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इयरफोन से बनी प्रेम कहानी

रोहित का ऑफिस मेट्रो स्टेशन से लगभग 20 मिनट के पैदल रास्ते पर था, अतः वह प्रतिदिन साढ़े आठ वाली मेट्रो से जाता था।आज के युवा की पहचान है गले में लटका या कानों में लगा हुआ इयरफोन और हाथों में पकड़े मोबाइल पर थिरकती हुई उंगलियां।खाना भूल जाएं, किंन्तु मोबाइल एवं हेडफोन भूलना नामुमकिन है।रास्ते भर गाने सुनता,वीडियो देखता,और तो औऱ,ऑफिस पहुंचने के बाद ही इयरफोन कान से निकलकर जेब में समाता।कई बार कान में इयरफोन लगे होने से दुर्घटना हो जाता है क्योंकि इधर उधर की आवाजें सुनाई नहीं देतीं और ध्यान भी नहीं होता चारों तरफ।खैर, आज दुःखद घटना नहीं।एक छोटी सी प्रेम कहानी।
आज भी रोहित रोज की भांति कानों में इयरफोन लगाए सड़क पर चला जा रहा था कि तभी एक युवती दौड़ती हुई उसके सामने आ कर खड़ी हो गई और जोर से कहा,"स्टॉप,मिस्टर ब्लू शर्ट।"रोहित अचकचाया सा ठहर गया और उस युवती की तरफ प्रश्नवाचक निग़ाहों से देखने लगा।
युवती ने थोड़ा क्रोधित होते हुए कहा कि हद है यार,पढ़े लिखे व्यक्ति हो,कम से कम रास्ते में तो इयरफोन नहीं लगाना चाहिए, कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है।मैंने मेट्रो से उतर कर कई आवाजें लगाईं तुम्हें, लेकिन अपने में मग्न तुम्हें सुनाई कहां पड़ता।यह लो अपना बैग, जो तुमने मेट्रो में छोड़ दिया था।रोहित ने थेँक्स कहकर बैग ले लिया।इट्स ओके कहकर वह युवती चली गई।बैग पाकर रोहित ने राहत की सांस ली,क्योंकि उसमें उसका लैपटॉप था, जिसमें सारा आवश्यक डाटा था, यहां तक की आज के प्रेजेंटेशन का भी, जिसका बैकप लेने का भी समय नहीं मिल पाया था।आजकल ज्यादातर काम ऑनलाइन लैपटॉप एवं मोबाइल से ही होते हैं, पेमेंट भी ऑनलाइन ही होता है, सच तो यही है कि अगर इंटरनेट थम जाय तो जिंदगी ही रुक जाती है।वह युवती तो चली गई लेकिन रोहित के दिल -दिमाग में उस एक झलक ने हलचल मचा कर रख दिया।अब रोज स्टेशन से लेकर उतरने तक रोहित की निगाहें उस युवती को तलाश करती रहतीं।15-20 दिन पश्चात उसकी प्रतीक्षा पूर्ण हो गई और वह युवती उसे दिख गई।रोहित उसके पास जाकर हाथ बढ़ाते हुए कहा कि मैं रोहित।युवती ने भी बेबाकी से हाथ मिलाते हुए अपना परिचय दिया,"मैं आयुषी।"आज युवा आसानी से बेहिचक परिचय एवं वार्तालाप करते हैं, बस सामने वाला सभ्य होना चाहिए।आपसी बातचीत में उन्होंने अपने कार्यक्षेत्र का भी जिक्र किया।रोहित MBA था और एक मल्टीनेशनल कंपनी में मार्केटिंग ऑफीसर था, आयुषी सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी,उसी क्षेत्र में दूसरी कम्पनी में वह कार्यरत थी।अब वे अक्सर ही मेट्रो में मिलने लगे थे, आपस में मोबाइल नंबर का भी आदान प्रदान हो गया था, धीरे धीरे मित्रता प्रगाढ़ होने लगी।एक वर्ष में उनका प्यार परवान चढ़ गया।दो साल की डेटिंग के बाद उन्होंने विवाह का फैसला कर लिया।दोनों ने अपने परिवार वालों को एक दूसरे से मिलवाया, सभी ने सहर्ष अपनी सहमति प्रदान कर दी।रोहित एवं आयुषी ने सादे समारोह में अपने परिजनों एवं मित्रों की उपस्थिति में विवाह कर लिया।वे प्रदर्शन में फिजूलखर्ची पसन्द नहीं करते थे, उनका मानना था कि उस धन का सदुपयोग अपनी गृहस्थी बसाने में करना ही अक्लमंदी है।
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