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रिस्की लव - 28



(28)

पुलिस को आश्चर्य था क्योंकी डिसूज़ा विला में गेट पर एक सिक्योरिटी गार्ड के अलावा कोई और सिक्योरिटी नहीं थी। कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था जिसकी फुटेज के आधार पर किसी की पहचान की जा सकती।
हमसे में घायल सिक्योरिटी गार्ड ने बताया कि कोई आठ लोग अचानक दो जीपों में भरकर आए। उनके पास हथियार थे। सबने चेहरे ढके हुए थे। उनमें से एक ने उसे गन प्वाइंट पर धमका कर गेट खुलवा लिया। फिर किसी चीज़ से उसके सर के पिछले हिस्से पर हमला किया। वह बेहोश हो गया।
सिक्योरिटी गार्ड ने बताया कि विला में मार्वल डिसूज़ा की विधवा जेनिफर और उसका एक साथी निर्भय ‌रह रहे थे। हमला करने वालों ने उन्हीं का अपहरण किया था।
विनोद ने भी अपने बयान में आठ लोगों के होने की बात कही थी। उसने बताया कि सभी ने नकाब से अपने चेहरे ढक रखे थे। वह अचानक हुए इस हमले से घबरा गया। उसने फौरन पुलिस को फोन किया।‌
इस केस को देख रहे इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने विनोद से पूँछा कि हमले के समय वह वहाँ क्या कर रहा था। विनोद ने उसे बताया कि वह एक टूरिस्ट है। टहलते हुए उधर चला गया। ठीक उसी समय हमला हुआ। उसने अच्छे नागरिक के तौर पर पुलिस को इसकी सूचना दे दी। इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने विनोद द्वारा बताए गए जीप के नंबर की खोज करने का आदेश दे दिया।

विनोद ने सारी बात की जानकारी फोन पर नफीस को दे दी। नफीस ने उससे कहा कि वह अभी कुछ दिन गोवा में रहे और इस केस से संबंधित हर एक जानकारी उसे देता रहे। विनोद ने एक सस्ते से होटल में खुद के रहने की व्यवस्था कर ली।

नफीस अपने घर पर बैठा डिसूज़ा विला में जो हुआ उसे समझने का प्रयास कर रहा था।‌ उसे अंदाज़ा लग गया था कि डिसूज़ा विला में जो लोग थे उनका संबंध ज़रूर अंजन पर बीच हाउस में हुए हमले से है। लेकिन विला में रहने वाले लोगों के जो नाम सामने आए थे वह नए थे। वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर मार्वल डिसूज़ा की विधवा जेनिफर का अंजन से क्या संबंध हो सकता है ? या फिर जैसा वह सोच रहा है यह सब अंजन ने करवाया ही नहीं। यह काम किसी और का है। जिसका मार्वल डिसूज़ा की विधवा जेनिफर से कोई झगड़ा हो।‌
यह बात उसे तसल्ली नहीं दे रही थी। कारण था एंथनी का डिसूज़ा विला जाना। एंथनी के डिसूज़ा विला जाने के कुछ ही घंटों के बाद हमला होना। जिसमें जेनिफर और उसके दोस्त निर्भय का अपहरण हो गया।
निर्भय इस नाम के बारे में जब भी नफीस सोचता था तो उसे लगता था कि जैसे उसने यह नाम पहले कहीं सुना है। वह अपने दिमाग पर ज़ोर डालने लगा। बहुत सोचने पर उसे याद आया। मानवी के अचानक गायब हो जाने की खबर जब शहर में चर्चा का विषय बनी थी तब एक अखबार में उसके साथ एक नाम जोड़ा गया था। वह नाम था निर्भय वाधवा।
यह याद आते ही नफीस का दिमाग तेज़ी से काम करने लगा। वह तारों को जोड़ने की कोशिश करने लगा। उसे यकीन हो गया था कि जेनिफर और कोई नहीं मानवी है। इसका मतलब था कि मानवी अपनी मर्ज़ी से निर्भय के साथ नहीं भागी थी। कुछ हुआ था जिसका बदला लेने के लिए मानवी ने ही अंजन पर हमला करवाया था।‌ अपनी इस बात पर उसे पूरा यकीन था।
मानवी के साथ अंजन ने क्या किया था ? वह मानवी से जेनिफर डिसूज़ा कैसे बनी ? निर्भय ने अंजन पर हमले में उसका साथ क्यों दिया ? यह सारे सवाल अब उसे और अधिक परेशान कर रहे थे। उन सवालों के जवाब तभी मिल सकते थे जब गोवा पुलिस सही समय पर अपहरणकर्ताओं को पकड़ सके। देर होने पर इस बात की पूरी संभावना थी कि अंजन जेनिफर उर्फ मानवी और उसके साथी निर्भय को मार देता।
नफीस ने विनोद को फोन किया। उसे अपने मन में उठी सारी बातें बताईं। उसने विनोद से कहा कि वह इस केस पर पूरी मुस्तैदी से नज़र बनाकर रखे।

