Chudel - Invitation of Jungle - 13 books and stories free download online pdf in Hindi

चुड़ैल -इनविटेशन ऑफ जंगल - भाग 13

कहानी का भाग 13

चुड़ैल इस वक्त एक गोल घेरा बनाकर और उसके बीच में बेहोश पड़े विष्णु और शंकर को लेटा चुकी थी, इंस्पेक्टर सावंत उसके मोबाइल से वीडियो रिकॉर्डिंग कर रहा था।


चुड़ैल अब दोबारा बड़ी जोर से चिल्लाई थी, और उसने अपने हाथ में एक बड़ा चीरा लगा दिया था, उसका काला खून उसके बदन से बाहर बहने लगा था।


अब उसने गोल घेरे के चारों तरफ उस काले खून को भी गिराना शुरू कर दिया था और उसके ऐसा करते ही एक रोशनी उस घेरे के भीतर से निकलकर चारों तरफ फैल गई थी।


चुड़ैल ,,,""मैं आ रही हूं वापस""" और फिर वह भी उस घेरे के अंदर कूद गई थी।


और देखते ही देखते चुड़ैल विष्णु और शंकर को लेकर अदृश्य होती चली गई थी।



इंस्पेक्टर सावंत और हवलदार बाबूराम यह देखकर आश्चर्य में आ गये थे और यह दोनों भी अब भाग कर उस जगमगाते गोल घेरे के पास आ खड़े हुए थे।



इंस्पेक्टर सावंत आंखों में हैरानी लाते हुए,,'' यह तीनों कहां गायब हो गए इसमें तो कोई भी नहीं है"",,



हवलदार बाबूराम,,' मुझे लगता है वह चुड़ैल इन दोनों लड़कों को लेकर कहीं गायब हो गई है लगता है अपनी किसी गुफा में गई है शायद वही इन्हें आराम से बैठकर खायेगी ,,''


इस्पेक्टर सावंत अब कुछ सोचने लगा था और फिर अगले ही पल उसने हवलदार का हाथ पकड़ा था और एक झटके में उसे ले कर उस चमकते गोल घेरे के अंदर कूद गया था।


हवलदार बाबूराम की तो समझ में कुछ नहीं आया था ,वह ऐसा खतरनाक काम शायद ही करता ,पर अब वह कुछ नहीं कर सकता था।


इन दोनों का शरीर भी अब उस चमकते जमीन पर बने गोल घेरे में अदृश्य होता चला गया था।


वह तिलिस्मी घेरा अब धीरे-धीरे सिकुड़ना शुरु हो चुका था,।


पर इसी वक्त एक तरफ से भाग कर आते बाबा शक्ति और उसके चारों साथी वहां आ पहुंचे थे।


तांत्रिक शक्ति बिल्कुल नहीं रुका था वह सीधा दौड़ते हुए उस तिलिस्मी घेरे में जंप कर गया था और उसके पीछे पीछे उसके चारों साथी भी।


अगले ही पल एक जोरदार धमाका हुआ था और वह तिलिस्मी घेरा गायब हो गया था इसी के साथ यह पांचो भी।



दूसरी तरफ


विष्णु और शंकर जहां किराए पर रहते थे वहां अब मकान मालिक गोपाल राम के परिवार वाले इन दोनों को ना आया देखकर थोड़ा परेशान हो गए थे।


राधा देवी ,,""कल तुमने उन दोनों लड़कों को काफी परेशान कर दिया था काफी भला बुरा बोल दिया था अभी तक वह दोनों लड़के नहीं आए हैं"',,


गोपाल राम,,' मुझे लगता है दोनों लड़के मेरे बिना पैसे दिए भाग गए हैं ,,अब वे वापस नहीं आएंगे ,,मैंने तो पहले ही कहा था दोनों ही शक्ल से धोखेबाज हैं ,,,"''


मेनका ,,"पर पिताजी अगर वे धोखेबाज होते तो अपना सारा सामान भी ले जाते मुझे लगता है उन्हें आज आने में देर हो गई है शायद थोड़ी देर में आ जाए,""


गोपाल राम ,""देख लेना नहीं आएंगे और अगर वह एक-दो दिन में नहीं आए तो सामान निकाल कर मैं बेच दूंगा और किसी दूसरे को कमरे पर किराएदार रख लूँगा""",,,


मेनका अब कुछ नहीं बोली थी और सिर झटक कर अपने कमरे में चली गई थी।


और इधर


उस तिलिस्मी घेरे से निकल कर इस वक्त विष्णु और शंकर एक नदी के किनारे रेत पर लेटे हुए थे पानी उनके पैरों को भिगोकर निकल रहा था ।


