Ekza the Story of Death - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

एकजा द स्टोरी ऑफ डेथ - 4

Ch 4 - VILLAGE
खाना खाने के बाद सबने सोचा गांव चलते है घूमने , तभी समीर के पापा ने उन्हें फिर से याद दिलाया , उस महल के तरफ मत जाना। ये सुनके सब उन्हें सवालिया नज़रो से देखने लगे , तभी शिवाय ने पूछा ऐसा क्या है वहा अंकल जो सब वहा जाने के लिए मना कर रहे , तब राम किशन जी ने उनके कहा - यह आओ मैं बताता हु तुम्हे , सब उनके आस पास जा के बैठ गए। तब राम किशन बोले - कुछ दिनों पहले पास के गांव में सरपंच के इकलौते बेटे की शादी थी वो भी तुम्हारी तरह शहर से आया था , लेकिन शादी के एक दिन पहले वो और उसके साथ आये हुए उसके 2 दोस्त बिना किसी को बताये उस महल की तरफ चले गए। क्यूकी उन्हें पता था बता के वो जा नहीं सकते थे। समीर और सारे उसके दोस्त राम किशन की बात बड़े ध्यान से सुन रहे थे ,उन्होंने कहा फिर क्या हुआ ? तभी राम किशन ने जारी रखते हुए कहा - सब शादी की तयारी में बिजी थे तब किसी ने ध्यान नहीं दिया , फिर जब पता चला की उनका बेटा और उसके दोस्त घरपे नहीं है तो सभी उन्हें चारो तरफ ढूंढने लगे। जब वो कही नहीं मिले तो सबने उस महल की तरफ जाने के लिए रुख किया और जब गांव वाले और सरपंच वहा पहुंचे तो सबके होश उड़ गए। राम किशन ये बोलके कुछ देर रुके फिर बोले , उस महल का बहार का गेट उन्होंने खोल दिया था और वही पे उनमे से एक की लाश परी थी और जब सब आगे बढे थोड़ा तो एक और लाश ये देखते सब जम गए लेकिन वहा सरपंच का बेटा वहा नहीं था तो सब इधर उधर देखने लगे तभी उनकी नज़र बहार के गेट के ऊपर गयी गयी सरपंच के बेटे मोहन की लाश लटकी पारी थी। ये सुनके सरे एक दूसरे की सकल देखने लगे। तभी करन ने कहा उनकी मौत कैसे हुए। राम किशन ने ये सवाल सुनके - उसके तरफ देखा और बोले पता नहीं। ये सुनके सब और हैरान हो गए।

तब राम किशन ने बोला ये तीनो हमे इसलिए मिल गए क्यूकी सब वहा जल्दी पहुंच गए थे अगर थोड़ी देर और हो जाती तो उनकी लाश भी बाकियो की तरह गायब हो जाती। ये सुनके रिया बोली ऐसा क्यूँ?

