Insaan ya rishto ki ahmiyat books and stories free download online pdf in Hindi

इसांन या रिश्तों की अहमियत ?

हम रोज़ की तरह एक दिन शाम को अपनी डायरी लिख रहे थे कि हमें एक मेसैज आया। वह किसी अनजान लड़के का था उसे देख हम सोचने लगे कि " क्या हमें इसका जबाव देना चाहिए? सही होगा ?क्या वो लड़का ठीक होगा?अपने अन्दर चलते द्वंद को शांत कर हमने उसका जबाव दिया।
कुछ ही पलो में दुसरा मेसैज आ गया कि "कहा से हो आप" हमने जबाव देते हुए कहा कि "हम दिल्ली से है" और ऐसे बातों का सिलसिला चल पडा़। हमें उन से बातें करना पसंद था और शायद उन्हें भी।
लेकिन एक दिन हमें अचानक मेसैज आता है और वो उन्हीं का था वो एकाएक कहते है कि " मैं तुमसे प्यार करता हूँ। क्या तुम भी करती हो ?" उनका यह मेसैज देख हम कशमकश में पड़ गये हमें उनसे बात करना पसंद था लेकिन हम आकर्षित नहीं थें।हम उन्हें दोस्त से ज्यादा कुछ नहीं मानते थे ,पर उनसे हम प्यार नहीं करते थे।
हमने उन्हें जबाव देते हुए कहा कि "हम आपसे प्यार नहीं करते भला कोई एक महीने में किसी से मोहब्बत कैसे कर सकते है बिना उसे पूरी तरह जाने कैसे कोई प्यार कर सकते हैं " यह जबाव देखते हुए उनके मेसैजो की मानों बाढ़-सी आ गई । हमने उन्हें जबाव देते हुए कहा कि "जिसे हम प्यार नहीं करते उनके साथ ज़बरदस्ती किसी रिश्ते में क्यों आए,आपको उम्मीद देकर आपको तकलीफ नहीं देना चाहते इससे बेहतर यह होगा कि हम आपको साफ-साफ बोल दें कि हम आपसे प्यार नहीं करतें।
पर वो यह मानने को तैयार ही ना थे। न चाहते हुए हमनें उन्हें कडे़ शब्दों में कहा कि " हम आपसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करतें आप उन लोगों में से हैं जिनके पास जो हैं आपको हमेशा उस से ज्यादा की इच्छा हैं, आपके लिए इतना काफी नहीं है की वो इसांन आपके साथ है बल्कि आप उन्हें सिर्फ अपने लिये ज़बरदस्ती के रिश्तों में बांधना चाहते है"। आपके लिए इसांनों से ज्यादा़ रिश्तों की अहमियत है । और "हमें रिश्तों से ज्यादा इसांनो की"। जो है उसकी अहमियत कीजिये बजाय ज़बरदस्ती के रिश्ते बनाने कि वरना जो आपके पास है वह भी खो देंगें।
वह फिर भी वही कहें जा रहे थें। हमने हर तरीके से उन्हें समझने की पूरी कोशिश की लेकिन हम सिर्फ उनके दबाव में आकर उन्हें हाँ कह दे, ये बात तो ठीक नहीं हम तो उन्हें जानती भी नहीं सही से तो कैसे बोल दें, उन्हें हाँ ? अब हमने उनके मेसैजो का जबाव देना बंद कर दिया था ! क्योंकि हमें समझ आ गया था कि उन्हें इसांनों से ज्यादा ज़बरदस्ती के रिश्ते बनाकर लोगों को बांधना पसंद है, उनके लिये दिखावा सबकुछ है़ क्योकिं वो दिखाना चाहते हैं लोगों की जो वो चाहते है उन्हें चाहिए भले ही साथ वाला इंसान उनके साथ दिल से है या नहीं उसे उन्हें कोई फर्क नही पड़ता उन्हें बस उस इसांन के साथ ज़बरदस्ती का रिश्ता चाहिए ।
" हमें रिश्तो से ज्यादा इसांनो की अहमियत करनी चाहिए आपको क्या लगता है"।