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ishq 92 da war by Deepak Bundela AryMoulik | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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इश्क़ 92 दा वार by Deepak Bundela AryMoulik in Hindi
Novels

इश्क़ 92 दा वार - Novels

by Deepak Bundela AryMoulik Matrubharti Verified in Hindi Classic Stories

(40)
  • 5.7k

  • 13.3k

  • 1

वो मोहब्बत की चिंगारी 90 के दशक से सुलगना शुरू हों चुकी थी... मौसम वसंती हो कर अपने शवाब की और बढ़ रहा था.... हर यौवन के दिलों दिमांग में कही ना कही कुछ अजीब सा महसूस हो रहा ...Read Moreजो जवानी की देहलीज़ पर थे उनके मन का इस्थिर पन अब विचलित हो चला था.... मन में कोई राग बस यू ही बजने लगता तो स्कूल के युवाओं की गुन गुनाहट यदा कदा कानों में सुनाई देने लगी थी.... पर किस के मन में कौन था किस के लिए ये संगीत था ये तो वही जानें... पर हा एक

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इश्क़ 92 दा वार - 1

  • 1.1k

  • 1.9k

वो मोहब्बत की चिंगारी 90 के दशक से सुलगना शुरू हों चुकी थी... मौसम वसंती हो कर अपने शवाब की और बढ़ रहा था.... हर यौवन के दिलों दिमांग में कही ना कही कुछ अजीब सा महसूस हो रहा ...Read Moreजो जवानी की देहलीज़ पर थे उनके मन का इस्थिर पन अब विचलित हो चला था.... मन में कोई राग बस यू ही बजने लगता तो स्कूल के युवाओं की गुन गुनाहट यदा कदा कानों में सुनाई देने लगी थी.... पर किस के मन में कौन था किस के लिए ये संगीत था ये तो वही जानें... पर हा एक

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इश्क़ 92 दा वार (पार्ट -2)

  • 694

  • 1.5k

मंजिल की तरफ मनु के कदम तेजी से बढ़ चुके थे... नज़रों की तकरार की तय और मुकम्मल जगह पर मनु पहुंच चुका था मन और दिल बेचैनीं भरा हुआ था नज़रे अनु के आने वाली सडक की तरफ ...Read Moreचुकी थी मन में उकलाहट मनु के शरीर में अजीब सी हरकतें पैदा उत्पन्न कर रही थी.... एक एक पल उसे घंटे भर के लग रहे थे... मनु की बेचैनी वक़्त दर वक़्त बढ़ती ही जा रही थी...वही अनु के तेज़ क़दमों की चाल मंज़िल की कुछ दुरी पर पहुंचते पहुंचते लड़खड़ाने से लगे थे .... दिल की धड़कने तेज़

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इश्क़ 92 दा वार (पार्ट -3)

  • 548

  • 1.3k

पार्ट -3खत में दोनों ने अपनी अपनी दिली दास्तान लिख दी थी.. अनु और मनु की आंखो में चमक और चेहरे पर एक आत्म विश्वास की आभा फैल चुकी थी... एक सुकून जो दिलों दिमाग़ को राहत दें चुका ...Read Moreमानो दोनों ने प्रत्यक्ष आमने सामने हो कर बात कही हो... मनु चैन से सो चुका था लेकिन अनु की आंखो से नींद अभी कोसो दूर थी.. उसे चिंता इस बात की थी कि ये खत मनु तक कैसे पहुंचेगा...इश्क़ की राहों में जितनी आस होती हैं उतनी ही कठिनाइयां भी और हर कठिनाई को पार करने वाला ही सच्चा

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इश्क़ 92 दा वार (पार्ट -4)

