Triyachi - 24 books and stories free download online pdf in Hindi

त्रियाची - 24

भाग 24

त्रियाची- नया जीवन। हम हजारों साल पहले धरती छोड़कर गए थे और हजारों साल बाद भी हम उतने ही है जितने पृथ्वी से गए थे। हमने अपनी एक नई दुनिया तो बना ली, परंतु नया जीवन विकसित नहीं कर सके। बहुत परिश्रम के बाद पता चला कि धरती पर वो शक्तिपूंज है, जो हमें नया जीवन दे सकता है। इसलिए मुझे वो शक्तिपूंज चाहिए। 

रॉनी- पर क्या तुम जानते हो तुम उस शक्तिपूंज के कारण पृथ्वी पर रहने वाले करोड़ों मानवों का जीवन खत्म कर रहे हो, धरती को खत्म कर रहे हो, जिस धरती पर तुम रहे हो, तुम्हारा जीवन इसी धरती से शुरू हुआ था। इसके बाद भी तुम इस धरती को नष्ट कर देना चाहते हो ? 

त्रियाची- हां क्योंकि शक्तिपूंज हासिल कर लेने के बाद हमारी यहां भी नया जीवन होगा। हमने बीमारी और मृत्यु दोनों पर विजय प्राप्त कर ली है, बस नया जीवन विकसित नहीं कर पा रहे हैं। ये शक्तिपूंज हमें नया जीवन भी देगा और फिर हम मृत्यु को भी प्राप्त नहीं होंगे। 

रॉनी- परंतु यहां के मानवों का क्या दोष है ? 

त्रियाची- मैं कुछ नहीं जानता मुझे बस वो शक्तिपूंज चाहिए। मेरे और उस शक्तिपूंज के मध्य जो कोई भी आएगा वो नष्ट हो जाएगा। फिर वो मानव हो, तुम हो या फिर यह धरती ही क्यों ना हो सबकुछ नष्ट हो जाएगा। 

त्रियाची रूकने का नाम ले रहा था ये प्रणिता, रॉनी, यश और तुषार बस असहाय से उसे देख रहे थे। कभी-कभी वे उस पर अपनी शक्तियों का प्रयोग भी कर रहे थे, परंतु शक्तियों के प्रयोग के बाद भी त्रियाची बहुत अधिक प्रभावित नहीं हो रहा था और वो धरती पर शक्तिपूं को प्राप्त करने के लिए लगातार वार कर रहा था। दूसरी ओर अनिकेत ने सप्तक से मानसिक तौर पर संपर्क किया। 

अनिकेत- सप्तक जी हमारी सहायता कीजिए, यहां बहुत गंभीर स्थिति हो गई है। त्रियाची और उसकी सेना को रोकने का हमें कोई उपाय नजर नहीं आ रहा है। अगर हम उसे नहीं रोक सके तो मानव जाति के साथ ही पूरी धरती भी नष्ट कर देंगे वो लोग। 

सप्तक- मैंने पहले ही कहा था अनिकेत कि मैं युद्ध के दौरान तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाउंगा। 

अनिकेत- परंतु हमें उन्हें रोकने का कोई उपाय तो बता सकते हैं ना आप ? 

सप्तक- मेरे पास जो कुछ भी था तुम्हें बताने के लिए वो मैं तुम्हें बता चुका हूं। 

अनिकेत- सप्तक जी कुछ तो बताइए कि आखिर त्रियाची और उसकी सेना को कैसे रोका जाए ? 

सप्तक- तुम्हें याद हैं मैंने एक बता कही थी कि तुम्हें सबसे पहले अपने अहम पर विजय प्राप्त करना होगी, उसके बाद ही तुम्हारी शक्तियां असर कर सकेगी। फिर दूसरी बात यह है कि तुम सभी को एक होना होगा और सबसे आखिरी और सबसे अहम बात यह है कि त्रियाची कभी धरती पर ही रहा करता था उसे तुम्हें धरती पर लाना होगा, तभी तुम उस पर विजय प्राप्त कर सकोगे। 

अनिकेत- ठीक है सप्तक जी मैं समझ गया। 

अनिकेत फिर से अपने साथियों के पास जाता है। अनिकेत को वापस आता देख सभी उसके पास पहुंच जाते हैं। 

रॉनी- कुछ उपाय मिला अनिकेत ? 

