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Mera Swarnim Bengal by Mallika Mukherjee | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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मेरा स्वर्णिम बंगाल by Mallika Mukherjee in Hindi
Novels

मेरा स्वर्णिम बंगाल - Novels

by Mallika Mukherjee in Hindi Social Stories

(25)
  • 1.8k

  • 8.2k

देश विभाजन भारतीय उपमहाद्वीप की एक ऐसी त्रासदी है, जिसकी पीड़ा पीढ़ियों तक महसूस की जायेगी। इस विभाजन ने सिर्फ सरहदें ही नहीं खींचीं, बल्कि सामाजिक समरसता और साझा संस्कृति की विरासत को भी तहस-नहस कर दिया। राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ...Read Moreभेंट चढ़ा दी गई मनुष्यता को, मानव इतिहास कभी माफ नहीं कर पायेगा। वजह है, विभाजन से उपजा विस्थापन। संबंधों का विस्थापन, जड़ों से विस्थापन और संरक्षा-सुरक्षा के भरोसे का विस्थापन। इन कही-अनकही पीड़ाओं को इतिहास ने आंकड़ों में, तथ्यों में चाहे जितना दर्ज किया हो, लेकिन अपनों को सदा के लिए खो देने का गम, भीतर-ही-भीतर सूख चुके आँसुओं का गीलापन और यादों में दर्ज अपने वतन का नक्शा इतिहास में दर्ज नहीं होता।

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मेरा स्वर्णिम बंगाल - 1

  • 383

  • 1k

मेरा स्वर्णिम बंगाल संस्मरण (अतीत और इतिहास की अंतर्यात्रा) मल्लिका मुखर्जी(1) सादर समर्पित परम पूज्य माता-पिता श्रीमती रेखा भौमिक, श्री क्षितिशचंद्र भौमिक, नानी माँ आभारानी धर तथा उन सभी परिजनों को जिन्होंने देश के विभाजन के परिणामस्वरूप विस्थापन का ...Read Moreसहन किया। मल्लिका मुखर्जी प्राक्कथन देश विभाजन भारतीय उपमहाद्वीप की एक ऐसी त्रासदी है, जिसकी पीड़ा पीढ़ियों तक महसूस की जायेगी। इस विभाजन ने सिर्फ सरहदें ही नहीं खींचीं, बल्कि सामाजिक समरसता और साझा संस्कृति की विरासत को भी तहस-नहस कर दिया। राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की भेंट चढ़ा दी गई मनुष्यता को, मानव इतिहास कभी माफ नहीं कर पायेगा। वजह है,

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मेरा स्वर्णिम बंगाल - 2

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मेरा स्वर्णिम बंगाल संस्मरण (अतीत और इतिहास की अंतर्यात्रा) मल्लिका मुखर्जी (2) हृदयोक्ति आमार सोनार बांग्ला, आमि तोमाय भालोबासि। चिरोदिन तोमार आकाश, तोमार बातास, आमार प्राणे बाजाय बाँशि। मेरे स्वर्णिम बंगाल, मैं तुमसे प्यार करता हूँ। तुम्हारा आकाश, तुम्ह

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मेरा स्वर्णिम बंगाल - 3

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मेरा स्वर्णिम बंगाल संस्मरण (अतीत और इतिहास की अंतर्यात्रा) मल्लिका मुखर्जी (3) मेरे स्वर्णिम बंगाल आमि तोमाय भालोबासि वर्ष 2012 के नवम्बर माह के पहले सप्ताह में जब रांगा मौसी ने फोन पर कहा कि फरवरी 2013 को वे ...Read Moreजाने का सोच रही है, मैंने एक पल का

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मेरा स्वर्णिम बंगाल - 4

  • 149

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मेरा स्वर्णिम बंगाल संस्मरण (अतीत और इतिहास की अंतर्यात्रा) मल्लिका मुखर्जी (4) फोन पर जब मैंने श्यामल भैया को मोईनपुर के बारे मे पूछा, वे ख़ुशी से उछल पड़े। उनकी आवाज़ में उनकी ख़ुशी झलक रही थी, ‘अरे, जानती ...Read Moreमल्लिका, हमारे गाँव के पास से पक्की सड़क गुजरती ह

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मेरा स्वर्णिम बंगाल - 5

  • 163

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मेरा स्वर्णिम बंगाल संस्मरण (अतीत और इतिहास की अंतर्यात्रा) मल्लिका मुखर्जी (5) समय काफ़ी बिगड़ा, उपर से टेक्सी भी बहुत पुरानी एवं खस्ता हाल में थी। न तो दरवाजा ठीक से बंद हो रहा था, न ही खिड़की। सीट ...Read Moreसही नहीं थी, पर टेक्सी ड्राइवर बड़ा भला इन्सान लगा। यह सुनकर कि हम भारत से आए हैं, उसके चेहरे पर मैंने अंधेरे में भी एक चमक देखी। रास्ते में हमने ड्राइवर से काफी बातें की। हमने उसे यहाँ आने का उद्देश्य बताया। वह झट से बोला, ‘मैं कोमिल्ला ज़िले का ही रहनेवाला हूँ। आप लोग चाहें तो मैं आप