  • 525

  • 1.3k

कंटीन्यू पार्ट -4किसी की फिदाई भी किसी के लिए खता होती हैं... !ये इश्क़ का मंज़र हैं दोस्त कम ही लोगों में वफ़ा होती हैं.. !!रोज़ की तरह आज भी सूरज उगा था लेकिन अनु के जागने के बाद... ...Read Moreआज कोई भी भूल या चूक नहीं करना चाहती थी... उसने खत को अपने आंचल में छिपा लिया था... और तैयार होकर वो किचन में आ गयी थी..मां ने इतनी जल्दी तैयार होने का कारण पूछा तो अनु ने भी जवाब दिया...मां कल लेट होने के कारण स्कूल नहीं गयी थी इसलिए आज जल्दी पहुंच जाउंगी..लेकिन बेटा स्कूल तो अपने

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इश्क़ 92 दा वार - (पार्ट -5)

  • 487

  • 1.2k

पार्ट -5इंतजार.... इंतज़ार और सिर्फ इंतज़ार.... इस इंतज़ार में मनु स्कूल जानें का समय गवा चुका था... उसके मन में विचार आया क्यों ना जावेद के घर जाया जाए... लेकिन कैसे... अगर कोई लफड़ा हुआ होगा तो... अब हुआ ...Read Moreतो हुआ होगा आज नहीं तो कल सबको पता तो चलना ही हैं.... आखिर प्यार किया हैं मैंने... जो होगा देखा जायेगा... उसके कदम जावेद के घर की तरफ बढ़ने लगते हैं... लेकिन फिर कुछ दुरी तय करने के बाद फिर ठिठक जाते हैं... अगर सबको पता चला तो मम्मी पापा की कितनी बदनामी होंगी... ऐसे में पापा तो मुझसे

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इश्क़ 92 दा वार - 6

  • 482

  • 1.2k

उदाशिया भी अब मजमागार हों चली थी......!चाहतो की बेचेनिया मज़बूरिया मचलने लगी थी... !!कहते हैं ना दिल जब बेचैन हों तो क्या अच्छा लगता हैं मन में सूना पन और दिल उदास लगता हैं ठीक यहीं हाल मनु का ...Read Moreलेकिन अपने दिल और दिमाग़ के हालातों को किसी से बया भी तो नहीं कर सकता थाहालत ए ज़िगर किस कदर हों चला था कि मनु ने बिस्तर पकड़ लिया....अनु के पिता की आज तेरहवीं थी.... गंगा भोज का आयोजन की रस्में अयादगी चल रही थी मेहमानों के आवागमन का सिलसिला जारी था.... इन दिनों अनु के नजदीक जावेद ज्यादा

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इश्क़ 92 दा वार - 7

  • 1.3k

  • 2k

दोस्तों इस कहानी को आगे बढ़ाने में मैं थोड़ा पीछे हों गया था क्योंकि कोरोना महामारी के चलते थोड़ा ज़िम्मेदारियां बढ़ गयी थी.. जैसाकि मैं न्यूज़ चेनल में पदस्थ हूं लॉक डाउन के दौरान रात दिन कार्य की ज़िम्मेदारी ...Read Moreबढ़ गयी थी इसलिए आपको इंतज़ार करना पड़ा उम्मीद हैं आप लोगों का प्यार वरकरार रहेगा.. आशा और व्श्वास के साथ धन्यवाद ???क्या यही प्यार हैहाँ यही प्यार हैओ दिल तेरे बिनकहीं लगता नहींवक़्त गुजरता नहींक्या यही प्यार हैहाँ हाँ हाँयही प्यार हैंमनु गुम सुम अपने कमरे में लेटा लेटा अपनी आंखे बंद किये रेडियो पर बज रहें गानें को

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इश्क़ 92 दा वार (भाग-8)

