Ek Dua - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

एक दुआ - 8

8

“जीजू

आप बहुत खराब हो, मुझे सिर्फ एक टेड़ी दे कर खुश कर दिया ।” विशी नाराज होती हुई बोली ।

“तुझे तो नई कार दूंगा ! सीधे शोरूम से लाकर ।” जीजू कहते हुए मुस्कुराए !

“फिर ठीक है !”

“लेकिन तुम्हारी शादी के समय पर !”

“तो आप रहने ही दो ! मुझे एक कार के लिए शादी करनी होगी ! यह कहाँ का न्याय है !”

“आप लोग फिर शादी की बातें करने लगे ! चलो पहले खाना खा लो फिर रात भर बहस करना ।” दीदी ने बीच में ही बात को काटते हुए कहा !

“चल भई तुझे जब मन करे बताना मैं ऐसे ही दिला दूंगा ! अब खुश हो जाओ !” जीजू ने यह कहते हुए बात को खत्म किया ! चलो अब खाना खा लेते है वरना हमारी प्यारी पत्नी नाराज हो जाएंगी ।

सच में जीजू कितने प्यारे हैं जब भी आते हैं दिल खोल कर बाते करते हैं और उससे भी ज्यादा दिल खोल कर समान लाते हैं ! सबके लिए ढेरों गिफ्ट भी !

“देखो कल सुबह मैं वापस जाऊंगा और तुम भी मेरे साथ ही चलना ।” जीजू ने दीदी से कहा ।

“अरे कल ही ? अभी रुकने दो न ? मम्मी भी नहीं हैं और यह लोग यहाँ अकेले परेशान हो जाएँगे । दीदी ने मनुहार करते हुए जीजू से कहा ।

“मैं वहाँ अकेला रहूँगा, तुम्हें इस बात की कोई फिक्र ही नहीं है न ? मैं भी तो तुम्हारे ही सहारे हूँ।” जीजू ने दीदी से मज़ाकिया लहजे में कहा ।

“ठीक है फिर चलूँगी ।”

“तुम्हारी इसी अदा पर तो मैं कुर्बान हूँ ! अरे नहीं भई मेरे साथ मत चलो बाद में आ जाना ! मम्मी आ जाये तो उनके साथ भी दो दिन रह लेना फिर मैं आ तुम्हें लेने को आ जाऊंगा, तुम चिंता मत करो ।”

“नहीं जीजू आप नहीं मैं अपनी कार में लेकर आऊँगा दीदी को ! आपकी दी हुई इस कार का उपयोग तो होना ही चाहिए ।” दीदी के बोलने से पहले ही भाई बीच में ही बोल पड़े ।

“हाहाहा यह सही रहा ! तुम्हें कार गिफ्ट में देकर मैंने खुद का ससुराल आना ही बंद करा लिया।”

“जीजू अगर ऐसी बात है, तो आप आ जाना मैं फिर कभी बाद में मिलने आऊँगा।”

“चलो इस बारे में बाद में बात कर लेंगे ।”

हँसते मुसकुराते और बातें करते हुए कब रात के बारह बज गए पता ही नहीं चला ! विशी को अब सोना था क्योंकि उसे सुबह वॉक पर भी जाना है और रिहर्सल पर भी ! या कल नहीं जाऊँगी जीजू सुबह चले जाएँगे उनके साथ बात भी नहीं कर पाऊँगी ! एक दिन के लिए केंसिल कर देते हैं लेकिन नहीं जाऊँगी तो रिहर्सल का नुकसान होगा और मैडम भी डांट लगाएँगी ! अब कहने दो मैडम को जो कहना हो जीजू कौन सा रोज आते हैं उनके आने से घर कितना खुशहाल लग रहा है ।