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मेरा स्वर्णिम बंगाल - 6

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मेरा स्वर्णिम बंगाल संस्मरण (अतीत और इतिहास की अंतर्यात्रा) मल्लिका मुखर्जी (6) क़रीब पाँच घंटे की यात्रा के बाद हम अपने गंतव्य स्थान पर पहुँचे थे। आह! दुनिया के नक़्शे में भले ही प्रदेश का नाम बदल गया था ...Read Moreगाँव का नाम वही था। लग रहा था बरसों से संजोया कोई सपना हक़ीकत बन सामने खड़ा है! बोर्ड के ठीक नीचे एक मुर्गी घूम रही थी। ओह! अब पता चला, पापा को मुर्गियाँ क्यों इतनी पसंद थी। गुजरात में पापा की पश्चिम रेल्वे की नौकरी के रहते जहाँ भी उनका तबादला होता, कुछ मुर्गियाँ जरुर हमारे साथ रहती। हक़ीकत

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मेरा स्वर्णिम बंगाल - 7

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मेरा स्वर्णिम बंगाल संस्मरण (अतीत और इतिहास की अंतर्यात्रा) मल्लिका मुखर्जी (7) पापा के इरादे बुलंद थे, पर भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया। किसी पौधे को अगर जड़ से उखाड़ दिया जाए और मीलों दूर ले जाकर एक ...Read Moreजमीं पर उसे लगाया जाए तो पहले की तरह पनपने की गुंजाइश कितनी हो सकती है? देश के विभाजन के बाद सभी विस्थापित परिवारों की यही स्थिति थी! मेरी प्रिय सखी उमा झुनझुनवाला, कोलकाता की नाट्य संस्था ‘लिटिल थेस्पियन’ (Little Thespian) की संस्थापक, अभिनय और निर्देशन के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम, जो संवेदनशील कवयित्री भी हैं। उन्होंने अपनी कविता

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मेरा स्वर्णिम बंगाल - 8

  • 96

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मेरा स्वर्णिम बंगाल संस्मरण (अतीत और इतिहास की अंतर्यात्रा) मल्लिका मुखर्जी (8) 10 फरवरी को सुबह उठकर नित्यकर्म से निपटकर हम निकल पड़े विजय मामा के घर की ओर। जब हमने उन्हें अपनी रात वाली दास्तान सुनाई, वे दिग्मूढ़ ...Read Moreगए। उन्हें काफी शमिर्दगी महसूस हुई। एक ही खून के विभिन्न रंग! उन्होंने कहा, ‘हमारे इस मकान की हालत तो आप देख ही रहे हैं। मैंने यह सोच कर ही आप लोगों को अनिलदा के वहाँ भेजा था कि उनका बिलकुल नया मकान है, पास ही में बेटी के लिए एक करोड़ की आलीशान कोठी बनाई है। आपकी करोड़ो की

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मेरा स्वर्णिम बंगाल - 9

  • 99

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मेरा स्वर्णिम बंगाल संस्मरण (अतीत और इतिहास की अंतर्यात्रा) मल्लिका मुखर्जी (9) सोचकर भी अजीब लगता है, 13 वर्ष की नानी माँ ने, माँ के प्यारे नाम ‘रूबी’ से पुकारकर धीरे-धीरे उनसे बेटी का रिश्ता कायम किया जो ताउम्र ...Read Moreअपनी पाँच संतानों के होते हुए भी, इन माँ-बेटी का निश्छल प्रेम समाज में एक उदहारण बन गया। न बातों में, न व्यवहार में कभी मुझे इस सत्य का अंदेशा मिला। प्रदीप मामा ने भी अपनी रानी माँ का जिक्र अपनी डायरी में किया है। बचपन में एक चांदी की सुन्दर कटोरी उनके मनमें कौतुहल जगाती। उस कटोरी पर नाम

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मेरा स्वर्णिम बंगाल - 10

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मेरा स्वर्णिम बंगाल संस्मरण (अतीत और इतिहास की अंतर्यात्रा) मल्लिका मुखर्जी (10) मैंने खिड़की का काँच खोलकर एक राहदारी से पूछा कि मामला क्या है? उसने कहा, ‘स्कूल में परीक्षा चल रही है, कल अध्यापक ने एक छात्र को ...Read Moreमें चोरी करते हुए रोका था। आज सुबह उसी छात्र ने उनके निवास स्थान पर पहुँचकर उनकी हत्या कर दी। इस घटनासे गुस्साए दूसरे छात्रों ने यह जूलूस निकाला है।’ अब डरने की बारी हमारी थी। मौसी कुछ ज्यादा ही संवेदनशील है, उन्होंने जोशिम भाई को तुरंत ही कार को वापस लेने के लिए कहा। हाल यह था कि वापस

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मेरा स्वर्णिम बंगाल - 11 - अंतिम भाग

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मेरा स्वर्णिम बंगाल संस्मरण (अतीत और इतिहास की अंतर्यात्रा) मल्लिका मुखर्जी (11) समय तेजी से आगे बढ़ रहा था। अख़बार रखकर मै वसुंधरा सेंटर जाने के लिए तैयार हो गई। सौरभ टीवी देख रहा था, मैंने उसे होटल पर ...Read Moreरुकने को कहा। नास्ता भी आ चुका था, साथ में चाय भी। थोड़ी देर में मैं, मौसी और मौसा जी पहली मंज़िल पर स्थित होटल के काउंटर पर पहुँचे। अनूप जी से कहा कि किसी एक व्यक्ति को हमारे साथ भेजें। हमारे साथ सलीम नामक उन्हीं के स्टाफ का लड़का साथ हो लिया। क़रीब ग्यारह बजे हम निकले। दस मिनट

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