीं बैठे रहोगे, वहाँ से उठोगे भी, जाओ जल्दी से झाड़ू लेकर आओ और झाड़ू लेकर यहाँ खड़े हो जाओ, मैं एक एक करके सब समान हटाऊँगी, देखते रहना, जैसे ही चूहा निकले आप तुरंत झाड़ू से मार देना।”

शर्मा जी उठकर झाड़ू लेने छत पर चले गए, “अरे! कहाँ चले गए?” श्रीमतीजी चिल्लाईं

“भाग्यवान झाड़ू लेने छत पर आया हूँ।”

“झाड़ू लेने को छत पर जाने को किसने कहा, झाड़ू यहीं पलंग के नीचे पड़ी है।”

तब तक शर्मा जी छत से झाड़ू लेकर दरवाजे के बाहर खड़े हो गए बिलकुल ऐसे, जैसे भारतीय सेना का जवान कश्मीर में आतंकवादी को मारने के लिए ए के 47 लेकर खड़ा हो और श्रीमतीजी सर्च ऑपरेशना चला रही हो।

“ध्यान इधर ही रखना, कभी आप इधर उधर देखने लगो और वह निकल कर भाग जाए।”

“हाँ! मेरा पूरा ध्यान इधर ही है, लेकिन चाय पीने के बाद करते ये चूहा सर्च ऑपरेशन तो ज्यादा अच्छा रहता”

“तब तक तो पता नहीं वह क्या क्या काट चुका होगा, मैंने जैसे ही मट्ठी का टुकड़ा माइक्रो वेव के पीछे देखा तो मेरा माथा ठनका, यह देखो चूहे की मेंगने, देखना पड़ेगा और पता नहीं क्या क्या काटा होगा और कहीं किसी पलंग या अलमारी में घुस गया होगा तो सारे कपड़े काट डालेगा, आज आप ऑफिस से छुट्टी ले लो, जब तक चूहा नहीं मिलेगा तब तक ना चाय बनेगी ना खाना और ना ही आप कहीं जा सकोगे।”

पूरी रसोई का सामान इधर से उधर कर दिया लेकिना चूहा नहीं मिला, मिली तो बस उसकी मींगने , या कुतर कुतर कर छोड़ा हुआ खाने का सामान। सुबह सुबह बिना चाय पिये हम लगे थे चूहा ढूँढने, अब तो हिम्मत भी जवाब दे गयी थी।

तभी दरवाजे के बाहर बैठी बिल्ली पर शर्मा जी की नजर पड़ गयी। वैसे तो यह बिल्ली दूध पीने के लिए प्रतिदिन आती थी जिसको बाहर रखी उसकी कटोरी में दूध डाल कर उसे वहीं तक सीमित रखते थे, लेकिन आज शर्मा जी ने बिल्ली को अंदर घर में ही बुला लिया चूहा पकड़ने के लिए।

बिल्ली अंदर आकर सीधे सोफ़े पर जाकर लेट गयी, और करवटें बदलने लगी, उसे शायद पहली बार इतना साफ सुथरा गद्देदार बिस्तर लेटने को मिला था, लेटे लेटे उसको नींद आ गयी और हम भी थक चुके थे अतः हम भी सो गए। श्रीमतीजी ने कहा भी कि यह क्या चूहा पकड़ेगी, यह तो स्वयं ही सोफ़े पर लेट कर सो गयी लेकिन मैंने समझाया कि बिल्ली हमेशा अंधेरा होने पर ही चूहे पकड़ती है वो सभी लाइटें बंद करके निश्चिंत हो गए कि चूहा बाहर निकलेगा तो बिल्ली उसको दबोच लेगी और हमारा काम अब खत्म हो गया, लेकिना हमें क्या पता था कि हमारा काम तो अब और बढ़ गया है।

हमने घर के सभी खिड़की दरवाजे भी बंद कर दिये लेकिन शाम तक चूहा ना तो उनकी पकड़ में आया और ना ही बिल्ली की, अब शर्मा जी ने तय किया कि रात में बिल्ली को घर में ही बंद कर देंगे, रात को तो चूहा अवश्य बाहर निकलेगा तब तो बिल्ली पकड़ ही लेगी और निश्चिंत होकर सो गए।

रात में बिल्ली ने चूहा तो पकड़ा नहीं, हाँ सोफ़े पर सुसू पोटी करके सोफ़े के सारे कपड़े गंदे कर दिये। सुबह सुबह उठकर जब श्रीमतीजी ने देखा तो उनका पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया, तुरंत दरवाजा खोलकर बिल्ली को भगाया और सोफ़े के सारे कपड़े मुझे थमाते हुए कहा, “अब आप ही धोओगे इन सब कपड़ों को।”

सुबह सुबह ना चाय ना पानी ऊपर से बिल्ली के सुसू पोटी के कपड़े भी धोने पड़े बेचारे शर्मा जी को, सर्दी का मौसम, ठंडा ठंडा पानी, कपड़े धोने के साथ साथ शर्मा जी नहा भी लिए और जल्दी जल्दी तैयार होकर कार्यालय के लिए निकल गए। सर्दी ज्यादा थी उस दिन तो शर्मा जी ने कोट भी पहन लिया, वैसे तो शर्मा जी का कोट खूंटी पट ही टंगा रहता था।

मेट्रो में भीड़ बहुत थी, अपने दोनों हाथ ऊपर करके शर्मा जी मेट्रो का डंडा पकड़े खड़े थे मेट्रो अपनी गति में थी तभी एक लड़की ने शर्मा जी को जोरदार थप्पड़ जड़ दिया और कहा, “शर्म नहीं आती बेटी समान लड़की को छेड्ते हो।”

अचानक आई ऐसी परिस्थिति से शर्मा जी तो हक्के बक्के रह गए और बोले, “बेटी तुझे गलत फहमी हो गयी है, मैंने नहीं छेड़ा, ये देखो मैंने तो दोनों हाथों से मेट्रो का डंडा पकड़ रखा है।”

तब तक कुछ लोग भी आ गए और शर्मा जी को पकड़ लिया, कोई बोला, “मारो साले को, सब को बदनाम करता है, ऐसे लोगों को सबक सिखाना ही पड़ेगा, दूसरा बोला यार देखने में तो बड़ा शरीफ लगता है आज इसकी शराफत का नकाब उतार ही देते हैं।” वे लोग शर्मा जी को पीटने ही वाले थे कि तभी एक आदमी ने कहा, “रुको! भाई ये बंदा सही बोल रहा है, इस लड़की को वास्तव में गलत फहमी हो गयी है यह देखो सबूत” और उस व्यक्ति ने शर्मा जी के कोट की तरफ इशारा किया........

एक चुहिया शर्मा जी के कोट की जेब से झांक रही थी........

उस लड़की ने भी यह दृश्य देखा, “देखो शर्मा जी के दोनों हाथ ऊपर थे फिर वह कैसे छेड़ सकते हैं, आपको जो छेड़ा है इस चुहिया ने छेड़ा है,” शर्मा जी ने भी जब देखा कि चुहिया कोट की जेब में है तो शर्मा जी ने तुरंत ही श्रीमतीजी को फोन किया, “अरे! वो चुहिया मिल गयी, अब तुम निश्चिंत हो जाना। चुहिया तो मेरे कोट की जेब में मेरे साथ ही आ गयी।” अगले स्टेशन पर शर्मा जी ने मेट्रो से बाहर जाकर चुहिया को कोट की जेब से निकाल कर छोड़ दिया।