कुछ लोग कितने अच्छे और प्यारे होते हैं, जबकि ईश्वर ने तो सबको एक सा ही बनाया है फिर कोई इतना प्यारा लगता है कि उस पर अपनी जान भी खुशी खुशी न्योछावर करने का दिल करने लगता है ! उसकी हर बात मन को भाने लगती है कोई जादुई असर हो जाता है ! ऐसे लोगों के पास शायद कोई जादू होता होगा जो मन को वश में कर लेता है और फिर फिरकी की तरह से नचाता रहता है ! जिधर चाहें उधर घुमा देता है जैसे कठपुतली वाला कठपुतली को अपनी उँगलियों पर नचाता है ।

कैसे कोई मन में आकर बस जाता है कि कोई और वश ही नहीं चलता ! यही सब सोचते हुए कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला ! जब सुबह दीदी ने जगाया तब आँख खुली ।

“उठ जा विशी, अभी थोड़ी देर में जीजू चले जाएँगे ।”

“अरे हाँ जीजू को जल्दी जाना था न ? अभी क्या समय हुआ है ?”

“अभी तो पौने छह बजे हैं ! वो दस पंद्रह मिनट के बाद चले जायेँगे ।”

“अरे मैं उठ गयी हूँ न, वो मुझसे मिले बिना जा ही नहीं सकते हैं ! मैं तो सुबह बहुत जल्दी उठती हूँ आज पता नहीं कैसे इतनी नींद आ गयी ? मुझे लगता है आपके घर आ जाने के कारण से ? वैसे जीजू इतनी जल्दी क्यों जा रहे हैं ?” विशी ने दीदी के गले में अपनी बाहें डालते हुए कहा ।

“ठीक है ! ठीक है, अब ज्यादा लाड़ मत दिखाओ और जल्दी से फ्रेश होकर आ जाओ ।” यह कहती हुई दीदी कमरे से निकल गयी ।

विशी ने वाशरूम में जाकर ब्रश किया और मुँह हाथ धोकर अपने कपड़े चेंज कर लिए ! उसने पिंक कलर का टीशर्ट और व्हाइट ट्राउजर पहना हुआ था जो उसके गोरे रंग को और सुंदर बना रहा था ! वैसे इस उम्र में बिना मेकअप के भी सुंदरता होती है क्योंकि युवा होती उम्र स्वयं में ही एक खूबसूरती होती है ! तभी तो वो बिना किसी गहने के भी किसी परी से कम नहीं लगती है ।

जीजू कमरे में जाने को तैयार बैठे थे ।

“अरे जीजू आप तैयार भी हो गए ?”

“हाँ क्यों नहीं होना चाहिए था ?” सवाल का जवाब न देकर जीजू ने खुद ही विशी से सवाल कर दिया !

“लेकिन आप तो 8 बजे जाने वाले थे ?”

“हाँ, रात मैनेजर का फोन आ गया था इसलिए जल्दी निकल जा रहा हूँ ! यहाँ से सीधे आफिस ही जाऊंगा न तो रेडी हो गया ।”

“वाह जीजू, आपकी क्या बात है ! इंसान की मेहनत और लगन ही उसे एक कामयाब इंसान बना देती हैं और आप जैसी लगन और मेहनत सबके बस की बात नहीं है ।” विशी खुशी से चहकती हुई बोली।

“ओहो साली साहिबा इतनी तारीफ किसलिए हो रही है जी ? क्या आप हमें बतायेंगी ?” जीजू ज़ोर से हँसते हुए बोले ।

“क्योंकि आप हमारे जीजू हैं !” बड़ा सरल सा जवाब दिया विशी ने ।

यह सुनकर जीजू और ज़ोर से हंसने लगे, साथ में विशी भी हंसने लगी ।

“भई किस बात पर इतनी ज़ोर से हँसा जा रहा है ? क्या कोई हमें बतायेगा जिससे हम भी हंस सके ?” दीदी ने कमरे में चाय नाश्ते की ट्रे लेकर प्रवेश करते हुए पूछा ।

“आपकी बहन एकदम से मूर्ख है और हमारी साली जी बहुत प्यारी, हम इसी बात पर बस हंस रहे हैं ।”

