Chudel - Invitation of Jungle - 14 books and stories free download online pdf in Hindi

चुड़ैल -इनविटेशन ऑफ जंगल - भाग 14

कहानी का भाग -14

विष्णु और शंकर इस वक्त एक चट्टान के पीछे पहुंच गए थे और सामने के उस खतरनाक दृश्य को देखने लगे थे।

विष्णु ,""यह सब क्या हो रहा है शंकर भाई यह हम कहां आ गए हैं",

शंकर ध्यान से तलवार लहरा रही लड़की को देखते हुए ""हम जंगल में जिस चुड़ैल से मिले थे क्या यह वही लड़की है, लग तो नहीं रही है,,'''

विष्णु ,,'अगर हमारे आस पास कोई लड़की है तो फिर वह यही चुड़ैल है""",

शंकर ,,"चुप कर भाई ,,यह क्या तुझे चुड़ैल लग रही है देख रहा है कितनी खूबसूरत है इतनी खूबसूरत लड़की तो शायद हमने कभी देखी होगी,'''

विष्णु ,,"हां यह तो है,, वाकई में बेहद खूबसूरत है पर मुझे यह वह लड़की नहीं लग रही है, जो जंगल में हमें बंजारन के रूप में मिली और फिर उस चुड़ैल के रूप में,, यह तो कोई और ही है,,'''

शंकर,,, मुझे तो यह हमारी दुनिया ही नजर नहीं आ रही है इसका मतलब हम किसी दूसरी दुनिया में आ पहुंचे और यहां हमारे सामने यह लड़की आ पहुंची,,,'''

विष्णु ,,"तो फिर अब हम क्या करें ,,यहां खड़े रहे या फिर यहां से निकले,,"'

शंकर अभी कुछ बोलता ,तभी उस लड़की के चारों तरफ उन चारों योद्धाओं ने एक नीला पदार्थ बिखेर दिया था और उस नीले पदार्थ ने उस बेहद खूबसूरत लड़की को अपने कब्जे में ले लिया था।

विष्णु,,"" यह क्या हो रहा है वह लड़की तो बंधक बन गई है हमें कुछ करना चाहिए,,"",,

शंकर,," पर हम क्या कर सकते हैं उनकी लड़ाई के बीच में हमारा कोई काम नहीं,, अच्छा तो यही है कि हम यहां से भाग निकले ,वरना अब यह हमें ही पकड़ेंगे,""'

विष्णु,," तुम ठीक कह रहे हो भाई ,,चलो इस नदी में जंप कर जाते हैं और तैर कर यहां से निकल जाते हैं ,अभी इन चारों का ध्यान हमारी तरफ नहीं है,,,"""

अब यह दोनों तेजी से नदी में जंप कर गए थे और फिर एक दूसरे का हाथ पकड़कर डुबकी लगा गये थे.।

अब वे चारों योद्धा उस लड़की को उस नीले पारदर्शी धुए में कैद करके अब तेजी से नदी के किनारे आए थे पर अब वहां कोई भी नहीं था।

राजकुमार सिंघम,,,"" अरे वे दोनों कहां गए ,अजीब से दिखने वाले लड़के ,अभी तो यही इस पत्थर के पीछे थे,""

सैनिक अब घोड़े से उतरकर नीचे आया था और जमीन पर कदमों के निशान देखकर ,,"राजकुमार जी लगता है वह दोनों इस नदी में कूद गए है"",,

राजकुमार सिंघम ,,"अगर ऐसा है तो अब तो उनका बचना मुश्किल होगा ,,नदी के जलीय जीव उन्हें खा जाएंगे,""

सैनिक ,,"जी राजकुमार जी ,,आपने ठीक कहा, वैसे मुझे लगता है वे दोनों गुप्तचर होंगे,"''

राजकुमार,," पर उन दोनों को देखकर तो नहीं लगा कि वह गुप्तचर होंगे,, क्योंकि अगर वे गुप्तचर होते तो यकीनन हम से लड़ने की कोशिश करते,,, पर वे जिस तरह यहां से निकल कर भागे मुझे तो हैरानी हो रही है,,"""

अब कुछ सोचते हुए राजकुमार सिंघम वापस उस खूबसूरत लड़की के पास आ पहुंचा था और उसे प्यार से देखने लगा था,

"""कैसी हो राजकुमारी मोहिनी"",,


राजकुमारी मोहिनी अपनी आंखों में क्रोध लाते हुए," यह सब क्या है राजकुमार ,,मैंने कहा अपनी शक्ति को हटा लो,,"""

