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एक दुआ - Novels
by Seema Saxena
in
Hindi Love Stories
यह इश्क की बात है यहाँ रूह से रिश्ता बनता है,
मिले या न मिले पर अपना तो अपना ही रहता है ।
आज भी बहुत तेज बारिश हो रही थी और इसके रुकने का तो जरा भी नाम नहीं। कई दिनों से लगातार बादल बारिश थे और आज तो बहुत भयंकर बारिश हो रही थी साथ ही ओले भी गिर रहे थे, मिलन ने आज ही उससे मिलने आने का भी वायदा किया था । पर इस बारिश में घर से वो तो निकल कर भी नहीं जा पाएगी, मिलन का ही फोन आया था सुनो मैं आज आ रहा हूँ । यह सुनते ही उसकी बहती हुई आँखें एकदम ख़ुशी से चमक गयी थी “क्या सच में ?
हाँ बिलकुल सच, लेकिन सिर्फ आज शाम को केवल चार घंटे के लिए ही आना हो पायेगा।
ओह्ह, इतनी दूर से सिर्फ चार घंटे के लिए क्यों आ रहे हो ? थकन भी नहीं उतरेगी और तुम्हें वापस जाना होगा ।
हाँ कल ऑफिस में अर्जेन्ट मीटिंग है इसलिए वापस जाना भी बेहद जरुरी है। मिलन ने कहा।
हम्म । बस इतना ही कह पायी थी वो ! मिलन आ रहे हैं ! यह क्या कम है ! उनका आना किसी त्यौहार सा ही लगा था उसे। उनके जाने के बाद एक दिन भी न तो उसने सही से कुछ ना खाया था और न नींद भर सोई थी । आंखों से दर्द इतनी बुरी तरह से बहता रहा, उधर आसमा ने भी उसके साथ साथ बरसना जारी रखा था । बिना मौसम के भी इतनी बारिश न जाने क्यों हो रही थी ? क्या मेरी आँखों से बहता हुआ पानी आसमा तक भी पहुँच गया था जो वह भी दर्द बहाने लगा था ।
सीमा असीम सक्सेना 1, यह इश्क की बात है यहाँ रूह से रिश्ता बनता है, मिले या न मिले पर अपना तो अपना ही रहता है । आज भी बहुत तेज बारिश हो रही थी और इसके रुकने का ...Read Moreजरा भी नाम नहीं। कई दिनों से लगातार बादल बारिश थे और आज तो बहुत भयंकर बारिश हो रही थी साथ ही ओले भी गिर रहे थे, मिलन ने आज ही उससे मिलने आने का भी वायदा किया था । पर इस बारिश में घर से वो तो निकल कर भी नहीं जा पाएगी, मिलन का ही फोन आया था
2 “कहाँ हो आप मिलन जी ?” जब वहाँ पहुँच कर वे वहां पर नहीं दिखे तो उसने घबरा कर फोन पर पूछा । “मैं अभी बैंक में आया हूँ ! आप कहाँ हो ?” “मैं यहाँ पहुँच गयी ...Read More।” “अरे आप आ गयी ?” “जी ! आना ही पड़ा जब आपने इतने हक से कहा ।” “अभी तो मना कर रही थी ।” “अब जब आप इतना डांट कर बोलोगे तब कोई भी हो डर ही जाएगा और फिर तो आना ही पडेगा न ।” ”ठीक है तुम रुको, मैं अभी काम निबटा कर एक घंटे में पहुँचता
3 वो खोई हुई थी कि उनकी आवाज से उसकी तन्द्रा टूट गयी, “सुनो तुम कैसे आयी हो ? मतलब गाड़ी कहाँ है तुम्हारी ?” “जी मैं तो औटो बुक करके आयी थी ।” “हम्म । अब यहाँ कहाँ ...Read Moreमिलेगा ?”वे बोले । “मुझे पता नहीं, मैं पहली बार इस तरफ आयी हूँ ।” “अच्छा तुम अभी रुको,मैं अभी देखता हूँ।“ और अपने ड्राइवर को बुलाकर कहा, जाओ जरा मैडम को छोड़ कर आओ, जहाँ तक यह कहें ।” “अरे रहने दीजिये न, मैं चली जाउंगी।” “क्या चली जाओगी ? यहाँ से जाने का तो कोई भी साधन नहीं
4 ग्रुप के सभी सदस्य अपने नाटक की रिहर्सल कर रहे थे और वे सबकी रिहर्सल को बड़े ध्यान से देख रहे थे । करीब एक घंटे के बाद मैंम ने चाय लाने के लिए एक लड़के को भेजा ...Read Moreवो चाय और बिस्किट लेकर आ गया । दो लड़कियों ने मिलकर चाय और बिस्किट पूरे ग्रुप में बाँट दी मिलन को भी दी तो उनहोंने चाय तो ले ली पर बिस्किट के लिए मना कर दिया । “अरे आपने बिस्किट क्यों नहीं लिए ? ले लीजिये न सर ।“ विशी ने कहा तो वह एकदम से चौंक गये ।
5 “ओहह !” आज घर पर फिर से डांट पड़ेगी, पैदल जाने में और बीस मिनट निकल जायेंगे, यहाँ से कोई रिक्शा और ऑटो भी नहीं चलता है ! क्या करूँ ? फोन करके किसी को बुला लूँ लेकिन ...Read Moreकरने से भी कोई फायदा नहीं होगा ! वही जवाब मिलेगा अब तुम खुद ही आ जाओ, या जैसे मन करे वैसे अभी समय भी क्या हुआ है ? हे भगवन, इस नाटक ने तो जैसे जान ही ले ली है यहाँ पर मैम और घर पर भैया ! क्या करूँ ? हर बार मना कर देती हूँ, नहीं करना