यश- हां कैसे हरा सकते हैं हम त्रियाची और उसकी सेना को ? 

प्रणिता- हां क्या बोला है सप्तक जी ने ? 

अनिकेत- उन्होंने जो कहा है वो शायद हम नहीं कर सकते हैं। 

तुषार - आखिर कहा क्या है उन्होंने ? 

अनिकेत- उन्होंने जो कहा है उसके लिए हमें सबसे पहले यह मानना होगा कि ये जो शक्तियां है वो हमारी नहीं है। यह हमें एक अच्छे कार्य के लिए प्रदान की गई है। इन शक्तियों पर हम घमंड नहीं कर सकते। इन शक्तियों के बगैर हम भी साधारण इंसान ही है। इसलिए अपनी इन शक्तियों के घमंड को निकालो। हम सब जब एक होंगे तो हम इन शक्तियों का प्रयोग कर सकेंगे, परंतु उसके लिए हमें अपने अहम को निकालना होगा और एक होना होगा। फिर त्रियाची और उसकी सेना को धरती पर लाना होगा और फिर उनका खात्मा करना होगा। बोलो कर सकते हो तुम सब ये काम ? भूल सकते हो इन शक्तियों के होने से आए अपने अंदर के घमंड को। सिर्फ और सिर्फ मानव जाति के कल्याण के लिए सोच सकते हो ? तो ही हम त्रियाची और उसकी सेना को हरा सकते हैं। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो फिर इन शक्तियों के होते हुए भी मानव जाति और हमारी धरती को नष्ट होते हुए देखो। 

इतना कहने के बाद अनिकेत वहां से दूर चला जाता है। सभी एक दूसरे को देखते हैं और फिर सभी दूर चले जाते हैं। सब देख रहे थे कि त्रियाची धरती पर वार कर रहा था और धरती हर वार पर टूटती जा रही थी। दूसरी और त्रियाची की सेना भी धरती पर वार किए जा रही थी और धरती के गर्भ से शक्तिपूंज को हासिल करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे थे। सभी दूरी से ही एक दूसरे को देखते हैं और फिर अनिकेत की ओर देखते हैं, अनिकेत जो कि त्रियाची को देख रहा था। त्रियाची के चेहरे पर एक मुस्कान थी, एक जीत की मुस्कान। प्रणिता, रॉनी, यश और तुषार फिर से अनिकेत के पास आते हैं। 

प्रणिता, रॉनी, यश और तुषार - हम धरती को बचाकर रहेंगे। त्रियाची तो क्या त्रियाची जैसे 100 शत्रु और भी आ जाएं तो वे धरती का कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगे। 

अनिकेत- तो फिर चलो आज बता दे कि धरती का मानव अपनी धरती को बचाने के लिए क्या कर सकता है। 

सभी वहां से फिर से त्रियाची और उसकी सेना के सामने जाकर खड़े हो जाते है। त्रियाची उन्हें देखता है और इस बार उन पर वार करता है। त्रियाची के इस वार को तुषार रोकता है और फिर सभी एक साथ अपनी शक्तियों का वार त्रियाची और उसकी सेना पर करते हैं। सभी के एक हो जाने से उनकी शक्तियां अधिक कारगर हो गई थी। इसका असर यह हुआ कि इस बार ना सिर्फ ना त्रियाची शक्तियों के हमले से घायल हुआ था बल्कि उसकी सेना के कई सैनिक धरती पर गिरे थे। रॉनी ने तुरंत ही अपनी शक्ति का प्रयोग किया और उन सभी पर अग्निवर्षा करते हुए सभी को खत्म कर दिया था। यह सब देख त्रियाची आग बबूला हो गया था और उसने रॉनी पर जोरदार हमला किया, परंतु ठीक उस वक्त प्रणिता ने एक बहुत बड़ा पत्थर उस ओर उछाला और त्रियाची के वार से वह पत्थर चूर-चूर हो गया और रॉनी त्रियाची के वार से बच गया। दूसरी और मगोरा यश पर वार कर रहा था और अनिकेत ने मगोरा पर जल धारा का प्रयोग किया और उसे धरती पर पटक दिया। यश ने तुरंत ही आकाशीय बिजली से मगोरा को भी खत्म कर दिया। धीरे-धीरे त्रियाची की सेना के लोग मारे जाने लगे थे। त्रियाची अब भी रॉनी और प्रणिता से लड़ रहा था। कुछ ही देर में सिर्फ त्रियाची उन पांचों के सामने खड़ा था। इस बार फिर उन सभी ने एक साथ अपनी शक्तियों का प्रयोग त्रियाची पर किया और वह भी धरती पर आ गिरा। उसके बाद उन्हें अपनी शक्तियों का प्रयोग किया तो त्रियाची बुरी तरह से घायल हो चुका था। तभी वहां सप्तक आ पहुंचता है। 