इंस्पेक्टर कौशल सावंत को फोन पर खबर मिली कि ‌एक दुकान के सीसीटीवी फुटेज में एक जीप दिखाई पड़ी है। उस पर पूरा नंबर तो दिखाई नहीं पड़ रहा है पर जो नंबर अपरण करने वालों की जीप का दिया गया है उसकी दो डिज़िट सीसीटीवी फुटेज में दिखाई पड़ रही हैं। जीप में केवल एक ड्राइवर था जिसकी शक्ल दिखाई नहीं पड़ रही थी।‌
सूचना मिलने पर इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने खुद वह सीसीटीवी फुटेज देखी। उसने आदेश दिया कि दुकान के आसपास के इलाके में जीप को तलाश करने की कोशिश की जाए।
पुलिस के खबरी ने बताया कि जिस दुकान में सीसीटीवी कैमरा लगा था उसके आगे कुछ ही दूर पर माइकल का गैराज है। माइकल दिखावे के लिए गैराज चलाता है। असलियत में वह अपराध से जुड़ा है। उसने वैसी ही जीप गैराज में देखी है। इस खबर के आधार पर इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने अपना प्लान बनाया।

अंजन को खबर मिली कि मानवी और निर्भय को अगवा कर लिया गया है तो उसने उन्हें मुंबई लेकर आने का आदेश दिया। मानवी और निर्भय के अपहरण का काम अंजन के दोस्त समर ने अपने आदमी माइकल से करवाया था। समर ने माइकल को आदेश दिया कि वह उन दोनों को सही सलामत मुंबई अंजन के पास पहुँचा दे।

मानवी और निर्भय माइकल की गैराज के पिछले हिस्से में कैद थे। वह दोनों एक दूसरे के आमने सामने ही थे। उनके हाथ पैर और मुंह बंधे हुए थे।‌ दोनों चुपचाप बस आसपास की गतिविधियों को देख रहे थे। मानवी को यकीन हो गया था कि अब उसकी ज़िंदगी का बहुत कम वक्त बचा है। उसकी आँखों में आंसू थे। उसने आंसू भरी आँखों से निर्भय की तरफ देखा। निर्भय की निगाहें उससे मिलीं। पर वह मजबूर था। उसे किसी तरह की तसल्ली नहीं दे सकता था।
वैसे यदि वह दे सकता तो भी मानवी को कोई तसल्ली ना दे पाता। उसके मन की हालत भी मानवी की तरह थी। उसे भी यकीन था कि अब वह इस धरती पर कुछ समय का ही मेहमान है। वह अपने और मानवी के जीवन के अंत की बड़ी वीभत्स कल्पनाएं कर रहा था। उनके बारे में सोच सोच कर उसका खून सूख रहा था।
वह पछता रहा था कि समय रहते ही वह सचेत क्यों नहीं हो गया। यह बात तो उसकी समझ में आ गई थी कि पीर मोहम्मद बनकर आया आदमी उन लोगों की टोह लेने ही आया था।‌ जब उसने मानवी से सिंगापुर जाने की बात कही थी तब उसने सुझाव दिया था कि दोनों अभी ही विला छोड़कर किसी होटल में चले जाते हैं। उसके बाद वहीं से सिंगापुर निकल जाएंगे। पर तब निर्भय ने कह दिया कि वो दोनों कल सुबह यहाँ से दिल्ली चले जाएंगे। वहाँ से सिंगापुर निकल जाएंगे।‌
वह मानवी को समझाकर लेटा ही था कि उसके कुछ ही मिनटों में डिसूज़ा विला में कुछ अज्ञात‌ लोग घुस आए।‌ हलचल सुनकर वह और मानवी डर गए।‌ दोनों ही यह सोच रहे थे कि क्या करें तभी कुछ लोग बेडरूम में घुस आए। गन प्वाइंट पर उन दोनों को अगवा कर यहाँ ले आए।
निर्भय ने आंसू बहाती हुई ‌मानवी की तरफ देखा। उसका मन पसीज गया। उसने कोशिश की कि वह सरक कर मानवी के पास तक जा सके। वह कुछ ही आगे खिसका होगा कि वहाँ मौजूद माइकल के आदमी ने ज़ोर से डांटा। निर्भय जहाँ था वहीं रुक गया। उसने मानवी की तरफ देखा। वह डरकर ज़ोर ज़ोर से रो रही थी। उसका भी डर की वजह से बुरा हाल था।

