Bhooto ka Dera - 6 books and stories free download online pdf in Hindi

भूतों का डेरा - 6

सिपाही ने उस झोले को लिया और कुछ सोचा सोचते ही
झोली में शराब की तीन बड़ी बोलतें आ जाएं उसका यह सोचना था कि झोली भारी हो गई उसने झोले का मुंह खोला तो क्या देखता है कि सचमुच शराब की तीन बड़ी बोतलें झोली में आ गयी है।

उसने तीनों बोतलें लुहरों को दे दीं। ये लो भाई तुम्हारी मेहनत के बदले

सिपाही
लुहरखाने से बाहर निकालकर उसने इधर उधर देखा छत पर एक गौरेया बैठी हुई थी उसने अपनी झोली हिलाकर कहा ,"चल अंदर"।

उसके कहते ही गौरेया उसकी झोली में आ गई सिपाही लूहरखाने में लौट आया और बोला ,"तुमने सच कहा था मुझे धोखा नहीं दिया ऐसी झोली एक मुझ जैसे सियाही के काफी काम आ सकती है उसने अपने झोले को खोलकर भूतों के सरदार को भी छोड़ दिया ।


भूतों का सरदार और सारे भूत पल भर में गायब हो गए सिपाही ने अपना झोला और झोली उठाई , लूहरों से विदा ली और व्यापारी से मिलने के लिए चल पड़ा । वहां पहुंचकर उसने व्यापारी से कहा ,"अब आप मजे से नये मकान में रह सकते है , आपको कोई तंग नहीं करेगा।"

व्यापारी मुह खोल कर सिपाही को देखे जा रहा था उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था ।



"सचमुच तुम जैसे सिपाही को न तो आग जला सकती है न पानी गला सकता है मुझे बताओ तो की तुमने भूतो को कैसे हराया और जीते जागते कैसे बचकर निकल आये।


सिपाही ने जो कुछ हुआ था वह कह सुनाया दुकान के नौकरों ने उसकी बात की गवाही दी व्यापारी ने सोचा ,"मकान में रहना शुरू करने से पहले एक दो दिन देख लेना चाहिए । कि सचमुच वहां शांति हो गई है या नहीं और भूत प्रेत फिर तो नहीं लौट आयेंगे।

उस रोज शाम को व्यापारी ने दुकान के सब नौकरों को सिपाही के साथ नए मकान में रहने को कहा ।

रात भर वे सब चेन से नए मकान में सोए और अगले रोज सुबह भले चंगे और खुशी खुशी व्यापारी के पास लौट अये।

तीसरी रात व्यापारी ने भी हिम्मत करके उनके साथ रात बिताई फिर क्या था बड़े आराम से समय गुजरा सबलोग शांति के साथ सोय फिर व्यापारी से विदा लेकर सिपाही ने अपनी अदभुत झोली और खाली झोली कंधे पर लटकाया और वहां से चल पड़ा।

आखिर वह अपने इलाके में पहुंच गया एक पहाड़ी के ऊपर से उसने अपना गांव देखा और उसका दिल खुशी से नाच उठा ।

वह अपने घर पहुंचा सीढ़ियां चढ़कर उसने दरवाजा खटखटाया एक बहुत ही बूढ़ी स्त्री ने दरवाजा खोला
सिपाही बड़े प्यार से उसको गले लगाया बुढ़िया ने अपने बेटे को पहचान लिया वह खुशी से पागल हो उठी बोली,

"अरे, तुम्हारे पिता तो हर घड़ी तुम्हारी ही बात किया करते थे

मगर अफसोस की वह यह दिन देखने के लिए जिंदा नहीं रहे उने मारे पांच साल हो गये

To be continue...

क्या लगता है आपको क्या होगा आगे जानने के लिए पड़ते रहे भूतों का डेरा

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