Risky Love - 29 books and stories free download online pdf in Hindi

रिस्की लव - 29



(29)

माइकल ने मानवी और निर्भय को मुंबई ले जाने की सारी तैयारी कर ली थी। वह दोनों को एक यॉट में गोवा से मुंबई ले जाने वाला था। इस समय वह और उसके साथी दोनों को यॉट तक ले जाने की तैयारी कर रहे थे।
इंस्पेक्टर कौशल सावंत अपनी टीम के साथ गैराज के पास था। उसकी टीम में उसके अलावा सब इंस्पेक्टर रोवॉन और दो कांस्टेबल थे। वह कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था जिससे अगवा किए गए लोगों पर कोई खतरा हो। उसे पूरा यकीन था कि वह दोनों इसी गैराज में हैं। वह और उसके साथी सही मौके की तलाश में थे जब गैराज में अचानक धावा बोल सकें।
सब इंस्पेक्टर रोवॉन सावधानी से गैराज की तरफ आया। उसने देखा कि अगवा किए गए लोगों को किसी गाड़ी में बैठाया जा रहा है। वह समझ गया कि अब एक्शन का समय हो गया है। अब देर करने से उन दोनों की जान को खतरा हो सकता है। उसने फौरन इंस्पेक्टर कौशल सावंत को सूचना दी। इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने अपनी टीम के साथ गैराज पर धावा बोल दिया। उन्होंने ताबड़तोड़ गोलियां चलाईंं। माइकल के तीन साथियों में से दो मारे गए। बचा हुआ साथी डर गया।
माइकल एक खराब कार के पीछे छिपा था। इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने दोनों कांस्टेबल से कहा कि वह उस गाड़ी की तरफ बढ़ें जिसमें मानवी और निर्भय थे। दोनों सावधानी से गाड़ी की तरफ बढ़ने लगे। खराब कार के पीछे छिपे माइकल ने गोली मारकर एक कांस्टेबल को घायल कर दिया। वह भागकर आया और गाड़ी में घुस गया। उसने धमकाते हुए कहा,
"हमें इस गाड़ी के साथ जाने दो। नहीं तो इन दोनों की जान बेवजह चली जाएगी।"
माइकल ने अपने बचे हुए साथी से कहा कि वह जाकर ड्राइविंग सीट पर बैठ जाए। जब वह कहे तो गाड़ी को लेकर वहाँ से निकल ले।
इंस्पेक्टर कौशल सावंत जानता था कि इस समय माइकल का पलड़ा भारी है। वह उन दोनों के साथ कुछ भी करने की स्थिति में है। वह उनकी जान को कोई खतरा नहीं होने देना चाहता था। पर अपने हथियार भी नहीं डाल सकता था। उसने कहा,
"चुपचाप आत्मसमर्पण कर दो। यहाँ से निकल भी गए तो बच नहीं पाओगे।"
मानवी और निर्भय पुलिस के आने से खुश थे। पर माइकल के गाड़ी में घुस आने से डर गए। दोनों भगवान से अपनी जान की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहे थे। माइकल ने फिर से धमकी दी,
"हमें छोड़ो। इन दोनों की सोचो। अगर तुम नहीं माने तो इनका जीवन खतरे में पड़ जाएगा।"
इंस्पेक्टर कौशल सावंत समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे। उसने अपने आसपास देखा। उसके दो कांस्टेबल थे जिनमें से एक घायल था। पर सब इंस्पेक्टर रोवॉन उसे दिखाई नहीं दिया। वह परेशान हो गया।
इन सबके बीच इंस्पेक्टर रोवॉन धीरे धीरे ज़मीन पर रेंगता हुआ उस गाड़ी के पिछले हिस्से की तरफ पहुँच गया जिसमें माइकल घुसा था। वह रेंगता हुआ गाड़ी के नीचे गया। फिर वह बाहर निकल कर उस दरवाज़े पर आया जिससे माइकल गाड़ी में घुसा था।‌ बाहर निकल कर वह सावधानी से खड़ा ‌हुआ और फुर्ती से दरवाज़ा खोल दिया।
माइकल इंस्पेक्टर कौशल सावंत को धमकी देने में व्यस्त था। वह असावधान था। सब इंस्पेक्टर रोवॉन ने उस पर गोली चला दी। गोली उसके सर पर लगी और वह ढेर हो गया। माइकल के मारे जाने से उसका साथी घबरा गया। वह गाड़ी से कूद कर भागने लगा। इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने उसकी टांग पर गोली मारी। वह गिर पड़ा।
सब इंस्पेक्टर रोवॉन ने मानवी और निर्भय को गाड़ी से बाहर निकाल लिया। मानवी और निर्भय को पुलिस स्टेशन में लाकर उनसे पूछताछ की गई।