माइकल उस जगह पर आया जहाँ मानवी और निर्भय कैद थे।‌ उसने अपने ‌आदमी से कहा,
"इन दोनों सामानों को पूरी हिफाज़त के साथ मुंबई ले जाना है। इनके पैकिंग की तैयारी करो।"
उसकी बात सुनकर निर्भय डर गया। वह समझ नहीं पा रहा था कि पैकिंग किए जाने का क्या मतलब है। उसके मन में आया कि क्या इनका इरादा उन दोनों को मारकर उनकी लाश मुंबई ले जाना है ? पर अंजन उनकी लाशों का क्या करेगा ? ज़रूर ये लोग उनको किसी चीज़ में बंद करके अंजन के पास ले जाने वाले हैं। उसने एक बार फिर मानवी की तरफ देखा। वह सहमी और डरी हुई थी।

अंजन को बड़ी बेसब्री से मानवी और निर्भय का इंतज़ार था। मानवी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर उसके साथ जो कुछ किया था उसका बदला लेने के लिए वह बुरी तरह तड़प रहा था। साथ ही वह यह जानने के लिए परेशान था कि उसके बीच हाउस में होने की सूचना क्या मीरा ने उन्हें दी थी।
वह अपने अब तक के जीवन के बारे में सोच रहा था।‌ अपनी ज़िंदगी का रास्ता उसने खुद बनाया था। भागकर वह मुंबई जैसी महानगरी में आ गया था। लोग यहाँ सपने लेकर आते हैं। उसने यहाँ आने के बाद सपना देखा था। ऊँचाइयां छूने का सपना। अपनी धाक जमाने का सपना। एक गरीब लड़का जिसका इस बड़े शहर में कोई नहीं था, उसके लिए ऐसा सपना देखना बड़ी हिम्मत की बात थी। पर हिम्मत की उसमें कोई कमी नहीं रही थी। उसी हिम्मत के दम पर उसने अपनी सफलता की तरफ कदम बढ़ाने शुरू कर दिए।
हिम्मत के अलावा एक और चीज़ थी जो उसकी सफलता में सहायक बनी। लोगों को अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करने की क्षमता। उसने अपनी इस क्षमता का भरपूर प्रयोग किया। उसके सारे दांव सही बैठे। उसके चलते ही वह इस ऊँचाई तक पहुँच पाया था।
पर तरुण की गलती आज उस पर भारी पड़ रही थी। अगर उसने मानवी और उसके प्रेमी निर्भय को ठिकाने लगा दिया होता तो यह दिन ना देखना पड़ता।
अब उसने तय कर लिया था कि ‌मानवी और ‌निर्भय पर कोई दया नहीं दिखाएगा।