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विरासत - Novels
by Neelam Kulshreshtha
in
Hindi Short Stories
विरासत 1 - दिल से --माँ संसार के पहले स्कूल में पहला बच्चा दाखिल होने आता है। पिता की जेब में सिक्के, नाक पर दर्प है। माँ को साथ लाया गया है, क्योंकि बच्चे के स्कूल का पहला दिन है। बिचारी घर के कामों से लस्त-पस्त, थकी-सी साथ में खड़ी है। जैसे उसका होना न होना बराबर है या स्कूल में पिता के साथ ‘माँ’नाम के जीव का होना आवश्यक है। शिक्षक पूछता है, "बच्चे के साथ किसका नाम लिखा जायेगा ?" “मेरा क्योंकि मैंने इसे नौ महीने गर्भ में रखने की पीड़ा झेली है। दिन का चैन लुटाकर, रातों
विरासत 1 - दिल से --माँ संसार के पहले स्कूल में पहला बच्चा दाखिल होने आता है। पिता की जेब में सिक्के, नाक पर दर्प है। माँ को साथ लाया गया है, क्योंकि बच्चे के स्कूल का पहला दिन ...Read Moreबिचारी घर के कामों से लस्त-पस्त, थकी-सी साथ में खड़ी है। जैसे उसका होना न होना बराबर है या स्कूल में पिता के साथ ‘माँ’नाम के जीव का होना आवश्यक है। शिक्षक पूछता है, बच्चे के साथ किसका नाम लिखा जायेगा ? “मेरा क्योंकि मैंने इसे नौ महीने गर्भ में रखने की पीड़ा झेली है। दिन का चैन लुटाकर, रातों
नीलम कुलश्रेष्ठ 1 - सीख वह दुनिया में कोई बेईमानी, भ्रष्टाचार देखकर दंग है। दुनियां के बदलते तेवर देखकर दंग है। न आँखों की, न उम्र की शर्म न रिश्तों का लिहाज़, न दोस्ती की गरिमा -जैसे ये ...Read Moreशब्दकोष का हिस्सा बनते जा रहे हैं। वह अपने बेटे को लोमड़ी व कौए की कहानी सुनाती है। बड़ी गम्भीरता से सिखाती है, “बेटा! कभी किसी को दग़ा नहीं देना, न दुःख देना। लोमड़ीनुमा चालाकी भरी नीचता से दूर रहना। किसी की रोटी नहीं छीनना, किसी का शोषण नहीं करना।” बेटा ध्यान से सुनता है, मनन करता है। वही बेटा
विरासत – 3 सन 2002 के गुजरात दंगों के बाद नीलम कुलश्रेष्ठ लाल होली इस वर्ष स्कूल का मैनेजमेन्ट पशोपेश में है, जो प्रदेश खून की होली से गुज़रा है, वहाँ होली मनाना उचित है या नहीं। बाद ...Read Moreसोचा जाता है जो धर्मों के बीच दूरी आ गई है, होली का गुलाल उस दूरी को कम करेगा। प्रत्येक वर्ष की तरह नर्सरी कक्षा में टीचर प्लेट में भरा गुलाल मेज़ पर रखकर होली का महत्त्व बताते हुए भक्त प्रहलाद की कहानी सुनाती है। सब बच्चों से कहती है, “आप सब अपने पास बैठे बच्चे के साथ यहाँ आकर
1 - ज़िम्मेदारी [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] ससुर व पति की कड़ी हिदायत है, घर की देहर लाँघकर घर की स्त्रियाँ बाहर कमाने नहीं जायेंगी। वह पिंजड़े में बंद मैना-सी घर में फड़फड़ाती है, छटपटाती है, क्यों कि उसने ...Read Moreपदक लेने के लिये इतनी कड़ी मेहनत की थी? घर तो वैसे भी साफ़ रख सकती थी, खाना तो बिना पढ़े वैसे भी बना सकती थी । वह मेरे पास आकर अपना गुस्सा निकालती है, “आप देखना, मैं अपनी बेटी को इतना महत्त्वाकांक्षी बनाऊँगी । कैरियरिस्ट बनाऊँगी। जिससे उसकी ज़िन्दगी रोटी के घेरे में ही गोल-गोल घूमती न रह जाये।
[अंतिम एपीसोड] "मिशिका !प्लीज़ ! बात करो न। " [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] बच्चों को तो मज़े आ गये छुट्टियों के लेकिन बीस पच्चीस दिन बाद समझ में आया कि ये छुट्टियां नहीं हैं, कैद है। बड़े लोग भी ...Read Moreमें बंद लैप टॉप खोले उन्हें अपने कमरों से भगाते रहते हैं, झिड़क देते हैं, "ऑफ़िस का काम करने दो। " "आप ऑफ़िस क्यों नहीं जा रहे? " "कोरोना फ़ैल रहा है तो कैसे जाएँ ? बॉस ने कहा है कि घर से ऑफ़िस काम करो। " हर कमरे में भटकती, टीवी देख कर बोर हुई मिशिका बहुत ऊबी रहती