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एक दुआ - 9

9

दीदी मम्मी के कमरे में उनकी अलमारी की साफ सफाई कर रही थी ! कितने करीने से सब साड़ियाँ हैंगर में तह बनाकर लगाई फिर ब्लाउज और पेटीकोट को तह बनाकर लाइन से लगाया जिससे मम्मी को निकालने में कोई परेशानी न हो । फिर चादरें, तौलिया और रुमाल आदि समान भी सही से रख दिया ! कितना काम करती हैं दीदी घर के एक एक काम अपने हाथों से करने में एकदम से सिद्ध हस्त हैं एक मैं हूँ जो हर वक्त सोचती विचारती रहती हूँ आलसी की तरह पड़ी रहती हूँ,, मूर्ख कहीं की । उसने खुद को ही एक चपत लगाई ।

“अरे विशी तू यह क्या कर रही है ? खुद को ही चपत मार रही है ?” दीदी ने अलमारी को बंद करते हुए उससे पूछा ।

“वो न दीदी, आपको इतना काम करते देखा तो मैं खुद से ही नाराज हो रही थी ।”

“क्यों भला ? तू भी ऐसे ही काम करने लगेगी जब तेरे ऊपर काम की ज़िम्मेदारी आयेगी ।” दीदी ने प्यार से एक चपत उसके गाल पर लगाते हुए कहा !

“ऐसा हो भी सकता है दीदी और नहीं भी क्योंकि मैं आलसी बहुत हूँ और सोचती भी बहुत हूँ ।”

“कोई बात नहीं सब सही हो जायेगा ! तू थोड़ा और बड़ी हो जा बस ।”

“अच्छा दीदी एक बात बताओ कल जीजू ने जब भैया की शादी की बात की थी तो वे इतना भड़क क्यों गये थे ?”

“लंबी कहानी है तू शायद समझ भी न पाये !” दीदी ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा ।

“अब मैं इतनी छोटी भी नहीं रही हूँ कि किसी बात को न समझ सकूँ ?” विशी नाराजगी दिखाती हुई बोली ।

“ओहो मेरी छोटी बहन इतनी बड़ी हो गयी है ! ले तू सुन बात बस इतनी सी है कि भाई किसी को प्यार करते थे लेकिन मम्मी को वो लड़की पसंद नहीं थी इसलिए भैया ने शादी न करने का फैसला लिया क्योंकि उनको सिर्फ उससे ही शादी करनी थी ।”

“अरे मम्मी को क्या परेशानी थी ? मम्मी को शादी तो करनी नहीं थी भाई को करनी थी और उनको पसंद थी फिर ..... विशी के मन में मम्मी के लिए मन में बहुत गुस्सा का भाव उपजा ! अच्छा अगर मम्मी ने मना कर दिया तो भैया मम्मी को इतना प्यार क्यों करते हैं ? मैं तो कभी भैया को मम्मी पर नाराज होते भी नहीं देखती हूँ, वे हमेशा मम्मी के सारे काम खुशी खुशी करते हैं और उनकी सब बातें भी मानते हैं ।”

“हाँ क्योंकि वे मम्मी को उस लड़की से भी ज्यादा प्यार करते हैं न ! इसीलिए मम्मी की बात मान कर अपनी जिंदगी दुखी कर ली ।”

“तो अब मम्मी की बात मान कर किसी से शादी भी कर लें। वैसे यह गलत किया न उनको दोनों तरफ ध्यान देना चाहिए था न क्योंकि जरा सी बात के पीछे तीन जिंदगी खराब हो गयी ! अच्छा दीदी अब वो लड़की कहाँ है जिसे भाई पसंद करते थे मैं उससे मिलना चाहती हूँ ।” विशी ने जल्दी जल्दी अपनी बात खत्म की ।

“अब वो नहीं है !”

“नहीं है मतलब ? कहाँ नहीं है ?”

“अरे उसने खुद को खत्म कर दिया ! वो भी भाई को बहुत चाहती थी इसलिए उनके सिवाय किसी और को अपना जीवन साथी नहीं बना सकी।”

“दीदी आज के समय में भी ऐसे लोग हैं ?”

“ऐसे समय से, ऐसे लोगों से, क्या लेना देना ?यह प्यार मोहब्बत की बातें हैं तू नहीं समझेगी ।”

“क्यों नहीं समझुंगी ? मुझे सब पता है ।”

“अच्छा बहुत समझदार हो गयी है न तू ?”

