Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 12 books and stories free download online pdf in Hindi

Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 12

"कोई रास्ता नही था? तुम किस बारे में बात कर रहे हो?" नर्मदा ने उलझन में अपना सिर हिलाया।

"मुझे पता चला था की तुम्हारी जबरदस्ती शादी कराई जा रही है जो तुम नही चाह....."

"तो?" नर्मदा फोन लेकर उसे दीवार पर फेंकना चाहती थी।

"मैं वोह सब रोकना चाहता था और तुम्हारा ध्यान रखना चाहता था।"

जवाब देने से पहले नर्मदा ने नील की तरफ कुछ पल देखा। नील के चेहरे पर अस्पष्ट भाव थे।
"ओह.... तो तुम मेरे लिए खुद क्यूं नही आए राज?"

"वोह, हंटर से ज्यादा सक्षम और भरोसेमंद कोई नही है।" राज ने कुछ अटकते हुए कहा।

"ओह अच्छा, थैंक्स मुझे बचाने के लिए। अब अपने भरोसेमंद हंटर से कहो की मुझे जाने दे।"

"नर्मदा, हम एक होने वालें हैं, मुझे पता है की तुम अभी ऐसे कुछ भी महसूस नही कर रही हो, पर मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा जितना भी समय लगे तुम्हे मुझे एक्सेप्ट करने के लिए, मुझे अपना बनाने के लिए।"

नर्मदा को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसका गला घोंट दिया हो। वोह हल्का सा खाँसने लगी, राज के कहे शब्द हज़म नहीं कर पा रही थी। "तुम पागल हो क्या, राज?"

"मैं पागल हूं तुम्हारे लिए..... मेरी नाज़ुक कली।"

"शट अप.... मुझे यह बुलाना बंद करो।" नर्मदा ने फोन पर ही चिल्लाते हुए कहा।

"मुझे तुम्हारी यह आग उगलती आवाज़ बहुत पसंद है। मुझे पूरा यकीन है की तुम तब भी बहुत खूबसूरत लगती होगी जब तुम गुस्सा भी करती होगी।"

"जस्ट शूट मी...बस मार दो गोली मुझे।" नर्मदा ने नील की तरफ देखा। उसकी आँखें गुस्से से जल रहीं थी।

"मुझे तुम्हारी आवाज़ में कुछ परेशानी महसूस हो रही है। प्लीज़, अभी आराम करो, स्वीट हार्ट। मैं बेताबी से तुम्हारा यहाँ इंतज़ार कर रहा हूं," राज ने कहा और फिर फोन कट कर दिया।

"यह सब हो क्या रहा है?" नर्मदा ने रोते हुए अपना चेहरा अपनी हथेली में छुपा लिया। एक अजीब सी अनिश्चितता ने उसे घेर लिया था और उसे धमका रही थी खा जाने को। वोह अपनी हथेली में मुंह छुपाए रो रही थी और इस वक्त जो परिस्तिथितियां थी उसे हज़म नहीं कर पा रही थी। वोह असहाय महसूस कर रही थी, कोई नही था जो उसकी मदद कर सकें। उसके पापा उसे शायद ढूंढ रहें हो लेकिन बस दुनिया को अपना मुंह दिखाने के लिए ना की उसे वाकई में बचाने के लिए। हाँ उसके दोनो भाई जरूर नील तक पहुँच जाते और उसकी सारी सिक्योरिटीज को तोड़ डालते पर अगर वोह दोनो जिंदा होते।

नर्मदा बढ़ती उम्र के साथ अनाथ जैसा महसूस करती थी बस उस समय को छोड़ कर जब वोह अपने पूर्वजों के पुश्तैनी घर अपने दादाजी से मिलने जाति थी। उसके पापा और माँ तो अपनी ही दुनिया में रहते थे और अपनी सोशल स्टेटस को मेंटेन करने में ही लगे रहते थे। और उस के दोनो भाई, उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी और खानदानी दुश्मनी के पचड़े में फंस गए थे जिस वजह से उन्हें अपनी जान गवानी पड़ी थी। किसी तरह नर्मदा ने सब की अनदेखी के बाद भी अपने आप को संभाल रखा था और अपना सारा ध्यान अपनी पढ़ाई और अपनी रिसर्च पर लगा दिया था।

