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जिन्न का बदला - 2

जैसे तैसे कुछ महीने बीते सब अपनी जगह को निकल गए, फिर एक दिन उस्मान अपनी दुकान से घर आ रहा था रात का समय था उसने देखा गाड़ी के बोनट पर एक काली बिल्ली बैठी है उसने गाड़ी रोक दी और बिल्ली को हटाने को उतरा तभी अचानक से बिल्ली न उस पर हमला कर दिया उसकी गर्दन कि नस काट दी... थोड़ी ही देर मे उसकी मौत हो गयी.. ज़ब उस्मान सुबह तक घर नहीं आया तो दादा न नौकर को फ़ोन किया तो पता चला बो तो रात मे ही निकल गए थे.. थोड़ी ही देर मे पुलिस उनके घर पहुंची.. और डॉक्टर न बताया कि किसी जंगली बिल्ली कि वजह से इनकी मौत हुई है... पूरा परिवार फिर ग़मगीन हो गया.. अयान को फ़ोन किया वह फिर वापस आया... इस बार दादा न अयान से रुकने को कहा. क्यों कि अब घर को अयान कि जरूरत थी पापा चाचा भाई सबकी मौत अचानक हो चुकी थी दादा भी अब बूढ़े हो चले थे तो वह सारी जिम्मेदारी अयान को सूपना चाहते थे.. अयान को भी अब वापस जाने के मन नहीं था... कूच दिन बाद दादा गांव हिसाब किताब के लिए गए... और वहां से कुछ दिन बाद अयान को गांव बुलाया. सारी खेती बारी दिखाने और हिसाब किताब समझाने को जिससे मेरे बाद उसे कोई परेशानी न आये... अयान सुबह निकला शाम तक दादा के गांव पहुंच गया... रात हो गयी थी दादा ने कहा अभी आराम करो सुबह खेतो पर चलेंगे और सुबह ही बात करेंगे. दादा अपने कमरे मे चले गए.. और अयान भी कमरे मे ा गया.. अयान कुछ किताबें पढ़ने लगा.. तभी उसने देखा काली बिल्ली उसके कमरे मे बैठी है.. उसने उसे बाहर किया और दरवाजा बंद कर लिया.. जैसे ही कुछ पेज पढ़े. वही बिल्ली फिर से उसी जगह बैठी दिखी... अब उसने सोचा ये अंदर कैसे आयी.. खिड़की खुली थी उसने सोचा सायद खिड़की से आयी होंगी... उसने फिर उसको बाहर किया और खिड़की भी बंद कर ली... थोड़ी देर बाद फिर वही बिल्ली म्याऊ करने लगी.. उसी जगह फिर बैठी थी.. अंदर अयान को थोड़ा डर लगा कि कैसे अंदर आ जाती है बार बार अब तो कमरे मे कोई जगह नहीं है आने कि... वो फिर उसको भगाने के लिए उसके पास गया वह पीछे हटने लगी.. और आकर बढ़ता गया उसका.. वह अयान से भी लम्बी हो गयी और अचानक से.. दादा के रूप मे ा गयी...अयान भागने लगा लेकिन दरबाजा नहीं खुल रहा था... फिर बिल्ली से दादा बने जिन्न ने कहा रुक जाओ मैं तुम्हे कुछ नहीं करूंगा मेरी बात सुनो.... अयान डरा हुआ बैठ गया और दादा भी कुर्सी मे बैठ गए... उसने कहा अब मैं तुम्हे एक कहानी बताता हु... तुम्हारे दादा असलम को जिन्न काबू मे करने के बहुत शोक था.. मैं एक जिन्न हु और मेरे 4 बेटे थे... तुम्हारे दादा न मुझे काबू करने कि बहुत कोसिस कि लेकिन नहीं कर पाए तो वो मेरे छोटे छोटे बच्चो को काबू करने लगे........ इसी खींचतान मे मेरे बच्चे मर गए... तब मैंने सोच लिया कि मैं तुम्हारे दादा से बदला जरूर लूंगा.. और मेने तुम्हारव दादा को तुरंत मार दिया.. और फिर बदला लेने के लिए उनका ही शरीर का इस्तेमाल किया.... और एक एक कर चार लोगो को मार कर बदला लिया... तुम सोच रहे होंगे कि ये बात मैं तुम्हे क्यों बता रहा हु... वो इसलिए कि अगर चार बच्चो के बदला पूरा न होता तो मैं तुमको भी मार देता.. लेकिन मैं बहत अच्छा जिन्न था कभी किसी को बिना वजह तकलीफ नहीं देता था इसलिए मेरा बदला पूरा हुआ मैं तुम्हे नहीं मरूंगा... और अब मैं तुम्हारे दादा के शरीर को छोड़ दूंगा.. लाश सड चुकी होंगी... तुम अब इनका अन्तिम संस्कार कर देना.. और उसने शरीर को छोड़ दिया... लाश बुरी तरह सड़ गयी गयी थी और बहत बदबू ा रही थी... अयान न उसपर कुछ इत्र डाले.. जिससे उसे सुबह दफनाया जा सके...और सुबह दादा को हार्टत्तक आया है बोल कर लाश को डफना दिया....