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चॉकलेट

चॉकलेट की मांग पूरी न होने पर नन्हें गोपू को बड़ा गुस्सा आता और वह अपना पेट फुलाकर गर्दन झटककर कहता-देखना एक दिन चुपके से जंगल में चला जाऊंगा.

उसकी बात सुनकर लीना दीदी पूछती, ‘‘ अच्छा गोपू भाई तुम जंगल में क्यों जाओगे?’’

तब गोपू थोड़ा और अकड़कर कहता, ‘‘ मैं शेर और हाथियों के साथ रहूंगा.’’

गोपू की प्यारी बाते सुनकर सभी को हंसी आ जाती थी. सब हंसते थे लेकिन गोपू से छिपकर. वरना गोपू का गुस्सा बड़ा खतरनाक था.

पापा के लाडले गोपू को मिक्स चाकलेट से बेहद प्यार था. चॉकलेट न मिलने पर उसे कई तरह की बीमारियां सताने लगती थी. और वह चिल्लाने लगता था, ‘‘ हाय पापा पेट में दर्द. चॉकलेट लाओ. हाय दीदी, सवाल गलत हो रहे है, चॉकलेट लाओ. हाय मम्मी, नींद नहीं आ रही है, चॉकलेट लाओ.’’

पिछले दो-दीन दिनों से जले-भुने बैठे थे गोपू भाई. बार-बार सबसे यही कहते जा रहे थे, ‘‘ देखना अब मैं जंगल में चला जाऊंगा.’’ इस क्रोध का कारण था अचानक चॉकलेटों का बंद किया जाना. एक दिन गोपू के पेट में दर्द हुआ और वह खूब रोया. तब पापा ने डॉक्टर को बुलवाया. काला बूढ़ा गंजा डॉक्टर जिसके सारे दांत टूट चुके थे. बेचारा चॉकलेट नहीं खा सकता था. शायद गोपू की जेब में चॉकलेट देखकर ललचा था. तभी जाते वक्त पापा से कह गया था, ‘‘ गोपू को चॉकलेट देना बिल्कुल बंद कीजिए.’’

और पापा ने ऐसा ही किया था. बस तभी से गोपू के मन ही मन फैसला कर लिया था कि वह सचमुच जंगल चला जाएगा.

दस बजे जब पापा ऑफिस चले गए तो किसी को कुछ बताए बिना गोपू पिछले गेट से बाहर निकलकर जंगल की ओर चल पड़ा.

वैसे तो गोपू बहादुर था लेकिन न जाने क्यों थोड़ा डर लगने लगा. चारों तरफ-लंबे-लंबे पेड़ व घनी झाड़ियां थी. उसका दिल जरा तेजी से धड़कने लगा था और वह हर कदम आगे या पीछे चलने से पहले एक बार चारों ओर देख लेता था.

तभी अचानक झाड़िया हिली और एक बिल्ली का बच्चा गोपू के आगे रास्ता रोक कर खड़ा हो गया. उसे रास्ता रोकते देख गोपू ने पूछा, ‘‘ क्या चाहते हो? तुम कौन हो?’’

बिल्ली का बच्चा आंखे मटकाते हुए बोला, ‘‘ मैं शेर हूं, क्या तुम इतना भी नहीं पहचानते? तुम्हारे पास ज़रूर चॉकलेट है चलो आधे-आधे बांट लेते है.’’

गोपू बोला, ‘‘ अरे नन्हें शेर भाई, पहली बात तो तुम शेर नहीं हो. दूसरी बात मेरे पास एक भी चॉलकेट नहीं है.’’

शेर न माने जाने पर बिल्ली के बच्चे को क्रोध आ गया. वह तीन बार जोर से चिल्लाया- ‘म्याऊं, म्याऊं, म्याऊं.’’ फिर गोपू से बोला, ‘‘ तुमसे चॉकलेट की खुशबू आ रही है. लगता है तुम ही चॉकलेट के बने हो, मैं तुम्हें चाटूंगा.’’

अपने को चाटे जाने की बात सुनकर गोपू के होश हवा हो गए. उसने भागने का प्रयत्न किया, किंतु तभी झाड़ियों से छिपे बिल्लियों के दस -बारह बच्चे उस पर टूट पड़े और उसे गिराकर चटकारे लगा-लगा कर चाटने लगे. बेचारा गोपू जोर-जोर से चिल्लाने लगा.

तभी एक आवाज गूंजी ‘‘ ठहरो बदमाशो!’’

तब बिल्ली के बच्चे यह कहते हुए भाग खड़े हुए कि हाथी चाचा आ रहे है. गोपू खड़ा होकर हाथी चाचा की ओर देखने लगा. हाथी चाचा को देखकर उसे बड़ा आश्चर्य हुआ. वह सोचने लगा -यह कैसा हाथी है? इसके न तो सुंड है और न ही फैले हुए कान. पूंछ भी है बालोंदार. किताबों में तो ऐसे जानवर को गीदड़ कहते है.

गीदड़ गोपू के समाने आकर गुर्राया, ‘‘ कौन हो तुम?’’

गोपू ने सहमकर उत्तर दिया, ‘‘ मैं एक लड़का हूं.’’

तब गीदड़ ने उसके चारों ओर चक्कर लगाया और दोबारा गुर्राकर पूछा, ‘‘ न मूंछ, न पूंछ कैसा लड़का? किसका लड़का?’’

गोपू चुप रहा.

‘‘ चॉकलेट कहां है? बड़ी खुशबू आ रही है.’’ कहकर जवाब की प्रतीक्षा किए बिना ही गीदड़ गोपू की तलाशी लेने लगा. साथ ही उसे चाटने भी लगा. गीदड़ के मुंह से ऐसी दुर्गंध आ रही थी कि गोपू नाक बंद करके रोने लगा. गीदड़ ने उसे सिर से पैर तक चाट डाला, और काफी देर बाद यह कहकर छोड़ा कि थोड़ी देर बाद आकर फिर चाटूंगा.

उसे काफी देर से परेशान होते देख एक पक्षी उसके सामने आकर बोला, ‘‘ नन्हे दोस्त, क्या तुम्हारी कुछ सहायता करूं?’’

गोपू ने हड़बड़ाकर चिड़िया की ओर देखा. फिर पूछा, ‘‘ तुम कौन हो? अपने को शुतुरमुर्ग तो नहीं समझते?’’

यह सुनकर पक्षी शरमा गया. हंसते हुए बोला, ‘‘ नहीं नन्हे दोस्त. मैं शुतुरमुर्ग नहीं मोर हूं.’’

गोपू ने मुस्कुराकर कहा, ‘‘ इस जंगल में सभी चीजे अजीब है. खैर तुम मुझे मेरे घर का रास्ता बता हो उसके बदले में मैं तुमको ढेर सारी चॉकलेट दूंगा.’’

‘‘तुम्हारी चॉकलेट तुम्ही को मुबारक. एक बात कहूं नन्हे दोस्त? अति हर चीज़ की बुरी होती है.चॉकलेट खाने से तुम्हें और भी बहुत से सूक्ष्म जीवों ने चाटा होगा,जिनसे तुम अन्जान हो.मगर कभी सोचना जरूर.’’ यह कहकर वह समझदार पक्षी उड़ गया.

और गोपू उसकी बात को समझने की कोशिश करते हुए घर की तरफ लौट चला.