एक खूबसूरत सी लड़की इन दोनों से कुछ कदम दूर एक बड़े से पत्थर पर बैठी हुई थी ,उसकी वेशभूषा बिल्कुल किसी वीर योद्धा का एहसास करा रही थी, कमर के दोनों तरफ तलवारे लटकी हुई थी ,पीठ पर बंदा तरकस और गले में लटक रहा धनुष उसे और भी जबरदस्त योद्धा दर्शा रहा था।


विष्णु और शंकर अपने पैरों पर हुए ठंडे पानी का एहसास महशूस करके अब अपनी आंखें खोल रहे थे और उन्हें आकाश में गहरे सफेद बादल उड़ते हुए नजर आने लगे थे।



अगले ही पल दोनों एकदम से उठ बैठे थे और इधर-उधर देखने लगे थे अब इनकी नजर पत्थर पर बैठी हुई बेहद खूबसूरत लड़की पर पड़ रही थी,, जिसके सुनहरे बाल हवा में उड़कर उसके कंधे पर बिखरे हुए थे।



विष्णु और शंकर तेजी से पीछे हट गए थे और अपने आप को संभालते हुए खड़े हो गए थे ,,इन्हें पलभर में जंगल में घटा सारा घटनाक्रम याद आता चला गया था।।



विष्णु, काँपती आवाज में ,,""कौन हो तुम और हम यहां कहां आ गए हैं कौन सी जगह है यह",,


शंकर,," अरे भाई छोड़,, जहां भी आए हैं,, लगता है बच गए हैं ,,मुझे तो लगा था उस चुड़ैल ने हमें मार कर खा लिया होगा,,'',



विष्णु ,,"पर मुझे लगता है हम मर गए हैं हमारी आत्मा यहां खड़ी है शायद यह नरक लोक है"",,,



वह लड़की अब उस पत्थर पर खड़ी हो गई थी ,,'चुप करो तुम दोनों ,,क्या मुझे नहीं पहचान रहे हो मैं कौन हूं, मैं यहां की राजकुमारी हूं"",,



शंकर और विष्णु ने एक दूसरे का हाथ अब कस पकड़ लिया था और फिर अगले ही पल पलटकर एक तरफ को भाग खड़े हुए थे।



वह लड़की चेहरे पर अजीब से भाव ले आती है और फिर चिल्लाते हुए उनके पीछे भाग पड़ी थी,,,''' अरे रुक जाओ ,,मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा रही ,,मेरी बात सुनो,, रुको,,'',



शंकर चिल्लाते हुए ,,""नहीं हम नहीं रुकेंगे हम जानते हैं तुम चुड़ैल हो,, रूप बदलकर हमारे पीछे लग गई हो ,अब हम नहीं रुकेंगे,,"""


शंकर और विष्णु जो पूरी ताकत लगा कर भाग रहे थे,, अब इन्हें एकदम से रुक जाना पड़ा था ,,क्योंकि सामने से चार घोड़े भागते हुए इन दोनों की तरफ से आ रहे थे,, जिनके ऊपर खतरनाक से नजर आने वाले 4 इंसान बैठे हुए थे।



पीछे भाग कर आ रही लड़की की नजर भी अब घुड़सवारों पर पड़ गई थी और फिर अगले ही पल बेहद तेजी से उसके हाथ में तीर कमान आया था और एक के बाद एक चार तीर हवा को चीरते हुवे शंकर और विष्णु के पास से निकल गये थे।


उन चारों घुड़सवार ने अपनी तलवार से तीरो को काट डाला था और इनकी तरफ तेजी से बढ़ते चले गए थे।



शंकर और विष्णु उनके हाथों में चमकती तलवार देकर एक पल तो घबरा गए थे पर फिर अगले ही पल अपनी जान बचाने के लिए वे तेजी से एक तरफ जंप कर गए थे और एक पत्थर की ओट में चले गए थे।


उन घुड़सवारों के तलवार का वार खाली गया था।


उस खूबसूरत लड़की के दोनों हाथों में अब तलवार नजर आने लगी थी, और वे चारों घुड़सवार उसके चारों ओर घूमने लगे थे।


क्रमशः


कौन सा क्षेत्र है यह,, कहां पहुंचे हैं विष्णु और शंकर, जानने के लिए बने रहें इस जबरदस्त हॉरर स्टोरी के साथ।