विनोद अपनी नज़र इस केस पर बनाए हुए था। उसे खबर मिली कि डिसूज़ा विला से अगवा किए गए लोगों को छुड़ा लिया गया। वह फौरन पुलिस स्टेशन पहुँचा। वहाँ से जो भी जानकारी मिली सब नफीस को बता दी। नफीस को यकीन था कि जेनिफर ही मानवी है। उसका यह यकीन और पक्का हो गया जब मीडिया में डिसूज़ा विला से अगवा लोगों की तस्वीर छपी।
मानवी और निर्भय ने अपने बयान में कहा कि उन्हें नहीं पता कि उनका अपहरण किसने और क्यों किया था। उनका सोचना था कि यदि वो दोनों अंजन का नाम लेंगे तो उस पर हुए हमले की बात खुल जाएगी। इसलिए उन्होंने सोच समझकर यह बयान दिया था।
नफीस को उनका यह बयान अजीब लग रहा था। यह यकीन करना उसके लिए कठिन था कि उन दोनों को इस बात का अंदेशा ना हुआ हो कि उन्हें अगवा करने वाला अंजन है। वह समझ गया कि दोनों अपने को बचाने के लिए ऐसा कह रहे हैं। उसने विनोद से कहा कि वह कोशिश करे कि कुछ और दिन गोवा में रहकर उन पर नज़र रखे।

