Bhooto ka Dera - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

भूतों का डेरा - 7

कहते कहते बुढ़िया चुप हो गई सिपाही ने कहा ,"अब तुम्हे किसी बात कि फिक्र नहीं रहेगी तुम्हारी जरूरतों और तुम्हारे आराम का अब ख्याल में करूंगा ।"

उसने अपनी झोली खोली और मन में इच्छा की ही थी वह खाने कि तरह तरह की स्वादिष्ट चीजों से भर जाये।

झोली भर गई ।

खाने की सभी चीजों को झोली से निकाल कर उसने मेज पर रख दिया और मां से कहा ,"लो माँ जी भरकर खाओ!"
दोनों ने जी भर कर खाना खाया और फिर वे सोने के लिए चले गये
अगले दिन उसने उसने सोचा मेरी माँ पूरी जिंदगी इस हाल में रही है कम से कम अब तो उसको कुछ सुकून मिलना चाहिए ये सब सोच कर सिपाही ने झोली खोली और इच्छा की कि वह सोना चांदी से भर जाये
उसके सोचते ही वैसा ही हुआ फिर उसने अपनी माँ के लिए एक नया घर तेयार
कराने में लग गया उसने आने जाने के लिए घोड़ा गाड़ी और घर की जरूरत का सारा सामान खरीदा फिर कुछ दिन बीत जाने पर उसने अपनी माँ के कहने पर एक लड़की से शादी की और अपनी खेती
बाड़ी की देखभाल में लगा रहने लगा और उधर उसकी बूढ़ी मां अपने पोतों को खिलती रहती थी और अपने बेटे के सौभाग्य पर फूली न समाती
थी ।
सिपाही जादुई थैली को जरूरत पड़ने पर ही स्तेमाल कर्ता था वो जादा तर खेती बाडी में ही बिजी रहता था उसको पता नहीं था कि उसका जो लड़का है
उसमे पेड़ा होने के साथ से ही रहस्मय शक्तियां थी
एक दिन वो खेती का काम जल्दी खत्म करके घर लौटा तो उसने देखा कि इल्या बहुत तेज है सिपाही के लड़के का नाम इल्या था उसको लगा ये सब उसको धोका हुआ है बस उससे जादा कुछ नहीं
और समय बीतता गया

असम नामक शहर के पास, गोकालपुर नामक गांव में सिपाही का घर था
उसकी बीबी का नाम रसमी था और उनका इल्या नाम का बेटा लेकिन कुछ दिन पहले ही इल्या का भाई इस दुनिया मे आया था ।
एक दिन यात्रा की पूरी तैयारी करके इल्या अपने मां बाप के पास गया और बोला ," पिताजी और माताजी मुझे इजाजत दीजिये की में अपने देश की सेवा के लिए सेना में भर्ती हो जाऊं ।
मै अपनी मातृभूमि की बड़ी सच्चाई और निष्ठा के साथ सेवा करूंगा और दुश्मनों से अपने देश की धरती को बचाऊंगा।"
इस पर उसके बूढ़े पिता ने कहा," अच्छे कामों के लिए में तुझे आशीर्वाद देता हूं , पर बुरे कामों के लिए नहीं । सोने या चांदी के लाभ के लालच से नहीं , बल्कि देश में नाम कमाने के लिए और वीर योद्धा कहलाने के लिए अपनी मातृभूमि की रक्षा करना । मनुष्य का रक्त कभी वीना बजा न बहाना और न कभी माताओं को आंसू बहाने के लिए मजबुर करना
यह कभी मत भूलना की तुम धरती के बेटे , किसान हो।" इल्या ने जमीन पर माथा टेक्कर अपने मां बाप को प्रणाम और उसने पहले घोड़े की कमर पर एक जींस का कपड़ा डाला ,और फिर उसने उपर चमड़े की पट्टी और चमड़े के ऊपर जीन कसा , जिसके बारह रंग रेशम के थे और तेरहवां लोहे का था । वह दिखावे के लिए नहीं बल्कि मजबूती के लिए था ।

To be continue


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