तब राम किशन जी बोले , जब सालो पहले वो महल खुला था तब जब भी कोई वहा जाता उसका कोई पता नहीं चलता , ऐसे ही बहुत से लोग गायब हो गए और आज तक उनकी लाश तक नहीं मिली। और फिर सब उस महल को भूतिया महल कहने लगे। जब ये सिलसिला बंद नहीं हुआ तो उस महल को बंद करने के लिए एक सिद्ध पुजारी जी को बुलाया गये था उन्होंने पहले महल के अंदर के गेट को अपनी मंत्रो की शक्ति से बंद किया और फिर बहार के गेट को मंत्रो से बंधा गया था और गांव वालो ने ताकि वहा कोई ना जाये इसके लिए उसके बहार के गेट को जंजीरो से बांध दिया। लेकिन सरपंच के बेटे और उसके दोस्त ने बहार का गेट खोल दिया और देखो क्या हुआ। सोचो अगर अंदर का गेट खुलेगा तो क्या तबाही आएगी। ऊपर से वो पुजारी जी भी यहां नहीं है, इसलिए मैं तुम सबको चेतावनी दे रहा हूँ वहा भूल से भी मत जाना मैं नहीं चाहता तुम सबके साथ ऐसा कुछ हो। बाकि तुम्हे गांव घूमना है घूम सकते हो। फिर राम किशन समीर की तरफ देखते हुए बोले , समीर शाम को 7 बजे से पहले घर वापिस आ जाना। समीर ने अपना सर हां में हिलाया और वहा सरे दोस्तों को छोड़ के चले गए उनके पीछे समीर की माँ भी उन्हें ध्यान रखना बोलके चली गयी। कुछ समय बाद सारे दोस्त तैयार होके गांव घूमने के लिए चले गए। शिवाय के पास एक कमरा भी था जिसे वो हमेशा ले के ही बाहर जाता था ताकि अच्छी - अच्छी तस्वीरें ले सके। सब आराम से गांव में घूमने लगे , करन तो जैसे किसी सोच में था और वो महल के बारे में ही सोच रहा था। शिवाय अलग अलग जगह की तस्वीरें क्लिक कर रहा था और दोनों लड़किया अपनी बाते करते करते सबको सब कुछ देख रही थी और समीर सबको गांव के हर हिस्से में लेके जा रहा था।जब वो चल ही रहे थे कि उन्होंने एक भव्य महल को देखा जो बहार से बहुत सुन्दर था , उससे देख के सब वही रुक गए और तभी सावी ने बोला ये वही महल है ना जिसके बारे में सब बाते कर रहे थे। तभी रिया बोली है यार ये अभी इतना सुन्दर है तो सोचो जब ये बना होगा कितना सुन्दर होगा। सब इअतने बड़े महल को देख के दांग रह गए थे। क्यूकी राम किशन ने उन्हें पहले ही चेतावनी दे दी थी तो समीर बोला चलो यार यहां से शाम होने वाली है हमे घर भी पहुंचना है 7 बजे से पहले। जब सारे वहा से जाने के मुड़े ही थे की एक तेज हवा आयी और आस पास की मिट्टी उड़ने लगी। ये देख समीर बोला चलो यार यहाँ से यहाँ रुकना ठीक नहीं है। पता नहीं अचानक से इतनी तेज हवाएं क्यूँ चलने लगी। सारे अपने आँखों को ढकते हुए वहा से जाने लगे तभी एक तेज हवा का झौका आया , मानो जैसे उन्हें उड़ा के ले जाये , तभी शिवाय ने सबको कहा सब एक दूसरे का हाँथ पकड़ लो। जब सबने एक दूसरे का हाँथ पकड़ा तो वो हवा शांत हो गयी। जब सब ये सोच रहे थे की ये क्या था तभी कोई अपने ही ख्यालो में खोया हुआ था वो सावी थी जिसका हाँथ शिवाय ने पकड़ा हुआ था जिससे सावी के गाल शर्म से लाल हो गए। तभी समीर ने कहा हमे यहा से निकला चाहिए। सब वजह से वापिस समीर के घर की तरफ जाने के लिए मुड़े तभी शिवाय के कानो में हिस्स्स्स की गहरी आवाज आयी , फिर एक फुसफुसाती हुए आवाज आयी तुम आ गए। जब शिवाय ने पीछे मुड़ के देखा तो वहा कोई नहीं था , तभी सावी बोली क्या हुआ तुम्हे , शिवाय ने कुछ नहीं बोला और सबके साथ घर जाने के लिए निकल गए।
वही अँधेरे में एक परछाई उन्हें जाते हुए देख रही थी , अचानक वो परछाई गायब हो गय। और वहा सब पहले की तरह हो गया मनो जैसे कुछ हुआ ही ना हो। जाते हुए सावी चुपके से शिवाय को ही देख रही थी , ये देखके रिया बोली यार कब तक ऐसे छुप - छुप के देखेगी बोल दे उसे की तू उसे पसंद करती थी। तभी सावी हरबराते हुए बोली नहीं ऐसा कुछ नहीं है , इसपे रिया मुँह बनाते हुए बोली मुझे ना बता क्या है और क्या नहीं , मुझे सब पता है कॉलेज के टाइम से तू सिर्फ शिवाय को पसंद करती है , उसके चक्कर में तो तूने एक भी बॉयफ्रेंड तो क्या किसी लड़के से बात तक नहीं की समीर और करन को छोरक बोल तो मैं बता दू शिवाय को , और रिया ने शिवाय को पुकारते हुए कहा शिवाय !!!!!! । ये सुनके सावी उसके मुँह को बंद करते हुए बोली , ठीक है अब चुप हो जा मैं खुद बता दूगी उसे। शिवाय ने रिया की तरफ देखके बोला क्या रिया क्या हुआ ? रिया बोली वो अभी रिया कुछ बोलती उससे पहले सावी ने रिया को घूरते हुए कहा , वो रिया बोल रही थी उसे भी आज की फोटो भेज देना जो तुमने ली है उसे अपने ब्लॉग के लिए वो चाहिए , और रिया को देखते हुए बोली है ना रिया ! रिया मुस्कुराते हुए बोली हा मुझे यही कहना था। शिवाय ने कहा ठीक है वापिस जा के तुझे दे दूगा । इसके बाद सब बाते करते - करते समीर के घर की ओर चल दिए।आखिर किसकी थी वो परछाई ?
क्या शिवाय का कोई रिश्ता है उस महल से ?
जानेगे आगे की कहानी में।
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