राजकुमार सिंघम,," अगर तुम मेरे सामने घुटने टेक लो तो मैं तुम्हें मुक्त कर सकता हूं,, पर जब तक तुम्हारी तलवार हमारे खिलाफ लड़ती रहेगी, तब तक ऐसे ही तुम्हें भागना पड़ेगा ,,पर अब तो दिल कर रहा है कि तुम्हें मार डालू,,""'

मोहिनी,," तो फिर देर किस बात की है मार डालो मुझे मरने से डर नहीं लगता सिंघम"",,,

राजकुमार सिंघम, अब आगे बढ़ा था और उसने अपना हाथ बढ़ा कर राजकुमारी को अपने घोड़े पर डाल लिया था,,,

"" तुमसे तो हम महल में चल कर ही बात करेंगे,, पिताजी ने कहा कि तुम्हें जीवित लेकर आऊं ,,अगर उनका आदेश ना होता तो यकीनन मैं तुम्हारे टुकड़े करके इसी नदी में बहा देता"",,,

मोहनी अब कुछ नहीं कर पाई थी और फिर इन सब के घोड़े तेजी से राज महल की तरफ भाग निकले थे।

दूसरी तरफ

इंस्पेक्टर सावंत और हवलदार बाबूराम इस वक्त एक विशाल वृक्ष के नीचे मूर्छित पड़े थे और उनके पास एक साधु बैठा हुआ था उसने अब अपने कमंडल से जल निकालकर कुछ मंत्रों का उच्चारण किया था और इन दोनों के ऊपर छिड़क दिया था।

अब यह दोनों धीरे से अपनी आंखें खोल रहे थे और फिर विशाल पेड़ की डालिया सबसे पहले इनकी आंखों में आई थी ,,

,फिर एकदम से दोनों बेहद तेजी दिखाते हुए खड़े हो गए थे अब इनकी नजर एक तरफ बैठे साधु पर पड़ रही थी जिसकी बड़ी बड़ी आंखें इन्हें ही देख रही थी।


इंस्पेक्टर सावंत अब तेजी से अपनी होल्सटर से अपनी रिवाल्वर निकाल लेता है और उस साधु के ऊपर तान देता है ,,,""कौन हो तुम और यह हम कहां हैं''',,

साधु उसकी बात सुनकर बेहद आराम से ,,"'मेरा नाम महर्षि पवन है और तुम दोनों इस वक्त अहंकारा राज्य में हो,,"",,

हवलदार बाबूराम,," यह क्या कह रहे हो बाबा ,,अहंकारा राज्य नहीं जंगल है ,,और हम तो अहंकारा जंगल के भीतर थे अब पता नहीं यहां कैसे आ गए"",,,


साधु पवन ,,"मैं जानता हूं तुम यहां कैसे आए हो तुम उस चुड़ैल चंद्रिका के पीछे यहां गलती से आ गए हो"",,

इंस्पेक्टर सावंत ,,"हम गलती से नहीं आए बल्कि मैं यहां उस चुड़ैल के पीछे आया हूं क्योंकि वह दो युवकों को लेकर यहां आ गई है ,,और जाने उनके साथ क्या करने वाली है ,,"',,,फिर अपनी रिवाल्वर अपने होलेस्टर में रख लेता है क्योंकि उसे कोई खतरा नजर नहीं आ रहा था।

साधु पवन,,"" तुमने बिल्कुल ठीक कहा वह चुड़ैल चंद्रिका अपने खास उद्देश्य के लिए उन दो युवकों को यहां लेकर आई है ,,और अब यह दोनों युवक उस चंद्रिका का उद्देश्य पूरा करेंगे"",,

,, फिर अपने चेहरे पर बेहद निराशा के भाव ले आए थे ऐसा लग रहा था जैसे किसी गहरी विपदा के आने के भय से चेहरे पर चिंता की लकीरें ले आए हो।

इंस्पेक्टर सामंत,,"" क्या हुआ महात्मा आप एकदम से काफी दुखी हो गए हैं क्या कुछ गड़बड़ हो गई है ,,""

हवलदार बाबूराम,," यह सब छोड़ो इंस्पेक्टर साहब यह पूछे कि वह दोनों युवक कहां है ,,और हम इस वक्त कौन से समय में है ,,हमें यहां से वापस जाने की सोचनी चाहिए,,"""

साधु पवन हल्के से हंसते हुए ,,,""अब तुम दोनों यहां से इतनी आसानी से नहीं जा सकते हो क्योंकि यहां से जाने का मार्ग अब सिर्फ वही चुड़ैल खोल सकती है,, और अब वह ऐसा नहीं करेगी,,,, कभी नहीं करेगी"",,,,

क्रमशः

क्या यह सब मानव अपने समय काल में वापस लौट पाएंगे,, जानने के लिए बने रहें इस जबरदस्त हॉरर के साथ