“दीदी अगर मुझे किसी से प्यार हो गया तो ?” विशी ने बात बदलते हुए कहा ।

“तो क्या, तेरी उससे शादी करा देंगे ! क्यों कोई पसंद कर लिया है क्या ?”

“नहीं दी, अभी तो नहीं लेकिन प्यार होना और उसका मिल जाना या उसे पा लेना इतना सरल होता तो भाई को भी उनका प्यार मिल जाता ! अब मैं यह भी समझ गयी हूँ कि भाई इतना आफ़सेट क्यों रहते हैं, मैं अब से उनकी किसी भी बात का कभी बुरा नहीं मानूँगी बल्कि वे जो कुछ कहेंगे सब बातें मान लिया करूंगी ।”

“ओहो बड़ी समझदार हो गयी हमारी गुड़िया रानी ।”

“कौन समझदार हो गया ? मुझे भी तो बताओ ?” भैया काम निबटा कर आ गए थे ।

“यह तुम्हारी लाड़ली छोटी बहन !”

“यह और समझदार ? दीदी क्यों मज़ाक करती हो ?” भाई हँसे !

भैया हँसते हुए कितने प्यारे लगते हैं लेकिन भगवान ने इनकी हंसी खुशी क्यों छीन ली !हे ईश्वर मेरे भैया की मुस्कान और खुशियाँ लौटा दो ! विशी ने मन ही मन प्रार्थना की ।

“क्या सोचने लगी विशी ? चल आज तू अपने हाथ की चाय बनाकर दीदी को पिला !” भैया बड़े प्यार से बोले ।

“जी भैया मैं आज चाय और चीज सेंडविच बनाकर लाती हूँ ! दीदी आप बताना कैसे बनाए हैं ?” विशी थोड़ा उत्साहित होती हुई बोली ।

“मुझे पता है तू बहुत होशियार है ! चल तू चाय बनाकर ला, तब तक मैं भाई का कमरा सही कर देती हूँ ।” दीदी भाई के कमरे में चली गयी और भैया भी उनके साथ ही चले गए । विशी किचिन में आ गयी ! क्या प्यार न मिले तो इंसान अपनी जान भी दे देता है ? यह बात उसके दिलोदिमाग में बहुत शोर मचा रही थी ! सच में प्यार, प्रेम और इश्क का दर्द बहुत जानलेवा होता है ! मिल जाये तो खुशी नहीं तो जिंदगी भर का दर्द ! ईश्वर सबको उसका प्यार जरूर मिले ! विशी ने हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना की और गैस जला कर उसपर भगौने में चाय का पानी चढ़ा कर फ्रिज में से ब्रेड आदि निकालने लगी ।

आज जब भैया के बारे में पता चला तो उसे महसूस हुआ कि इंसान के अंदर कितना कुछ दबा छुपा होता है जिसे वो कभी व्यक्त नहीं कर पाता, भैया भी अपने अंदर कितना कुछ सहेजे समेटे बैठे हैं इसीलिए वे जिंदगी से खफा दिखते हैं! उसे आज यह भी समझ आया कि भैया उसे क्यों डांटते और झिड़कते हैं शायद वे प्रेम के दर्द को सह चुके हैं और अभी भी सह रहे हैं इसी वजह से वे उसे इन बातों से दूर रखना चाहते हैं और हमेशा ऐसा व्यवहार करते रहते हैं ! वे नहीं चाहते होंगे कि उनकी छोटी बहन की जिंदगी उनकी ही तरह से बर्बाद हो या वो अपने सुंदर सपनों में खोकर खुद को ही खत्म कर ले ! सच में आज बहुत कुछ पता चला और इस सच को जान कर भैया के प्रति आँख नम हो गयी और दिल में दर्द सा उठा ! उनकी तकलीफ को सोच कर ही ऐसा लग रहा है तो जब उन पर बीती होगी तो किस कदर उसे सहा होगा और जब भी वो दर्द उठता होगा तो संभलना मुश्किल हो जाता होगा ! उसे अपनी मम्मी के ऊपर बहुत गुस्सा आया क्या माँ इतनी बुरी हैं ? क्या माँ को जरा भी भाई के जीवन की जिंदगी की परवाह नहीं थी ? माँ तो अपने बच्चे के लिए जान दे देती हैं फिर मेरी मम्मी ने अपने ही बच्चे को उसकी खुशियों से क्यों दूर कर दिया जबकि भैया हमेशा माँ को खुश रखने और प्यार देने की कोशिश में लगे रहते हैं ! प्यार स्वार्थी होता है और जहां प्यार मिलता है वहाँ से और ज्यादा प्यार पाने की उम्मीद पाल लेता है या फिर सिर्फ अपने नाम कर लेना चाहता है ! यही सब सोचते हुए वो टमाटर काट रही थी तभी चाकू उसकी उंगली पर लग गया ! ओहह उसके मुँह से अनायास निकल गया ! उसने जल्दी से पानी से उंगली को धोकर कस कर दबा दिया जिससे दर्द कम हो जाये ! कितना सोचती हूँ मैं, हर वक्त कहीं खोई रहती हूँ न जाने क्या हुआ है मुझे कहीं मुझे भी तो प्यार नहीं हो गया ? मिलन प्यारा नाम, वो भी तो कितना प्यारा है ! जी चाहता है उसे एकटक देखती ही रहूँ ! क्या है उसमें कुछ अलग सा जो उसे सबसे अलग करता है ? सबसे जुदा, सबसे प्यारा, मानों सिर्फ वही एक प्यारा इंसान है इस दुनिया का ।