अंजन को जब पता चला कि गोवा पुलिस ने मानवी और निर्भय को माइकल की गैराज से छुड़ा लिया तो उसे अपने ऊपर खतरा महसूस होने लगा। अपने आप को बचाने के लिए वह फौरन लंदन के लिए निकल गया। लंदन पहुँच कर वह अपने दोस्त ‌सागर के पास भी नहीं रुका। लंदन में उसका एक फ्लैट था। यहाँ वह बहुत ठहरता था। वह उसी फ्लैट में रहने लगा।
सागर उससे वहीं मिलने आया हुआ था। अंजन बहुत परेशान था। उसने कहा,
"ना जाने क्या हो गया है ? इस समय कुछ भी सही नहीं चल रहा है। मानवी और निर्भय हाथ आकर निकल गए। उनसे बदला नहीं ले पाया। ऊपर से पुलिस का डर हो गया। वो दोनों पुलिस को मेरे बारे में बताएंगे।"
सागर ने उसे समझाया,
"अंजन....अब तुम बहुत जल्दी परेशान होने लगे हो। इसलिए पूरी बात जाने बिना यहाँ भाग आए। उन दोनों ने पुलिस को अपने अपहरण करने वाले के बारे में कुछ नहीं बताया है।"
"तुम्हें कैसे मालूम ?"
"मैं यहाँ बैठकर भी मैं उस केस पर नज़र रखे हूँ। गोवा की लोकल मीडिया ने इस केस को कवर किया है। उसके हिसाब से उन दोनों ने कहा है कि उन्हें नहीं पता कि किसने और क्यों उनका अपहरण किया।"
यह सुनकर अंजन को आश्चर्य हुआ। उसे लगा था कि मानवी और निर्भय समझ गए होंगे कि यह उसका काम है। वह बोला,
"इसका मतलब उन्हें पता ही नहीं चला कि उन्हें अगवा करवाने में मेरा हाथ था।"
सागर ने उसकी तरफ देखकर कहा,
"अपने ऊपर हुए हमले के बाद तुम पहले जैसे नहीं रहे हो। उन्हें पता था कि यह काम तुम्हारा है। पर वो दोनों भी नहीं चाहते थे कि बात तुम तक पहुँचे और तुम पर हुए हमले की बात खुले। क्योंकी फिर उनके गिरेबान भी पुलिस के हाथ में होते।"
सागर की बात सही थी। अंजन को भी लग रहा था कि वह ना जाने क्यों इतना अधिक घबरा गया। बिना अधिक सोचे भागकर यहाँ आ गया। सागर ने उससे कहा,
"पर एक तरह से तुमने ठीक ही किया कि यहाँ आ गए। क्योंकी इंस्पेक्टर कौशल सावंत अपनी तरफ से जांच करेगा। मैंने उसका ट्रैक रिकॉर्ड पता किया है। वह जिस केस में घुसता है उसे पूरा सॉल्व करने के बाद ही क्लोज़ करता है।"
सागर की बात सुनकर अंजन को तसल्ली हुई। सागर ने कहा,
"लेकिन अब तुम बहुत जल्दी घबरा जाते हो। मैंने पहले भी तुम्हें मुश्किल स्थितियों में देखा है। पर कभी तुमने इस तरह से परेशान होकर काम नहीं किया।"
अंजन को भी अपनी गलती का एहसास हो रहा था। सचमुच उसने कई कठिनाइयां झेली थीं। पर कभी भी अपने आपको तनाव में नहीं आने दिया था। इधर वह बहुत जल्दी तनाव में आ जाता था। अपनी गलती मानते हुए वह बोला,
"तुम ठीक कह रहे हो सागर। जबसे मुझे पता चला है कि मुझ पर हमला मानवी और उसके प्रेमी ने करना है मैं तनाव में रहने लगा हूँ। इससे पहले भी मैं बिना सोचे समझे सीधा लंदन आ गया था।‌ पर मैं क्या करूँ। जिन्होंने मेरा सब कुछ छीनने की कोशिश की है उनसे बदला लेने के लिए मैं मन ही मन छटपटा रहा हूँ। मैं उन सपोलों के फन कुचल देना चाहता हूँ।"
सागर ने उसे समझाते हुए कहा,
"तुमने अब तक अपने सारे दुश्मनों को सज़ा दी है। इस बार भी दोगे। बस जल्दबाज़ी में कोई गलती मत करना जो इस बार की।"
"इस बार भी मैंने सब पूरे प्लान के साथ किया था। कोई गलती नहीं की मैंने।"
"तुमने गलती की है अंजन।"
अंजन समझ नहीं पा रहा था कि सागर का इशारा किस तरफ है। उसने पूँछा,
"तुम ही बताओ मैंने क्या गलती की ?"
"जब तुम्हारे दुश्मन गिरफ्त में आ गए थे तो तुम्हें चाहिए था कि खुद गोवा जाकर उनसे बदला लेते। उन्हें मुंबई बुलाने का रिस्क क्यों लिया।"
अंजन कुछ देर सोचकर बोला,
"मुझे लगा था कि मुंबई बुलाकर उनसे मनचाहे तरीके से हिसाब चुका सकता हूँ। गलती मेरी नहीं थी। उस बेवकूफ माइकल की थी। मैंने अपने दोस्त समर की वजह से उस पर भरोसा किया था। पर उसने सब गड़बड़ कर दी।"
"पर अब तुम बहुत सोच समझकर काम लेना। इस बार मौका मत गंवाना।"
"क्या दोबारा मौका मिलेगा ?"
"बिल्कुल.... मैंने अपना आदमी मानवी और निर्भय पर नज़र रखने के लिए लगा दिया है। वह उनकी हर गतिविधि की सूचना देता रहेगा।"
अंजन ने उठकर सागर को गले लगाकर कहा,
"तुम मेरे लिए बहुत कुछ कर रहे हो।"
"क्योंकि मैं अपने ऊपर किए गए एहसान कभी नहीं भूलता हूँ।"

सागर उससे एहतियात बरतने को कहकर चला गया। अंजन उसकी और अपनी दोस्ती की शुरुआत के बारे में सोचने लगा।