  • 132

  • 654

इश्क़ 92 दा वार (भाग-8)अनु और मनु की नज़रे इश्क़ के एहसास को मज़बूर कर रही थी अनु के चेहरे का रंग सुर्ख गुलाबी हो चुका था वही मनु की सांसो ने नज़रो की कशिश को अपनी ताल में ...Read Moreलिया था... तभी रिया ने आकर दोनों की इश्क़गी में खलल ड़ालते हुए अपने गले की खराश से गला साफ करते हुए बोली थी..रिया - चलो जल्दी से गरमा गरम नास्ता तैयार हैं..पीछे हीं मनु की मम्मी भी अपने दोनों हांथो में चाय की ट्रे लाते हुए बोलीमां - मनु तुम्हारे लिए भी नास्ता लेकर आई हूं.. अब कोई बहाना

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इश्क़ 92 दा वार (भाग-9)

  • 111

  • 534

इश्क़ 92 दा वार (भाग-9)कंटिन्यू - पार्ट -9सुबह का वक़्त हो चला था लंबे समय के बाद मनु और अनु इश्क़ के दूसरे पायदान पर सफर कर रहे थे अक्सर इश्क में देखा जाए तो तीन पायदान होते है ...Read Moreपायदान पर पैर रखने के लिए लंबा अरसा लगता है कुछ होते है जो सब्र किये बगैर हीं पहले पायदान से गिर जाते है.. और जो चढ़ जाते है तो दूसरा पायदान बेहद जोखिम भरा होता है जिसमे ज़माने वाले अपने वाले भी दुश्मन हो जाते है क्योंकि दूसरे पायदान के सफर में ज़माने को खबर लगते देर नहीं लगती..इस

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इश्क़ 92 दा वार (पार्ट10)

  • 96

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इश्क़ 92 दा वार (पार्ट10)जावेद और उसका दोस्त नदीम शहर के एक व्यस्ततम इलाके की गलियों कूचों में से होते हुए लतीफ भाई के मुकाम पर पहुँचे थे.. किसी किले नुमा दीवार की तरह चारों तरफ से बंद लतीफ ...Read Moreका ठिकाना था जिस दीवार में अंदर जानें के लिए एक लकड़ी का बड़ा सा दरवाजा था जिसे देख कर ऐसा लग रहा था ये इस ज़माने की कारीगरी का नमूना नहीं है.. जावेद चारों तरफ अपनी गर्दन घुमा घुमा कर देख रहा था.. नदीम ने दरवाज़े पर लटक रही लोहे की जंजीर से दरवाजा दो तीन बार पीटा था..

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इश्क़ 92 दा वार - (पार्ट-11)

  • 108

  • 543

इश्क़ 92 दा वार (पार्ट-11)(7 दिसंबर 1992)सुबह होते हीं पूरे देश में आग जल चुकी थी.. दोनो समुदाय की आना पर जो ठन चुकी थी आज की सुबह एक दम शांत और मायूश थी ना सुबह की अज़ान थी ...Read Moreना किसी मंदिर की आराधना सुनाई दें रही थी लोगो के दिलों में डर बैठा हुआ था बीती रात ना जानें कितने घर जल चुके थे कितनों के सिर कलम कर दिये गए थे चप्पे चप्पे पर पुलिस मौजूद थी चारों तरफ धूल ही धूल थी....यहां कोई आंधी नहीं चल रही थी, लेकिन यह मंजर किसी आंधी से कम भी

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इश्क़ 92 दा वार - (पार्ट-12)

  • 105

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इश्क 92दा वार (पार्ट -12)रात गहरा चुकी थी अनु को रिया ने दवा खिला कर सुला दिया था रिया बिस्तर पर लेटे सोच रही थी.. कि किसी किसी की ज़िन्दगी में इतना तूफ़ान क्यों होता है.. आखिर अनु का ...Read Moreक्या था बस यही कि वो खूबसूरत थी मिलन सार थी..क्या उसे अपनी ज़िन्दगी अपने हिसाब से जीने का भी हक़ नहीं था.. क्या उसने मनु से इश्क़ करके कोई बहुत बड़ा गुनाह कर लिया था जिसके चलते आज उसे ये दिन देखने को मिल रहे है.. यही सोचते सोचते रिया करबट बदलते जा रही थी.. रिया अनु की उस

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