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जीवन ध्येय उतर ना

यह विचित्र है परंतु विस्तृत है। आप उसी नदी में दुबारा नहीं उतर सकते जिसमे कभी डुबकी लगाया करते थे। जिसकी कल्लोल करती धार में गोते लगाया करते थे वह एक समय था जब तुम्हारा यौवन नभ पर था। और तुम्हारा बल पर्वत सा अडिग और अथाह था। परंतु समय के साथ सब परिवर्तित हो जाता है। यह भी एक कटु सत्य है। चाहे वह यौवन ही या स्वर्ण मुद्रा। क्योंकि आपको जिस दिन यह पता चलता है। की इसका परिणाम यह आएगा। तब तक आप एक डुबकी लगा चुके होते है। और आगे उपाय खोजते है। की अब इस आदत से कैसे बचा जाए।
क्युकी शराब भले ही एक बार छूट जाए परंतु आदत और व्यवहार संभवतः कही न कही समान ही पाए जाएंगे।
हम सब बहुत प्रयास करते है की हम एडवांस हो। और लोगो की नजरो में आए। परंतु उस प्रयास में हमारी विफलता ही झलकती है। ऐसा क्यों है और कब तक है ?
नदी में उतरना भी एक समय को संभव हो जायेगा। जिस दिन आप विचलित होना छोड़ देंगे। परंतु वह नही होगा।
क्योंकि भय ही भयभीत बनाता है। और इस ऊर्जावान शरीर को क्षीण करता है। इसलिए ऐसा न होगा। कभी नहीं की कोई डरे न
डर एक स्वभाव है। इसके इलावा कुछ नही।
व्यक्ति बहुत ऊंचे कामों को कर जाता है। और लोग उस पर टीका टिप्पणी करते है। कहते है, कि बताए क्या भगत सिंह को डर लगा होगा।
जो सिर्फ कार्य को करने में शक्ति लगाता है। वह डरेगा नही। अपितु उसतक खबर ही नही की डर नाम की कोई वस्तु भी होती होगी इस संसार में।
इसलिए जब नदी में उतर ही गए हो। तो प्रयत्न करो की उससे अठखेलियां करने का उसको अपना साहस दिखाने का।
सम्मुख बैठा कोई गीत गा रहा है गुनगुना रहा है। और तुम डूब गए तो समझो तुम एक अच्छे तैराक नही हो। तुम्हारा सारा जीवन बस डूब जाने में ही समाप्त हो जाता है। विचार करो।
और नदी की गहराई नापो। जिसमे तुम्हे डुबकी लगाना है। संभव है की एक ऐसी नदी जिसकी धार तुम्हे अपने में समाहित कर सकती है। तो सचेत हो जाओ उसकी तह तक तलाशी लो तब उसमे डूबो। किंतु चेतना का उस पल जागृत होना अति आवश्यक है। अन्यथा तुम्हे संशय होगा ग्लानि होगी। भय लगेगा और तुम सदा के लिए समाप्त हो जाओगे। इसको तुम सब अपने जीवन से जोड़ कर देखो। अपने विद्यार्थी जीवन से जोड़ो।तुम पाओगे की यह सत्य की अगर मैं कभी ऐसी तहकीकात करने के पश्चात इस जीवन रूपी नदी में उतरता तो शायद पार हो जाता। किंतु अब संभव नहीं है। जैसे कोई मदिरा पान करे और गिरे न ऐसा संभव कदापि नहीं है। हम सबको अपनी नदियों की गहराई को जानना है तब उतरना है। अन्यथा तो उसकी सुन्दर प्रस्तुति उस नदी की अल्हड़ धाराएं तुम्हे पागल कर देंगी। इसलिए सदैव analysis के बाद ही कोई काम करो सफलता या असफलता जो भी मिलेगी तुम्हे और तुम्हारी आत्म छवि को गर्वांवित करती रहेगी। और इसका परिणाम तुम्हारे लिए लाभप्रद ही रहेगा।
धन्यवाद।