“क्या हुआ विशी ? मेरी लाड़ो बेटा चाय नाश्ता तैयार हो गया ?” तभी दीदी की आवाज आई और उसकी तंद्रा भंग हो गयी ।

“हाँ दीदी, बस दो मिनट में लेकर आती हूँ !” कहीं दीदी ने उसकी आवाज सुन तो नहीं ली ? कहीं वे समझ तो नहीं गयी कि उसके चोट लग गयी है ? वैसे ऐसा ही होता है जिसके साथ हम अपने मन से जुड़े होते हैं उसके बारे में सब कुछ बिना बताए पता चल जाता है और दीदी का उसके साथ दिल का रिश्ता ही है फिर उन्हें क्यों नहीं पता चलेगा भला ।

चाय में उबाल आ गया था उसने टोस्टर निकाल कर उसमें सेंडविच बनाने के लिए ब्रेड रख दी ! कपों में चाय डाली और ट्रे में रखा तब तक सेंडविच भी तैयार हो गए थे ! बड़ी प्लेट में उनको रखा और ट्रे में लेकर भैया के कमरे में चली गयी ! उसे पता चल गया था कि भैया दिल के बहुत प्यारे इंसान हैं बस ऊपर से दिखावा करते हैं ! एक प्रेम में जीने और मरने वाला इंसान कभी भी बुरा नहीं हो सकता उसका दिल बच्चे कि तरह से पवित्र और निर्मल हो जाता है क्योंकि प्यार हमें शुद्ध करता है हमारे मन की बुराइयों को दूर करना सिखाता है ! प्रेम जिंदगी जीने का नया नजरिया देता है ।

“ट्रे बेड पर रख दी और साथ ही प्लेट भी ! वाह छुटकी आज तो तूने कमाल कर दिया क्या बढिया से सजा कर लाई है देखकर ही मन तृप्त हो गया है !”

“खाकर तो बताइये भाई ? सेंडविच कैसे बने हैं ?”

“बहुत ही अच्छे दिख रहे हैं तो खाने में भी अच्छे ही होंगे ! चलो मैं खाकर बता रहा हूँ कैसे बने हैं ?” आज भैया का मन बहुत खुश लग रहा था ।

“वाह ! क्या स्वाद है ? जैसे अमृत घोल दिया हो या फिर खुद ईश्वर ने उसके हाथो में कोई जादुई शक्ति दे दी हो ! आज मैंने तुम्हें पास किया छुटकी !” भैया जब लाड़ दिखाते हैं तो उसे छुटकी कह कर ही बुलाते हैं ।

“बहुत होशियार है मेरी लाड़ो, भाई तो यूं ही मज़ाक बनाता रहेगा और डांटता रहेगा लेकिन आज तो तुझे भी भरोसा हो गया न ?”

“हाँ सच में दी ।”

“भाई सब काम निबट गए हैं अगर तुम कहो तो आज लंच करने के लिए कहीं बाहर चलें ?”

“क्या बात है दीदी मेरे मन की बात कह दी इसमें भला किसी को मना करने का कोई हक नहीं है !” भाई अपनी ही रौ में बोल रहे थे ।

 

क्रमशः