Udhde zakhm - Last part books and stories free download online pdf in Hindi

उधड़े ज़ख्म - अंतिम पार्ट

आख़री ख़त
अस स्लामु अलैकुम मेरे प्यारे बुद्धू सड़क छाप लेखक,मेरे प्यारे जुनैद तुम तो मेरे ऊपर कहानी न लिख पाये,लेकिन मेरा ये आखरी ख़त सिर्फ तुम्हारे लिए है,मुझे नही पता ये खत कोन कोन पढ़ेगा,पर मे चाहती हूं मेरी आखरी बातें तुम तक ज़रूर पहुँचे, जुनैद में जानती हूं तुम्हारी बहुत सारी ख़्वाहिशात है,तुम खुले मिजाज़ के साथ साथ पुराने ख्यालात के भी हमेशा से रहे हो, तुमने मुझसे बहुत सी मर्तबा बहुत सी ख्वाहिशों का ज़िक्र किया,जिसमें से एक ख्वाहिश ये भी थी कि में तुम्हें ख़त लिखूं, तुम्हारी किस की ख्वाहिश तो में चाहते हुए भी शर्म की वज्ह से कभी पूरी न कर सकी,पर ख़त की ख्वाहिश ज़रूर पूरी कर रही हुं,खत कही से गीला हो तो समझ जाना मेरे आंसुओ के निशान हैं।

जुनैद तुम्हारी मेरी मोहब्बत में सब कुछ था,,शुरूआत मेरी दिलकशी से हुई तुम्हारी कहानियों के लिए,फिर तुम्हारी उन्स मेरी शायरी के लिए,ओर ये दोनों पहुँची पाक मोहब्बत तक,वो मोहब्बत जो सबकी आँखो में चुभी कांटा बन कर,लोगों ने बहुत कोशिश की मेरे दिल से तुम्हें हटाने की,लेकिन मेरा अक़ीदा पूरी तरह से तुम पर था, और होता भी क्यों न,इबादत की तरह तुम मेरे हर नुक़्ते पर नज़र रखते थे,और जुनून की हद तक प्यार करते थे,बस कुछ रह गया था तो वो थी मौत,जो आज पूरी हो जायेगी,लेकिन जुनैद अपनी मौत के बाद में तुम्हे सवालों के भँवर में छोड़ कर नही जाऊंगी,जिस वजह से में मरने जा रही हु वो वजह जिस से तुम अभी तक रूबरू नही हो आज में तुम्हे बताऊंगी।



जुनैद जैसे खूबसूरत बच्चों को नज़र न लगे इसलिए नज़र का टीका लगाया जाता है काश ऐसे ही ज़िन्दगी को भी लगाया जाता, ग़र ऐसा होता तो हमारी ज़िन्दगियों को बुरी नज़र न लगती, जानते हो बुरी नज़रो की शुरुआत हमारी मंगनी से हुई थी, जब तुम्हारे पापा ने अपनी शान ओ शौक़त दिखाने के लिए शहर की तमाम नामचीन हस्तियों को मंगनी में इनवाइट किया था,जिसमें कुछ नेता भी थे,कुछ वक़ील कुछ एक्सपोर्टर ओर कुछ शहर के नामी बदमाश भी, ये जो तुम में भी थोड़ी थोड़ी शो ऑफ है ये पापा का ही असर है,में जानती हूं तुम्हारे पापा का काम ऐसा है उसमें हर तरह के लोगो से ताल्लुक़ात रखने पड़ते है,लेकिन हमारी बिरादरी के लोगो ने इन ताल्लुक़ात को दूसरी तरह से मेरे अम्मी पापा के सामने पेश किया,मेरे चाचा जिन्हें मेने कभी पापा से कम नही समझा उन्होंने पापा से कहा क्या भाई जान,क्या हमारी बच्ची भागी जा रही थी जो आपने इन गुंडे बदमाशो में रिश्ता कर दिया, ये तो बहुत बुरे लोग हैं,कल को हमारी बच्ची के साथ मारपीट करेंगे तुमसे दहेज माँगेंगे तो खुद को बेच के दोगे या बच्चो को बेच के दोगे,वेसे ही लड़का भी जाहिल है, और जाहिल के पल्ले पढ़ी लिखी बाँधोगे तो कभी भी खुशी से नही रह पायेगी, पता है जुनैद मंगनी के बुलावे के लिए जितने प्यार से मैने सब लोगो के नाम कार्ड पर लिखे थे,उन लोगो ने उतने ही चाव से मेरे अम्मी अब्बू को इस रिश्ते के ख़िलाफ़ भड़काया,जब मंगनी से सब लोग घर आ गए तो औरतो ने अम्मी से पूछा समध्याने से क्या क्या सामान मिला।।अम्मी ने बताया कि झुमकों हार चूड़ी ओर अंघुटी सहित कुल मिला कर १० तोला सोना है,तब यही औरतें जो मेरे सिर पर हाथ फेर कर मंगनी में खाने गयी थी कहने लगी,अरे नफ़ीसा अब समझ आया कि तूने नीची बिरादरी में रिश्ता क्यो किया,इतना सोना तो शादियों में नही चलता हमारे यहाँ,इनके यहाँ से मंगनी में आ गया,इतने में दूसरी आंटी कहने लगी अरे रिश्ता तो मेरी बेटी का भी एक ऐसे ही घराने से आया था, पर लोग अच्छे न थे,तो मैने तो मना कर दिया,अपनी बच्ची बेचनी थोड़ी है मुझे,ये कुछ मुख्तसर बातें थी जो मेरे सामने आई थी,बाकी मुझसे गुलवेज़ ने कहा था कि अप्पी मंगनी में हमारी तरफ के सभी लोगो की आंखे खुली रह गयी थी इंतेज़ाम देख कर, आधे लोग तो इन्तेज़ाम देख कर ही चिढ़ गए है, ये छोटी सी बात छोटे भाई के समझ आ गयी थी,लेकिन मेरे नादान अम्मी अब्बू की समझ मे न आई,उस दिन के बाद से ही उनकी न नुकुर शुरू हो गयी थी इस रिश्ते के लिये,मेने उन्हें हरचंद समझाया कि ये लोग जलते है अम्मी,इसी लिए छुटेबाज़ी करते है,आप इन लोगों की सूरतों पर खाक़ डाल दो,पर अम्मी के ज़ेहन में ऊंच नीच पढ़ाई लिखाई घर कर गयी थी।