सप्तक- त्रियाची तुमने मानवों को हमेशा ही तुच्छ और कमजोर माना है, परंतु यह देखो आज मानवों के कारण ही तुम इस हाल में हो। इस धरती के होने के बाद भी तुम इस धरती को नष्ट करने चले थे। 

त्रियाची- मुझे एक बात समझ नहीं आ रही है धरती पर करोड़ों मानव है, फिर इन ही मानवों के पास इतनी शक्ति कैसे आई ? 

सप्तक- यह सब इसी धरती के कारण आई है। धरती पर रहने वाले मानव पांच तत्वों से बने हैं और यह पांच तत्व ही इनकी शक्ति है। 

त्रियाची- पर मुझे शक्तिपूंज चाहिए ताकि मैं भी नया जीवन प्राप्त कर सकूं। 

सप्तक- तुम इस धरती पर रह चुके हो तुम इस धरती पर आते, अपने लोगों से मिलते और यहां से नया जीवन लेकर जाते तो मानव तुम्हारा दिल खोलकर स्वागत करते। परंतु तुमने धरती को ही नष्ट करना चाहा तो देखों तुम्हारा क्या हर्ष हो गया है। तुम चाहो तो अब भी धरती पर आकर अपना नया जीवन प्राप्त कर सकते हो, परंतु तुम्हें वादा करना होगा कि तुम धरती के मानवों को किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचाओगे। अब तुम इतने विकसित हो कि बीमारी और मृत्यु पर विजय प्राप्त कर चुके हो तो तुम यहां से आओ, नया जीवन विकसित करो और फिर अपने ग्रह चले जाओ। 

त्रियाची- ठीक है सप्तक जी अब मैं ऐसा ही करूंगा और वादा करता हूं कि धरती के मानवों को कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाउंगा। पर मेरे मन में एक प्रश्न है ? 

सप्तक- क्या प्रश्न है पूछो ? 

त्रियाची- पहले इनकी शक्तियों का मुझ पर कोई असर नहीं हो रहा था, परंतु बाद में इनकी शक्तियों ने मेरी पूरी सेना को ही नष्ट कर दिया यह कैसे संभव हुआ ? 

सप्तक- सबसे पहली बात तो यह कि अपनी शक्तियों पर कभी घमंड मत करो, किसी का भला कर रहे हो तो किसी को जताने की कोशिश मत करो और एक पुरानी कहावत है कि संगठन में शक्ति है। बस यही मैंने इनसे कहा, इन्होंने माना और फिर इस युद्ध में विजय प्राप्त की। 

त्रियाची- मैं समझ गया हूं सप्तक जी। त्रियाची अब त्राचा ग्रह पर जा रहा है और धरती पर आकर नया जीवन विकसित करूंगा। धरती के मानवों को त्रियाची की जब भी जरूरत होगी त्रियाची धरती के मानवों के साथ ही होगा। 

इसके बाद त्रियाची बची हुई सेना के साथ त्राचा ग्रह चला जाता है। प्रणिता, अनिकेत, रॉनी, यश और तुषार फिर से सामान्य जीवन जीने के लिए अपनी दुनियां में लौट जाते है।, हालांकि सप्तक उनसे इस बात का वचन लेता है कि वे अपनी शक्तियों का प्रयोग हमेशा लोगों की भलाई के लिए करेंगे कभी उनका गलत इस्तेमाल नहीं करेंगे। पृथ्वी पर एक बार फिर शांति छा गई थी और सब कुछ धीरे-धीरे सामान्य हो रहा था।