Ishq hai sirf tumse - 14 books and stories free download online pdf in Hindi

ईश्क है सिर्फ तुम से - 14

सुलतान राजीव के साथ मीटिंग के लिए जाता है और फिर वहां से सीधा एयरपोर्ट के लिए निकल जाता है। जैसे ही सुलतान शॉपिंग का बैग पास वाली सीट पर रखता है! उसके दिमाग में तुरंत ही नाज के चेहरे की छवि छा जाती है। खास करकर उसकी आंखे एक ऐसी कशिश थी जो सुलतान को अपनी ओर खींच रही थी और सुलतान ना चाहते हुए भी उसकी ओर खींचा जा रहा था । वैसे तो सुलतान ने उसकी आवाज और आंखो के सिवाय पूरा चेहरा भी नहीं देखा! लेकिन फिर भी इतनी हद तक सुलतान के दिल में हलचल किसी ने पैदा नहीं की । एक वक्त था जब आयशा से मोहब्बत हुई थी! तब सुलतान का दिल तसल्लुत हुआ था पर जब वह इस माफिया वर्ल्ड में आया उससे पहले की बात थी । तब से अब तक कोई भी ऐसा इंसान नहीं आया जो सुलतान को ये हलचल महसूस करवा सके! । लाखो हसीन चेहरे देखे है सुलतान लेकिन एक को भी नजर उठाकर देखना सुलतान को गवारा नहीं था...! .। यह पहली लड़की थी जिसे सुलतान नजर उठाकर देखना भी चाहता था और नहीं भी । इतने सालो बाद यह पहली बार हुआ है जब सुलतान इंतिशार में है। हालांकि अगर सुलतान इस बात से भी वाकिफ है की यह पहली और आखिरी मुलाकात थी। कौन-सा वह दोबारा मिलने वाली है और खुदा ना खस्ता अगर मिल भी गई तो कौन-सा सुलतान ने चेहरा देखा है जो पहचान जाएगा!?। और सुलतान उसकी आंखो को याद रखने की अर्क-रेजी क्यों करेगा!? । आखिरकार रीश्ता ही क्या है दोनों के बीच में!? एक अजनबी की तरह मिले थे और वैसे ही भूल जाएंगे? । कौन-सा सुलतान उसका आशिक बनने वाला है जो उस लड़की को इतनी तवज्जो दे! । शायद इसी वजह से सुलतान दूसरी शॉल लौटा दी! । क्योंकि सुलतान किसी भी तरह का ताल्लुक रखना नहीं चाहता था जो उसे बेबस करे! । उसे फिर से इंसानों वाले जज्बात महसूस कराए और सबसे बड़ी वजह एहसान! सुलतान पर कोई एहसान करे ये उसे बिल्कुल पसंद नहीं था । कुछ और वजह भी सुलतान के दिल में पनप रही थी लेकिन वह जानबूझ कर उस वजह को नजरंदाज कर रहा था । सुलतान कब से इस शॉपिंग बैग को देखते हुए! सोच में डूबा था ये उसे भी पता नहीं चला । जब राजीव ने उसे आवाज दी तब वह अपने ख्यालों से बहार आया और खुद को संभालते हुए लैपटॉप पर काम करने लगा ।


