Dehkhoron ke Bich book and story is written by Ranjana Jaiswal in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Dehkhoron ke Bich is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
देहखोरों के बीच - Novels
by Ranjana Jaiswal
in
Hindi Fiction Stories
मैडम,आदमखोर किसे कहते हैं? --उस जीव -जंतु को जो मनुष्य को खाते हैं। -क्या प्रकृति ने उन्हें ऐसा बनाया है? --नहीं,लंबे समय तक भूखे रहने की वजह से वे किसी का मनुष्य का शिकार करते हैं फिर उसका खून -मांस उन्हें इतना पसन्द आ जाता है कि वे धीरे- धीरे उसके आदी हो जाते हैं।उस बच्ची को आदमखोर की जानकारी देते हुए मेरे दिमाग में एक और शब्द उभर आया 'देहखोर'। और मुझे अतीत की कई कहानियां याद आ गईं। देखी-दिखाई ,सुनी -सुनाई तो कुछ भोगी हुई । मैं अतीत के पन्ने पलटने लगी।
मैडम,आदमखोर किसे कहते हैं?--उस जीव -जंतु को जो मनुष्य को खाते हैं।-क्या प्रकृति ने उन्हें ऐसा बनाया है?--नहीं,लंबे समय तक भूखे रहने की वजह से वे किसी का मनुष्य का शिकार करते हैं फिर उसका खून -मांस उन्हें इतना ...Read Moreआ जाता है कि वे धीरे- धीरे उसके आदी हो जाते हैं।उस बच्ची को आदमखोर की जानकारी देते हुए मेरे दिमाग में एक और शब्द उभर आया 'देहखोर'।और मुझे अतीत की कई कहानियां याद आ गईं। देखी-दिखाई ,सुनी -सुनाई तो कुछ भोगी हुई ।मैं अतीत के पन्ने पलटने लगी।भाग--एकमैं अंजना से उन दिनों मिली थी ,जब इस छोटे शहर में
भाग दो अर्चना और संजना पाँचवीं तक नगर पालिका के स्कूल में मेरे साथ ही पढ़ी थीं, पर उनके घरवालों ने छठी कक्षा में उन्हें पढ़ने के लिए ब्वॉय -कॉलेज की अपेक्षा गर्ल्स -कॉलेज में भेजा था।अपने घरवालों के ...Read Moreके कारण अब वे मुझसे थोड़ी कटी -कटी रहतीं।दोनों एक साथ स्कूल जाती -आतीं।हालांकि दोनों का आपस में और कोई मेल नहीं था। संजना ऊंची जाति की धनी- मानी परिवार से थी।अर्चना पिछड़ी जाति और निम्न आयवर्ग की लड़की थी। अर्चना की माई की गली के मुहाने पर पान की दुकान थी।वह एक बदनाम और झगड़ालू स्त्री थी।मुहल्ले में उसकी नंगई से
भाग तीनगाड़ी तेजी से गोरखपुर की ओर भागी जा रही थी।उसमें बैठे सभी लोग तनाव में थे।अर्चना और उसकी माई को अपने प्राणों का भय था तो अंजना के घरवालों को कुल- खानदान की नाक कट जाने की चिंता।जब ...Read Moreके दोनों तरफ इमली के विशालकाय वृक्ष दिखाई देने लगे तो पता चला कि गोरखपुर आ गया।गोरखपुर इतना छोटा शहर भी नहीं है कि आसानी से उस जगह का पता चल जाए,जहां रात -भर दोनों लड़कियां ठहरी थीं।दिमाग पर बहुत जोर देने पर अर्चना को याद आया कि पहाड़ी ने कूड़ाघाट नाम लिया था।वे लोग कूड़ाघाट पहुंचे।वहाँ की कई गलियों
भाग चारसमय तेजी से भागा जा रहा था।अर्चना काफी समय से नहीं दिख रही थी, पता चला कि वह ननिहाल गई है।मैंने दसवीं की परीक्षा पास कर ली थी।अब मेरे लिए भी संघर्ष की स्थिति थी क्योंकि बाबूजी और ...Read Moreमेरे आगे पढ़ने के ख़िलाफ़ थे।मेरे लिए वर की तलाश हो रही थी।बस अम्मा ही चाहती थी कि आगे पढूँ।अम्मा को फ़िल्म देखने और लोकप्रिय साहित्य पढ़ने का बहुत शौक था ।हालांकि वह खुद पांचवीं पास थी पर हम बच्चों को अक्षर- ज्ञान उसी से मिला था ।हिसाब- किताब में भी वह माहिर थी।गुलशन नंदा,रानू,शिवानी के उपन्यास वह दो दिन ही
भाग पांचअर्चना को अपने ननिहाल के गांव में आकर बहुत सुकून मिला था।खेतों में लहलहाती फसलें,बाग- बगीचों की फलदार हरियाली ,शुद्ध हवा ने उसका मन मोह लिया। यहां के ग्रामीण लोगों से उसे भरपूर प्यार मिल रहा था।वह पिछले ...Read Moreके तनाव को भूल चुकी थी।उसका चेहरा निखर आया था।तेजी से शहर में तब्दील होते अपने कस्बे की संक्रमण कालीन मानसिकता से वह ऊब गयी थी।दोहरे लोग,दोहरा चरित्र, छी:!वह गाँव की लड़कियों के साथ खेतों की पगडंडियों पर फिसलती,मटर की फलियां तोड़कर घर लाती और उनकी घुघनी बनवाकर खाती।बाग में पेड़ों पर चढ़कर आम- अमरूद तोड़ती और बड़े चाव से