“आपकी बातें मेरी समझ से परे हैं मुझे अपना काम करने दो ।”

“कितना काम करोगी ? तुम्हें न घर में चैन है और न यहाँ पर, मैं अभी जा ही रहा हूँ फिर करती रहना काम।”

“अब मम्मी नहीं हैं तो देखना ही पड़ेगा !यह लोग ही करते हैं अब आ गयी हूँ तो कर रही हूँ और जब आप चले जाएँगे फिर हम लोग बैठकर आराम से गप्पे मारेंगे।”

विशी सोचने लगी कि पत्नी और पति का प्यार और रिश्ते जैसा कोई अन्य रिश्ता नहीं हो सकता ! पूर्ण समर्पण और त्याग की भावना से भरा हुआ !

“सुनो मैंने आपके लिए पराँठे और फ्राइड राइस बना दिये हैं ! पराठे ब्रेकफ़ास्ट में और राइस लंच के लिए ! ठीक है न ? बाहर का कुछ मत खाना ।”

“कहाँ बाहर का कुछ खाता हूँ ! बस आपके हाथ का बना हुआ ही खाता हूँ अब तुम नहीं हो तो भाभी बना कर खिला देगी ।”

“यह भाभी कौन सी हैं जीजू ?”

“वो हमारे गार्ड भैया हैं न ? उनकी पत्नी हैं वे ही बनती हैं खाना जब तुम्हारी दीदी नहीं होती है तब ।”

“कैसा बनाती हैं ?”

“क्या कमाल का खाना बनाती हैं लेकिन आपकी दीदी अपने हाथ के अलावा और किसी का नहीं खाने देती हैं ! अब नहीं हैं तो वही बना कर खिलायेंगी !”

“वाह जीजू आपके मजे हैं ! चित भी आप और पट भी आप ।”

“यह तुक्का यहाँ सही नहीं बैठा ।”

“आप सही बताओ न जीजू ?”

“अभी जाने दो बाद में बता दूंगा ।”

“फिर कब जीजू ? आप तो अभी जा रहे हो ।”

“हाँ भई फोन पर बता देंगे ! अभी जाना हैं न, वरना देर हो जायेगी ।”

“ठीक है ।”

“जीजा जी, आप बता देना कि आप कब आओगे दीदी को लेने क्योंकि इस बार मेरा मन है हम सब कहीं आसपास घूमने चले ! मम्मी भी आ जाएंगी और फिर आपके गिफ्ट का भी थोड़ा फायदा उठाया जाये ।” भाई ने जीजू को जाते समय कहा ।

“हाँ सब कुछ फोन पर बता दूंगा ठीक है ! अब चलता हूँ और जल्दी फिर आता हूँ ।” कहते हुए जीजू मुस्कुराए ।

विशी के प्यारे जीजू चले गए और वो थोड़ी अनमनी सी हो गयी ! वाकई जीजू के आते ही घर का सारा सूनापन और उदासी सब गायब हो जाती है ! सब लोग हँसते, मुस्कुराते, बतियाते रहते हैं कि समय का पता ही नहीं चलता और उनके जाने का दिन आ जाता है ! चलो अभी दीदी तो हैं ही उनके साथ भी बहुत अच्छा लगता है इस बार जल्दी जाने ही नहीं देंगे ! हाँ दीदी कह तो रही थी कि भैया का रिश्ता करा कर जाएंगी लेकिन भैया तो शादी के नाम से ही भड़क जाते हैं ! क्या हो जाता है उन्हें ? उस दिन पहली बार जब भाई को ऐसे देखा तो वो सच में बहुत घबरा गयी थी ! दीदी से पूछा था तो उन्होने कहा था बाद में बताएँगे ! चलो अब दीदी से पुछते हैं जीजू भी चले गये हैं और भैया भी कहीं गये हुए हैं आराम से बात कर लेगी और उसके मन की शंका भी निकल जायेगी !

 

क्रमशः