नर्मदा को उसकी करीबी महसूस होने लगी और वोह कुछ हिचकिचाने लगी। और वोह हिचकिचाहट बस कुछ पल की हो थी, क्योंकि अगली चीज़ जो नर्मदा जानती थी, वोह यह था की अगले ही पल नील ने उसे खींचा और अपने सीने लगा लिया, उसे अच्छा महसूस कराने के लिए। नील ने कुछ नही कहा, बस उसे अपने सीने से लगाए रखा, और बस यही तोह नर्मदा को चाहिए था। कंफर्ट। नर्मदा ने भी अपनी बाहें फैला कर उसे जकड़ लिया और अपना चेहरा उसकी नर्म सी टी शर्ट में छुपा लिया।

"नील.....क्या यही है जो मैं डिजर्व करती हूं? एक बेवकूफ जो यह सोचता है की वोह डिसाइड करेगा की मुझे जिंदगी में क्या चाहिए।"

नील ने अभी भी एक शब्द नही कहा। और नर्मदा भी उस से कुछ उम्मीद नही कर रही थी— वोह कभी भी ज्यादा बात नहीं करता था।

"मैं कहीं भी नही जाना चाहती, और मुझे जाने बिलकुल भी मत देना, पर प्लीज़ मुझे उस आदमी के पास बिलकुल भी मत ले जाना। मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं।" नर्मदा ने जैसे ही यह बात कही वोह उस से थोड़ा सा दूर हुई ताकी उसका चेहरा देख सके उसकी आँखें पढ़ सके और अगले ही पल उसकी आँखों में उसे प्रतिक्रिया दिखने लगी। उसकी आँखों में देख कर उसे ऐसा लग रहा था मानो वो खुद से ही लड़ रहा हो की वोह क्या कर रहा है।

"मैं नही कर सकता.....जो डील का हिस्सा नहीं है।"

नर्मदा ने अपनी पूरी ताकत से नील को दूर धक्का दिया। "आई हेट यू!"

जिस कुर्सी पर अभी कुछ देर पहले नर्मदा बैठी थी वोह अब उसके रास्ते के सामने रुकावट बन रही थी इसलिए नर्मदा ने गुस्से में उसे अपने पैर से ज़ोर से लात मारी और एक तरफ पटक दिया और फिर तेज़ कदमों से उस छोटी सी रसोई की ओर चली गई।

नील ने एक गहरी सांस ली और अपनी उंगलियों को अपने बालों में फेरने लगा। वोह जनता था की यह काम इतना आसान नहीं होने वाला जब उसने इस काम को करने के लिए हामी भरी थी और इसी वजह से उसने इस काम को हाथ में लेने से पहले कई दफा विचार भी किया था।

राज के पास उसके दस साल की लंबी खोज का जवाब था, और वोह बस अपना काम कर रहा था ताकी गुनहगार को ढूंढ सके। वोह अपने मिशन के आगे अपनी फीलिंग्स को नही लाने दे सकता था, पर इसकी कीमत नर्मदा को चुकाने की जरूरत नहीं थी। वोह सही कह रही थी, वोह यह सब डिजर्व नही करती।

इसी खयाल के साथ, नील नर्मदा को देखना लगा की वोह कहां है और वोह जनता था की उसे वोह कहां मिलेगी। बालकनी के दरवाज़े का लॉक बाहर से बंद था, पर नील के पास और भी कई रास्ते थे उस तक पहुंचने के लिए पर वोह हिचकिचा रहा था। अगर एक बार और नील ने उसे कंफर्ट देने को कोशिश की तो फिर पीछे हटने का कोई रास्ता नही होगा, इस वक्त यही अच्छा होगा की वोह उस से गुस्सा ही रहे।

नील ने बालकनी के दरवाज़े पर ज़ोर से हाथ मारा।
"खोलो इसे।"










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कहानी अभी जारी है...
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