Iti marg ki sadhna paddhati - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

8. आध्यात्मिक साधना शिविर-राष्ट्रीय सत्संग कार्यक्रम

इति मार्ग की साधना पद्धति

 

8. आध्यात्मिक साधना शिविर-राष्ट्रीय सत्संग कार्यक्रम

 

अखिल भारतीय सन्तमत सत्संग की परम्परा के सद्‌गुरुओं का मूलभूत सिद्धान्त रहा है कि आन्तरिक ध्यान-योगाभ्यास व उपासना से ही मानव जीवन में समुचित मानवीय गुणों एवं आध्यात्मिक जीवन का विकास सम्भव है। इसी उद्देश्यानुकूल सद्‌गुरुओं व सत्संग संचालक साधकों द्वारा साप्ताहिक, मासिक शान्ति पाठ के अतिरिक्त प्रत्येक माह में आध्यात्मिक साधना शिविर-राष्ट्रीय सत्संग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। ये कार्यक्रम मुख्यतः तीन भागों में सम्पन्न होते हैं।

सर्व प्रथम समय व व्यवस्थानुकूल 12 घन्टे से ले कर 72 घन्टे का अखण्ड शान्ति-पाठ कार्यक्रम होता है। इसमें ‘’ऊँ शान्ति'' मन्त्र अथवा अपने इष्ट के नाम का जाप जिव्हा से नही अपितु हृदय से (Not by Tongue but by thought), ख्याल के जुबान से किया जाता है इससे साधकों को अनुपम आन्तरिक शान्ति एवं आत्मिक आनन्द का अनुभव होता है ।

यह ‘’ऊँ शान्ति'' का अखण्ड शान्ति पाठ अनवरत पूरे सत्संग व साधना कार्यक्रमों की पूरी अवधि में चलता रहता है और अन्त में सामूहिक शान्ति पाठ के साथ समस्त सत्संग कार्यक्रम सम्पन्न होते हैं।

दूसरे भाग में प्रातःकाल सूर्योदय के होते-होते आधे घण्टे की प्रभात-फेरी और आधा घण्टा रामधुन व प्रार्थना के साथ दिन का शुभारम्भ होता है एवं प्रातःकालीन व सायंकालीन सत्र में ‘ध्यान-योगाभ्यास' एवं तत्पश्चात्‌ परमात्मा की याद व साधना के सिद्धान्तों एवं प्रक्रिया पर विस्तृत विवरण व दिशा-निर्देश परम सन्त महात्मा श्री सुरेश जी (पूज्य भैया जी) के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।

तीसरे भाग में टोली-चर्चा होती है। जिसमें रात्रि में 10 से 11:30 बजे तक व्यक्तिगत परिचय के साथ-साथ आनन्द योग साधना सम्बन्धी जानकारी व दैनिक साधना सम्बन्धी संशय व कठिनाइयों से सम्बन्धित प्रश्नों का निराकरण किया व कराया जाता है।

राष्ट्रीय सत्संग कार्यक्रमों में भाग लेने वाले साधकों के लिए दिशा-निर्देशः

1) सुरक्षा व व्यवस्था की दृष्टि से सत्संग स्थल परिसर में पहुंचने पर अपना परिचय पत्र बनवाना जरूरी है।

2) सत्संग स्थल की पवित्रता एवं साधना की गरिमा बनाये रखने हेतु धूम्रपान, गुटका, तम्बाकू का सेवन कदापि न करें ।

3) सत्संग कार्यक्रम के दौरान पुरूष कुर्ता धोती/पायजामा तथा देवियाँ साड़ी/सूट का ही प्रयोग करें ।

4) सत्संग के सभी कार्य स्वयं सेवा से सम्पन्न होते हैं। सेवा प्रदान करने के पहले, इच्छानुसार किसी भी विभाग में अपना नाम देकर सेवा में सहर्ष भाग ले सकते हैं । इन सभी सेवाओं से निष्काम कर्म का अभ्यास होता है ।

5) सभी सत्संग समागम में श्रद्धालु साधक निम्न अर्हतायें पूरी करके प्रार्थना -पत्र देकर पूजा प्राप्त कर सकते हैं ।

(क) साधना उपयोगी सम्पूर्ण अखिल भारतीय सन्तमत सत्संग द्वारा प्रकाशित साहित्य जिसमें श्री बृजमोहन वचनामृत के पांचों भाग मुख्य हैं, को प्राप्त करना।

(ख) ‘संत -सुधा' त्रौमासिक पत्रिका की निरन्तर प्राप्ति ।

6) सत्संग स्थल/आश्रम परिसर में मोबाईल फोन व कैमरे का प्रयोग न करें। कहीं भी कभी भी फोटो व वीडियोग्राफी कदापि न करें।

7) पानी व्यर्थ बरबाद न करें। कूड़ा इधर उधर न फेंक कर कूडे़दान में ही डालें।

8) साधना के उत्तरोत्तर उन्नति हेतु अखिल भारतीय सन्तमत सत्संग द्वारा प्रकाशित सत्संग साहित्य (जो कि सत्संग ‘बुक-स्टाल' पर उपलब्ध रहता है) अवश्य प्राप्त करें ताकि घर वापिस जाने पर साधना  सूत्रों व पद्धति की पुनरावृत्ति कर सकें ।

 

नोट : सभी आध्यात्मिक साधना शिविर सत्संग कार्यक्रमों -आनन्द योग (A Divine Science) दिव्य विज्ञान के आध्यात्मिक उत्सवों के कार्यक्रमों में ध्यान व योगाभ्यास के सिद्धान्तों के विवरण को  टी.वी. चैनल ‘साधना' पर  प्रतिदिन (सोमवार के अतिरिक्त) प्रातः 6:00 से 6:20 बजे तक देखा जा सकता है।