राजीव: बॉस आज आप को क्या हुआ है!? आप जब से मिले है तब से खोए खोए से लग रहे है!? ।
सुलतान: ( टाइप करते हुए हाथ थम जाते है। राजीव की ओर देखते हुए कहता है। ) ऐसा कुछ भी नहीं है! ।
राजीव: ना ना बॉस! कुछ तो हुआ....! ।
सुलतान: ( फिर से एक नजर उठाके राजीव की ओर देखता है। वह बोलते हुए बंद हो जाता है। ) बैटर! ।
राजीव: सॉरी बॉस! ।
सुलतान: अगर डील फाइनल हो जाए! तो कोई ना कोई बहाना बना के केनसल करवा देना।
राजीव: बॉस!?
सुलतान: सुना तुमने!? या फिर मुझे नया सेक्रेटरी अप्वाइंट करने की जरूरत है!? ।
राजीव: नो बॉस! आपने जैसा कहां वैसा हो जाएगा ।
सुलतान: ( फिर से काम में व्यस्त हो जाता है। ) ।
राजीव: बॉस! वैसे मिस आयशा का कॉल आया था!? ।
सुलतान: तो!? ।
राजीव: तो! मैंने रिसीव कर लिया था!।
सुलतान: ( गुस्से में दांत भींचते हुए राजीव की ओर देखता है। ) और!? ।
राजीव: सॉरी बॉस! पर मुझे लगा कुछ इमरजेंसी होगी! इसलिए मैने उठा लिया ।
सुलतान: ( बिना कुछ कहे राजीव की बात सुन रहा था।)।
राजीव: ( राजीव शीशे में से सुलतान की ओर देखता है की वह बात आगे बोले या नहीं लेकिन जब उसे लगा की सुलतान उसकी बात सुन रहा है! तो वह पसीना रुमाल से पोंछते हुए आगे बोलता है। ) वो... उन्होंने कहां की उन्हें आपकी फिक्र हो रही थी! आप पाकिस्तान आए है इस वजह से कॉल किया! और आपका ख्याल रखने को कहां!। ये बाते आपको बताने से मना किया है।
सुलतान: ( लैपटॉप बंद करते हुए बाहर की ओर नजर घुमाता है। ) हम्म! ।
राजीव: उन्होंने पहले यही कहां की गलती से कॉल लग गया और आपको इतना ही बताने को कहां! ।
सुलतान: ( थोड़ी देर सोचते हुए ) आगे अगर फॉन आए तो काट देना! ।
राजीव: ( शीशे में से सुलतान की ओर देखता है। ) जी बॉस! ।
सुलतान: ( दरवाजा खोलते हुए ) और अगर दुबारा ऐसी हरकत हुई तो ऑफिस आने की जरूरत नहीं।
राजीव: ( जल्दी से दरवाजा खोलते हुए सुलतान के पीछे भागता है। ) बॉस सॉरी बॉस! आगे से ऐसी गलती नहीं होगी ।
सुलतान: ( बिना कुछ कहे वीआईपी एंट्री की ओर चला जाता है । ) ।

सुलतान एयरपोर्ट में दाखिल होते हुए! अपने प्राइवेट जेट की ओर आगे बढ़ ही रहा था । रग्गा और अज्जू उसके आसपास दूसरे प्लेन की ओर जा रहे थे । तभी सुलतान चलते चलते बोलता है।

सुलतान: क्या हुआ!?
रग्गा: सब कुछ प्लान के मुताबिक ही हुआ है।
सुलतान: ( सिर्फ सिर को हां में हिलाता हैं। )
अज्जू: लुसियन भी सीधा विला पे मिलेगा। ( व्हीलचेयर पर बैठे हुए आदमी की ओर इशारा करते हुए। ) ।
सुलतान: ( लुसियन की ओर देखता हैं फिर उसके साथ खड़ी लड़की की ओर तो उसे कुछ महसूस नहीं हुआ। सुलतान नजर फेरते हुए। ) हम्मम! ।
रग्गा: रोमानो से बात चल रही है! जल्द ही पता चल जाएगा! ।
सुलतान: ( सिर को हिलाते हुए कहता हैं। ) आयशा के आसपास कुछ आदमी लगवाओ! कुछ गडबड लग रही है मुझे!? ।
अज्जू: हो जाएगा बॉस ।
सुलतान: और लूसी को सीधा जगह पर! बिना कोई गलती करे!? ।
रग्गा और अज्जू दोनो साथ में कहते है। " यस बॉस " ।

इतना कहते ही अपने जेट की ओर चला जाता है। और नाज के ख्यालों को दिलो दिमाग से दूर करने की कोशिश कर रहा था। जब लुसियन के पास खड़ी लड़की को देखा तो तब भी सुलतान के जहन में उसी लड़की के ख्याल मंडराने लगे। सुलतान इस बात से वाकिफ था किसी अजनबी का इतना बस चलना सुलतान के लिए अच्छा नहीं है । वह गुस्से में दांत भींचते हुए! खुद को संभलने के लिए समझा रहा था। पर उसे क्या पता था की यह मुलाकात शायद! उसके लिए नई जिंदगी की शुरुआत थी। जिससे वह कई सालो से भागता आ रहा है।


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