Ek Nayi Subah books and stories free download online pdf in Hindi

एक नई सुबह

टू राकेश चैधरी , सी बलाक्स काटेज़ , टोरेंटो कनाडा ।‘

भारतीय डाक से आये पत्र के लिफाफे पर अपरिचित सी राइटिंग देखकर वह हैरान हो गया । साफ पता चल रहा था कि किसी बच्चे की राइटिंग है । ‘ पर , इंडिया में तो वह किसी बच्चे को नहीं जानता ! उसे कौन चिटठी लिख सकता है ?‘

। मन में उभरे प्रश्नों का उत्तर जानने के लिये वह तेजी से लिफाफा फाड़ने लगा । लिफाफे के भीतर से एक छोटा सा ग्रीटिंग कार्ड और एक पत्र निकला । पत्र को एक ओर रखकर वह ग्रीटिंग कार्ड खोल कर पढ़ने लगा । ‘डियर पापा , विश यू हैपी रिटर्नस आफ द डे । मे गाड मेक योर लाइफ हैपी एंड परास्पियर्स । फ्राम योर लविंग सन सैंडी ।‘

उसे याद आया कि आज तो 30 सितंबर है । आज के दिन ही वह पैदा हुआ था । ‘ कमबख़्त , इस तलाक के केस के कारण कुछ याद नहीं रहता । पर , यह सैंडी , सैंडी कौन है ? जो मुझे पापा कह रहा है । मेरी तो कोई औलाद नहीं है । इसे मेरे बर्थ डे के बारे में कैसे पता है ? आखिर यह है कौन ? ‘

उसने बैड पर पड़े पत्र को खोलकर देखा । पत्र की लिखावट उसकी पहली पत्नी गगनदीप कौर की थी । पत्र खोलकर वह पढ़ने लगा - ‘प्रिय राकेश , । सत श्री अकाल । आपको आपका जन्मदिन मुबारक हो । वाहे गुरु आपको और तरक्की दे । आज पूरे सात साल बाद तुम्हें पत्र लिख रही हूं । कल गुरशरण पा जी मिले थे । उन्होंने तुम्हारा नया पता दिया । कह रहे थे कि तुमने वहां मैरी बिरेंडा नाम की किसी अमेरिकन लड़की से शादी कर ली है । आपको आपकी नई शादी के लिये मुबारकबाद । सच मानो , मुझे तनिक भी दुख नहीं है । शायद, मैं आपके लायक नहीं थी । मेरे भाग्य में आपका प्यार नहीं लिखा था । आपके जाने के बाद संदीप पैदा हुआ । मैंने आपको कई पत्र लिखे लेकिन , एड्रेस गलत होने के कारण सब के सब वापिस आ गये । खैर, कोई बात नहीं । आपका बेटा संदीप अब बड़ा हो गया है । अक्सर पूछता है ममा, डैड हमारे साथ क्यों नहीं रहते ? लेकिन , विश्वास मानों , मैनें उसे कभी नहीं बताया कि आप हमें छोड़कर सदा के लिये चले गये हो । जब वह बेहद परेशान करता है तो कह देती हूं कि तुम्हारे पापा कम्पनी की ओर से फौरेन गये हैं । जल्दी ही वापिस आ जायेंगे । बच्चा है न , धीरे - धीरे समझेगा । आपका बेटा बिल्कुल आप पर गया है । वही गोरा रंग । वही छोटी - छोटी आंखें । वही नुकीली नाक । हंसता है तो गालों पर डिंपल पड़ जाते हैं बयहीं मेरे पास बैठा है । पत्र लिखने की जिदद कर रहा है । क्या करुं , मना नहीं कर सकती । अपने फ्ररैंढस को उनके पापा के साथ देखकर उदास हो जाता है । पत्र उसे दे रही हूं । अनुरोध है , आप उसकी मासूम बातों को सीरियसली नहीं लेंगे ।‘

राकेश की आंखों में आंसू आ गये । आंसू की एक बूंद पत्र पर गिर कर इंद्रधनुष बनाने लगी । पुरानी यादें ताजा़ हो आईं । उसे याद आया कि गगन से उसकी शादी कितने धूम धाम- से हुई थी । गगन के मां - बाप इस शादी से कितने खुश थे । उन्हें सब से ज़्यादा इस बात की खुशी थी कि उनकी बेटी गगन की शादी एक ‘ एन आर आई‘ से हुई है । सारी बिरादारी में उनकी नाक उॅंची हो गयी थी । गगन भी खुश थी । उसे पढ़ालिखा स्मार्ट दूल्हा मिला था । अब वह अपने पति के साथ विदेश जायेगी । लेकिन , कुछ दिनों बाद , कागजा़द बनवाकर अपने पास बुलवा लेने का झांसा देकर वह गगन को रोता - बिलखता छोड़कर , यहां कैनेडा चला आया । कितना मक्कार व स्वार्थी है वह। यहां आकर उसने अपने पड़ोसी मिस्टर बिरांडा की बेटी मैरी बिरांडा से शादी कर ली । लेकिन , एक महीने में ही उसे पता चल गया कि उसकी पत्नी एक चालबाज़ औरत है । उसके कई मर्दों के साथ नजा़यज़ संबंध हैं । उसने केवल उसके ट्रांसपोर्ट बिज़नेस को हथियाने के लिये ही उससे शादी की है । वह अपने निग्रो ब्वाय फ्रेंड डेविड के साथ मिलकर उसका मर्डर करवाना चाहती है । और फिर , एक रात उसने मेरी बिरंडा के त्किये के नीचे लोडिड रिवाल्वर देखी । वह सन्नाटे में आ गया । उसने अगले दिन कोर्ट में तलाक के लिये एप्लीकेशन दे दी । मैरी उसे तलाक नहीं देना चाहती थी । पता नहीं क्यों कोर्ट उसकी अपेक्षा मैरी की दलीलों को ज़्यादा महत्त्व दे रहा था । आज पूरे सात साल हो गये केस चलते । उसने आंखें बंद कर लीं । वकील कह रहा था कि अगली पेशी में वह आजा़द हो जायेगा । ‘

वह आगे पढ़ने लगा -‘ पापा, सत श्री अकाल । पापा आई लव यू ।‘

‘आई लव यू टू सन । सब्र का पैमाना आंखों से छलक पड़ा ।‘

‘ पापा, इस बार स्कूल में बैस्ट आल राउंड स्टूडेंट सिलेक्ट हुआ हूं । प्रिंसिपल मैम कह रही थी कि इस बार अपने पापा को जरुर लाना । ‘ पापा, आप आओगे न ! पापा ,आई डोंट वांट टू सी यू मोर इन पिक्चर्स । प्लीज़ पापा ए कम सून । पापा आपको आपके बर्थ डे पर ग्रीटिंग भेज रहा हूं । काइंडली पापा जरुर आना । आई मिस यू बैडली पापा । आपका बेटा । संदीप सिंह ।‘

,यस बेटा, मैं जरुर आउॅंगा । सदा के लिये मेरे बेटे । सदा के लिये । फिर कभी तुझे अपनी छाती से अलग नहीं करुंगा । वह फूट - फूट कर बच्चों की तरह रोने लगा । ‘

सुबह हो रही थी । सामने रोशनदान से आती हुई सूरज की किरणे कमरे के प्रत्येक भाग को आलोकित करने लगीं ।

डा. नरेंद्र शुक्ल