अम्मी खुल कर तुम्हारे अम्मी अब्बू के सामने कुछ नही कहती थी,क्योंकि डरती थी, लेकिन मेरे ऊपर पूरा दबाव बना रखा था कि में इस रिश्ते के लिए मना कर दूं,लेकिन जुनैद मेरी तो हर सांस पर मुझे तुम याद रहते हो,में कैसे तुमसे खुद को अलग कर लेती,मेंने घर पर साफ मना कर दिया के में इस रिश्ते के लिए मना नही करूंगी,मेरे घर वालो ने तुम्हारे घर वालो की खेरयत लेनी बन्द कर दी,तीज त्योहार पर पूछना बन्द कर दिया,ताकि तुम्हारे घर वालो के मन मे खटास आ जाये और वो खुद इस रिश्ते को ख़त्म कर दें,पर तुम्हारे अम्मी अब्बू तुम्हारी ख़ुशयो के आगे झुके हुए थे,तुमने मुझसे एक साल में बहुत सी शिकायतें की, में उन शिकायतों को न तो घर मे कह पाती थी न तुम्हारे लिए मेरे पास कोई जवाब होता थासनतीजा ये निकला वो सब मेरे अंदर ज़हर बनती गयी,कल रात भी मेने तुमसे बहुत हार कर कहा था के में अब बर्दाश्त नही कर सकती, तब तुमने भी थक कर मुझसे कह दिया के सुम्मी ये बताओ मेरी या मेरे घर वालो की क्या कमी है ? क्यों तुम्हारे अम्मी अब्बू के मुह सीधे नही है,अगर तुम अपने घर मे हैंडल नही कर पा रही हो तो भाग चलो मेरे साथ,मेरे घर वाले भागने के बाद भी हमे अपना लेंगे,और फिर तुम्हारे घर वाले भी कुछ नही कहेंगे, पर जुनैद में कैसे भाग जाती,तुम नही जानते में अपने अब्बू का सिर नही झुका सकती,उनके माथे पर कलंक लगा कर खुद खुश नही रह सकती,उनका कहना मेरे लिए हुक्म जैसा है,मेरे हिसाब से मेरी बात सही थी,पर पता नही क्यों तुम मेरी बातों को गलत ले गए,तुमने पता नही कैसे सोच लिया कि में बेवफा हूं,अगर मेने तुमसे पहली मुलाकात में निकाह नही किया था तो उसका ये मतलब नही था कि में बाद में तुम्हे छोड़ दूंगी,मेने न कभी छोड़ा था तुम्हे न कभी छोड़ सकती हूं,तुम्हारी कहानियों की नायिकाओं की तरह नही हुं में जुनैद।


में तुम्हे कभी भी खुद से अलग करने के लिए नही कह सकती,में तुम्हे कभी किसी ओर के साथ भी नही देख सकती,हां में बहुत खुदगर्ज़ हूं, पर में तुम्हारे साथ सब कुछ छोड़ कर जा भी नही सकती,और मेरे अम्मी अब्बू मेरे लिए रिश्ते देख रहे है,में किसी ओर से शादी भी नही कर सकती,में बहुत कशमकश में हूँ जुनैद,मेरा दिल जला जा रहा है ओर दिमाग फटने को तय्यार है,में अब न तो और लिख सकती हूं और न ही इस दर्द को सह सकती हूं,ख्वाब टूटने का दर्द बहुत शदीद होता है जुनैद, आंखे खून रोती है और अंदर से सिसकियों के साथ चीखने की आवाज़ आती है, और हर चीख पुकार कर ये ज़ाहिर करती है ये ख़्वाब बहुत कीमती था,
दर्द घटाने को बढ़ा तो लें दास्तां मगर

हमे ख़बर है कहानी में हमें मरना है।

इस लिए में तुम्हारे मेरे किस्से को यही खत्म करने जा रही हूं,मुझे अफसोस है तुम्हारी कहानियों की तरह तुम्हारी ज़िन्दगी में भी तुम्हारी मोहब्बत अधूरी रह जायेगी,लेकिन तुम मेरी तरह हिम्मत मत हारना,ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है,इसे जीना,,किसी अच्छी लडक़ी से शादी कर लेना और मुझे भूलने की कोशिश करना जाना।

अल्लाह हाफिज़ जुनैद,,,ख्याल रखना अपना।