इत्तेफाक से तुम यूं ही हमें मिले ना होते टकराए ना होते कुछ तो साजिशे खुदा की भी होगी यूं ही तो हम मिले ना होते।
तूफा आया है मेरे घर में तो कुछ हवा के झोंके तेरे घर तक भी पहुंचे होंगे हवा के झोंके से कुछ तेरा भी बिखरा होंगा।
बिखर गया है पूरा घर मेरा तो कुछ पर्दे तेरे खिड़की के भी हिले होंगे।
क्योंकि हम यूं ही तो ना मिले होंगे।
कोई व्यक्ति अगर आप से दूर है फिर भी यादों से आपके पास है । तो वह दोनों दिल से मिलते हैं तो महफिल जरूर सज जाती है।
जब किसी से प्यार होता है ,तो किसी की मर्जी नहीं चलती बस बस तू अपने आप बढ़ता जाता है।
इसलिए किसी की मर्जी से चलने के बजाय उसको मुक्त आकाश में खुला छोड़ देना चाहिए ।
अपनी पसंद की व्यक्ति के साथ साहचर्य मान लेना चाहिए और ऐसा ही कुछ हुआ था। निकुंज की जिंदगी में।
में खाना खाने के लिए एक रेस्टोरेंट में गया।
हमेशा की तरह वहां लंबी लाइन लगी हुई थी और मैंने उसकी लंबाई में और वृद्धि कर दी।
पास में एक लड़की भी आ गई वह बोली इतनी लंबी लाइन आज तो मेरी परीक्षा भी है पता नहीं देर हो जाएगी।
मैंने कहा कोई बात नहीं मेरी जगह तुम ले लेना सैंडविच मैं बाद में ले लूंगा।
वह बहुत मासूम थी अपने हाव-भाव मै भी और अपनी बॉडी लैंग्वेज में भी।
वह शायद मेरी इस सालीन व्यवहार से विस्मित थी और मुस्कुरा दी।
उसका हॉस्टल मेरे दफ्तर के रास्ते में ही था अगले चौराहे पर फिर से उसकी मुलाकात हो गई कुछ सहेलियां के साथ।
फिर हमने पहली बार हाथ मिलाया। फोन नंबर की आ पले हुई।
दो-तीन दिन के बाद एक रात मेरे लिए सरप्राइस लेकर आई थी।
"हाय कैसे हो"
मैंने भी रिप्लाई में जवाब दे दिया । अच्छा हूं तुम कैसी हो।
एक दूसरे की फोटो पर लाइक करना गुड मॉर्निंग ,गुड नाइट जैसा सिलसिला चलता रहा हर रोज़।
अब तो आदत सी हो गई थी उसका मैसेज देखने की।
उसकी फोटो देखते ही दिल धड़कना बंद कर देता था।
लगता था कुछ तो बात होगी मोबाइल के शब्दों के साथ, मिस कॉल के साथ उसकी बातों के साथ।
कोई इतना दूर रहकर भी इतना पास लगता है ।उसका एक कोल उसका एक मैसेज उसका एक शब्द सब कुछ खास बन जाता है।
जब वह व्यक्ति दिल की धड़कन के साथ जुड़ जाता है। सारी दुनिया हसीन लगने लगती है जिंदगी भी खूबसूरत हो जाती है।
जिंदगी के हर पल जीने को मन करता है। अब तो बात करते समय पल भी कम पडते हैं।
अगर उसका साथ मिले तो धरती के किसी भी कोने में जी लेने का मन करता है।
अगर उसके साथ समय बिताने को मिल जाए तो कितने भी लोकडाउन मील जाए वह भी कम पड़ेंगे।
तेरी इशक का केदी बनने का अलग ही मजा हे।
छुटने को दिल नहीं करता और उलझने में ही मजा आता है।
जिंदगी देने वाले खुदा मिलाने से पहले तूने तो कुछ सोचा होगा। यूं ही तो हम नहीं मिले होते।
*"कुछ साजिसे से खुदा की भी होगी खुदा करे मेरी उल्फत में तुम यूं उलझ जाओ।
मैं तुमको दिल में भी सोचु तो तुम समझ जाओ।"*