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आलसी ऊंट की कहानी

"ऊंट की कहानी.....

एक जंगल 🌳 में सभी प्रकार के पशु पक्षी तथा तरह-तरह के जानवर रहते हैं सभी अपने-अपने जीवन में मस्त रहते हैं ...
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"और उसी जंगल में ऊंट प्रजाति की झुंड भी रहते है ... उसमें से एक ऊंट बहुत आलसी और कामचोर रहता है काम करता नहीं और दूसरों को देखकर ईश्वर से दिनभर शिकायत करते रहता है ...एक दिन शाम को सभी ऊंट थक हार कर सुस्ताने बैठे रहते है तभी वो कामचोर आलसी 🐫 ऊंट उन लोगों से शिकायत करते कहता है सभी जानवरों को अच्छा बनाया है,, दिखने में मयूर को देखो कितनी सुंदर है ,,कोयल को कितनी प्यारी आवाज दिया है और हमें कुबड़ बना दिया ऊपर से गर्दन लंबी है लोग हंसते हैं हम पर ऐसे ही बोलते रहता है.......
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"उनमें से एक उम्रदराज ऊंट🐫 बोलता है ऐसी बात है तो ईश्वर की तपस्या करो और वो प्रसन्न हो जाए तो वरदान मांग लेना...!!

"उस आलसी ऊंट 🐪को ये सुझाव अच्छी लगी और चल दिया पहाड़ पर तपस्या करने ..फिर तपस्या में लीन हो गए, दिन , महीने, साल गुजर गए तपस्या पर ही बैठा था ...अब ब्रम्हा जी खुश हो गए और चले गए उस ऊंट के पास...!!

ब्रम्हा जी😊 - "उठो वत्स क्या चाहिए तुम्हें बोलो हम तुम्हारे तपस्या से खुश हुए हैं मांगों जो मांगना है....!!

ऊंट🐪 - " अब लंबी-चौड़ी लिस्ट बता दिया मुझे ये सब चाहिए बोलकर...!!

ब्रम्हा जी😊 - "नहीं वत्स एक तपस्या में सिर्फ एक वरदान मिलेगा इसलिए एक वरदान मांगो ..??

ऊंट 🐪- "अब सोच में पड़ गया अब क्या मांगू फिर आखिर में बोले हे प्रभु आप मुझे मेरे सिर को लंबा कर दीजिए जहां तक ले जा सकूं मैं अपनी इच्छा के अनुसार ...!!
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ब्रम्हा जी 😊- "ठीक है .. तथास्तु कहकर गायब हो जाते हैं..!!

"अब ऊंट🐪 खुशी-खुशी अपने झुंड वालों के पास जाता है और सबको बताता है...कुछ लोग हंसते हैं कुछ लोग अच्छी बात है बोलते हैं और अपने अपने काम में लग जाते हैं.......अब उस आलसी ऊंट और आलसी कामचोर हो जाता है बस बैठे बैठे चारा चरता था...इस तरह कुछ दिन निकल गया.........!!

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एक दिन वो ऊंट🐪 बैठे बैठे अपने सिर को अधिक लंबा करके चारा चरते चलते दूर तक निकल गया तभी अचानक बारिश होने लगती है फिर मूसलाधार में बदलने लगती है तो ऊंट को समझ नहीं आया कि क्या करें तभी वहां पर एक गुफा दिखाई देता है और अपना सिर उस गुफा में डाल देता है .....!!

"पता है वो गुफा किसका था🤔 .....??

"वो गुफा शेर🦁 का था ....!!

"शेर😊 बहुत खुश होता है आज शिकार खुद चलकर आया है और मौके की नजाकत समझकर तुरंत अपने छोटे छोटे शावकों को बुलाता है और तुरंत हमला कर शिकार करता है उन लोगों को घर में बैठे बिठाए नाश्ता मिल जाता है ....!!

अब वो ऊंट तो गया काम से उसकी आलस और कामचोरी के वजह से ....


हमारे महापुराण श्रीमद्भागवत कथा में गीता में श्रीकृष्ण ने कहा था कर्म करो फल की इच्छा मत करो..!!

समाप्त ......🙏🙏

"इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है ये आप लोग समीक्षा में जरूर बताइएगा ....??


जय श्री कृष्णना 🙏