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पंचकन्या - Novels
by saurabh dixit manas
in
Hindi Spiritual Stories
#पंचकन्या #भाग_1........#मानस यूँ तो सनातन धर्म में नारी सर्वत्र पूज्यनीय मानी जाती है। कहा जाता है कि यदि किसी यज्ञ को जोड़े में न किया जाय तो वो पूर्ण नहीं माना जाता चाहे वो यज्ञ स्वयं परमपिता ब्रम्हा जी करें। इसी कारण ब्रम्हा जी को ब्रम्हाणी के श्राप को भी भोगना पड़ा। ब्रम्हाणी के श्राप के कारण ही पुष्कर के अतिरिक्त ब्रम्हा जी का कोई मन्दिर भी नहीं हैएक बार ब्रह्मा जी संसार की सुख और शांति के लिये यज्ञ करना चाहते थे। जिसके लिए उन्होंने पुष्कर की भूमि को चुना। जब ब्रह्मा जी यज्ञ करने के लिए पुष्कर पहुंचे
#पंचकन्या #भाग_1........#मानस यूँ तो सनातन धर्म में नारी सर्वत्र पूज्यनीय मानी जाती है। कहा जाता है कि यदि किसी यज्ञ को जोड़े में न किया जाय तो वो पूर्ण नहीं माना जाता चाहे वो यज्ञ स्वयं परमपिता ब्रम्हा जी ...Read Moreइसी कारण ब्रम्हा जी को ब्रम्हाणी के श्राप को भी भोगना पड़ा। ब्रम्हाणी के श्राप के कारण ही पुष्कर के अतिरिक्त ब्रम्हा जी का कोई मन्दिर भी नहीं हैएक बार ब्रह्मा जी संसार की सुख और शांति के लिये यज्ञ करना चाहते थे। जिसके लिए उन्होंने पुष्कर की भूमि को चुना। जब ब्रह्मा जी यज्ञ करने के लिए पुष्कर पहुंचे
#पंचकन्या_भाग_2........... #मानसब्रह्मा जी ने श्रृष्टि की सुन्दरतम रचनाओं से तत्व लेकर (अहल्या) अहिल्या के अंगों में उनका समावेश करके एक युवती की रचना की जिससे एक अनुपम सुंदरी कन्या का निर्माण हुआ जिसे पोषण के लिए उन्होंने ऋषि ...Read Moreको दे दिया। उसके युवती होने पर गौतम ऋषि निर्विकार भाव से उसे लेकर ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। ब्रम्हा जी से ही अहिल्या को वरदान मिला था कि वो सदैव सोलह वर्ष की युवती की तरह ही रहेगी। जब ब्रह्मा जी ने गौतम ऋषि से अहिल्या को भार्या के रूप में स्वीकार करने के लिये कहा तो गौतम ऋषि बोले-“हे
#अहिल्या_तारा_द्रौपदी_कुन्ती_और_मंदोदरी,#पंचकन्या_महारत्ने_महापातक_नाशनम......अर्थात नित्यप्रति पंचकन्याओं का नाम स्मरण करने से महापाप का भी नाश हो जाता है।#अब_आगे_पढिये...... गौतम ऋषि के श्राप से अहिल्या पत्थर की शिला बनकर भगवान श्रीराम का आतिथ्य करने की प्रतीक्षा करने लगीं। जब महाऋषि विश्वामित्र ताड़का वध ...Read Moreलिए राम और लक्ष्मण को अपने साथ ले गये तभी उन्होंने राम और लक्ष्मण को कई दिव्य अस्त्र भी प्रदान किये और उन्होंने अहिल्या का उद्धार भी कराया। वो राम को पत्थर की शिला बन चुकी अहिल्या के पास लेकर गये। भगवान श्री राम के चरण स्पर्श होते ही अहिल्या अपने पूर्व रूप में (16 वर्ष की युवती) आ गईं।