Paanch sawal aur shoukilal ji book and story is written by Krishna manu in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Paanch sawal aur shoukilal ji is also popular in Comedy stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
पाँच सवाल और शौकीलाल जी - Novels
by Krishna manu
in
Hindi Comedy stories
शौकीलाल जी के बढ़ते कदम में मैंने बेड़ी डाल दी। ज्योंही वे मेरे क्वाटर के सामने से गुजरने लगे, मैं उन्हें घेर कर खड़ा हो गया। शाम के आठ बजने वाले थे। मैं फुर्सत में था। टाइम पास करने के लिए मुझे किसी बैठे-ठाले की तलाश थी। तभी लपकते-झपकते चले आ रहे शौकीलाल जी पर मेरी नजर पड़ गई। आरे वाह, इसी को कहते हैं- जहाँ चाह, वहाँ राह। गप्पें मारने के लिए भला शौकीलाल जी से अधिक उपयुक्त पात्र और कहाँ उपलब्ध हो सकता है! बहत दिनों से उनसे मिला भी नहीं था।
शौकीलाल जी के बढ़ते कदम में मैंने बेड़ी डाल दी। ज्योंही वे मेरे क्वाटर के सामने से गुजरने लगे, मैं उन्हें घेर कर खड़ा हो गया। शाम के आठ बजने वाले थे। मैं फुर्सत में था। टाइम ...Read Moreकरने के लिए मुझे किसी बैठे-ठाले की तलाश थी। तभी लपकते-झपकते चले आ रहे शौकीलाल जी पर मेरी नजर पड़ गई। आरे वाह, इसी को कहते हैं- जहाँ चाह, वहाँ राह। गप्पें मारने के लिए भला शौकीलाल जी से अधिक उपयुक्त पात्र और कहाँ उपलब्ध हो सकता है! बहत दिनों से उनसे मिला भी नहीं था।
लंबे डग भरते हुए शौकीलाल जी घर आये। मैं भी साथ था। घर आकर उन्होंने बड़ा अधीर होकर टीवी चलाया। फिर देखने में ध्यान मग्न हो गए। उनकी अधीरता देखकर ऐसा लगा जैसे अभी- अभी उनके घर का ...Read Moreफटेगा और धन वर्षा शुरू हो जाएगी। मैं खुर्दबीनी नजर से शौकीलाल जी के इकलौते कमरे का कोना-कोना देखने लगा। पूरे कमरे में केवल फिल्मी पत्रिकायें बिखरी पड़ी थीं। रंग बिरंगी पत्रिकायें। विभिन्न भाषाओं की पत्रिकायें। पूरा बॉलीवुड शौकीलाल जी के कमरे में समा गया लगता था। साथ में टीवी वर्ल्ड मैगजीन की प्रति भी धूल फाँक रही थी। सेंटर टेबुल
शौकीलाल जी ने लापरवाही से जवाब दिया-' अरे छोड़ो यार, अब तो लोक सेवा आयोग, बैंकिंग सेवा आदि त्यागकर लड़के इसी की तैयारी करने लगे हैं। अमीर बनने का शार्टकट रास्ता हो तो कोई लम्बी दूरी क्यों तय ...Read Moreचाहेगा ? और मैं तो खैर मामूली शिक्षक चयन की तैयारी ही छोड़ी है। एक बार.....सिर्फ एक बार हाट शीट पर बैठने का चांस मिल जाए तो फिर देखना कितने शिक्षक मेरे घर पानी भरते नजर आएंगे। '-' हाँ, सो तो है। लेकिन इस तरह से तैयारी करने से कुछ नहीं होगा। व्यावहारिक तैयारी जरूरी है।' मैंने विरोध करना छोड़कर उनके